-
CENTRES
Progammes & Centres
Location
अंतरराष्ट्रीय निंदा, प्रतिबंधों, और कूटनीतिक कोशिशों का कोई नतीजा नहीं निकला है और प्योंगयांग अपनी नाभिकीय क्षमताओं का विस्तार जारी रखे हुए है.
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) की प्रतिबंध समिति के पास जमा करायी गयी एक हालिया रिपोर्ट के मुताबिक़, उत्तर कोरिया ने अपनी नाभिकीय और बैलिस्टिक क्षमताओं, साथ ही साथ नाभिकीय विखंडनीय पदार्थ उत्पादित करने की क्षमता को बढ़ाना जारी रखा हुआ है. प्रतिबंधों के एक स्वतंत्र निगरानीकर्ता द्वारा 4 फरवरी को जमा की गयी यह रिपोर्ट, उत्तर कोरिया द्वारा मिसाइल परीक्षण के प्रदर्शनों और उसकी तैनाती क्षमताओं का ब्योरा देती है. संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने लंबे समय से उत्तर कोरिया के नाभिकीय परीक्षण करने पर रोक लगायी हुई है और देश की नाभिकीय एवं मिसाइल गतिविधियों के चलते प्योंगयांग पर कई सारे प्रतिबंध लगा रखे हैं. रिपोर्ट कहती है कि ‘हालांकि किसी नाभिकीय परीक्षण या अंतर-महाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल (आईसीबीएम) के परीक्षण की ख़बर नहीं है, लेकिन जनवादी लोक गणतांत्रिक कोरिया (डीपीआरके) ने नाभिकीय विखंडनीय पदार्थों के उत्पादन के लिए क्षमता का विकास जारी रखा.’ यह रिपोर्ट उत्तर कोरिया के उस बयान के कुछ हफ़्तों बाद आयी, जिसमें कहा गया कि अमेरिका से रक्षा के लिए वह अपनी ‘अस्थायी तौर पर निलंबित’ गतिविधियों को दोबारा शुरू करेगा. यह बयान संभवत: नाभिकीय हथियारों के परीक्षण पर 2017 में ख़ुद से लागू किये गये स्थगन के संदर्भ में है. अब जबकि उत्तर कोरिया ने अपने मिसाइल परीक्षण काफ़ी बढ़ा दिये हैं और नाभिकीय हथियार के अपने लक्ष्यों को पूरा करने के अपने फ़ैसले को दोहराया है, तो ऐसे में बढ़ी हुई शत्रुता और हथियारों के परीक्षण में आयी तेज़ी को लेकर चिंताएं बेबुनियाद नहीं हैं.
अब जबकि उत्तर कोरिया ने अपने मिसाइल परीक्षण काफ़ी बढ़ा दिये हैं और नाभिकीय हथियार के अपने लक्ष्यों को पूरा करने के अपने फ़ैसले को दोहराया है, तो ऐसे में बढ़ी हुई शत्रुता और हथियारों के परीक्षण में आयी तेज़ी को लेकर चिंताएं बेबुनियाद नहीं हैं.
