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Published on Jul 11, 2024 Updated 5 Days ago
महिलाओं की गिनती हर हाल में मुमकिन हो: एक लैंगिक डेटा सिस्टम ज़रूरी

जब हम विश्व जनसंख्या दिवस मना रहे हैं, उस समय 1994 में आयोजित ऐतिहासिक जनसंख्या एवं विकास पर अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन (ICPD) के बाद डेटा में लैंगिक समानता की दिशा में की गई प्रतिबद्धता पर विचार करना ज़रूरी है. इस सम्मेलन ने विकास से जुड़े एजेंडे में लैंगिक विचारों को महत्वपूर्ण मानते हुए महिलाओं के हितों को वैश्विक विकास एजेंडे के केंद्र में रखा. मगर इस सम्मेलन के 30 साल बाद भी लगातार डेटा की खामियां (डेटा गैप) सतत विकास लक्ष्यों (SDG), विशेष रूप से SDG 5 जो लैंगिक समानता पर ध्यान देता है, को हासिल करने की तरफ प्रगति में बाधा बनी हुई हैं. 

विश्व आर्थिक मंच की 2024 की रिपोर्ट रेखांकित करती है कि वैश्विक लैंगिक अंतर (ग्लोबल जेंडर गैप) का स्कोर 68.5 प्रतिशत पर है. मौजूदा प्रगति की दर के अनुसार पूर्ण समानता हासिल करने में 134 साल लगेंगे.

विश्व आर्थिक मंच की 2024 की रिपोर्ट रेखांकित करती है कि वैश्विक लैंगिक अंतर (ग्लोबल जेंडर गैप) का स्कोर 68.5 प्रतिशत पर है. मौजूदा प्रगति की दर के अनुसार पूर्ण समानता हासिल करने में 134 साल लगेंगे. इसके अलावा SDG की निगरानी के लिए आवश्यक लिंग विशिष्ट आयामों (जेंडर-स्पेसिफिक डाइमेंशन) में से केवल 42 प्रतिशत ही मौजूदा समय में उपलब्ध है. आधे से भी कम स्वास्थ्य से जुड़े SDG संकेतकों (इंडिकेटर) को लिंग के मुताबिक बांटा गया है. 28 संकेतकों में से केवल 11 को पर्याप्त रूप से अलग किया गया है. संयुक्त राष्ट्र (UN) के एक अध्ययन के अनुसार लैंगिक अंतर को भरने में 22 साल लगने का अनुमान है. 

लैंगिक डेटा में खामी

लिंग विशिष्ट SDG संकेतकों में से तीन-चौथाई से ज़्यादा एक दशक से अधिक पुराने हैं और इन संकेतकों में से 20 प्रतिशत से भी कम एक बार से ज़्यादा इकट्ठा किए गए हैं. UN के एक अध्ययन से पता चलता है कि 14 महत्वपूर्ण संकेतकों पर कोई भी देश रिपोर्ट नहीं देता है. इन संकेतकों में महिलाओं के ख़िलाफ़ यौन अपराध की मौजूदगी और औसत आमदनी एवं राष्ट्रीय ग़रीबी रेखा के 50 प्रतिशत से नीचे पर गुज़र-बसर करने वाली महिलाओं का अनुपात शामिल है. डेटा में इस तरह की महत्वपूर्ण खामी महिलाओं की सामाजिक-आर्थिक स्थिति और अनुभवों के बारे में हमारी समझ में रुकावट डालती हैं. लैंगिक डेटा में खामियों का समाधान करने में मुख्य चुनौती डेटा वैल्यू चेन (मूल्य श्रृंखला) को समझने और उसमें सुधार लाने की है जहां डेटा निर्माताओं और उपयोगकर्ताओं (यूज़र्स) के बीच बहुत ज़्यादा दूरी है. 

