Published on Sep 13, 2022 Updated 0 Hours ago

जागरुकता की कमी, खाद्य तेल की अधिक क़ीमतें और यूसीओ को इस्तेमाल में लाने के लिए वाणिज्यिक विकल्पों की कमी लोगों को प्रतिकूल स्वास्थ्य प्रभावों के बावज़ूद खाद्य तेल का फिर से इस्तेमाल करने के लिए मज़बूर करती है.

बद से बदतर होती स्थिति: भारत में यूज्ड कूकिंग ऑयल (यूसीओ) का बढ़ता ख़तरा

जब खाद्य सुरक्षा के सन्दर्भ में एक ही तरह से भोजन और पोषण की बात की जाती है तो दोनों के बीच के अंतर की लकीर धुंधली हो जाती है. संयोग से सतत विकास लक्ष्य (एसडीजी) ढांचा एसडीजी 2 के तहत खाद्य और पोषण सुरक्षा की बात करता है,जबकि एसडीजी 3 के तहत स्वास्थ्य पर प्रभाव की बात होती है. हालांकि यह भोजन का पोषक तत्व है जो एसडीजी 3 से अटूट रूप से जुड़ा होता है, ऐसे में यह साबित करता है कि केवल भोजन की मात्रा खाद्य और पोषण सुरक्षा के लिए पर्याप्त नहीं है.

संयोग से सतत विकास लक्ष्य (एसडीजी) ढांचा एसडीजी 2 के तहत खाद्य और पोषण सुरक्षा की बात करता है,जबकि एसडीजी 3 के तहत स्वास्थ्य पर प्रभाव की बात होती है. हालांकि यह भोजन का पोषक तत्व है जो एसडीजी 3 से अटूट रूप से जुड़ा होता है

एसडीजी 2 और 3 के बीच का यह पूरा विवाद खाद्य तेल मूल्य-श्रृंखला के संदर्भ में पूरी तरह से अनुकरणीय है, जहां इस्तेमाल में लाया जाने वाला खाना पकाने का तेल (यूसीओ) अक्सर खाद्य तेल की बढ़ती कीमतों, वैश्विक बाज़ार में बढ़ते मूल्य जोख़िमों के चलते (खाद्य तेलों में भारत की उच्च आयात निर्भरता के कारण) और मूल्य श्रृंखला को लेकर जागरुकता में कमी की वज़ह से इस्तेमाल में लाया जाता है.

वास्तव में इसका स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है. यूसीओ कई पुरानी बीमारियों से जुड़ा हुआ है जिसमें कैंसर, हृदय रोग और अंग क्षति शामिल है. इसके प्रतिकूल स्वास्थ्य प्रभाव की वजह से भारत में किसी भी रूप में यूसीओ का सेवन तकनीकी रूप से प्रतिबंधित है. हालांकि भारत के खाद्य सुरक्षा नियामक, भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) के अनुमानों के मुताबिक भारत में पैदा होने वाले यूसीओ का करीब 60 प्रतिशत घरेलू और कमर्शियल रीयूज के माध्यम से वापस खाद्य श्रृंखला में आ जाता है.

दुर्भाग्य से यूसीओ के इस्तेमाल को लेकर स्थिति इतनी ख़तरनाक है कि एफएसएसएआई के राज्य खाद्य सुरक्षा सूचकांक 2022 के तहत बेहतर प्रदर्शन करने वाले तमिलनाडु जैसे राज्य में भी इसे लेकर निराशाजनक तस्वीर दिखती है. तमिलनाडु के 13 जिलों में एक उपभोक्ता अधिकार समूह द्वारा हाल ही में किए गए एक सर्वेक्षण में पाया गया कि 10 में से लगभग 1 खाद्य विक्रेता अंतिम बूंद तक खाद्य तेलों का फिर से इस्तेमाल करता है, जबकि 5 में से 1 इस्तेमाल किए गए खाना पकाने के तेल (यूसीओ) में ताजा तेज मिलाते हैं. इस उदाहरण से समझा जा सकता है कि निचले क्रम के राज्यों में यूसीओ को लेकर कैसी स्थिति होगी.

द ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन और कोन  एडवाइजरी ग्रुप के हाल में किए गए एक अध्ययन जो नई दिल्ली, मुंबई, कोलकाता और चेन्नई में 500 से अधिक खाद्य व्यवसाय ऑपरेटरों पर किया गया था उसमें पाया गया कि तमाम बेहतर उपभोक्ता जागरूकता के होते हुए भी प्रमुख भारतीय महानगरों में यूसीओ का धड़ल्ले से इस्तेमाल होता है.


द ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन और कोन  एडवाइजरी ग्रुप के हाल में किए गए एक अध्ययन जो नई दिल्ली, मुंबई, कोलकाता और चेन्नई में 500 से अधिक खाद्य व्यवसाय ऑपरेटरों पर किया गया था उसमें पाया गया कि तमाम बेहतर उपभोक्ता जागरूकता के होते हुए भी प्रमुख भारतीय महानगरों में यूसीओ का धड़ल्ले से इस्तेमाल होता है. इन महानगरों में खासकर छोटे भोजनालयों और खाद्य विक्रेताओं के बीच अंतिम बूंद तक खाद्य तेल का फिर से इस्तेमाल करने की जबर्दस्त प्रथा है.

यह अध्ययन इस ओर इशारा करता है कि बड़े भोजनालयों द्वारा यूसीओ के इस्तेमाल की नियमित रूप से कम रिपोर्टिंग या तो भोजन तैयार करने में जहरीले खाना पकाने के तेल के पुन: उपयोग या डाउनस्ट्रीम खरीदारों को अवैध बिक्री का संकेत भी है. यूसीओ को आगे बढ़ाने वाले दो तत्व खाद्य तेलों की क़ीमतें और व्यापार संचालकों के बीच खाद्य सुरक्षा नियमों की कम जागरूकता का स्तर है. एफएसएसएआई के निष्कर्षों को ध्यान में रखते हुए, अध्ययन से यह भी पता चला है कि बेहतर जागरूकता और यूसीओ को निपटाने के लिए वाणिज्यिक विकल्पों के रहने की वजह से चेन्नई के भोजनालयों में यूसीओ को रीयूज करने की कम प्रवृति दिखती है लेकिन यही बात इस अध्ययन के मुताबिक नई दिल्ली, मुंबई और कोलकाता के लिए सच साबित नहीं होती है.

इस ख़तरे से मुक्ति

एफएसएसआई इस ख़तरे को समझता है. जून 2018 में इसने यूसीओ को खाद्य आपूर्ति श्रृंखला से हटाकर इसके जैव ईंधन, साबुन और ओलिओकेमिकल उद्योगों में इस्तेमाल करने को बढ़ावा देकर इस खतरे से निपटने के लिए रिपर्पज्ड यूज्ड कुकिंग ऑयल (आरयूसीओ) पहल की शुरुआत की. हालांकि 2022 में, एफएसएसएआई ने यूसीओ को ताजा तेल के साथ टॉपिंग करने की अनुमति देकर एक चौंकाने वाला कदम उठाया.

इसलिए ओआरएफ-कोन अध्ययन के निष्कर्ष मूल्य श्रृंखला में सभी हितधारकों के लिए एक चेतावनी है कि भारत सरकार और एफएसएसएआई के स्वीकृत ईट राइट इंडिया मूवमेंट को बढ़ावा देने के लिए ज़मीनी स्तर पर और अधिक किए जाने की ज़रूरत है.