यह रिपोर्ट नाभिकीय क्षेत्र में उत्तर कोरिया की हालिया कोशिशों को लेकर कई चिंताएं पैदा करती है. रिपोर्ट के मुताबिक़, उत्तर कोरिया ने नयी तकनीकों का परीक्षण किया है, जिनमें ‘एक संभावित हाइपरसोनिक निर्देशित वॉरहेड और एक मैन्यूरेबल रीएंट्री व्हीकल (एक तरह की मिसाइल)’ शामिल हैं. रिपोर्ट उत्तर कोरिया की ‘तेज़ी से तैनाती की बढ़ी हुई क्षमताओं, व्यापक गतिशीलता (समुद्र में भी), और उसके मिसाइल बलों के बेहतर हुए लचीलेपन’ को लेकर चिंता पैदा करती है. जनवरी महीने में, प्योंगयांग ने नौ बैलिस्टिक मिसाइल प्रक्षेपण किये, जो इस देश के नाभिकीय हथियारों और मिसाइल कार्यक्रम के इतिहास में सबसे बड़ी संख्या है. एक सबसे हालिया परीक्षण मध्यम दूरी की बैलिस्टिक मिसाइल ह्वासोंग-12 का है, जो रिपोर्ट के मुताबिक़ बड़े आकार का नाभिकीय वॉरहेड ले जा सकती है. प्योंगयांग के परीक्षणों को जापान और दक्षिण कोरिया जैसे पड़ोसी देश क्षेत्रीय सुरक्षा और स्थिरता के लिए ख़तरे के रूप में देखते हुए लंबे समय से चिंता ज़ाहिर करते रहे हैं. इन चिंताओं को अंतरराष्ट्रीय नाभिकीय क्षेत्र के मुख्य भागीदारों के बयानों का समर्थन मिला, क्योंकि ये परीक्षण और उत्तर कोरिया की नाभिकीय महत्वाकांक्षाएं अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा के लिए गंभीर ख़तरा पेश करते हैं और अमेरिका जैसे देशों के साथ नाभिकीय तनाव बढ़ा सकते हैं. उत्तर कोरिया के बढ़ते नाभिकीय कार्यक्रम को लेकर अमेरिका अपनी चिंता प्रकट कर चुका है, जो ख़ास तौर पर जनवरी में किये गये परीक्षणों के संबंध में है. उत्तर कोरिया के नेता किम जोंग-उन और अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बीच 2019 की शिखर वार्ता में बातचीत रुक जाने के बाद से वाशिंगटन और प्योंगयांग के बीच नाभिकीय निरस्त्रीकरण वार्ता भी ठप पड़ी हुई है. जनवरी 2022 के परीक्षणों ने नाभिकीय-उन्नत उत्तर कोरिया से ख़तरों को और बढ़ा दिया है.
प्योंगयांग के परीक्षणों को जापान और दक्षिण कोरिया जैसे पड़ोसी देश क्षेत्रीय सुरक्षा और स्थिरता के लिए ख़तरे के रूप में देखते हुए लंबे समय से चिंता ज़ाहिर करते रहे हैं.
संयुक्त राष्ट्र रिपोर्ट ने इस पर भी ग़ौर किया है कि उत्तर कोरिया के मिसाइल कार्यक्रम के लिए धन कैसे आ रहा है. प्रतिबंध निगरानीकर्ता के मुताबिक़, देश के मिसाइल कार्यक्रम को साइबर हमलों के ज़रिये चुरायी गयी क्रिप्टोकरेंसी (5 करोड़ अमेरिकी डॉलर से ज़्यादा मूल्य की) के माध्यम से धन मुहैया कराया गया है, और यह राजस्व का एक मुख्य स्रोत रहा है. उत्तर कोरिया ने 2021 में साइबर हमलों के ज़रिये लगभग 40 करोड़ अमेरिकी डॉलर हासिल किये. रिपोर्ट के मुताबिक़, साइबर हमलों ने 2020 और मध्य-2021 के बीच एशिया, उत्तरी अमेरिका, और यूरोप के क्रिप्टो एक्सचेंजों को निशाना बनाया और 2019 में साइबर हमलों के ज़रिये हासिल किये गये 2 अरब अमेरिकी डॉलर के अनुमानित ख़जाने में इज़ाफ़ा किया. संयुक्त राष्ट्र के प्रतिबंधों के बावजूद, प्योंगयांग अपने नाभिकीय बुनियादी ढांचे को और बढ़ाने में सक्षम रहा है तथा तकनीकी उन्नयन और गहन वैज्ञानिक अनुसंधान के ज़रिये ऐसा करना जारी रखे हुए है. अवैध साइबर एवं वाणिज्यिक गतिविधियों के नतीजतन, उत्तर कोरिया अपने नाभिकीय और मिसाइल कार्यक्रम को अच्छा ख़ासा बढ़ाने में सक्षम रहा है.
संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट ऐसे वक़्त में आयी है जब उत्तर कोरिया की नाभिकीय महत्वाकांक्षाओं को लेकर चिंताएं काफ़ी बढ़ी हुई हैं. 2003 में उत्तर कोरिया का नाभिकीय अप्रसार संधि (एनपीटी) से हटना वैश्विक नाभिकीय निरस्त्रीकरण के लिए एक बड़ा धक्का था. इसके बाद लगाये गये पंगु कर देनेवाले अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों के बावजूद, उत्तर कोरिया की नाभिकीय हथियार कार्यक्रम को उन्नत बनाने की क्षमता ने क्षेत्र में और उससे बाहर भी अस्थिरता को काफ़ी बढ़ा दिया है. उत्तर कोरिया के तेज़ हुए हथियार कार्यक्रम तथा नाभिकीय हथियारों के परीक्षण और आईसीबीएम के प्रक्षेपण पर स्थगन हटाने के संभावित क़दम ने नाभिकीय निरस्त्रीकरण वार्ता की किसी संभावना को ख़तरे में डाल दिया है.
अवैध साइबर एवं वाणिज्यिक गतिविधियों के नतीजतन, उत्तर कोरिया अपने नाभिकीय और मिसाइल कार्यक्रम को अच्छा ख़ासा बढ़ाने में सक्षम रहा है.
कई मुख्य नाभिकीय भागीदारों, ख़ास तौर पर उत्तर कोरिया, ने हाल के वर्षों में नाभिकीय वैश्विक व्यवस्था को बड़ा झटका दिया है. जैसा कि प्रतिबंध निगरानीकर्ता ने दोहराया है, प्रतिबंधों और निषेधों को धता बताकर नाभिकीय क्षेत्र में अपनी गतिविधियों को जारी रखने की उत्तर कोरिया की क्षमता एनपीटी जैसी संधियों की बुनियाद को ही कमज़ोर बना देती है. हाल के घटनाक्रमों और नाभिकीय हथियारों के उन्नयन पर प्योंगयांग के सामान्य दृष्टिकोण को देखते हुए, इस बात की संभावना बहुत कम है कि उत्तर कोरिया अपने नाभिकीय हथियारों को छोड़ेगा. हालांकि, मुख्य अंतरराष्ट्रीय भागीदारों के लिए यह बेहद अहम है कि वे कोशिश करें और प्योंगयांग की परीक्षण महत्वाकांक्षाओं को सीमित करें. उत्तर कोरिया के लिए, उसके नाभिकीय हथियार अंतरराष्ट्रीय वार्ता मंचों पर अपनी बढ़ती घरेलू चुनौतियों (उदाहरण के लिए, भोजन की कमी) की काट के लिए इस्तेमाल किये जानेवाले औज़ार का काम करते हैं. यह स्पष्ट है कि मौजूदा अंतरराष्ट्रीय नियमनों और प्रतिबंधों ने देश के सैन्य विस्तार एवं उन्नयन के बजाय देश के नागरिकों पर गहरा असर डाला है. लिहाज़ा, जैसा यूएन रिपोर्ट में ख़ास उल्लेख है, प्योंगयांग के नाभिकीय लक्ष्यों के नतीजतन बढ़ते जोखिमों व चिंताओं को कम करने के लिए दृष्टिकोण में अवश्य ही बदलाव लाया जाना चाहिए.
The views expressed above belong to the author(s). ORF research and analyses now available on Telegram! Click here to access our curated content — blogs, longforms and interviews.
Pulkit Mohan is the Head of Forums at ORF. She is responsible for the ideation curation and execution of ORFs flagship conferences. Her research focuses include ...
Read More +