रेखाचित्र 1. क्षेत्र के हिसाब से अलग किया गया लैंगिक डेटा 

स्रोत: डेटा2X एंड ओपन डेटा वॉच, 2021

डेटा वैल्यू चेन में डेटा के लिए ज़रूरत की पहचान करने से लेकर उसका अंतिम इस्तेमाल और संभावित रूप से दोबारा इस्तेमाल तक पूरी प्रक्रिया शामिल है. इस वैल्यू चेन में चार प्राथमिक चरण शामिल हैं: संग्रह (कलेक्शन), प्रकाशन (पब्लिकेशन), उठाना (अपटेक) और असर (इंपैक्ट). ये ढांचा डेटा उत्पादकों और हितधारकों के बीच लगातार फीडबैक को सुनिश्चित करता है और इस तरह डेटा के महत्व और शुद्धता को बढ़ाता है. 

आवश्यकता इस कच्चे (रॉ) डेटा को कदम उठाने योग्य समझ और मापने योग्य प्रभाव में बदलने की है ताकि लक्ष्य बनाकर हस्तक्षेप किया जा सके जो SDG हासिल करने में हमारी मदद करेंगे. इसके लिए प्रभावी लैंगिक आंकड़े इकट्ठा करना और नीतिगत प्रक्रिया में आसानी से जोड़ना होगा जो सुनिश्चित करेगा कि नीति निर्माण के हर चरण में लैंगिक पहलू को शामिल किया जाए. ये एकीकरण डेटा को कदम उठाने योग्य समझ में बदलने के लिए महत्वपूर्ण है जो लैंगिक समानता की दिशा में सार्थक बदलाव को प्रेरित करेगी. 

हालांकि, जेंडर को लेकर डेटा से जुड़े पूर्वाग्रह कई क्षेत्रों में व्याप्त है जैसे कि हेल्थकेयर और यहां तक कि AI जैसी उभरती हुई तकनीकों में भी. उदाहरण के लिए, मेडिकल रिसर्च और इलाज का प्रोटोकॉल अक्सर पुरुषों और महिलाओं के बीच जैविक और शारीरिक अंतरों का ध्यान रखने में नाकाम होते हैं जिसका नतीजा महिलाओं के लिए गलत इलाज या अपर्याप्त इलाज के रूप में निकलता है. इस तरह के पूर्वाग्रह नीतियों और फैसलों को अधूरे या गलत डेटा पर आधारित करके लैंगिक असमानता को बनाए रखते हैं जो रूढ़िवादी धारणाओं को मज़बूत करते हैं और इस तरह महिलाओं के लिए अवसर सीमित करते हैं. 

मेडिकल रिसर्च और इलाज का प्रोटोकॉल अक्सर पुरुषों और महिलाओं के बीच जैविक और शारीरिक अंतरों का ध्यान रखने में नाकाम होते हैं जिसका नतीजा महिलाओं के लिए गलत इलाज या अपर्याप्त इलाज के रूप में निकलता है. 

इसलिए इन डेटा की प्रणालियों में मज़बूती की आवश्यकता है जो लैंगिक डेटा की पहल के लिए पर्याप्त फंडिंग की कमी के कारण गंभीर रूप से रुकावट का सामना कर रही हैं. डेटा2X की ताज़ा रिपोर्ट उजागर करती है कि मौजूदा डेटा की खामियों को भरने के उद्देश्य से मुख्य लैंगिक डेटा प्रणालियों की पर्याप्त फंडिंग के लिए 2030 तक 500 मिलियन अमेरिकी डॉलर के सालाना निवेश की ज़रूरत है. ये रकम मौजूदा आवंटन से दोगुनी है जो जेंडर डेटा के लिए फंडिंग में गंभीर कमी के बारे में बताती है. इसके अलावा पेरिस21 पार्टनर रिपोर्ट ऑन सपोर्ट टू स्टैटिसटिक्स 2022 खुलासा करती है कि 2011 और 2020 के बीच लैंगिक समानता के लिए वैश्विक समर्थन में जहां बढ़ोतरी हुई है, वहीं 2020 में लैंगिक डेटा फंडिंग के लिए समर्थन में 55% की कमी आई है. ये गिरावट कुल डेटा एवं सांख्यिकी के लिए फंडिंग में कमी की तुलना में तीन गुना ज़्यादा है जो प्रगति में बाधा बनने वाले एक गंभीर असंतुलन को उजागर करती है. 

