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Published on Apr 06, 2024 Updated 0 Hours ago

मुइज़्ज़ू की विदेश नीति के तीन मक़सद लगते हैं: भारत पर निर्भरता कम करना, चीन के साथ तालमेल बढ़ाना और दूसरे देशों के साथ संबंध बनाना.

मालदीव: राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज़्ज़ू की विदेश नीति का विश्लेषण

मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज़्ज़ू ने पिछले दिनों एक इंटरव्यू के दौरान भारत को मालदीव का सबसे करीबी सहयोगी बताया. उनका ये बयान उस वक़्त आया जब मुइज़्ज़ू की सरकार तुर्किए के साथ फ्री ट्रेड एग्रीमेंट (मुक्त व्यापार समझौता) को लेकर बातचीत कर रही है और चीन के साथ एक रक्षा संधि पर हस्ताक्षर किए हैं. ये भ्रामक संकेत मुइज़्ज़ू की विदेश नीति की दिशा और इरादे के बारे में कई सवाल खड़े करते हैं. सत्ता में चार महीने रहने के बाद मुइज़्ज़ू की नीति तीन चरणों वाले रोडमैप का पालन करती दिख रही है: भारत पर निर्भरता घटाना, चीन के साथ सहयोग बढ़ाना और दूसरे देशों के साथ संबंधों को बढ़ावा देना. ये नीति विचारधारा, घरेलू राजनीति और भू-राजनीतिक पैंतरेबाज़ी के बीच समझौता है. 

मुइज़्ज़ू की भारत को लेकर नीति “इंडिया आउट” अभियान की विरासत पर खरा उतरने की कोशिश करती है. भारत के साथ संबंध कम करने के उनके कदम “संप्रभुता का सम्मान” और मालदीव को “आत्मनिर्भर” देश बनाने की बयानबाज़ी के साथ ठीक है.

रोडमैप को समझिए

मुइज़्ज़ू की भारत को लेकर नीति “इंडिया आउट” अभियान की विरासत पर खरा उतरने की कोशिश करती है. भारत के साथ संबंध कम करने के उनके कदम “संप्रभुता का सम्मान” और मालदीव को “आत्मनिर्भर” देश बनाने की बयानबाज़ी के साथ ठीक है. इस राष्ट्रवादी रवैये में कई बातें योगदान करती हैं: पहली बात ये है कि भारत के साथ रिश्ते कम करके वो लोगों तक ये संदेश पहुंचाना चाहते हैं कि अतीत के राष्ट्रपतियों से हटकर वो देश की संप्रभुता की रक्षा और उसे बरकरार रखने के साथ-साथ मालदीव को आत्मनिर्भर बनाने में कामयाब रहे हैं. ऐसी उम्मीद है कि इस तरह का नैरेटिव और तेवर अप्रैल में होने वाले संसदीय चुनाव में उन्हें बहुमत दिलाएगा. दूसरी बात ये है कि भारत विरोधी नीति से वो इस्लामवादियों, कट्टरपंथियों और इंडिया आउट अभियान के लिए मुइज़्ज़ू के प्रोग्रेसिव अलायंस के साथ तालमेल करने वाले एवं भारत को इस्लाम और मालदीव के लिए ख़तरा मानने वाले समाज के कुछ तबकों का समर्थन और वोट हासिल करने में सफल होंगे. तीसरी बात ये है कि चीन का भरोसा और मदद मुइज़्ज़ू को भारत से अलग होने में बढ़ावा दे रहा है. 

दूसरी तरफ मुइज़्ज़ू चीन के साथ मालदीव के संबंधों का विस्तार करना चाहते हैं. भारत पर निर्भरता कम करने में उनकी गहरी दिलचस्पी और चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के साथ नेतृत्व के स्तर पर प्रोग्रेसिव अलायंस के मज़बूत संबंध ने सरकार को चीन के साथ करीबी रिश्ते रखने की तरफ धकेल दिया है. इसके अलावा आवास मंत्री होने के समय से मुइज़्ज़ू का चीन के साथ व्यक्तिगत संबंध भी है. प्रोग्रेसिव अलायंस समय पर परियोजनाओं को पूरा करने के लिए चीन को “कुशल” भी मानता है. समय पर परियोजनाओं को पूरा करने और मालदीव में निवेश और आर्थिक सहायता की चीन की क्षमता मुइज़्ज़ू को अपने चुनावी वादे पूरा करने में मदद कर सकती है. 

