Published on Jul 27, 2023 Updated 0 Hours ago

विश्व अर्थव्यवस्था की विकास दर गिरने के चलते मालदीव की सरकार के लिए बिना क़र्ज़ लिए तरक़्क़ी करना मुश्किल होता जा रहा है.

Maldives: मालदीव के लिए क़र्ज़ का बोझ उठा पाना मुश्किल हो सकता है!
Maldives: मालदीव के लिए क़र्ज़ का बोझ उठा पाना मुश्किल हो सकता है!

कोविड-19 के चलते दो साल से पूरी दुनिया में चल रही आर्थिक गिरावट के बाद, आज जब मालदीव (Maldives) की अर्थव्यवस्था (Economy) धीरे-धीरे सामान्य हालात की ओर लौट रही है, तो मालदीव ने 2023 के लिए 42.7 अरब मालदीव रूपिया (MVR) का बजट (Budget) पेश किया है, जिसमें ईंधन की सब्सिडी का भी प्रावधान है. बजट प्रस्तावों के मुताबिक़, 40.1 अरब रूपिया सरकार के ख़र्चों के मद  जाएगा. 32.1 अरब रूपिया आमदनी होगी और सरकार का घाटा 10 अरब रूपिया का होगा. मालदीव पर कुल क़र्ज़ का अनुमान 113 MVR का लगाया गया है. इसमें से अंदरूनी क़र्ज़ 57 अरब से बढ़कर 62 अरब रूपिया होने का अनुमान लगाया गया है. वहीं बाहरी क़र्ज़ 35 से बढ़कर 40 अरब रूपिया होने का अंदाज़ा लगाया गया है

मालदीव के वित्त मंत्री इब्राहिम अमीर ने संसद को बताया कि GDP के 108 प्रतिशत क़र्ज़ का बोझ उठाने में सक्षम बनाना जनवरी में शुरू हो रहे वित्त वर्ष में उनके बजट का सबसे बड़ा लक्ष्य है. सच्चाई तो ये है कि क़र्ज़ का संतुलन बनाना बहुत बड़ी चुनौती हो गया है. ख़ास तौर से इसलिए भी क्योंकि 2023 की आख़िरी तिमाही में मालदीव में राष्ट्रपति चुनाव होने वाले हैं. अचानक आने वाले ख़र्चे, जिन्हें टाला नहीं जा सकता है, के अलावा किसी भी लोकतंत्र में समाज के तमाम वर्गों की संसद के बाहर और भीतर उठने वाली मांग के चलते बजट में अतिरिक्त आवंटन का प्रावधान करना होगा. मिसाल के तौर पर चुनाव आयोग ने कहा है कि उसके लिए जो बजट आवंटित किया गया है, वो दो दौर में राष्ट्रपति चुनाव करा पाने के लिए पर्याप्त नहीं है. चुनाव आयोग ने राष्ट्रपति चुनाव के लिए 12 करोड़ मालदीव रूपिया का ख़र्च होने का अंदाज़ा लगाया है.

मालदीव पर कुल क़र्ज़ का अनुमान 113 MVR का लगाया गया है. इसमें से अंदरूनी क़र्ज़ 57 अरब से बढ़कर 62 अरब रूपिया होने का अनुमान लगाया गया है. वहीं बाहरी क़र्ज़ 35 से बढ़कर 40 अरब रूपिया होने का अंदाज़ा लगाया गया है.

अगर हम 2023 के बजट की 2022 के बजट प्रावधानों से तुलना करें (24.3 अरब राजस्व और 34.1 अरब डॉलर का व्यय)तो पता चलता है कि सरकार को बजट में लगाए गए अनुमान से कम आमदनी हुई थी. सितंबर महीने तक मालदीव की सरकार कुल 16.6 अरब रूपिया का कर जुटा पाई थी. संसद द्वारा नया GST और TGST क़ानून पारित किए जाने के बाद, नए वित्तीय वर्ष में इससे 3.7 अरब की आमदनी बढ़ने का अनुमान बजट में दिखाया गया है. यानी सरकार की टैक्स से कुल आमदनी 23.5 अरब रूपिया होगी, जबकि गैर कर राजस्व 6.4 अरब रूपिया होगा.

