Published on Jul 28, 2022 Updated 0 Hours ago

चीन की सरकार नागरिकों के स्वास्थ्य पर नज़र बनाए रखने के नाम पर एकत्र किए गए डेटा का दुरुपयोग देश में सभी प्रकार की असहमति, असंतोष और विरोध को दबाने के लिए कर रही है.

COVID का प्रभाव: डेटा पर महामारी का साया और चीन में बढ़ता असंतोष

यह दि चाइना क्रॉनिकल्स श्रृंखला का 129वां लेख है.


चीनी कम्युनिस्ट पार्टी (सीसीपी) की पोलित ब्यूरो स्थाई समिति की मई में हुई बैठक में, राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने देश की “डायनैमिक क्लियरिंग” या जीरो-कोविड नीति यानी ऐसी नीति, जिसमें किसी महामारी का प्रकोप होते ही उस पर काबू पाने के लिए पूरी क्षमता के साथ जुट जाने पर बल दिया गया है. इस वर्ष शंघाई और दूसरी जगहों पर लॉकडाउन की वजह से उपजे गुस्से और असंतोष के बावज़ूद, स्थाई समिति ने अपनी इस नीति को एक शानदार सफलता बताया. स्थाई समिति ने कहा कि जैसे उन्होंने “वुहान की लड़ाई” जीती थी, वैसे ही वे शंघाई का भी कुशलतापूर्व इस महामारी से बचाव करेंगे. दावे कुछ भी किए जाएं, लेकिन शंघाई में एक महीने के लॉकडाउन को वहां के निवासियों को हुई खाने-पीने की दिक्कत और उनके असंतोष के लिए जाना जाएगा. जिंगआन ज़िले के निवासियों में तो असंतोष इतना ज़्यादा था कि उन्होंने ना केवल बर्तनों को पीटकर बजाया, बल्कि कुछ लोगों ने तो अपनी बालकनियों में विरोध के गीत भी गाए (इसके बाद जो हुआ उसकी कल्पना नहीं जा सकती. ड्रोन के ज़रिए लोगों से अपील की गई कि “कृपया कोविड प्रतिबंधों का पालन करें, लॉकडाउन से बाहर निकलने का प्रयास ना करें, खुद पर नियंत्रण रखें, अपने घरों की खिड़कियां ना खोलें और गाना ना गाएं.”)

.इस वर्ष शंघाई और दूसरी जगहों पर लॉकडाउन की वजह से उपजे गुस्से और असंतोष के बावज़ूद, स्थाई समिति ने अपनी इस नीति को एक शानदार सफलता बताया. स्थाई समिति ने कहा कि जैसे उन्होंने “वुहान की लड़ाई” जीती थी, वैसे ही वे शंघाई का भी कुशलतापूर्व इस महामारी से बचाव करेंगे. 

महामारी के विरुद्ध युद्धस्तर पर की गई सीसीपी की कार्रवाई ने ना केवल चीन के नागरिकों को बुरी तरह से प्रभावित किया है, बल्कि कोविड को समाप्त करने के इसके सभी हथकंडों ने लोगों के बीच उठे किसी भी प्रकार के असंतोष को दबाने के लिए एक न्यायोचित सा हथियार भी दिया है.

फरवरी, 2020 में चीन के शहरों में कोविड से संक्रमित लोगों की पहचान करने और इस महामारी के संक्रमण का प्रसार नियंत्रित करने के लिए एक स्वास्थ्य कोड प्रणाली (जियान कांग मा) को लागू करना शुरू किया गया. इसके मुताबिक निवासियों को एक राष्ट्रीय आईडी और फोन नंबर के साथ पंजीकरण करना ज़रूरी  किया गया और इसके तहत अपनी यात्राओं के इतिहास एवं स्वास्थ्य से जुड़े सवालों के जवाब देने थे. इस डेटा के आधार पर, सिस्टम एक क्यूआर कोड जारी करता है. हरे रंग के कोड का अर्थ है कि आप बेरोक-टोक कहीं पर भी आ-जा सकते हैं. पीले रंग के कोड का मतलब है कि 7 दिनों तक क्वारंटीन में रहना होगा और लाल रंग के कोड का अर्थ है कि 14 दिन के लिए क्वारंटीन रहना होगा. इतना ही नहीं देश में किसी भी सार्वजनिक स्थान पर प्रवेश के लिए इस स्वास्थ्य कोड की आवश्यकता होगी. ज़ाहिर है कि चीन में इस तरह का डिजिटल इन्फ्रास्ट्रक्चर ना तो नया था और ना ही किसी भी लिहाज़ से विशिष्ट था. एक समान नीति और नियंत्रण को बढ़ावा देने के लिए इस प्रकार के केंद्रीय प्लेटफॉर्म 1990 के दशक से सीसीपी के व्यापक एजेंडा का हिस्सा रहे हैं. दूसरे शब्दों में “जियान कांग मा (जेकेएम) एक सामाजिक इन्फ्रास्ट्रक्चर के तौर पर नागरिकों की निजी जानकारी सरकार के साथ साझा करता है, ताकि सरकार अपने मन मुताबिक़ इसका इस्तेमाल कर सके और मानमाने नियमों को नागरिकों के ऊपर थोप सके.”

