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भारत में जिस प्रकार से डिजिटल माध्यमों की पहुंच बढ़ी है, उससे देखा जाए तो देश में ज़रूरतमंद लोगों तक गुणवत्तापूर्ण व किफ़ायती मानसिक स्वास्थ्य सेवाएं पहुंचाने के अवसर भी बढ़े हैं.
Image Source: Getty
यह लेख “विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस 2024” श्रृंखला का हिस्सा है.
अनुमानों के मुताबिक भारत में क़रीब 15 प्रतिशत लोग किसी न किसी प्रकार की मानसिक बीमारी की चपेट में हैं. वर्ष 2017 की रिपोर्ट के अनुसार भारत में हर सात में से एक नागरिक किसी न किसी मानसिक विकार से पीड़ित है, यानी देश में लगभग 19.73 करोड़ लोग मानसिक स्वास्थ्य की समस्या के जूझ रहे हैं. मेंटल स्टेट ऑफ इंडिया – 2024 रिपोर्ट के मुताबिक़ देश में वर्ष 2020 की तुलना में वर्ष 2023 में लोगों का मानसिक स्वास्थ्य अधिक प्रभावित हुआ है, यानी इस दौरान मानसिक विकार की समस्या बढ़ी है. ख़ास तौर पर 18 से 24 वर्ष की आयु के युवाओं की मेंटल हेल्थ अधिक प्रभावित हो रही है. भारत में लोगों के मानसिक स्वास्थ्य से जुड़े ताज़ा आंकड़े उपलब्ध नहीं है, ऐसे में मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी यह समस्या कितनी व्यापक है, उसका आकलन करना तो मुश्किल है, लेकिन इसमें कोई संदेह नहीं है कि देश में मानसिक बीमारियों का प्रकोप लगातार बढ़ता जा रहा है.
भारत सरकार ने लोगों के मानसिक स्वास्थ्य को दुरुस्त रखने के मकसद से समय-समय पर कई क़दम उठाए हैं. जैसे कि सरकार द्वारा राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य नीति 2014, राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य नीति 2017 और मेंटल हेल्थकेयर एक्ट 2017 को लाया गया.
भारत सरकार ने लोगों के मानसिक स्वास्थ्य को दुरुस्त रखने के मकसद से समय-समय पर कई क़दम उठाए हैं. जैसे कि सरकार द्वारा राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य नीति 2014, राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य नीति 2017 और मेंटल हेल्थकेयर एक्ट 2017 को लाया गया. इस सबके बावज़ूद देश में मानसिक बीमारियों से पीड़ित लोगों को समुचित इलाज की सुविधा नहीं मिल पाई है. राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य सर्वेक्षण 2016 के मुताबिक़ देश में सामान्य मानसिक विकारों से पीड़ित 85 प्रतिशत लोग उपचार से वंचित है, जबकि गंभीर मानसिक विकारों से पीड़ित 73.6 प्रतिशत मरीजों को इलाज नहीं मिल पाता है. मानसिक बीमारियों से पीड़ित लोगों को उपचार नहीं मिलने की प्रमुख वजहों में समुचित मानसिक स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध नहीं होना, मानसिक स्वास्थ्य संसाधनों का बेतरतीब वितरण एवं मानसिक बीमारियों का इलाज बहुत महंगा होना है. इसके अलावा, लोगों को जनसांख्यिकी, भौगोलिक स्थिति एवं मानसिक स्वास्थ्य को लेकर समाज में फैले पूर्वाग्रहों की वजह से भी मानसिक विकारों का इलाज मिलने में काफ़ी दिक़्क़तें सामने आती हैं.
इन परिस्थितियों में डिजिटल समाधानों के ज़रिए मानसिक विकारों से पीड़ित मरीज़ों को उचित उपचार की सुविधा आसानी से उपलब्ध कराई जा सकती है. डिजिटल माध्यम से इलाज की सुविधा जहां सभी के लिए सुलभ होती है, किफ़ायती होती है, कभी भी इसका लाभ उठाया जा सकता है, साथ ही इससे मरीज की पहचान भी उजागर नहीं होती है. देश में मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं से पीड़ित लोगों की मदद के लिए भारत सरकार ने टेली मानस (Tele MANAS), मानस मित्र (MANAS Mitra) और किरण (KIRAN) हेल्पलाइन समेत तमाम डिजिटल स्वास्थ्य समाधानों की शुरुआत की है. इस लेख में सरकार की ओर से शुरू किए गए अलग-अलग डिजिटल मेंटल हेल्थ समाधानों पर विस्तार से चर्चा की गई है.