लेकिन, GST-TGST के नए विधेयकों के पीछे मालदीव की सत्ताधारी डेमोक्रेटिक पार्टी (MDP) के भीतर अंदरूनी लड़ाई चली. चूंकि 2023 की आख़िरी तिमाही में राष्ट्रपति चुनाव की तैयारी शुरू हो गई है. ऐसे में सत्ताधारी दल के कुछ सांसद जो संसद के स्पीकर और MDP के अध्यक्ष मुहम्मद नशीद के समर्थक हैं, ने इस विधेयक के ख़िलाफ़ वोट दिया था. 87 सदस्यों वाली मालदीव की संसद में MDP के ही 65 सांसद हैं. फिर भी ये विधेयक महज़ 26 के मुक़ाबले 55 वोट से पारित हो सका. इत्तिफ़ाक़ से ये दूसरा मौक़ा है, जब सत्ताधारी दल के सांसदों ने विपक्षी PPM-PNC गठबंधन के साथ और सरकार के ख़िलाफ़ मतदान किया. अभी पिछले पखवारे में MDP के सांसदों ने विपक्षी गठबंधन के सांसदों को ‘चागोस संकट’ पर चर्चा के लिए ‘आपातकालीन प्रस्ताव’ पारित कराने में मदद की थी. विपक्षी दलों ने राष्ट्रपति इब्राहिम सोलिह पर आरोप लगाया था कि चागोस द्वीप समूह से अपना दावा वापास लेकर उन्होंने राष्ट्रीय हितों के साथ समझौता कर लिया था. विपक्ष का कहना है कि राष्ट्रपति सोलिह का ये क़दम संविधान का उल्लंघन है.

बजट घाटे को सीमित करना

वित्त मंत्री इब्राहिम अमीर ने संसद को बताया कि इस वक़्त उनकी सरकार उस बजट घाटे को कम से कमतर करने की कोशिश कर रही है, जो 2020 में बहुत अधिक था. 2021 में GDP के मुक़ाबले बजट घाटा 13.8 प्रतिशत था, जो 2022 में बढ़कर 14.3 फ़ीसद हो गया था. सरकार की कोशिश ये है कि बजट घाटे को GDP के 8.1 प्रतिशत तक लाया जाए. लेकिन ये बहुत दूर की कौड़ी है. हालांकि, 2023 में GDP की तुलना में क़र्ज़ 108 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया गया है, जिसके साल के अंत तक 111 फ़ीसद पहुंच जाने की आशंका है. वित्त मंत्रालय की रणनीति इसे कम करके 102 प्रतिशत तक लाने की है. लेकिन ये बहुत बड़ा बदलाव तो नहीं होगा. भले ही राष्ट्रपति चुनाव के बाद सत्ता में कोई भी आए. और जब राष्ट्रीय क़र्ज़ 113 अरब रूपिया के अनुमान वाले स्तर पर पहुंच जाएगा, तो मालदीव के ऊपर प्रति व्यक्ति (मालदीव की आबादी 5 लाख चालीस हज़ार है) क़र्ज़ का बोझ 210,555 रूपिया पहुंच जाएगा. हालांकि ये किसी विशेषज्ञ के लिए महज़ एक आंकड़ा हो सकता है.

उम्मीद की किरण

कोविड-19 के चलते पैदा हुए आर्थिक संकट से इतर, MDP की सरकारें आम तौर पर ‘लोक लुभावन नीतियों’ पर चलती रही हैं. इस वक़्त सरकार की अगुवाई इब्राहिम सोलिह कर रहे हैं. जबकि पहले मुहम्मद नशीद (2008-2012) कर चुके हैं. विपक्षी राष्ट्रपतियों जैसे कि मामून अब्दुल गयूम (1978-2008)और अब उनसे अलग हो चुके सौतेले भाई अब्दुल्ला यामीन (2013-2018) की तुलना में MDP के राष्ट्रपति जनता को लुभाने के लिए शाहख़र्ची की सीमा भी पार कर जाते हैं. गयूम और यामीन ने आज की तुलना में क़र्ज़ के बोझ को सीमित रखा था. अब्दुल्ला यामीन ने तो 5 अरब रूपिया का सोवरन विकास फंड (SDF) भी बनाया था, जिसका मक़सद किसी आपातकाली ख़र्च से निपटना था. हाल ही में जब ये फंड एक सियासी मुद्दा बना तो इब्राहिम सोलिह की सरकार ने इसमें 62.79 करोड़ रूपिया की रक़म जोड़ी थी.

सरकार की कोशिश ये है कि बजट घाटे को GDP के 8.1 प्रतिशत तक लाया जाए. लेकिन ये बहुत दूर की कौड़ी है. हालांकि, 2023 में GDP की तुलना में क़र्ज़ 108 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया गया है, जिसके साल के अंत तक 111 फ़ीसद पहुंच जाने की आशंका है.