राष्ट्रीय हेल्थ QR कोड सिस्टम (स्रोत: Technode)

फिर भी जेकेएम एक तरह से असाधारण है. इसे वीचैट और अलीपे जैसे लोकप्रिय ऐप्स में जोड़ा गया है, जो इसे सभी की आसान पहुंच में और बिना किसी बाधा के इस्तेमाल करने योग्य बनाता है. हाल ही में चीन के इतिहास में हुए एक सबसे बड़े डेटा लीक ने निजी टेक कंपनियों और सरकार के बीच अत्यधिक कमज़ोर सीमा को भी सामने ला दिया है. बता दें कि शंघाई पुलिस द्वारा संग्रहित किए गए एक असुरक्षित डेटाबेस को एक गुमनाम हैकर द्वारा ऑनलाइन लीक किया गया था, जिसमें बाहरी डेटाबेस समेत डिलीवरी और भुगतान ऐप का डेटा भी शामिल था. इसमें ताज्जुब की बात यह है कि चीन ने अपनी तकनीकी कंपनियों पर अंकुश लगाने के लिए पिछले साल दुनिया की सबसे सख़्त डेटा गोपनीयता नीतियों में से एक को लागू किया है.

इस डेटा के आधार पर, सिस्टम एक क्यूआर कोड जारी करता है. हरे रंग के कोड का अर्थ है कि आप बेरोक-टोक कहीं पर भी आ-जा सकते हैं. पीले रंग के कोड का मतलब है कि 7 दिनों तक क्वारंटीन में रहना होगा और लाल रंग के कोड का अर्थ है कि 14 दिन के लिए क्वारंटीन रहना होगा. 

कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग ऐप्स यानी संपर्क के बारे में जानकारी देने वाले ऐप्स के ज़रिए लोकेशन का डेटा एकत्र करने के ख़तरों को लेकर पहले ही शोधकर्ताओं ने आगाह करना शुरू कर दिया था. एक स्कॉलर ने मई, 2020 के अपने लेख में यह उल्लेख किया था कि, “कोविड-19 महामारी को देखते हुए लोकेशन से जुड़े आंकड़े, हो सकता है कि महामारी के विश्लेषण में बहुत उपयोगी साबित हों, लेकिन किसी राजनीतिक संकट के संदर्भ में लोकेशन से जुड़े यही आंकड़े कानून के शासन, लोकतंत्र और मानवाधिकारों के लिए ख़तरा बन सकते हैं.” यह डर जून, 2000 में तब सच साबित हुआ, जब हेनान प्रांत की तरफ बढ़ रहे प्रदर्शनकारियों को उस इलाके में प्रवेश करने से रोक दिया गया. ऐसा इसलिए किया गया, क्योंकि उनके जेकेएम कोड लाल रंग में बदल गए थे, इसका तात्पर्य यह था कि उन्हें स्वास्थ्य के लिहाज से बेहद संवेदनशील घोषित कर दिया गया था. दरअसल, ये प्रदर्शनकारी हेनान में चार ग्रामीण बैंकों में जमा अपनी राशि की सुरक्षा की मांग करने के लिए सड़कों पर उतर आए थे. जिसे देश के केंद्रीय बैंक द्वारा जारी जांच के दौरान सीज़ कर दिया गया था. विशेषज्ञों के साथ-साथ चीन के आम नागरिकों ने एक सुर में सत्ता के इस खुलेआम दुरुपयोग पर चिंता व्यक्त की है. उनका कहना है कि “यदि महामारी की रोकथाम के मकसद से लागू किए गए हेल्थ कोड का इस्तेमाल दूसरी बातों के लिए किया जाता है, और यहां तक कि इसका उपयोग ‘सामाजिक स्थिरिता बनाए रखने के कोड’ के रूप में किया जाता है, तो यह ना केवल पहले हेल्थ के उद्देश्य के औचित्य का उल्लंघन होगा, बल्कि कानून का भी उल्लंघन होगा.”

सामाजिक स्थिरता और “जन सामान्य की समृद्धि”, राष्ट्रपति शी जिनपिंग की सीसीपी के केंद्रीय सिद्धांत बने हुए हैं, क्योंकि वह चीनी सत्ता के संभावित तीसरे कार्यकाल की ओर अग्रसर हैं. होना तो यह चाहिए था कि झूठे हेल्थ कोड और बड़े स्तर पर डेटा लीक के लिए देश के व्यक्तिगत सूचना संरक्षण कानून और डेटा सुरक्षा कानून के अंतर्गत हेनान और शंघाई के अधिकारियों को ज़िम्मेदार ठहराना चाहिए था और उन पर कार्रवाई की जानी चाहिए थी. लेकिन हो यह रहा है कि केंद्र सरकार चुपके से सेंसरशिप लागू करके लोगों के विचारों को दबाने में जुटी हुई है. इससे यह साबित होता है कि चुनाव में शी जिनपिंग की दोबारा जीत सुनिश्चित करने के लिए इन महत्वपूर्ण मुद्दों को दरकिनार किया जा रहा है. इसमें भी सबसे ख़तरनाक बात यह है कि सरकार अपने ही कानूनों और मापदंडों के प्रति उत्तरदायी नहीं है. शुरुआत से ही डेटा संग्रह में बड़े पैमाने पर सरकारी उद्यमों की अवधि और उपयोग के मामलों को सीमित करने की ज़रूरत के संबंध में यह पूरा मामला एक गंभीर चेतावनी है. कहीं ऐसा न हो कि वे दमन और शोषण के लिए इसे स्थाई रूप से न्यायोचित और तर्कसंगत करार दें. चीन के लंबे लॉकडाउन के साथ-साथ सरकारी मशीनरी के कुप्रबंधन और डेटा के दुरुपयोग पर विवादों ने सवाल पैदा किया है: स्थिरता, लेकिन किस कीमत पर?

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