Author : Shairee Malhotra

Published on Dec 05, 2023 Updated 0 Hours ago

इज़रायल-हमास युद्ध को लेकर स्टार्मर का रुख़ उनके नेतृत्व और चुनावी संभावनाओं के लिए एक गंभीर ख़तरा पैदा कर रहा है.   

‘इज़रायल-हमास युद्ध को लेकर लेबर पार्टी की मुश्किल’

सिर्फ़ कुछ हफ्ते पहले तक ये निश्चित लग रहा था कि लेबर पार्टी के नेता कीर स्टार्मर 2025 की शुरुआत में होने वाले आम चुनाव के ज़रिए यूनाइटेड किंगडम के नए प्रधानमंत्री बन जाएंगे. सत्ताधारी कंज़र्वेटिव पार्टी के ऊपर लेबर पार्टी की 18 प्वाइंट की बड़ी बढ़त के साथ 13 साल के कंज़र्वेटिव  शासन के बाद स्टार्मर सत्ता संभालने के लिए तैयार लग रहे थे. लेकिन यूनाइटेड किंगडम से हज़ारों मील दूर एक संघर्ष स्टार्मर के नेतृत्व और चुनावी संभावना के लिए गंभीर ख़तरा बन गया है. 

7 अक्टूबर को इज़रायल के ख़िलाफ़ हमास के ख़तरनाक आतंकी हमले, जिसमें इज़रायल के 1,400 से ज़्यादा लोगों की मौत हो गई, और उसके बाद गज़ा में इज़रायल के जवाबी हमले, जिसमें कम-से-कम 12,000 नागरिकों की मौत हो गई है, ने दुनिया भर के देशों को बहुत ज़्यादा बांट दिया है जिनमें ब्रिटेन की लेबर पार्टी के भीतर विभाजन भी शामिल है. 

स्टार्मर के द्वारा इज़रायल की आत्म-रक्षा के अधिकार का साफ तौर पर समर्थन और युद्ध विराम के लिए अपील से इनकार ने लेबर पार्टी के भीतर बहुत ज़्यादा असंतोष पैदा किया है.

रुकावट या युद्ध विराम?

स्टार्मर के द्वारा इज़रायल की आत्म-रक्षा के अधिकार का साफ तौर पर समर्थन और युद्ध विराम के लिए अपील से इनकार ने लेबर पार्टी के भीतर बहुत ज़्यादा असंतोष पैदा किया है. मौजूदा प्रधानमंत्री ऋषि सुनक और अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन की तरह स्टार्मर ने भी मानवीय आधार पर लड़ाई को रोकने की अपील की है जिससे गज़ा तक बेहद ज़रूरी सहायता पहुंचने और लोगों के कष्ट को कम करने में मदद मिलेगी.  

लेकिन स्टार्मर की इस बात से पार्टी के भीतर बहुत कम लोग सहमत हैं कि युद्ध विराम वास्तव में संघर्ष को रोक देगा और इज़रायल के ख़िलाफ़ आगे भी हमलों को अंजाम देने में हमास की क्षमता को बरकरार रखेगा. BBC की एक रिपोर्ट के मुताबिक कम-से-कम 50 लेबर सांसदों और 250 काउंसलर ने तुरंत सीज़फायर का समर्थन किया है. इनमें लेबर पार्टी के प्रमुख सदस्य जैसे कि लंदन के मेयर सादिक़ ख़ान और ग्रेटर मैनचेस्टर के मेयर एंडी बरहम शामिल है. दूसरे नेता जैसे कि शैडो रोज़गार मंत्री (लेबर पार्टी की काल्पनिक कैबिनेट के मंत्री) इमरान हुसैन ने पार्टी के रुख़ के विरोध में अपने पद से इस्तीफा दे दिया. 

आमने-सामने की ये स्थिति स्कॉटिश नेशनल पार्टी (SNP) के द्वारा युद्ध विराम का समर्थन करने के लिए रखे गए एक प्रस्ताव के दौरान बनी जहां प्रस्ताव का समर्थन करने वाले लेबर पार्टी के 10 प्रमुख नेताओं (फ्रंटबेंचर्स) को लेबर पार्टी छोड़ने के लिए मजबूर किया गया. वैसे तो ये प्रस्ताव 125 के मुकाबले 293 वोट से गिर गया लेकिन लेबर पार्टी के सदस्यों ने इसका ज़ोरदार समर्थन किया और 198 में से 56 ने प्रस्ताव के पक्ष और पार्टी एवं स्टार्मर के आधिकारिक रुख़ के विरोध में वोट दिया. उन्होंने ये कहते हुए दुख जताया कि पार्टी नेतृत्व ने अपना “नैतिक मार्गदर्शन खो दिया है”.

लंदन में युद्ध विराम की मांग को लेकर प्रदर्शन में 3,00,000 तक प्रदर्शनकारी शामिल हुए हैं. ये इस बात का सबूत है कि लेबर पार्टी का समर्थन कम हो रहा है.