भारत सरकार के सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय द्वारा सितंबर 2020 में KIRAN हेल्पलाइन की शुरुआत की गई थी. इसके ज़रिए मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याओं से जूझ रहे लोगों को परामर्श दिया जाता है, उनकी मदद की जाती है और मानसिक स्वास्थ्य पुनर्वास सेवाएं उपलब्ध कराई जाती हैं. कोविड-19 महामारी के दौरान मानसिक बीमारियों के बढ़ते मामलों को देखते हुए इस हेल्पलाइन को शुरू किया गया था. इस हेल्पलाइन का मकसद मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याओं से पीड़ित लोगों एवं मनोवैज्ञानिक परेशानियों से जूझ रहे लोगों को काउंसलिंग की सुविधा देना और उन्हें राहत प्रदान करना है. मंत्रालय द्वारा यह मानसिक स्वास्थ्य पुनर्वास सेवाएं 13 भाषाओं में चौबीसों घंटे एवं सातों दिन उपलब्ध कराई जाती हैं. इस हेल्पलाइन का उद्देश्य पैनिक अटैक, आत्महत्या की रोकथाम, घबराहट, बेचैनी, अवसाद, ओसीडी, मानसिक आघात के बाद पैदा होने वाले तनाव, हालातों से तालमेल बैठाने में होने वाली दिक़्क़तों और मेंटल हेल्थ इमरजेंसी जैसी परिस्थितियों के दौरान मदद मुहैया कराना है. लेकिन यह हेल्पलाइन हक़ीक़त में कितनी अधिक प्रभावी है, इसको लेकर संशय बना हुआ है, क्योंकि बताया गया है कि अगर 40 लोगों ने मदद मांगने के लिए इस हेल्पलाइन नंबर को मिलाया, तो उसमें से 37 लोगों को कोई जवाब ही नहीं मिला.
भारतीयों के मानसिक स्वास्थ्य को मज़बूती प्रदान करने और लोगों की मानसिक परेशानियों को दूर करने के मकसद से अप्रैल 2021 में MANAS यानी मेंटल हेल्थ एंड नॉर्मेल्शी ऑग्मेंटेशन सिस्टम नाम के ऐप को लांच किया गया था. MANAS मित्र ऐप भारत सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार के ऑफिस द्वारा शुरू की गई एक पहल है. यह एक व्यापक स्तर पर शुरू किया गया डिजिटल प्लेटफॉर्म है, जिसका मुख्य उद्देश्य नागरिकों के मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाना है. इसके साथ ही इस डिजिटल ऐप का मकसद मानसिक विकार से पीड़ित लोगों की मदद के लिए अलग-अलग स्तरों पर संचालित किए जा रहे विभिन्न स्वास्थ्य व बेहतरी से संबंधित प्रयासों को एक जगह पर लाना है और वैज्ञानिक उपकरणों को सरल व रोचक तरीक़े से आपस में जोड़ना है. यह डिजिटल प्लेटफॉर्म न केवल मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाने के बारे में जागरूकता फैलाने का काम करता है, बल्कि वेबिनार, जानकारी साझा करके और लाइव सत्रों के ज़रिए मेंटल हेल्थ के बारे में लोगों को विस्तार से बताता भी है. गूगल प्ले के ज़रिए 10,000 से अधिक लोगों ने इस ऐप को डाउनलोड किया है. साथ ही गूगल प्ले पर 56 लोगों ने इस ऐप की समीक्षा की है, जिसके आधार पर इसकी रेटिंग 3.1 है. समीक्षा के दौरान कई उपयोगकर्ताओं ने इस ऐप के इस्तेमाल के दौरान आने वाली तकनीक़ी परेशानियों का जिक्र किया है, साथ ही तमाम दूसरी दिक़्क़तों के बारे में भी बताया है.
यह डिजिटल प्लेटफॉर्म न केवल मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाने के बारे में जागरूकता फैलाने का काम करता है, बल्कि वेबिनार, जानकारी साझा करके और लाइव सत्रों के ज़रिए मेंटल हेल्थ के बारे में लोगों को विस्तार से बताता भी है.
वित्त मंत्री ने वर्ष 2022-23 के अपने बजट भाषण के दौरान कोविड-19 महामारी की वजह से मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याओं में बढ़ोतरी को देखते हुए ‘नेशनल टेली मेंटल हेल्थ प्रोग्राम’ का ऐलान किया था, ताकि लोगों तक गुणवत्तापूर्ण मानसिक स्वास्थ्य परामर्श और देखभाल सेवाएं पहुंचाई जा सके. इस नेटवर्क में 23 टेली-मेंटल हेल्थ सेंटर एवं नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ मेंटल हेल्थ एंड न्यूसाइंसेज यानी राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य एवं तंत्रिका विज्ञान संस्थान (NIMHANS) शामिल थे. इंटरनेशल इंस्टीट्यूट ऑफ इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी बेंगलुरु (IIITB) ने इसके लिए तकनीक़ी मदद उपलब्ध कराई थी.