इसलिए ओआरएफ-कोन अध्ययन के निष्कर्ष मूल्य श्रृंखला में सभी हितधारकों के लिए एक चेतावनी है कि भारत सरकार और एफएसएसएआई के स्वीकृत ईट राइट इंडिया मूवमेंट को बढ़ावा देने के लिए ज़मीनी स्तर पर और अधिक किए जाने की ज़रूरत है. इसके लिए हम चार कदम उठाने का सुझाव देते हैं :

1. राज्य-स्तरीय खाद्य सुरक्षा प्राधिकरण जो ज़मीन पर यूसीओ प्रबंधन नियमों को लागू करते हैं, वहां अक्सर कम कर्मचारी होते हैं, फंडिंग की कमी होती है और मौक़े पर भोजन की गुणवत्ता को सत्यापित करने के लिए आवश्यक परीक्षण किट और तकनीक की कमी होती है. ज़मीनी स्तर से उनकी क्षमताओं को बढ़ाने का कोई विकल्प नहीं है.

2. ओआरएफ-कोन अध्ययन में पाया गया कि बेहतर जागरूकता की वज़ह से बड़े और छोटे आकार के भोजनालयों में खाना पकाने के तेल का फिर से इस्तेमाल करने की संभावना 98 प्रतिशत कम हो जाती है. यहां से यह पता चलता है कि एफएसएसएआई को खाद्य उद्योग संघों, उपभोक्ता समूहों, उद्योग निकायों, सार्वजनिक स्वास्थ्य विशेषज्ञों, डॉक्टरों और पोषण विशेषज्ञों के साथ जुड़ने की आवश्यकता है. खाद्य संचालकों को लेकर जागरूकता अभियान चलाने के लिए ऐसे हितधारकों के साथ सहयोग बढ़ाना चाहिए. इसके अतिरिक्त, यूसीओ से जुड़े जोख़िमों को व्यापक आधार देने और घरेलू स्तर पर सुरक्षित तरीके से यूसीओ के निपटारे के लिए उपभोक्ताओं पर लक्षित अभियानों की आवश्यकता है.

3. खाद्य निर्माण और सेवा उद्योगों में हितधारकों को खाद्य सुरक्षा मानकों और नियमों के पालन को सुनिश्चित कराने के लिए सक्रिय भूमिका निभानी चाहिए. इसके लिए एक बाजार-आधारित प्रोत्साहन तंत्र की आवश्यकता होगी जो जैव ईंधन, साबुन और ओलियोकेमिकल उद्योगों को बचे हुए तेल बेचने के लिए यूसीओ एग्रीगेटर्स और कलेक्टरों के साथ साझेदारी विकसित करने के लिए प्रोत्साहित करे. ऐसे गैर-खाद्य उद्योगों के विकास को देखते हुए, खान पान से यूसीओ को हटाने के लिए कई वाणिज्यिक विकल्प की गुंजाइश है.

4. आखिर में, नियमों का अनुपालन एक सक्षम बुनियादी ढांचे पर भी निर्भर करता है, जिसमें सेवाक्षमता और यूसीओ कलेक्टरों और एग्रीगेटर्स तक पहुंच शामिल है. इसके लिए एफएसएसएआई को यूसीओ भंडारण, संग्रहण और निपटारे के लिए भौतिक बुनियादी ढांचे में सुधार के लिए निजी क्षेत्र और नगरपालिका अधिकारियों के साथ जुड़ने की आवश्यकता होगी.

ऐसे कदम एक ख़ामोशी से बढ़ते महामारी से निपटने में मदद कर सकते हैं और नागरिकों के स्वास्थ्य की रक्षा करने और एक सुरक्षित, स्वस्थ और टिकाऊ खाद्य आपूर्ति पारिस्थितिकी तंत्र के निर्माण के भारत के लक्ष्य को पूरा कर सकते हैं.

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Authors

Nilanjan Ghosh

Nilanjan Ghosh

Dr. Nilanjan Ghosh is a Director at the Observer Research Foundation (ORF), India. In that capacity, he heads two centres at the Foundation, namely, the ...

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Oommen C. Kurian

Oommen C. Kurian

Oommen C. Kurian is Senior Fellow and Head of Health Initiative at ORF. He studies Indias health sector reforms within the broad context of the ...

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Contributor

Nikhil Goveas

Nikhil Goveas

Nikhil Goveas is Head of Special Projects at Koan Advisory Group a New Delhi-based consultancy. Nikhil leads Koan's work on agriculture and sustainability.

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