समस्या सिर्फ ये नहीं है कि स्टार्मर का रवैया अपनी पार्टी के कई नेताओं से अलग है बल्कि उनके रुख़ को लेबर पार्टी के मूल सिद्धांतों से समझौता माना जाता है जो युद्ध और साम्राज्यवाद के ख़िलाफ़ है और जिसकी जड़ में फिलिस्तीनियों के लिए एक स्वतंत्र देश समेत इंसाफ और मानवाधिकार के प्रगतिशील उद्देश्यों को बढ़ावा देना है. स्टार्मर का नज़रिया, जो कि ख़ुद एक मानवाधिकार वकील हैं, वामपंथी जेरेमी कॉर्बिन से बिल्कुल अलग है जिन पर अक्सर यहूदी विरोध के आरोप लगते थे और जिन्होंने 2019 के चुनाव में पार्टी के बेहद ख़राब प्रदर्शन तक लेबर पार्टी का नेतृत्व किया था. 

कंज़र्वेटिव पार्टी के मुकाबले लेबर पार्टी के लिए दांव पर ज़्यादा कुछ लगा है. कंज़र्वेटिव पार्टी से हटकर लेबर पार्टी को समर्थन देने वालों में मुस्लिम आबादी और उदारवादी लेफ्ट मिडिल क्लास हैं जो कि उसकी सफलता के लिए महत्वपूर्ण है. लंदन में युद्ध विराम की मांग को लेकर प्रदर्शन में 3,00,000 तक प्रदर्शनकारी शामिल हुए हैं. ये इस बात का सबूत है कि लेबर पार्टी का समर्थन कम हो रहा है. हाल के एक पोल से पता लगा है कि 64 प्रतिशत मुसलमान लेबर पार्टी को वोट देंगे जो कि 2019 के 71 प्रतिशत की तुलना में कम है. जैसे-जैसे गज़ा में मरने वालों की संख्या बढ़ रही है, स्टार्मर ख़ुद को एक पहेली में उलझा हुआ पा रहे हैं जहां सत्ता में बैठे लोगों की तुलना में विपक्ष ज़्यादा जवाबदेह है. इसकी वजह ये है कि UK की सत्ताधारी दक्षिणपंथी कंज़र्वेटिव पार्टी इस मुद्दे पर पूरी तरह एकजुट है.  

ब्लेयर के समय की लेबर पार्टी की नकल?

विडंबना ये है कि लेबर पार्टी के भीतर जहां सीज़फायर की अपील को लेकर लड़ाई जारी है, वहीं इज़रायल और हमास के बीच कुछ दिनों के लिए युद्धविराम कराने में क़तर कामयाब रहा ताकि ज़रूरी सामान गज़ा तक पहुंच सके और इसके साथ-साथ दोनों तरफ के बंधकों और कैदियों की रिहाई हो सके.  

काउंसिल ऑफ फॉरेन रिलेशंस के रिचर्ड हास जैसे विशेषज्ञ हमास को ख़त्म करने के इज़रायल के मक़सद को असंभव काम मानते हैं. इसकी वजह से अलग-अलग सरकारों के द्वारा आम लोगों को बहुत ज़्यादा नुकसान के साथ कथित असंभव लक्ष्य का समर्थन जारी रखना मुश्किल हो जाता है. इस संघर्ष में मानवीय नुकसान और गज़ा में इज़रायल की सैन्य कार्रवाई में बढ़ोतरी को देखते हुए अतीत में मुड़कर देखें तो युद्ध विराम का विरोध करना पहली नज़र में संभवत: एक गलत कदम था और जिन सरकारों ने इस रवैये को अपनाया, उन पर अपनी नीति को बदलने का दबाव पड़ने की संभावना थी. 

पार्टी से इस्तीफा देने वालों की संख्या बढ़ने के साथ लेबर पार्टी के नेता के तौर पर स्टार्मर के हटने की मांग भी तेज़ हो रही है.

ब्रिटेन के अगले आम चुनाव में एक साल से ज़्यादा समय होने के बावजूद इज़रायल-फिलिस्तीन के मुद्दे पर लोगों का भावनात्मक रुख़ ऐसा है कि आज स्टार्मर की स्थिति 2025 में लेबर पार्टी के चुनावी नतीजों को प्रभावित कर सकती है. पार्टी से इस्तीफा देने वालों की संख्या बढ़ने के साथ लेबर पार्टी के नेता के तौर पर स्टार्मर के हटने की मांग भी तेज़ हो रही है. चूंकि मिडिल ईस्ट की अस्थिरता ब्रिटिश राजनीति में भी फैल रही है, ऐसे में स्टार्मर को और ज़्यादा असरदार ढंग से इस विवाद को काबू में करने की ज़रूरत होगी ताकि उनकी किस्मत पहले की लेबर सरकारों की तरह न हो जाए जिनकी उपलब्धियां इराक़ युद्ध में हिस्सा लेने के अपने फैसले की वजह से धूमिल हो गईं. 


शायरी मल्होत्रा ऑब्ज़र्वर रिसर्च फाउंडेशन के स्ट्रैटजिक स्टडीज़ प्रोग्राम में एसोसिएट फेलो हैं.

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