Published on Oct 10, 2023 Updated 0 Hours ago
रक्षा मंत्री पर भ्रष्टाचार के छींटे से चीन की हथियार क्षमता और कम्युनिस्ट पार्टी की एकता पर सवालिया निशान

चीन के सियासी संभ्रांत वर्ग के क़िस्से दिनोंदिन अजीब होते जा रहे हैं. विदेश मंत्री चिन गांग की गुमशुदगी और राजनीतिक पतन के कुछ ही अर्से बाद ऐसी ख़बरें आईं कि रक्षा मंत्री और सेंट्रल मिलिट्री कमीशन के सदस्य ली शांगफू और उनके कुछ पूर्ववर्ती सहायकों पर भ्रष्टाचार के आरोपों की तलवार लटक रही है. रक्षा मंत्रालय और विदेश विभाग, चीनी राज्यसत्ता के बड़े दफ़्तरों में से हैं, लिहाज़ा यहां किसी भी तरह की अनिश्चितता शुभ संकेत नहीं है.

बदलाव के दौर से गुजरता PLA

हाल के अर्से में पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) के शीर्ष स्तरों पर निरंतर बदलाव और मंथन का दौर देखा जा रहा है. PLA के स्थापना दिवस से पहले देश के ताक़तवर रॉकेट फोर्स में कार्यकारी और वैचारिक, दोनों मोर्चों पर नेतृत्व में बदलाव देखा गया. रॉकेट फोर्स देश के परमाणु शस्त्रागार का प्रभारी है. वांग हुबिन और शु शिशेंग को रॉकेट फोर्स के प्रमुख और राजनीतिक अधिकारी (कोमिसार) के रूप में चुना गया. ये एक अहम दर्जा है जिसका काम रॉकेट फोर्स पर चीनी कम्युनिस्ट पार्टी (CPC) का नियंत्रण बरक़रार रखना है. रॉकेट फोर्स का पूर्ववर्ती नेतृत्व- पूर्व कमांडर जनरल ली युचाओ और उनके सहायक झांग झेनझोंग और लियु गुआंगबिन- कथित भ्रष्टाचार के मामले में जांच के घेरे में हैं. ग़ौरतलब है कि पार्टी की केंद्रीय समिति के सदस्य के रूप में ली युचाओ CPC की सत्ता संरचना में रचे बसे थे, और नेशनल पीपुल्स कांग्रेस के उपाध्यक्ष भी थे. सेना की एक अहम इकाई के नेतृत्व में अचानक इस तरह के बदलाव के साथ-साथ उसके पिछले नेतृत्व के ख़िलाफ़ जांच एक असामान्य बात है, जो गहरी गड़बड़ी के संकेत करती है.

PLA और CPC की सत्ता संरचनाओं का घालमेल और पूरी प्रणाली की अपारदर्शिता भ्रष्टाचार के पनपने के मुख्य कारकों में से हैं.

PLA और CPC की सत्ता संरचनाओं का घालमेल और पूरी प्रणाली की अपारदर्शिता भ्रष्टाचार के पनपने के मुख्य कारकों में से हैं. PLA को चीन के निर्णय लेने वाले निकायों- पोलित ब्यूरो और सेंट्रल कमेटी में प्रतिनिधित्व हासिल है. PLA के दो वरिष्ठ जनरल पोलित ब्यूरो में बैठते हैं, जबकि सेंट्रल कमेटी के 205 स्थायी और 171 वैकल्पिक सदस्यों में से तक़रीबन 20 प्रतिशत सैन्य व्यवस्था से आते हैं. चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के आला नेताओं के रिश्तेदारों की चीन की रक्षा उद्योग संरचना में ज़बरदस्त हिस्सेदारी है. मिसाल के तौर पर डेंग शियाओपिंग, ये जियान्यिंग और यांग शांगकुन के रिश्तेदारों के चीन की विशाल रक्षा कंपनियों के साथ संपर्क थे.

जायज़ तौर पर कुछ लोगों की दलील है कि PLA के सुप्रीम कमांडर के तौर पर शी के ऊपर रक्षा तैयारियों का आकलन करने की ज़िम्मेदारी है, लेकिन सवाल उठता है कि इस तरह के गहन सफ़ाई अभियान की ज़रूरत क्यों आ पड़ी?

