पिछले कुछ अर्से में उपभोक्ताओं की प्राथमिकताओं में आमूल-चूल बदलाव आया है. फ़िज़ूलख़र्ची और दिखावे से दूर हटकर, उपभोक्ता अब नैतिकतापूर्ण तरीक़ों से हासिल और पर्यावरण की दृष्टि से व्यवहार्य उत्पादों की ओर रुख़ करने लगा है. इस बदलाव ने 24 खरब अमेरिकी डॉलर के लग्ज़री फैशन उद्योग को अपने व्यावसायिक तौर-तरीक़ों में परिवर्तन लाने को प्रेरित किया है. अब ये उद्योग नए सिरे से कारोबारी रणनीति बनाने और टिकाऊ और सतत विकास को अपने व्यवसाय प्रणालियों में शामिल करने को प्रेरित हुआ है. जलवायु संवेदनशीलता की बढ़ती समझ और फैशन उद्योग द्वारा ग़ैर-टिकाऊ प्रणालियों के उपयोग को लेकर बढ़ती जागरूकता का भी उपभोक्ता व्यवहार में आए इस बदलाव के पीछे हाथ रहा है.
जलवायु संवेदनशीलता की बढ़ती समझ और फैशन उद्योग द्वारा ग़ैर-टिकाऊ प्रणालियों के उपयोग को लेकर बढ़ती जागरूकता का भी उपभोक्ता व्यवहार में आए इस बदलाव के पीछे हाथ रहा है.
वैश्विक फैशन उद्योग अपनी पूरी मूल्य श्रृंखला में लगभग 30 करोड़ लोगों को रोज़गार देता है. इनमें एक अहम तादाद 18 से 35 वर्ष की महिलाओं की है और आने वाल वर्षों में इसमें और विस्तार होने का अनुमान है. हालांकि, ये उद्योग वैश्विक उत्सर्जन के क़रीब 10 प्रतिशत हिस्से के लिए भी ज़िम्मेदार है.
फास्ट फैशन की परिकल्पना से सामाजिक और पर्यावरणीय मोर्चे पर नुक़सान लाने वाले ख़तरों के संकेत मिलते हैं. हालांकि लग्ज़री फैशन ब्रांडों को लेकर उपभोक्ताओं की राय आम तौर पर अलग-अलग होती है. फास्ट फैशन की परिकल्पना में बड़े पैमाने पर उत्पादित और कम क़ीमत वाले फैशन उत्पाद आते हैं. इनमें ख़ासकर ऐसे परिधान शामिल होते हैं जो आमतौर पर वैश्विक ब्रांड लेबल के साथ आते हैं. लग्ज़री उत्पादों की ऊंची क़ीमतों और वैश्विक प्रतिष्ठा को देखते हुए उपभोक्ता ये मान लेता है कि इन उत्पादों में नैतिकतापूर्ण और अपेक्षाकृत अधिक टिकाऊ कारोबारी तौर-तरीक़ों का पालन किया जाता है. उपभोक्ता ये समझता है कि इन ब्रांडों के उत्पाद लंबे समय तक चलेंगे और उनको बेचने पर उसे बेहतर दाम हासिल होंगे! कुछ प्रमुख लग्ज़री ब्रांडों द्वारा कॉरपोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी (CSR) से जुड़ी पहलों का ख़ुलासा किए जाने, पर्यावरण-अनुकूल उत्पाद श्रृंखलाएं परोसने और विनिर्माण की टिकाऊ प्रक्रियाओं के इज़हार ने भी उपभोक्ताओं के बीच ऐसी सकारात्मक धारणा बनाने में योगदान दिया है. हालांकि, सच्चाई ये नहीं है. गूची, ड्योर और सेंन लॉरेन (Gucci, Dior, Saint Laurent) समेत विश्व के कुछ शीर्ष ब्रांडों की आपूर्ति श्रृंखलाओं के संबंध रोज़गार को लेकर संदिग्ध व्यवहार वाले विक्रेताओं से तलाशे जा सकते हैं. इनमें मुख्य रूप से दक्षिण एशिया के विक्रेता शामिल हैं, जिन्हें अक्सर जानबूझकर छिपाया जाता है.
लग्ज़री फैशन में सतत और टिकाऊ तौर-तरीक़े
मूल रूप से सस्टेनेबिलिटी यानी सतत या टिकाऊ विकास का मतलब है, “अगली पीढ़ी की ज़रूरतों से समझौता किए बिना मौजूदा पीढ़ी की आवश्यकताओं को पूरा करना.” इस सर्व-समावेशी परिकल्पना में पर्यावरणीय, सामाजिक, शासन और आर्थिक विचारों का सामंजस्यपूर्ण एकीकरण शामिल है. प्राकृतिक संसाधनों के ज़िम्मेदार उपयोग से लेकर कामगारों के साथ नैतिकपूर्ण बर्ताव तक, सतत या टिकाऊ क़वायदों का उद्देश्य भावी पीढ़ियों की भलाई सुनिश्चित करते हुए पूरी उत्पादन प्रक्रिया में नकारात्मक प्रभावों को कम करना है.