अपने भू-राजनीतिक महत्व का फायदा उठाते हुए मालदीव दूसरे देशों के साथ भी अपने संबंधों को बढ़ा रहा है, ख़ास तौर पर मिडिल ईस्ट और पश्चिमी देशों के साथ. दो कारणों से संबंधों में ये विस्तार किया जा रहा है: पहला, क्षमता निर्माण को बढ़ावा देने और आर्थिक हितों एवं निवेश को आगे बढ़ाने के लिए. दूसरा, अपने अधिकार को इस तरह से बढ़ाने के लिए ताकि भारत पर निर्भरता कम हो सके, चीन के अलावा दूसरे साझेदार मिल सके और पूरी तरह से भारत का विरोध न हो. 

रक्षा सहयोग

ऐतिहासिक रूप से भारत मालदीव का सबसे बड़ा रक्षा साझेदार रहा है. भारत की तरफ से उपहार के तौर पर दिए गए और भारतीय कर्मियों के द्वारा संचालित किए जा रहे तीन एयरक्राफ्ट मालदीव के HADR (मानवीय सहायता और आपदा राहत) अभियानों, EEZ (विशेष आर्थिक क्षेत्र) की निगरानी, तलाशी एवं बचाव मिशन और इलाज के लिए मरीज़ों को ले जाने के काम में शामिल थे. इस तरह के 600 से ज़्यादा अभियान पिछले पांच वर्षों में पूरे किए गए थे. लेकिन मुइज़्ज़ू भारत की भूमिका को कम कर रहे हैं. इन एयरक्राफ्ट का संचालन उस समय तक रोक दिया गया है जब तक कि भारतीय कर्मियों की जगह प्राइवेट ऑपरेटर नहीं ले लेते. सरकार ने इलाज के लिए ले जाने के उद्देश्य से एक एयर एंबुलेंस सिस्टम भी शुरू किया है. मालदीव ने जून में हाइड्रोग्राफी समझौता ख़त्म होने के बाद इसे दोहराने से भी इनकार कर दिया है और कोलंबो सुरक्षा कॉन्क्लेव से भी अनुपस्थित रहा. लेकिन दोस्ती अभ्यास में उसकी भागीदारी संकेत देती है कि वो भारत के साथ रक्षा समझौता पूरी तरह ख़त्म नहीं करना चाहता है. 

मुइज़्ज़ू दूसरे “दोस्त देशों” के साथ मिलकर मालदीव की रक्षा क्षमता मज़बूत करने की इच्छा रखते हैं. उन्होंने मालदीव नेशनल डिफेंस फोर्स (MNDF) के जहाजों, ज़मीनी गाड़ियों और कोस्ट गार्ड की क्षमता को बढ़ाने का अनुरोध किया है. चीन के साथ मालदीव ने वैश्विक सुरक्षा की पहल पर हस्ताक्षर किए हैं ताकि पारंपरिक और गैर-पारंपरिक चुनौतियों के ख़िलाफ़ सहयोग गहरा किया जा सके. दोनों देशों ने एक रक्षा संधि पर भी हस्ताक्षर किए हैं जिसके तहत चीन गैर-घातक हथियार मुहैया कराएगा और मुफ्त में MNDF के कर्मियों को ट्रेनिंग देगा. मालदीव में चीन के रिसर्च जहाज/जासूसी जहाज शियांग होंग 03 का आना इस संदेह को और बढ़ाता है कि चीन हिंद महासागर के क्षेत्र के सैन्यीकरण के लिए मुइज़्ज़ू सरकार के साथ सहयोग कर रहा है. 

चीन के साथ मालदीव ने वैश्विक सुरक्षा की पहल पर हस्ताक्षर किए हैं ताकि पारंपरिक और गैर-पारंपरिक चुनौतियों के ख़िलाफ़ सहयोग गहरा किया जा सके. दोनों देशों ने एक रक्षा संधि पर भी हस्ताक्षर किए हैं जिसके तहत चीन गैर-घातक हथियार मुहैया कराएगा और मुफ्त में MNDF के कर्मियों को ट्रेनिंग देगा.