निश्चित रूप से ली शांगफू से जुड़ा घटनाक्रम असहज करने वाले सवाल खड़े कर रहा है. सर्वप्रथम, सैन्य ताक़त खड़ी करने और उसके बाद के बर्ताव के पीछे चीन के इरादे के मूल्यांकन का मसला है. पार्टी के 20वें महाधिवेशन में राष्ट्रपति शी ने PLA के तेज़ रफ़्तार आधुनिकीकरण, और “स्थानीय लड़ाइयों को जीतने” से जुड़ी इसकी क्षमताओं को बढ़ाने का का वादा किया था. इसके बाद सेंट्रल मिलिट्री कमीशन जैसे शक्तिशाली शीर्ष संस्थान में ऐसे जनरलों की तैनाती की गई जिन्हें युद्ध का अनुभव हासिल था. ये आयोग पीपुल्स लिबरेशन आर्मी में चीनी कम्युनिस्ट पार्टी का नियंत्रण बरक़रार रखता है. शी सैन्य प्रतिष्ठानों का दौरा कर वहां मौजूद सुविधाओं का निरीक्षण करते रहे हैं. साथ ही अपने जनरलों को सैन्य टुकड़ियों को वास्तविक युद्ध के वातावरणों में प्रशिक्षित करने की हिदायत भी देते रहे हैं. हालांकि हाल के अर्से में सैन्य कर्मियों की तैयारियों की बजाए PLA के हार्डवेयर (हथियारों और उपकरणों) की गुणवत्ता पर ज़्यादा ध्यान दिया जाने लगा है. सेंट्रल मिलिट्री कमीशन के उपाध्यक्ष जनरल झांग योक्सिया (ली शांगफू के सहयोगी) ने PLA के हथियार अधिग्रहणों में सुधार और हथियारों की गुणवत्ता उन्नत किए जाने का आह्वान कर चुके हैं. एक अलग वाक़ये में पीपुल्स डेली ने CPC के निरीक्षण दल के दौरे की ख़बर सुर्ख़ियों में छापी, जिसमें पारंपरिक और परमाणु शक्ति संपन्न मिसाइलों के प्रभारी रॉकेट फोर्स की इकाइयों में “हैरान करने वाली ख़ामियों” को बेपर्दा किया. ऐसा लगता है कि ये तमाम आकलन सेंट्रल मिलिट्री कमांड में उपकरण डिविज़न के प्रभारी के तौर पर काम कर चुके ली पर भारी दोष मढ़ने जैसा है. जायज़ तौर पर कुछ लोगों की दलील है कि PLA के सुप्रीम कमांडर के तौर पर शी के ऊपर रक्षा तैयारियों का आकलन करने की ज़िम्मेदारी है, लेकिन सवाल उठता है कि इस तरह के गहन सफ़ाई अभियान की ज़रूरत क्यों आ पड़ी? पिछले साल से चीन ने ताइवान जलसंधि में सैन्य अभ्यास शुरू कर दिए हैं. अमेरिकी नेताओं के ताइवान दौरे या ताइवानी नेताओं के विदेश दौरों के बहाने उसने इन क़वायदों को अंजाम दिया है. इस सिलसिले में एक और संभावना ये है कि जलसंधियों के आर-पार जंगी खेल को लेकर सैन्य कर्मियों और हथियारों के असर पर बार-बार “दबावों के परीक्षण” से ख़ामियों का ख़ुलासा हुआ है, तो क्या निकट भविष्य में किसी बड़े फौजी खेल की योजना है?