बहु-स्तरीय फैशन उद्योग की आपूर्ति श्रृंखलाओं की पेचीदगियों को कम करके नहीं आंका जा सकता. किसी एकल उत्पाद की पूरी यात्रा में उपभोक्ता तक पहुंचने से पहले आपूर्तिकर्ताओं का एक जटिल नेटवर्क शामिल होता है. इसमें कच्चे माल के उत्पादकों और प्रॉसेसर्स से लेकर प्रमाणीकरण निकाय, सब-कॉन्ट्रैक्टर्स, रसद प्रदाता और खुदरा दुकानें शामिल हैं. हरेक आपूर्तिकर्ता तयशुदा परतों के भीतर एक विशिष्ट कार्य करता है. वो कच्चे माल को अंतिम उत्पाद में बदलता है. साथ ही ख़रीद और उत्पादन से खुदरा विक्रेताओं तक की अपनी यात्रा का लेखा-जोखा बनाता है.
प्राकृतिक संसाधनों के ज़िम्मेदार उपयोग से लेकर कामगारों के साथ नैतिकपूर्ण बर्ताव तक, सतत या टिकाऊ क़वायदों का उद्देश्य भावी पीढ़ियों की भलाई सुनिश्चित करते हुए पूरी उत्पादन प्रक्रिया में नकारात्मक प्रभावों को कम करना है.
इस यात्रा में चिंता के प्रमुख क्षेत्रों में रसायनों और पानी का ग़ैर-ज़िम्मेदाराना उपयोग और निपटारा (disposal), मानव अधिकारों का हनन और कृषि भूमि में वृद्धि के लिए जंगलों की कटाई शामिल हैं. वास्तविक रूप में सतत या टिकाऊ तौर-तरीक़ों को अपनाने के लिए लग्ज़री ब्रांडों को आपूर्ति श्रृंखला में पारदर्शिता को प्राथमिकता देनी चाहिए. पूरी आपूर्ति श्रृंखला पर दृश्यता होने से ब्रांड, पर्यावरणीय और सामाजिक जोख़िमों को प्रभावी ढंग से पहचानने और उनका निपटारा करने में सक्षम हो जाते हैं.
इसके अलावा, फैशन उद्योग की जटिल आपूर्ति श्रृंखला के गहरे स्तरों में अक्सर सब-कॉन्ट्रैक्टिंग शामिल होती है. इससे अंतिम उत्पाद (खासकर अधिक प्रमुख ब्रांडों के लिए) में योगदान देने वालों का पता लगाना चुनौतीपूर्ण हो जाता है. आपूर्ति श्रृंखला के ये स्तर महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं और इनमें से हरेक के अपने संभावित जोख़िम होते हैं.
बहु-स्तरीय लग्ज़री फैशन आपूर्ति श्रृंखला
टियर 0 पर हमें ब्रांड के कार्यालय, वितरण केंद्र और खुदरा विक्रय स्थान मिलते हैं. यहां कुछ पहलों से सतत या टिकाऊ विकास के प्रयास शुरू हो सकते हैं. इन पहलों में नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों और पर्यावरण-अनुकूल प्रणालियों को अपनाना प्रमुख है. ऊर्जा की कार्यकुशल तरीक़े से खपत, कपड़ों का दोबारा इस्तेमाल, रिवर्स लॉजिस्टिक्स और रिसायकल किए जा सकने वाले कपड़ों को नैतिकतापूर्ण तरीक़े से जुटाना भी इसी प्रक्रिया का हिस्सा है.
टियर I की ओर रुख़ करने पर हमारे सामने कटाई, सिलाई, पैकेजिंग और शिपमेंट के लिए सिले-सिलाए कपड़ों को तैयार करने के लिए ज़िम्मेदार कारखाने और इनको सुविधाजनक बनाने वाले परिसर आ जाते हैं. कपड़ा कामगारों के अधिकारों और सुरक्षा संहिताओं का अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए टियर I आपूर्तिकर्ताओं के साथ मज़बूत संबंध बनाना निहायत ज़रूरी हो जाता है.
टियर IV में कच्चे माल के स्रोत (जैसे कपास के खेत या पशु पालन) शामिल हैं. यहां मिट्टी की सेहत, जैव विविधता, जलमार्ग और वायु गुणवत्ता तक प्रभाव पहुंचते हैं.
टियर II में वैसे आपूर्तिकर्ता शामिल होते हैं, जिनपर विनिर्माण में उपयोग किए जाने वाले कपड़ों के उत्पादन की ज़िम्मेदारी होती है. इस क़वायद में अक्सर रासायनिक, पानी और कार्बन-सघन प्रक्रियाएं शामिल होती हैं, जिसका पर्यावरणीय और सामुदायिक तौर पर (ख़ासकर ख़तरनाक कचरों के निपटारे से जुड़े उनके तौर-तरीक़ों से) व्यापक प्रभाव होता है.
