Author : Akanksha Singh

Published on Sep 20, 2022 Updated 25 Days ago

हैती अभी अपने इतिहास के सबसे बुरे संकटों में से एक का सामना कर रहा है. वक़्त की ज़रूरत है कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय की ओर से व्यावहारिक हस्तक्षेप किया जाए.

संकट के दौर से गुज़रता उत्तर अमेरिका का कैरिबियाई देश ‘हैती’

एक साल पहले, 14 अगस्त 2021 को आये 7.2 तीव्रता के भारी भूकंप के बाद से हैती भूख तथा सुरक्षा के एक बड़े संकट से गुज़र रहा है. रिपोर्ट है कि देश में लगभग 45 लाख लोग गंभीर खाद्य असुरक्षा से जूझ रहे हैं. हैती में मुद्रास्फीति का स्तर 26 प्रतिशत पर पहुंच गया है, साथ ही रूस-यूक्रेन संघर्ष के चलते खाद्य वस्तुओं की क़ीमतें तेज़ी से बढ़ रही हैं. इन आर्थिक परेशानियों के साथ-साथ, जून 2021 से देश में हथियारबंद गुटों के बीच हिंसक झड़पें शुरू हुई हैं, जिससे राजधानी शहर पोर्ट-ऑ-प्रिंस में सामाजिक और आर्थिक जीवन प्रभावित हुआ है. हैती के लोगों में चहुंओर डर और आशंका व्याप्त है.

2018 में, हैती की सरकार ने एलान किया कि वह देश में ईंधन सब्सिडी को धीरे-धीरे ख़त्म करेगी, जिसने उस समय बड़ी नागरिक अशांति पैदा की. ये विरोध प्रदर्शन 2019 में बढ़ गये. इसके बाद 2021 में, जीन-चार्ल्स मोइस की सरकार और उनके द्वारा प्रस्तावित संवैधानिक जनमत-संग्रह के ख़िलाफ़ प्रदर्शन फिर तेज़ हुए. 

2018 में, हैती की सरकार ने एलान किया कि वह देश में ईंधन सब्सिडी को धीरे-धीरे ख़त्म करेगी, जिसने उस समय बड़ी नागरिक अशांति पैदा की. ये विरोध प्रदर्शन 2019 में बढ़ गये. इसके बाद 2021 में, जीन-चार्ल्स मोइस की सरकार और उनके द्वारा प्रस्तावित संवैधानिक जनमत-संग्रह के ख़िलाफ़ प्रदर्शन फिर तेज़ हुए. इन प्रदर्शनों पर पुलिस ने ज़रूरत से ज़्यादा बल प्रयोग किया. इस बढ़े हुए राजनीतिक तनाव का आख़िरकार नतीजा यह हुआ कि हथियारबंद लोग पोर्ट-ऑ-प्रिंस में राष्ट्रपति मोइस के निजी आवास में घुस गये. उन्होंने राष्ट्रपति की हत्या कर दी और उनकी पत्नी को घायल कर दिया. इसके महज़ पांच हफ़्तों बाद, देश में भारी भूकंप आया जिसमें 2,000 से ज़्यादा लोगों की मौत हुई, और मोहल्ले के मोहल्ले ध्वस्त हो गये. इसके बाद गैंग हिंसा और राजनीतिक अस्थिरता कई गुना बढ़ गयी, जिसने हैती को एक गहरे संकट में धकेल दिया. हाल के दिनों में, कुशासन, असुरक्षा, ईंधन की किल्लत, और क़ीमतों में वृद्धि की प्रतिक्रिया में सड़कों पर प्रदर्शन का विस्तार हो रहा है. मानवीय मामलों के समन्वय के लिए संयुक्त राष्ट्र कार्यालय (ओसीएचए) का एक अनुमान यह कहता है कि राजधानी शहर का एक-तिहाई से अधिक हिस्सा गैंग्स के नियंत्रण में है. गैंग हिंसा की जड़ें राष्ट्रपति की हत्या की घटना तक खोजी जा सकती हैं, और बीते कुछ समय से इनका फैलाव नियंत्रण से बाहर हो गया है. परिवहन मार्गों के भी प्रभावित होने से, इस हिंसा का असर देश की अर्थव्यवस्था, खाद्य एवं तेल सुरक्षा पर पड़ा है.

हैती, आपदाओं की आशंका से ग्रस्त क्षेत्र है. उसने एक के बाद एक संकटों का सामना किया है, जैसे 2010 में एक भारी भूकंप, 2016 में तूफ़ान, और 2021 में एक और भूकंप. देश का कृषि क्षेत्र भी धीरे-धीरे कमज़ोर हुआ है, जिसने उसे खाद्य वस्तुओं की खपत के 50 प्रतिशत से अधिक हिस्से के लिए आयात पर निर्भर बना दिया है. 1980 के दशक में, हैती का चावल पर आयात शुल्क (राइस टैरिफ) 30 प्रतिशत से घटकर लगभग शून्य पर ले आया गया, जिसने देश के किसानों को दिवालिया बना दिया. इसके अलावा, देश ने अपने पूरे इतिहास में लगातार गैंग हिंसा देखी है. मौजूदा अंतरराष्ट्रीय परिदृश्य में, यूक्रेन में युद्ध की वजह से ईंधन की क़ीमतों में उछाल के साथ, हैती की आर्थिक स्थिति और ख़राब हो गयी है. बढ़ती क़ीमतों, और इसके साथ सरकार द्वारा ईंधन सब्सिडी के भुगतान, ने ईंधन की लागतों को अवहनीय (अनसस्टेनेबल) बना दिया है.