रेखाचित्र 2. लैंगिक डेटा के लिए फंडिंग में गिरावट 

स्रोत: ओपन डेटा वॉच, 2022

लैंगिक डेटा का महत्व 

 SDG 5 के लक्ष्य को हासिल करने के लिए लैंगिक आंकड़ों का महत्व सर्वोच्च हो जाता है क्योंकि लैंगिक समानता का लक्ष्य 10 दूसरे लक्ष्यों के साथ मिलता है. लिंग के आधार पर आंकड़े उन प्रमुख क्षेत्रों की पहचान करने के लिए अहम हैं जहां प्रगति धीमी है और जहां लक्ष्य बनाकर निवेश और परियोजनाओं को लाने की आवश्यकता है. लिंग के आधार पर आंकड़े होने से SDG 5 को हासिल करने के लिए आवश्यक बुनियादी जानकारी मिलती है, विशेष रूप से जलवायु परिवर्तन और भू-राजनीतिक उथल-पुथल जैसे परस्पर व्यापक संकट में. इसलिए इन खामियों को दूर करना प्रभावी, लक्षित हस्तक्षेपों के लिए ज़रूरी है जिससे लैंगिक समानता और व्यापक SDG एजेंडे की तरफ प्रगति तेज़ हो सकती है.    

ये भी पाया गया है कि अगर प्रभावी रूप से इन लैंगिक डेटा का इस्तेमाल इन असमानताओं को दूर करने में किया जाता है तो आर्थिक लाभ बहुत ज़्यादा है. उदाहरण के लिए, वंचित महिलाओं तक पहुंचने का सालाना राजस्व अवसर कीनिया में 352 मिलियन अमेरिकी डॉलर से लेकर बांग्लादेश में लगभग 1 अरब अमेरिकी डॉलर तक है. ये आंकड़ा बेहतर लैंगिक डेटा होने पर बिना इस्तेमाल की गई महत्वपूर्ण क्षमता के बारे में बताता है. 

जब जेंडर डेटा का इस्तेमाल नीतिगत फैसलों में किया जाता है तो ये लक्षित हस्तक्षेप तैयार करने को सक्षम बनाता है जो महिलाओं के सामने आने वाली आवश्यकताओं और चुनौतियों का सीधा समाधान करता है. 

ये दोहराता है कि लैंगिक डेटा की खामियों को दूर करना सिर्फ़ समानता का मामला नहीं है बल्कि ये स्मार्ट अर्थशास्त्र है. लिंग को मुख्य धारा में लाना (जेंडर मेनस्ट्रेमिंग)- यानी नीति निर्माण के हर चरण में लैंगिक पहलू को शामिल करना- सुनिश्चित करता है कि नीतियां अधिक प्रभावी और समावेशी हैं. जब जेंडर डेटा का इस्तेमाल नीतिगत फैसलों में किया जाता है तो ये लक्षित हस्तक्षेप तैयार करने को सक्षम बनाता है जो महिलाओं के सामने आने वाली आवश्यकताओं और चुनौतियों का सीधा समाधान करता है. इसकी वजह से संसाधनों का अधिक कुशल उपयोग होता है और संपूर्ण रूप से समाज के लिए बेहतर परिणाम प्राप्त होते हैं. उदाहरण के लिए, मैकेंजी के एक अध्ययन से पता चलता है कि महिलाओं के स्वास्थ्य से जुड़ी खामियों को दूर करने से 2040 तक वैश्विक अर्थव्यवस्था में सालाना 1 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर की बढ़ोतरी हो सकती है. इसी तरह लैंगिक रूप से समावेशी आर्थिक नीतियां काम-काजी लोगों (वर्क फोर्स) में महिलाओं की भागीदारी को बढ़ावा दे सकती हैं जिससे आर्थिक विकास तेज़ होगा. 

