Author : Harsh V. Pant

Published on Apr 12, 2019 Updated 0 Hours ago

भारत के रुख में बदलाव की एक बड़ी वजह नरेंद्र मोदी का राजनीतिक नेतृत्व है। विपक्ष मोदी से यह श्रेय छीनना चाहता है, लेकिन क्या यह आसान है?

मोदी और भाजपा का राष्ट्रवाद और विदेश नीति का खाका लोगों की उम्मीदों के ज्यादा करीब

चुनाव के पहले चरण में राष्ट्रीय सुरक्षा निर्णायक मुद्दा साबित होता दिख रहा है। यह कई लोगों को चौंका रहा है, क्योंकि उन्होंने इसकी उम्मीद नहीं की थी। तर्क दिए जा रहे थे कि यह चुनाव बेरोजगारी और किसान संकट की थीम पर लड़ा जाएगा। हालांकि, अभी यह साफ नहीं है कि मतदाता सिर्फ राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दे पर नई सरकार चुनने जा रहा है। क्योंकि, लंबे चुनावी चक्र की अभी शुरुआत ही हुई है। लेकिन, भारत की पाकिस्तान नीति और सैन्य रुख पर सरकार, विपक्ष और आम जनता में व्यापक चर्चा हो रही है।

पुलवामा कांड के बाद पाकिस्तान को दिए गए कड़े जवाब के बाद तय हो गया था कि चुनावी माहौल में यह अपनी जगह बना लेगा। एयर स्ट्राइक भारत के रुख में बदलाव का बड़ा संकेत है। पहले पाकिस्तान के हर उकसावे पर अंतरराष्ट्रीय समुदाय भारत से तनाव कम करने के लिए कहता था। लेकिन, अब यह पाकिस्तान को तय करना है कि वह कहां तक जाना चाहता है।

यह कहना भी अतार्किक है कि इसका श्रेय सरकार को नहीं जाता। वह भी तब, जबकि परंपरागत रूप से सेना के इस्तेमाल का फैसला राजनीतिक नेतृत्व को ही करना होता है। भारत के रुख में बदलाव की एक बड़ी वजह नरेंद्र मोदी का राजनीतिक नेतृत्व भी है। विपक्ष मोदी से यह श्रेय छीनना चाहता है, लेकिन क्या यह आसान है? यह कहना भी कपटपूर्ण है कि राजनीतिक मुकाबलों में राष्ट्रीय सुरक्षा और विदेश नीति को नहीं लाना चाहिए। मतदाता का अधिकार है कि वह यह जाने कि कौन सा राजनीतिक दल विदेश और राष्ट्रीय सुरक्षा की चुनौतियों से कैसे निपटेगा। अमेरिका, ब्रिटेन, जापान और ऑस्ट्रेलिया जैसे सभी लोकतंत्रों में विदेश नीति पर जमकर चर्चा होती है। इसलिए देश में राष्ट्रीय सुरक्षा और विदेश नीति पर चर्चा का स्वागत होना चाहिए।

मोदी की ओर से पेश चुनौतियों का जवाब देने में कांग्रेस असमर्थ दिख रही है। कांग्रेस इस चुनाव को राफेल सौदे और प्रधानमंत्री के ऊपर कथित भ्रष्टाचार के आरोपों पर लाने की कोशिश कर रही थी।

भाजपा यह चुनाव उसी जमीन पर लड़ रही है, जिस पर उसे सबसे अधिक भरोसा है — राष्ट्रीय सुरक्षा और राष्ट्रवाद। विपक्ष नौकरियों और किसान संकट पर सरकार को घेरने में विफल रहा है। मोदी अब राजनीतिक कथाएं गढ़ते जा रहे हैं और विपक्ष तो बस उसका जवाब देने में लगा है।

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