हैती की राजधानी पोर्ट-ऑ-प्रिंस के सिटे सोलोई में पांच साल से कम उम्र का हर पांच में से एक बच्चा गंभीर कुपोषण भुगत रहा है. उसके द्वारा भुगत रहे तीन में से कोई एक भी चुनौती किसी देश के लिए अकेले ही बहुत ज़्यादा डराने वाली होगी. और तथ्य यह है कि ये सारी मुसीबतें एक साथ हैती पर टूट पड़ी हैं, जिसने उसे अपने इतिहास के सबसे बुरे संकटों में से एक में और ज़्यादा धकेल दिया है.

हैती की चुनौतियों को तीन मुख्य भागों में बांटकर समझा जा सकता है. पहला, सरकार वर्तमान में एक निष्क्रिय पड़ी संसद और बस चंद कार्यक्षम सार्वजनिक संस्थाओं के साथ संविधानेतर तरीक़े से चलायी जा रही है. दूसरा, नागरिकों की सुरक्षा लगभग अस्तित्वहीन हो चुकी है और आधा देश मज़बूत राजनीतिक संपर्कों वाले आपराधिक गिरोहों के नियंत्रण में जी रहा है. तीसरा, देश गंभीर आर्थिक स्थितियों से गुज़र रहा है. हैती की राजधानी पोर्ट-ऑ-प्रिंस के सिटे सोलोई में पांच साल से कम उम्र का हर पांच में से एक बच्चा गंभीर कुपोषण भुगत रहा है. उसके द्वारा भुगत रहे तीन में से कोई एक भी चुनौती किसी देश के लिए अकेले ही बहुत ज़्यादा डराने वाली होगी. और तथ्य यह है कि ये सारी मुसीबतें एक साथ हैती पर टूट पड़ी हैं, जिसने उसे अपने इतिहास के सबसे बुरे संकटों में से एक में और ज़्यादा धकेल दिया है.

अमेरिका में शरण

अमेरिकी देशों के संगठन (ओएएस) ने हाल में एक बयान जारी किया, जिसमें दावा किया गया कि आज जो संकट हैती को तबाह कर रहा है उसके लिए अंतरराष्ट्रीय समुदाय ज़िम्मेदार है. इसमें कहा गया कि ‘हैती में अंतरराष्ट्रीय समुदाय की मौजूदगी के बीते 20 वर्ष, किसी अंतरराष्ट्रीय सहयोग के फ्रेमवर्क के भीतर क्रियान्वित और निष्पादित सबसे बुरी और स्पष्ट विफलताओं में से एक हैं.’ हैती अभी जिस संकट का सामना कर रहा है उसमें अंतरराष्ट्रीय कर्ताओं (ऐक्टर्स) की भूमिका को स्वीकार करना संगठन के लिए उत्साहजनक था, लेकिन उसका आगे यह कहना कि केवल अंतरराष्ट्रीय समुदाय इस संकट का निवारण कर सकता है, समस्याजनक है. उसने कहा कि ‘कोर ग्रुप’ या हैती के स्व-नियुक्त अभिभावकों, जिसमें संयुक्त राष्ट्र और ओएएस के प्रतिनिधियों के साथ-साथ अमेरिका, फ्रांस, स्पेन, ब्राज़ील, जर्मनी, कनाडा जैसे देशों के राजदूत शामिल हैं, को बिल के भुगतान के लिए संसाधन मुहैया कराने चाहिए और इस संकट से निकलने का रास्ता ढूंढ़ने में हैती की मदद करनी चाहिए. देश अभी जिस आर्थिक और राजनीतिक बर्बादी का सामना कर रहा है, उससे देश को बाहर निकालने की उम्मीद कोर ग्रुप से करना काफ़ी विडंबनापूर्ण है, ख़ासकर यह देखते हुए कि यह ग्रुप संकटग्रस्त देशों को स्थिरता मुहैया कराने की उम्मीद में, दुनिया भर में आपराधिक मानसिकता वाले गुटों की ओर बार-बार मुड़ा है, जिनमें कई हैती के भी हैं. कोर ग्रुप के प्रयासों का जवाब हैती के आपराधिक गुटों ने केवल बढ़े हुए भ्रष्टाचार, अस्थिरता, आर्थिक व सामाजिक विनाश और उन गैंग्स के रूप में दिया है जो अपहरण, बलात्कार, हत्या और उपद्रव की अपनी वारदातों के ज़रिये हैती के आम लोगों की परेशानियों को बहुत ज़्यादा बढ़ा रहे हैं. मानो इतना काफ़ी नहीं था, देश के पास वर्तमान में एक कार्यशील न्याय प्रणाली तक नहीं है, जो इन गैंगस्टरों पर मामले चला सके. इसके अलावा, हैती की जेलें पहले से ही क्षमता से अधिक भरी हुई हैं. पढ़े-लिखे हैतीवासी अपने देश को छोड़ना ही एकमात्र व्यावहारिक विकल्प मानते हैं, जिनमें से कई अमेरिका में शरण तलाशते हैं. हालांकि, बाइडेन प्रशासन ने अपने यहां से हैतीवासियों की स्वदेश-वापसी को तेज़ किया है.