हालांकि, उम्मीद की एक किरण दिख रही है. भले ही ये घाटे और GDP की तुलना में क़र्ज़ से जुड़ी न हो. मालदीव के रूपिया की क़ीमत, इस वक़्त एक डॉलर की तुलना में 15.38 की है. चूंकि लोगों को पढ़ने, इलाज कराने और ख़रीदारी के लिए विदेश यात्रा और ख़ास तौर से भारत और श्रीलंका जाने की ज़रूरत पड़ती है. तो अमेरिकी डॉलर की मांग हमेशा बनी रहती है. इसके लिए असंगठित बाज़ार में एक डॉलर की क़ीमत अंदाज़न 17.20 होती है.बाज़ार के सूत्रों के मुताबिक़, डॉलर की तुलना में मालदीव के रूपिया की क़ीमत पूरे कोविड संकट के दौरान और उसके बाद भी स्थिर रही है. जबकि मालदीव के पड़ोसी देशों की मुद्रा डॉलर के मुक़ाबले काफ़ी कमज़ोर हुई है. सबसे तगड़ा झटका तो श्रीलंका को लगा है, जो शायद दुनिया की किसी भी मुद्रा को हुआ सबसे तगड़ा नुक़सान है. एक डॉलर 360 श्रीलंकाई रूपए से भी ज़्यादा का मिल रहा है. वहीं भारत में एक डॉलर की क़ीमत 80 रूपए से अधिक है. जो हालत के हफ़्तों की सबसे अधिक दर है. यहां तक कि मलेशिया की मुद्रा रिंग्गिट (MYR) भी डॉलर के मुक़ाबले 24 साल के सबसे निचले स्तर तक पहुंच गई थी. हालांकि अब इसमें कुछ सुधार देखा जा रहा है. मालदीव, मलेशिया से भी काफ़ी सामान आयात करता है.

इसका मतलब ये है कि मालदीव के लिए सामान का आयात सस्ता पड़ रहा है. जबकि इससे पहले जब भी दुनिया की अर्थव्यवस्था में गिरावट आई थी, तो मालदीव के लिए भी आयात की लागत बढ़ गई थी. इस मामले में चिंता की सबसे बड़ी बात ईंधन की क़ीमतों की अनिश्चितता और उपलब्धता है. ख़ास तौर से यूक्रेन युद्ध के बाद से. इसका असर मालदीव आने वाले पर्यटकों की तादाद पर भी पड़ा है.

आम आदमी के लिए मुसीबत

चिंता इस बात की भी है कि सरकार अपने ख़र्चे पूरे करने के लिए टैक्स बढ़ाती जा रही है. सरकार के ख़र्चों में कर्मचारियों की तनख़्वाह और भत्तों के अलावा दूसरे प्रशासनिक व्यय भी शामिल हैं. मीडिया के एक विश्लेषण में दावा किया गया है कि छोटे कारोबारियों पर GST का बोझ जितना ज़्यादा बढ़ेगा, महंगाई की दर भी उतनी ही ऊंची होगी.इसी तरह आयात का बढ़ता बिल भी खाने पीने के सामान और पालतू जानवरों की क़ीमतें बढ़ाने वाला है. इसका बोझ भी आम आदमी को ही उठाना पड़ता है. मीडिया की समीक्षा में ये भी कहा गया था कि जिस तरह कोविड-19 के दौरान सरकार की आमदनी पर बुरा असर पड़ा था. उसी तरह छोटे कारोबारियों और परिवारों की आमदनी को तो सरकार से भी ज़्यादा नुक़सान उठाना पड़ा था. टैक्स बढ़ाकर सरकार ने जनता को और ग़रीब ही बनाया है, भले ही उसकी नीयत ऐसी न रही हो. सवाल ये है कि क्या सरकार को इसकी सियासी और चुनावी क़ीमत चुकानी होगी. हालांकि कम से कम अभी तो इसकी अभिव्यक्ति या ज़िक्र नहीं हो रहे हैं.

उम्मीद की एक किरण दिख रही है. भले ही ये घाटे और GDP की तुलना में क़र्ज़ से जुड़ी न हो. मालदीव के रूपिया की क़ीमत, इस वक़्त एक डॉलर की तुलना में 15.38 की है. चूंकि लोगों को पढ़ने, इलाज कराने और ख़रीदारी के लिए विदेश यात्रा और ख़ास तौर से भारत और श्रीलंका जाने की ज़रूरत पड़ती है.

अर्थव्यवस्था के व्यापक पैमानों पर ये माना जा रहा है कि मालदीव का पर्यटन उद्योग महामारी के बाद पटरी पर लौट रहा है. नए वित्तीय वर्ष में इसके महामारी से पहले के स्तर तक लौट आने की उम्मीद है. लेकिन, पर्यटन उद्योग पर यूक्रेन युद्ध के और अधिक असर को लेकर सावधान रहने की ज़रूरत है. क्योंकि इसका असर तेल पर भी पड़ेगा और युद्ध लड़ रहे दोनों ही देशों से सैलानियों के आने की तादाद भी कम होगी. इसके अलावा इस बात की भी आशंका है कि रूस से तेल और गैस न मिलने के चलते सर्दियों में पश्चिमी यूरोप की अपनी अर्थव्यवस्था को काफ़ी तगड़ा झटका लगने वाला है. ज़ाहिर है कि इसका असर मालदीव आने वाले सैलानियों की तादाद पर भी पड़ सकता है.