टेली मेंटल हेल्थ असिस्टेंस एंड नेटवर्किंग एक्रॉस स्टेट (Tele MANAS) को एक व्यापक मानसिक स्वास्थ्य सेवा उपलब्ध कराने वाले माध्यम से रूप में स्थापित किया गया है. इस हेल्पलाइन का मकसद 24/7 सभी के लिए समान, सुलभ, किफ़ायती और गुणवत्तापूर्ण मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच प्रदान करना है. Tele MANAS का उद्देश्य पूरे देश में और ख़ास तौर पर कमज़ोर वर्ग के लोगों तक मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं की पहुंच को बढ़ाना है. Tele MANAS पर कॉल करने की पूरी प्रक्रिया को चित्र 1 में दिखाया गया है.
टेली मानस पर कॉल करने की पूरी प्रक्रिया
स्रोत: TeleMANAS
रोज़ाना औसतन 3,500 मानसिक विकारों से पीड़ित और ज़रूरतमंद लोग Tele MANAS हेल्पलाइन से संपर्क करते हैं. मई 2024 तक Tele MANAS प्लेटफॉर्म के ज़रिए मदद मांगने वालों की संख्या 10 लाख के आंकड़े को पार कर गई थी. आंकड़ों पर नज़र डालें तो दिसंबर 2022 में Tele MANAS हेल्पलाइन से संपर्क करने वालों की संख्या जहां 12,000 थी, वो मई 2024 में बढ़कर 90,000 से ज़्यादा हो गई.
आंकड़ों पर नज़र डालें तो दिसंबर 2022 में Tele MANAS हेल्पलाइन से संपर्क करने वालों की संख्या जहां 12,000 थी, वो मई 2024 में बढ़कर 90,000 से ज़्यादा हो गई.
इसके अलावा, मानसिक बीमारियों से पीड़ित लोगों की मदद करने और लोगों के मानसिक स्वास्थ्य की बेहतरी के लिए कई निजी संचालकों द्वारा भी विभिन्न ऑनलाइन प्लेटफॉर्म विकसित किए गए हैं.
राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य नीति, 2017 में न केवल मेंटल हेल्थकेयर में टेक्नोलॉजी की महत्वपूर्ण भूमिका को उजागर किया गया है, बल्कि स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली की क्षमता को बढ़ाने एवं लोगों तक कारगर तरीक़े से स्वास्थ्य सुविधाएं पहुंचाने में डिजिटल साधनों की उपयोगिता का भी स्पष्ट तौर पर उल्लेख किया गया है. जिस प्रकार से भारत में दूर-दराज के क्षेत्रों तक डिजिटल माध्यमों की पहुंच बढ़ी है, उसमें भारत के पास डिजिटल तरीक़े से लोगों तक उपचार की सुविधाएं एवं चिकित्सकीय परामर्श उपलब्ध कराने का बेहतरीन अवसर है. देखा जाए, तो भारत में जिन लोगों तक स्वास्थ्य सेवाएं नहीं पहुंच पाती थीं, अब डिजिटल साधनों से उन तक इन सेवाओं के पहुंचने में वृद्धि हुई है. ज़ाहिर है कि डिजिटल समाधानों के ज़रिए लोगों तक आसान, किफ़ायती एवं गुणवत्तापूर्ण चिकित्सा सुविधाएं पहुंचाने के लिए मानसिक स्वास्थ्य समाधानों को और बेहतर बनाया जा सकता है. गौरतलब है कि डिजिटल मेंटल हेल्थ समाधानों के माध्यम से न केवल दूर-दराज के इलाक़ों में मानसिक बीमारी से पीड़ित लोगों को इलाज उपलब्ध कराया जा सकता है, बल्कि मानसिक स्वास्थ्य को लेकर समाज में फैले पूर्वाग्रहों और ग़लत सोच के प्रति जागरूकता भी फैलाई जा सकती है और मानसिक रोगियों के उपचार में चुनौतियां बनने वाली तमाम दूसरी अड़चनों को भी दूर किया जा सकता है. हालांकि, इसके लिए ज़रूरी है कि इस दिशा में की जा रही कोशिशों को पूरी शिद्दत के साथ आगे बढ़ाया जाए, साथ ही देश में डिजिटल मानसिक स्वास्थ्य समाधानों को जन-जन तक पहुंचाने के लिए हर मुमकिन क़दम उठाए जाएं.
बासु चंदोला ऑब्ज़र्वर रिसर्च फाउंडेशन में एसोसिएट फेलो हैं.
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Basu Chandola is an Associate Fellow. His areas of research include competition law, interface of intellectual property rights and competition law, and tech policy. Basu has ...
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