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मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज़्ज़ू की पार्टी पीपुल्स नेशनल कांग्रेस (PNC) ने देश के संसदीय चुनावों में ज़बरदस्त जीत हासिल की. 93 सदस्यों के सदन में PNC को 66 सीटों पर जीत हासिल हुई. 2023 में राष्ट्रपति के चुनाव में विजय हासिल करने के बाद सत्ता में आए चीन समर्थक मुइज़्ज़ू की जीत का पैमाना मालदीव पर उनकी पकड़ की पुष्टि करता है और ये संकेत देता है कि आने वाले वर्षों में भारत और चीन के बीच भू-राजनीतिक धक्का-मुक्की बढ़ने की संभावना है.
सत्ता में आने के बाद उनके पहले कदमों में से एक था मालदीव में तैनात लगभग 90 भारतीय सैन्य कर्मियों की वापसी की भारत से मांग करना. ये कर्मी कुछ वर्ष पहले बचाव और निगरानी के लिए भारत के द्वारा उपहार के तौर पर दिए गए दो हेलीकॉप्टर और एक एयरक्राफ्ट के रख-रखाव और संचालन के लिए मालदीव में तैनात थे.
मार्च 2024 में जिस समय मालदीव से भारतीय सैन्य कर्मियों को हटाने की प्रक्रिया को लेकर बातचीत चल रही थी, उसी समय मालदीव ने चीन के साथ एक रक्षा सहयोग समझौते पर हस्ताक्षर किए.
मार्च 2024 में जिस समय मालदीव से भारतीय सैन्य कर्मियों को हटाने की प्रक्रिया को लेकर बातचीत चल रही थी, उसी समय मालदीव ने चीन के साथ एक रक्षा सहयोग समझौते पर हस्ताक्षर किए. इस समझौते का ब्यौरा नहीं मुहैया कराया गया लेकिन कहा जा रहा है कि ये जनवरी में मुइज़्ज़ू की चीन यात्रा के दौरान दोनों देशों के बीच संबंधों को “व्यापक सामरिक और सहकारी साझेदारी” के स्तर पर बढ़ाने को लेकर लिए गए फैसले के मुताबिक है. इस समझौते का मुख्य हिस्सा ये था कि मालदीव को चीन मुफ्त में सैन्य सहायता मुहैया कराएगा.
पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन के अनुयायी मुइज़्ज़ू ने 2023 का चुनाव “इंडिया आउट” अभियान के दम पर जीता जिसका मक़सद 2018-2023 के बीच मालदीव पर शासन करने वाले इब्राहिम सोलिह के नेतृत्व वाली मालदीव डेमोक्रेटिक पार्टी की “इंडिया फर्स्ट” नीति को ख़त्म करना था.
बातचीत के बाद भारत अपने कर्मियों को वापस लेने के लिए तैयार हो गया और दो बैच में भारतीय कर्मी पहले ही मालदीव छोड़ चुके हैं, उनकी जगह सिविलियन (नागरिक) तकनीकी कर्मचारियों ने ली है. बाकी बचे हुए कर्मी 10 मई तक मालदीव छोड़ देंगे. मालदीव भारत के मिनिकॉय द्वीप से महज़ 70 नॉटिकल मील दूर और मुख्यधारा के पश्चिमी तट से लगभग 300 नॉटिकल मील दूर है. ये स्वेज़ नहर और स्ट्रेट ऑफ होर्मुज़ से आने वाले समुद्री रास्तों के बीच एक तरह के केंद्र के रूप में स्थित है जो भारत और श्रीलंका के नज़दीक से गुज़रता है और अंडमान सागर के ज़रिए मलक्का स्ट्रेट तक जाता है.
सत्ता में आने के बाद के महीनों में मुइज़्ज़ू ने अपनी कार्रवाइयों से अपनी नीति की दिशा का संकेत दिया है. भारत की पारंपरिक पहली विदेश यात्रा की जगह उन्होंने सत्ता संभालने के कुछ हफ्तों के भीतर तुर्किए का दौरा किया जहां उन्होंने मालदीव के विशाल विशेष आर्थिक क्षेत्र (SEZ) की निगरानी के उद्देश्य से कई सर्विलांस ड्रोन के लिए समझौते पर हस्ताक्षर किए.
सत्ता में आने के बाद के महीनों में मुइज़्ज़ू ने अपनी कार्रवाइयों से अपनी नीति की दिशा का संकेत दिया है. भारत की पारंपरिक पहली विदेश यात्रा की जगह उन्होंने सत्ता संभालने के कुछ हफ्तों के भीतर तुर्किए का दौरा किया जहां उन्होंने मालदीव के विशाल विशेष आर्थिक क्षेत्र (SEZ) की निगरानी के उद्देश्य से कई सर्विलांस ड्रोन के लिए समझौते पर हस्ताक्षर किए. प्रधानमंत्री मोदी के साथ उनकी पहली मुलाकात 1 दिसंबर 2023 को संयुक्त अरब अमीरात (UAE) में कॉप28 शिखर सम्मेलन के दौरान हुई.