राजनयिकों और दूसरे हितधारकों द्वारा एक ‘हैती-नीत समाधान’ के पुन: आकलन की सख़्त ज़रूरत है. हैती के लिए वक़्त की मांग है कि पहले से ही संकट से ख़स्ताहाल देश को और जर्जर होने से बचाने के लिए तुरंत और व्यावहारिक अंतरराष्ट्रीय हस्तक्षेप किये जाएं.

हैती में संयुक्त राष्ट्र के एकीकृत कार्यालय की विशेष प्रतिनिधि ने गैंग हिंसा को रोकने, सज़ा का डर नहीं होने और भ्रष्टाचार से निपटने, न्यायिक तंत्र को मज़बूत करने, और टिकाऊ ढंग से अर्थव्यवस्था में बदलाव लाने में सक्षम होने के लिए संरचनात्मक सुधारों की ज़रूरत की ओर इशारा किया. अंतरराष्ट्रीय समुदाय हैती के राजनीतिक और आर्थिक दृश्य का इस क़दर हिस्सा रहा है कि किसी भी घरेलू या विदेशी हितधारक (स्टेकहोल्डर) के लिए, बाहरी सहायता और मार्गदर्शन के बिना इस देश के लिए आगे की कोई राह देख पाना कठिन प्रतीत होता है, जबकि ऐसा करने पर विफलता मिलने का ऐतिहासिक रिकॉर्ड है. हैती में स्थिति के संबंध में अंतरराष्ट्रीय समुदाय में मौजूदा चुप्पी को देखते हुए यह ख़ास तौर पर महत्वपूर्ण है. लगभग 26,000 हैतीवासियों को स्वदेश भेजने के अमेरिका के निर्णय और हैती में अवैध हथियारों की तस्करी में वृद्धि से लेकर, ओएएस द्वारा अस्पष्ट बयान जारी करने (जिसमें दूर-दूर तक कोई समाधान नज़र नहीं आता) के अलावा कुछ नहीं किये जाने तक, वैश्विक समुदाय से इस देश के लिए बहुत कम उम्मीद है. संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने हाल ही में हैती में संयुक्त राष्ट्र एकीकृत कार्यालय के कामकाज को एक साल के लिए बढ़ाया. यह कागज़ पर एक सकारात्मक क़दम प्रतीत हो सकता है, लेकिन वास्तविकता में इसने कुछ ख़ास नहीं किया है. राजनयिकों और दूसरे हितधारकों द्वारा एक ‘हैती-नीत समाधान’ के पुन: आकलन की सख़्त ज़रूरत है. हैती के लिए वक़्त की मांग है कि पहले से ही संकट से ख़स्ताहाल देश को और जर्जर होने से बचाने के लिए तुरंत और व्यावहारिक अंतरराष्ट्रीय हस्तक्षेप किये जाएं.

हैती के संकट को समझने और उसके समाधान की दिशा में आगे बढ़ने में एक अन्य मुख्य पहलू है, इस देश में अमेरिका द्वारा निभायी गयी भूमिका को स्वीकार करना. यह समझना भी प्रासंगिक होगा कि केवल पिछले दशक में 5 अरब अमेरिकी डॉलर से अधिक की मदद झोंके जाने के बावजूद यह देश राजनीतिक रूप से इतना अस्थिर क्यों बना हुआ है. अमेरिका ने दशकों तक इस देश की फ्रांस से आज़ादी को मान्यता देने से इनक़ार किया, बल्कि धमकियों के ज़रिये कूटनीति के संचालन के लिए कुछ मौक़ों पर हैती पर क़ब्ज़े की भी कोशिश की. अमेरिका को अंतरराष्ट्रीय समुदाय के बीच अगुवाई करनी चाहिए और हैती में गहरी जड़ें जमाये अस्थिरता को दुरुस्त करने की दिशा में पहले क़दम के बतौर, देश में एक नयी अस्थायी सरकार बनाने के लिए नेताओं के एक ज़मीनी आयोग को समर्थन देना चाहिए.

The views expressed above belong to the author(s). ORF research and analyses now available on Telegram! Click here to access our curated content — blogs, longforms and interviews.