तुर्किए भी एक महत्वपूर्ण रक्षा साझेदार के तौर पर उभरा है. मालदीव ने कई ड्रोन ख़रीदने के लिए तुर्किए के साथ 37 मिलियन अमेरिकी डॉलर के समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं. मालदीव के पहले एयर कॉर्प्स के हिस्से के रूप में ड्रोन EEZ की निगरानी और गश्त करेंगे. तुर्किए ड्रोन के संचालन के लिए MNDF के कर्मियों को ट्रेनिंग भी दे रहा है और वो अनुदान और छूट के साथ ये ड्रोन मुहैया करा रहा है. इसके अलावा अमेरिका ने भी मालदीवियन कोस्ट गार्ड के लिए चार गश्ती नाव देने का वादा किया है और एक एयरक्राफ्ट सौंपने पर भी बातचीत कर रहा है. जापान भी गश्त के लिए एक एयरक्राफ्ट मुहैया कराने और समुद्री सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए 6 मिलियन अमेरिकी डॉलर का अनुदान देने की पेशकश कर रहा है. 

निवेश और विकास सहायता

निवेश और विकास सहायता की बात करें तो भारत ने 93 मिलियन अमेरिकी डॉलर के अनुदान की पेशकश की है लेकिन कोई नई परियोजना नहीं शुरू की है. भारत के कुछ हाई इम्पैक्ट कम्यूनिटी डेवलपमेंट प्रोजेक्ट (HICDP) और मेगा-इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट जैसे कि थिलामाले ब्रिज और हुलहुमाले हाउसिंग प्रोजेक्ट का काम जारी है. भारत ने हनिमाधू एयरपोर्ट पर एक नया रनवे भी पूरा किया है. फिर भी कुछ ख़ास भारतीय परियोजनाओं को लेकर स्पष्टता नहीं है. मालदीव सरकार ने उथुरु थिला फलहू (UTF) कोस्ट गार्ड हार्बर और अड्डू पुलिस एकेडमी को लेकर चुप्पी साधी हुई है. ये परियोजनाएं उसके इंडिया आउट अभियान के केंद्र में थीं. इसी तरह एग्ज़िम बैंक के फंड से गुलहीफलहू में तैयार होने वाली भूमि सुधार और बंदरगाह परियोजना थिलाफुशी द्वीप में चली गई है और सरकार ने प्राइवेट और गैर-भारतीय निवेशकों को बंदरगाह परियोजना में निवेश करने के लिए कहा है. ये साफ नहीं है कि भारत इसका जवाब कैसे देगा क्योंकि एग्ज़िम बैंक इस बात पर कायम है कि केवल भारतीय कंपनियां बंदरगाह के निर्माण में शामिल होनी चाहिए. 

दूसरी तरफ चीन की भूमिका काफी बढ़ रही है. मालदीव ग्लोबल डेवलपमेंट इनिशिएटिव में शामिल होने और बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) की परियोजनाओं को फिर से शुरू करने के लिए तैयार हो गया है. इसके अलावा चीन अगले पांच वर्षों के लिए कर्ज़ में राहत की पेशकश कर रहा है और माले में सड़कों को दुरुस्त करने के लिए 130 मिलियन अमेरिकी डॉलर का अनुदान दे रहा है. उसने रास माले में 30,000 हाउसिंग यूनिट बनाने, मुख्य अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे-वेलाना इंटरनेशनल एयरपोर्ट- का विस्तार करने और तीन साल के लिए मुफ्त में सिनामाले ब्रिज के रखरखाव का भी वादा किया है. पीने के पानी की बोतल प्रदान करके, डिसैलिनेशन प्लांट (जहां समुद्री पानी से खारापन हटाया जाता है) लगा कर और इको-फ्रेंडली एंबुलेंस की पेशकश के ज़रिए चीन ने HICDP में दिलचस्पी दिखाई है. जनवरी में चीन और मालदीव ने ब्लू, डिजिटल एवं ग्रीन इकोनॉमी में सहयोग बढ़ाने, आपदा कम करने, समुद्री सहयोग, मत्स्यपालन, स्वास्थ्य और कृषि से जुड़े कई समझौतों पर हस्ताक्षर किए. 

संबंधों में विविधता लाने, नए साझेदारों को जोड़ने और भारत को पूरी तरह से अलग-थलग करने से परहेज करने के लिए मुइज़्जू तीसरे देशों से निवेश आकर्षित कर रहे हैं.