दिवालिया होने का कोई ख़तरा नहीं है

2023 के बजट में संसद को दी गई सलाह वाले नोट मेंदेश के केंद्रीय बैंक यानी मालदीव के मौद्रिक प्राधिकरण (MMA) ने अनुमन लगाया है कि जब GST और TGST (पर्यटन उद्योग पर लगने वाला GST) बढ़ाया जाएगा, तो वस्तुओं और सेवाओं की लागत सरकार अनुमानों से कहीं ज़्यादा हो जाएगी. सामान्य स्थिति में MMA की ये सलाह संसद सदस्यों की बजट समिति के लिए ‘गोपनीय’ होती है. लेकिन, राष्ट्रपति इब्राहिम सोलिह की सत्ताधारी पार्टी MDP के स्पीकर मुहम्मद नशीद और डिप्टी स्पीकर इवा अब्दुल्ला के दबाव में MMA ने बेहद संवेदनशील दस्तावेज़ को सार्वजनिक करके चर्चा में ला दिया.

4.4 अरब रूपिया तक के क़र्ज़ को बेचने या मौद्रिक पूंजी जुटाने के सरकार के इतिहास को देखते हुए MMA ने कहा है कि रूपिया की क़ीमत गिरेगी. पुरानी सरकारों के तजुर्बे को देखते हुए भी ये आशंका अधिक है कि जब संसद सदस्य निजी स्तर पर या आपस में मिलकर फंड के आवंटन की ख़ास मांगें करेंगे, तो सरकार का घाटा और बढ़ सकता है. चूंकि ये साल चुनाव वाला है तो सरकार भी कोई कड़ा रुख़ अपनाने की स्थिति में नहीं है. हालांकि इब्राहिम सोलिह की सरकार ने कोविड-19 महामारी के दौरान भी कई बार रियायतें दी थीं. लेकिन, इसकी वजह केवल महामारी नहीं थी.

केंद्रीय बैंक ने ये चेतावनी भी दी है कि अक्टूबर के अंत में मालदीव का कुल विदेशी मुद्रा भंडार 49.96 करोड़ डॉलर था. इसमें से 10.5 करोड़ डॉलर की इस्तेमाल की जा सकने वाली रक़म ‘केवल एक महीने के आयात का ख़र्च उठाने के लिए पर्याप्त’ है. हालांकि सरकार ने फ़ौरन इस दावे को ग़लत बताया. लेकिन, दुनिया के सबसे बड़े निवेश बैंकों में से एक जेपी मोर्गन ने अनुमान लगाया था कि 2023 तक मालदीव का पूरा का पूरा विदेशी मुद्रा भंडार ख़त्म हो जाएगा और उसके ‘क़र्ज़ चुका पाने में नाकाम रहने’ का ख़तरा है. बजट से पहले राष्ट्रीय बैंक, बैंक ऑफ मालदीव ने भी श्रीलंका जैसे हालात पैदा होने की आशंका जताई थी.इन हालात में केंद्रीय बैंक ने सरकार से अपील की है कि वो टैक्स बढ़ाने के बजाय सरकार के ख़र्चों पर लगाम लगाए. क्योंकि टैक्स बढ़ाने से जो बजट घाटा कम होने का दावा किया जा रहा है, वैसा होता नहीं है.

हालांकि, उसके बाद गणतंत्र दिवस पर अपने सालाना संबोधन में राष्ट्रपति इब्राहिम सोलिह ने एलान किया कि विपक्ष के इन दावों में कोई सच्चाई नहीं है कि मुल्क दिवालिया होने की तरफ़ बढ़ रहा है. अपने ठीक पड़ोस में श्रीलंका का हाल देखने के बाद, दिवालिया होने की बात पूरे मालदीव को हिला देने वाली है. लेकिन, राष्ट्रपति सोलिह ने कहा कि कोविड-19 और यूक्रेन युद्ध के चलते विश्व अर्थव्यवस्था में आई गिरावट के बाद भी मालदीव के आर्थिक भविष्य की तस्वीर बेहतर है.

ओआरएफ हिन्दी के साथ अब आप FacebookTwitter के माध्यम से भी जुड़ सकते हैं. नए अपडेट के लिए ट्विटर और फेसबुक पर हमें फॉलो करें और हमारे YouTube चैनल को सब्सक्राइब करना न भूलें. हमारी आधिकारिक मेल आईडी [email protected] के माध्यम से आप संपर्क कर सकते हैं.

The views expressed above belong to the author(s). ORF research and analyses now available on Telegram! Click here to access our curated content — blogs, longforms and interviews.