जनवरी में भारत से दूर जाने को रेखांकित करते हुए मुइज़्ज़ू ने पांच दिनों के राजकीय दौरे में चीन की यात्रा की. यहां उन्होंने 20 समझौतों पर हस्ताक्षर किए जिनमें पर्यटन को लेकर सहयोग पर एक समझौता शामिल है. इनमें से कुछ समझौतों को BRI के हिस्से के रूप में बताया गया. मुइज़्ज़ू की ये यात्रा प्रधानमंत्री मोदी के द्वारा पर्यटन स्थल के रूप में लक्षद्वीप का प्रचार करने को लेकर पैदा विवाद के बाद हुई. मालदीव का बहिष्कार करने के लिए चलाए गए एक सोशल मीडिया अभियान की वजह से मालदीव के कुछ मंत्रियों ने प्रधानमंत्री मोदी के ख़िलाफ़ अपमानजनक टिप्पणियां की. इन मंत्रियों को मुइज़्ज़ू ने तुरंत ही सस्पेंड कर दिया.
रिकॉर्ड की बात करें तो 2023 के आधिकारिक आंकड़े दिखाते हैं कि भारत से सबसे ज़्यादा 2,09,198 सैलानियों ने मालदीव की यात्रा की. इसके बाद रूस के 2,09,146 और चीन के 1,87,118 पर्यटक मालदीव घूमने के लिए गए. कोविड-19 महामारी से पहले मालदीव जाने वाले सैलानियों के मामले में चीन पहले नंबर पर था और मुइज़्ज़ू चाहते हैं कि चीन पहले वाली स्थिति बहाल करे. सोशल मीडिया अभियान के बाद मालदीव जाने वाले भारतीय पर्यटकों की संख्या में काफी गिरावट आई है और चीन जिस तरह से पर्यटन को हथियार के तौर पर इस्तेमाल करता है, उसे देखते हुए चीन से जाने वाले सैलानियों की संख्या में तेज़ बढ़ोतरी का अनुमान है.
मालदीव केवल हेलीकॉप्टर का रख-रखाव करने वाले कर्मियों के मुद्दे पर ही भारत से दूर नहीं हुआ. इस मुद्दे को उठाने के कुछ ही समय के बाद मालदीव ने हाइड्रोग्राफिक सर्वे के लिए 2019 में हस्ताक्षर किए गए समझौता ज्ञापन (MoU) को फिर से बहाल करने के ख़िलाफ़ फैसला लिया. इस समझौते के तहत मालदीव नेशनल डिफेंस फोर्स और भारतीय नौसेना ने मालदीव के आसपास के समुद्र के नेविगेशनल चार्ट को अपडेट करने के लिए तीन साझा हाइड्रोग्राफिक सर्वे किए थे.
इसके बाद दिसंबर 2023 में मालदीव ने मॉरिशस के पोर्ट लुईस में आयोजित कोलंबो सिक्युरिटी कॉन्क्लेव (CSC) शिखर सम्मेलन में शामिल होने से इनकार कर दिया. CSC, जो कि राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों (NSA) के स्तर की एक बैठक है, अपने आप में 1995 से मालदीव और भारत के कोस्ट गार्ड के अभ्यासों का एक नतीजा है जिसमें 2011 में श्रीलंका भी शामिल हुआ था. 2021 में CSC एक औपचारिक संगठन के रूप में बदल गया और श्रीलंका में इसका सचिवालय बनाया गया. मॉरिशस इसके पूर्ण सदस्य के रूप में शामिल हुआ जबकि सेशेल्स और बांग्लादेश इसके ऑब्ज़र्वर बने.
मालदीव के भविष्य के रास्ते की किसी भी समीक्षा के लिए हमें पिछले दशक पर नज़र डालने की आवश्यकता होगी जिस दौरान अब्दुल्ला यामीन (17 नवंबर 2013-2018) और इब्राहिम सोलिह (17 नवंबर 2018-2023) मालदीव के राष्ट्रपति रहे.
मालदीव को चीन के नज़दीक ले जाने वाले यामीन थे जो मुइज़्ज़ू के सलाहकार (मेंटॉर) हैं. 2014 में चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने मालदीव का दौरा किया और BRI में इस द्वीपीय देश का स्वागत किया. इसकी वजह से बुनियादी ढांचे की कई परियोजनाओं के लिए चीन के सरकारी कर्ज़ से फंड मिला. इन परियोजनाओं में प्रमुख रूप से हुलहुले द्वीप पर वेलाना इंटरनेशनल एयरपोर्ट के साथ माले को जोड़ने वाला चीन-मालदीव फ्रेंडशिप ब्रिज और हवाई अड्डे का विस्तार शामिल है. इन दोनों परियोजनाओं के लिए फंड चीन के एग्ज़िम बैंक से मिला. 2012 में एयरपोर्ट की परियोजना के लिए भारत की एक कंपनी को दिए गए ठेके को रद्द कर दिया गया था.
2014 में चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने मालदीव का दौरा किया और BRI में इस द्वीपीय देश का स्वागत किया. इसकी वजह से बुनियादी ढांचे की कई परियोजनाओं के लिए चीन के सरकारी कर्ज़ से फंड मिला.