संबंधों में विविधता लाने, नए साझेदारों को जोड़ने और भारत को पूरी तरह से अलग-थलग करने से परहेज करने के लिए मुइज़्जू तीसरे देशों से निवेश आकर्षित कर रहे हैं. मुख्य हवाई अड्डे को अपग्रेड करने के लिए उन्होंने संयुक्त अरब अमीरात (UAE) से 80 मिलियन अमेरिकी डॉलर हासिल किए हैं. थाईलैंड की कंपनी पैन पैसिफिक 400-600 मिलियन अमेरिकी डॉलर की लागत वाली थिनाधू अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा परियोजना का निर्माण करेगी जबकि बेल्जियम की कंपनी बेसिक्स विलिंगली अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे को विकसित करेगी. कथित तौर पर मुइज़्ज़ू ने अद्दू सिटी ब्रिज का निर्माण करने के लिए चीन की कंपनियों के मुकाबले अरब के ठेकेदार- मिस्र की एक कंपनी- को प्राथमिकता दी है. 

व्यापार और लोगों के बीच रिश्ता

मालदीव भारत पर निर्भरता कम करने के लिए दूसरे देशों के साथ व्यापार को बढ़ावा दे रहा है. वो चीन के साथ फ्री ट्रेड एग्रीमेंट (FTA) बहाल करने के लिए तैयार हो गया है और मछली के निर्यात पर शुल्क कम करने, व्यापार एवं सहयोग बढ़ाने और चावल, चीनी, प्याज, आटा, इत्यादि जैसी खाने-पीने की प्रमुख चीज़ों के आयात के लिए मौजूदा समय में तुर्किए के साथ FTA पर बातचीत कर रहा है. सरकार यूरोप और अमेरिका से दवाइयों के आयात के लिए उत्सुक है. सऊदी अरब के मंत्रिपरिषद ने भी व्यापार की सुविधा मुहैया कराने और मछली पालन एवं पर्यटन उद्योग को बढ़ावा देने के लिए एक व्यापार समझौते पर दस्तखत करने का फैसला लिया है. 

लोगों के स्तर पर संबंधों के मामले में मुइज़्ज़ू ने पर्यटकों के सबसे बड़े स्रोत के रूप में चीन का दर्जा बरकरार रखने पर ज़ोर दिया है. डायरेक्ट फ्लाइट में बढ़ोतरी के साथ चीन ने पर्यटकों के मामले में पहला पायदान हासिल किया है. दूसरी तरफ भारतीय पर्यटकों की संख्या में 33 प्रतिशत की कमी आई है और मालदीव के बहिष्कार की अपील के बाद भारत पर्यटकों के मामले में पहले पायदान से गिरकर छठे नंबर पर पहुंच गया है. चीन ने मालदीव के लगभग एक हज़ार सिविल सर्वेंट्स के लिए स्कॉलरशिप की भी पेशकश की है. ये सिविल सर्वेंट्स क्षमता निर्माण कार्यक्रमों के लिए बड़ी संख्या में भारत के दौरे पर जाते हैं.  

स्वास्थ्य सेवाओं के लिए भारत मालदीव के नागरिकों के बीच एक लोकप्रिय देश है और वहां के लोगों को स्वास्थ्य सेवाओं और इलाज के लिए भारत में बीमा क्लेम करने की अनुमति है. लेकिन अब इस योजना का विस्तार थाईलैंड और UAE तक किया जा रहा है. इसके अलावा सरकार ने श्रीलंका के साथ एयर एंबुलेंस सेवाओं को भी आख़िरी रूप दिया है जिसके तहत एंबुलेंस मालदीव के लोगों को इलाज के लिए श्रीलंका ले जा सकती हैं. ये सेवाएं पहले केवल मालदीव और भारत के बीच मौजूद थी.

मुइज़्ज़ू की विदेश नीति के तीन मक़सद लगते हैं: भारत पर निर्भरता कम करना, चीन के साथ तालमेल बढ़ाना और दूसरे देशों के साथ संबंध बनाना. ये नज़रिया अगले साढ़े चार वर्षों के लिए मालदीव की विदेश नीति की बुनियाद तैयार कर रहा है. हालांकि इसमें अप्रैल के संसदीय चुनावों के नतीजों के आधार पर कुछ बदलाव हो सकते हैं. 


आदित्य गोदारा शिवामूर्ति ऑब्ज़र्वर रिसर्च फाउंडेशन में एसोसिएट फेलो हैं.

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