आगे का रास्ता 

आगे बढ़ते के दौरान लैंगिक डेटा में खामियों को दूर करने के लिए एक समग्र दृष्टिकोण की आवश्यकता है जो नीति निर्माण में प्रभावी ढंग से उपयोग की जाने वाली मज़बूत, समावेशी डेटा संग्रह की पद्धतियों को सुनिश्चित करे. इसे हासिल करने के लिए कई प्रमुख कदमों में शामिल हैं: 

  • लैंगिक डेटा की दिक्कतों को दूर करने के लिए अंतरराष्ट्रीय दानकर्ताओं, सरकारों और निजी क्षेत्र के हितधारकों से प्रतिबद्धता हासिल करने की आवश्यकता होती है ताकि ज़रूरी संसाधनों का आवंटन किया जा सके. ये वित्तीय समर्थन मज़बूत लैंगिक डेटा की प्रणाली की स्थापना और लगातार डेटा संग्रह के प्रयासों को सुनिश्चित करने के लिए महत्वपूर्ण है. 
  • जेंडर डेटा कलेक्शन की क्वॉलिटी और पुनरावृत्ति (फ्रीक्वेंसी) में सुधार करना आवश्यक है. इसमें डेटा संग्रह की प्रक्रिया में पूर्वाग्रहों का समाधान करना शामिल है ताकि ये सुनिश्चित किया जा सके कि डेटा सटीक ढंग से सभी लिंगों का प्रतिनिधित्व करता है. इस तरह लैंगिक रूप से विशिष्ट मुद्दों की व्यापक समझ मिलती है. 
  • जेंडर डेटा के प्रभावी उपयोग के लिए सरकारों, NGO, प्राइवेट सेक्टर के संस्थानों और अंतरराष्ट्रीय संगठनों के बीच सहयोग की आवश्यकता होती है. सर्वश्रेष्ठ तौर-तरीकों को साझा करने और सामूहिक विशेषज्ञता का लाभ उठाने से लैंगिक डेटा की पहल के प्रभाव को महत्वपूर्ण रूप से बढ़ाया जा सकता है और अधिक समावेशी डेटा संग्रह की पद्धति को बढ़ावा मिल सकता है. 
  • नीतियों के समावेशी और प्रभावी होने को सुनिश्चित करने के लिए नीतिगत विकास के सभी चरणों में लैंगिक पहलुओं को एकीकृत करना आवश्यक है. लैंगिक रूप से संवेदनशील नीति निर्माण को लेकर ये प्रतिबद्धता फैसलों के बारे में जानकारी देने और सभी लिंगों की विशेष आवश्यकताओं के समाधान के लिए हस्तक्षेप के उद्देश्य से लैंगिक डेटा के उपयोग पर निर्भर करती है. 
  • लैंगिक समानता से होने वाले आर्थिक फायदों पर ज़ोर देने से लैंगिक डेटा की पहल में निवेश करने के लिए हितधारकों को प्रेरित किया जा सकता है. लैंगिक डेटा की वजह से सकारात्मक आर्थिक परिणाम उत्पन्न करने वाले सफल उदाहरणों को दिखाने से जेंडर डेटा की खामियों को दूर करने के ठोस फायदों को प्रदर्शित किया जा सकता है और अधिक निवेश के लिए प्रेरित किया जा सकता है. 

इन कदमों को उठाकर हम जेंडर डेटा में लगातार खामियों का समाधान कर सकते हैं. जेंडर डेटा की खामी को दूर करने से अधिक असरदार नीति निर्माण होगा, लैंगिक समानता में महत्वपूर्ण प्रगति को प्रेरित किया जा सकेगा और सभी के लिए एक अधिक न्यायसंगत भविष्य का निर्माण करते हुए व्यापक सामाजिक एवं आर्थिक विकास में योगदान किया जा सकेगा. 

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