एक और बड़ी परियोजना थी मालदीव के अलग-अलग हिस्सों में 2,500 हाउसिंग यूनिट के विकास की. चीन की सरकार ने मालदीव को लामू लिंक रोड भी उपहार के तौर पर दिया जो कई दक्षिणी द्वीपों को जोड़ता है.
2015 में मालदीव ने एक नया कानून पारित किया जिसके तहत उन विदेशियों को मालदीव में ज़मीन ख़रीदने की अनुमति दी गई जो 10 लाख अमेरिकी डॉलर से ज़्यादा निवेश कर सकते हैं और जिस ज़मीन का 70 प्रतिशत से ज़्यादा समुद्र से फिर से हासिल किया गया है. ये 2016 में चीन की एक कंपनी के द्वारा 40 लाख अमेरिकी डॉलर में 50 साल के लीज़ पर फेधू फिनोल्हू द्वीप को हासिल करने की एक तरह की शुरुआत थी. ये द्वीप हुलहुले द्वीप के नज़दीक स्थित है जहां मुख्य हवाई अड्डा बना हुआ है. कुनावाशी अटॉल में एक और द्वीप को भी चीन से संबंध रखने वाली एक निवेश कंपनी को 50 साल के लिए लीज़ पर दिया गया है.
उस समय ऐसी ख़बरें थीं कि चीन द्वीप समूह के दक्षिणी हिस्से के लामू गाधू द्वीप में बंदरगाह का निर्माण करने की योजना बना रहा है. राष्ट्रपति चुनाव के दौरान अपने प्रचार अभियान में मुइज़्ज़ू ने द्वीप के लिए एक ट्रांस-शिपमेंट बंदरगाह बनाने का वादा किया था.
अब चाइना स्टेट कंस्ट्रक्शन इंजीनियरिंग कॉरपोरेशन ने माले के नज़दीक हासिल किए जाने वाले एक कृत्रिम द्वीप पर 15,000 हाउसिंग यूनिट बनाने का प्रस्ताव दिया है. चीन यात्रा के दौरान आवास मंत्री अली हैदर ने कहा कि रासमाले नाम के उस द्वीप पर चीन की मदद से 30,000 यूनिट और बनाने की योजना थी और मुइज़्ज़ू की चीन यात्रा के दौरान जिन समझौतों पर हस्ताक्षर किए गए थे, उनमें से एक ये था.
अभी तक भारत ने मालदीव के घटनाक्रम को लेकर आरामदायक रवैया अपनाया है. पिछले महीने स्थानीय मीडिया के साथ एक इंटरव्यू में मुइज़्ज़ू ने ये कहते हुए मेल-जोल वाला रुख अपनाया कि भारत उनके देश का “सबसे नज़दीकी सहयोगी” बना रहेगा. उन्होंने मालदीव पर भारत के 400.9 मिलियन अमेरिकी डॉलर के कर्ज़ को लेकर राहत मुहैया कराने का भारत से अनुरोध किया. उन्होंने कहा कि भारत ने मालदीव को बहुत ज़्यादा मदद मुहैया कराई थी और “सबसे अधिक संख्या में परियोजनाओं” को लागू किया था. उन्होंने कहा कि सैन्य कर्मियों का मुद्दा दोनों देशों के बीच एकमात्र विवादित मामला था.
पिछले महीने स्थानीय मीडिया के साथ एक इंटरव्यू में मुइज़्ज़ू ने ये कहते हुए मेल-जोल वाला रुख अपनाया कि भारत उनके देश का “सबसे नज़दीकी सहयोगी” बना रहेगा. उन्होंने मालदीव पर भारत के 400.9 मिलियन अमेरिकी डॉलर के कर्ज़ को लेकर राहत मुहैया कराने का भारत से अनुरोध किया.
भारत अब इस तथ्य को मान चुका है कि आने वाले समय में चीन हिंद महासागर के क्षेत्र में एक फैक्टर बनने वाला है. जहां तक चीन की नौसैनिक गतिविधि की बात है तो अमेरिका और भारत- दोनों उसकी पनडुब्बियों, युद्धपोतों और रिसर्च जहाज़ों की चाल पर क़रीब से निगरानी रखते हैं. फिलहाल इस बात का कोई संकेत नहीं है कि चीन इस क्षेत्र में नौसेना का कोई नया अड्डा बनाने की योजना बना रहा है. किसी भी स्थिति के लिए भारत लक्षद्वीप में अपनी सैन्य मौजूदगी को बढ़ा रहा है. भारत ने मिनिकॉय द्वीप में एक नए नौसैनिक अड्डे INS जटायु की स्थापना की है जो लक्षद्वीप के ही कवरत्ती में नौसेना के अड्डे INS द्वीपरक्षक के अलावा है. INS जटायु मालदीव के सबसे नज़दीक भारतीय सैन्य अड्डा होगा.
मनोज जोशी ऑब्ज़र्वर रिसर्च फाउंडेशन में डिस्टिंग्विश्ड फेलो हैं.
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Manoj Joshi is a Distinguished Fellow at the ORF. He has been a journalist specialising on national and international politics and is a commentator and ...
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