शी के शासनकाल: नीतिगत दिशा में अटकले

दूसरा, शी के शासनकाल में नीतिगत दिशा को लेकर भारी अटकलों का माहौल है. हाल ही में ऐसी ख़बरें आई थीं कि पार्टी के भीतर संवाद के एक प्रमुख संस्थागत तंत्र बेइडेहे कॉन्क्लेव में शी को कड़ी फटकार लगाई गई. इस सम्मेलन में CPC के वरिष्ठ नेता शामिल होते हैं. हाल के अर्से में शी की गतिविधियों से बढ़े तनावों के चलते अमेरिका के साथ चीन के रिश्तों में गिरावट आई है. जवाब में अमेरिका ने टेक्नोलॉजी तक पहुंच और पूंजी के प्रवाह पर कई तरह की पाबंदियां लगा दी हैं. इसके अलावा शी की ज़ीरो-कोविड रणनीति के चलते पिछले साल चीन के कई शहरों को लंबे दौर के लिए तालेबंदी का सामना करना पड़ा, जिससे अर्थव्यवस्था की कमर टूट गई और भारी बेरोज़गारी आ गई. चीन के हालातों को लेकर अमेरिका का अपना आकलन है. इसके मुताबिक CPC के भीतर दरार पड़ गई है. एक पक्ष अमेरिका के साथ आर्थिक जुड़ाव में तेज़ी लाने का हिमायती है जबकि पार्टी में राष्ट्रपति शी के वफ़ादार आर्थिक मसलों से ज़्यादा राष्ट्रीय सुरक्षा की अहमियत पर ज़ोर देते हैं. क्या पार्टी के भीतर गुटों की इस लड़ाई ने पीठ में छुरा घोंपने वाली साज़िशों के रूप में ज़्यादा गंभीर रूप ले लिया है, जैसा कि चीनी लीडरशिप कंपाउंड झोंगनान्हई की सुरक्षा के प्रभावी वांग शोजुन की रहस्यमयी मौत से ज़ाहिर हुआ है? क्या पार्टी कार्यकर्ताओं के भीतर शी के ख़िलाफ़ राय बन रही है?, और क्या शी जवाब में संदिग्ध वफ़ादारियों वाले लोगों के ख़िलाफ़ सफ़ाई अभियान छेड़ चुके हैं?

क्या पार्टी के भीतर गुटों की इस लड़ाई ने पीठ में छुरा घोंपने वाली साज़िशों के रूप में ज़्यादा गंभीर रूप ले लिया है, जैसा कि चीनी लीडरशिप कंपाउंड झोंगनान्हई की सुरक्षा के प्रभावी वांग शोजुन की रहस्यमयी मौत से ज़ाहिर हुआ है?

आख़िर में, निष्कर्ष के तौर पर स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट के आंकड़े ख़ुलासा करते हैं कि चीनी रक्षा कंपनियां चांदी काट रही हैं. एशिया-ओशिनिया क्षेत्र में हथियारों की कुल बिक्री में 80 प्रतिशत हिस्सा इन्हीं कंपनियों का है. इसको लेकर चीन में एक विजय का भाव है. इस साल शांगरी ला डायलॉग में एक चीनी शिक्षाविद ने भारत की रक्षा विनिर्माण क्षमताओं को चीन की तुलना में कम करके आंका. बहरहाल, अगर सचमुच ली का पतन, रक्षा उपकरण में गड़बड़ियों के चलते हुआ है तो चीनी हथियारों की ख़रीद करने वाले देशों को उनके प्रभाव का नए सिरे से आकलन करना पड़ सकता है. अमेरिका-चीन संबंधों में लगातार गिरावट के मद्देनज़र शी ने चेतावनी दी है कि चीन “अपने इतिहास की सबसे जटिल आंतरिक और बाहरी कारकों” का सामना कर रहा है और ये चुनौतियां “एक साथ जुड़ी हुई और पारस्परिक रूप से सक्रिय”.हैं. ऐसी आशंकाएं हैं कि पश्चिमी ताक़तें देश में सत्ता परिवर्तन को उकसा सकती हैं. इस पृष्ठभूमि में भ्रष्टाचार को लेकर पार्टी की वैचारिक कल्पना में भारी बदलाव आया है. करप्शन को महज़ सामाजिक बुराई की नज़र से देखने की बजाए अब इसे हुकूमत की स्थिरता पर प्रभाव डालने वाले कारक के तौर पर देखा जाने लगा है. इस बात की चिंता बरक़रार है कि अगर चीनी जनरल रिश्वत और प्रलोभनों के फांस में आते रहे तो वो दुश्मन ताक़तों को चीनी क़िले को भेदने के नए मौक़े सौंप सकते हैं.


कल्पित ए मनकीकर ऑब्ज़र्वर रिसर्च फाउंडेशन के स्ट्रैटेजिक स्टडीज़ प्रोग्राम में फेलो हैं

आक़िब रहमान ऑब्ज़र्वर रिसर्च फाउंडेशन के स्ट्रैटेजिक स्टडीज़ प्रोग्राम में रिसर्च इंटर्न हैं

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