टियर III कच्चे माल को फाइबर में बदलने से जुड़ा है. ये एक ऐसा चरण है जिसमें ब्रांड संपर्क और दृश्यता सीमित होती है. इससे मानव अधिकारों, पशु कल्याण और पर्यावरणीय प्रभावों का आकलन चुनौतीपूर्ण हो जाता है.
और, अंत में, टियर IV में कच्चे माल के स्रोत (जैसे कपास के खेत या पशु पालन) शामिल हैं. यहां मिट्टी की सेहत, जैव विविधता, जलमार्ग और वायु गुणवत्ता तक प्रभाव पहुंचते हैं. हरेक स्तर पर जोख़िमों को समझना और उनका निपटारा करना अधिक टिकाऊ और ज़िम्मेदार फैशन उद्योग की दिशा में अहम क़दम है. लिहाज़ा, आपूर्ति श्रृंखला पारदर्शिता इन जटिलताओं को सुलझाने और टिकाऊ तौर-तरीक़ों के साथ लग्ज़री फैशन का तालमेल बिठाने के लिए अहम हैं.
आपूर्ति श्रृंखला पारदर्शिता की तात्कालिकता
उपलब्ध आंकड़े लग्ज़री फैशन में आपूर्ति श्रृंखला पारदर्शिता को अपनाने की तात्कालिकता को दर्शाते हैं. मिसाल के तौर पर वैश्विक स्तर पर पीने के पानी के 83 फ़ीसदी नमूने अति-सूक्ष्म प्लास्टिक फाइबर से जुड़े परीक्षण में पॉजिटिव पाए गए हैं. ये कचरा, कपड़े धोने के बाद निकले गंदे पानी से बाहर आता है. पॉलिएस्टर कपड़े हरेक धुलाई में 1,900 से ज़्यादा फाइबर छोड़ते हैं. इसके अलावा सभी परिधानों का 20 से 60 प्रतिशत हिस्सा अपने पहले वर्ष के भीतर ही बेकार हो जाता है. इस कड़ी में कपड़ा निर्माताओं और खुदरा विक्रेताओं द्वारा सालाना 1.3 करोड़ टन कचरा उत्पन्न किया जाता है. उत्पादित कपड़ों के लगभग 30 प्रतिशत हिस्से को अब भी हरेक सीज़न में बेचे जाने की ज़रूरत पड़ती है.
2013 में बांग्लादेश के राणा प्लाज़ा में मची तबाही के बाद फैशन पारदर्शिता सूचकांक स्थापित किया गया. इसे यूनाइटेड किंगडम (UK) में स्थित वैश्विक फैशन सक्रियता आंदोलन फ़ैशन रिवॉल्यूशन द्वारा तैयार किया गया है. इसमें मानव अधिकारों, रोज़गार नीतियों और अभ्यासों के साथ-साथ संचालन और आपूर्ति श्रृंखलाओं से जुड़े पूरे तंत्र के सार्वजनिक ख़ुलासों के आधार पर दुनिया के 250 सबसे बड़े फैशन ब्रांडों और खुदरा विक्रेताओं को दर्जा दिया जाता है. सूचकांक का लक्ष्य उद्योग को उसके कार्यों के लिए उत्तरदायी बनाना है. बहरहाल, सूचकांक के 2022 संस्करण से पता चला कि इनमें से केवल 23 प्रतिशत ब्रांडों और खुदरा विक्रेताओं ने इस तरह का कोई सार्वजनिक ख़ुलासा किया है. केवल 7 प्रतिशत ने गंदे पानी के परीक्षण से जुड़े निष्कर्षों को सार्वजनिक किया, जबकि निर्माताओं में से आधे से भी कम ने सार्वजनिक रूप से अपनी आपूर्तिकर्ता सूची का खुलासा किया.
स्रोत: फैशन रिवॉल्यूशन. फैशन पारदर्शिता सूचकांक 2022
आपूर्ति श्रृंखला पारदर्शिता, महज़ पर्यावरण और सामाजिक चिंताओं के निपटारे से परे जाती है. ये उपभोक्ता के व्यवहार को प्रभावित करते हुए विश्वास पैदा करती है. जब ब्रांड अपने उत्पादन के तौर-तरीक़ों और सोर्सिंग के बारे में पारदर्शी होते हैं, तो उपभोक्ता अपने ख़रीद निर्णयों में अधिक आत्मविश्वास महसूस करते हैं. साथ ही उन ब्रांडों का पक्ष लेते हैं जो उनके मूल्यों के अनुरूप होते हैं. पर्यावरण और टिकाऊ विकास को लेकर बढ़ती जागरूकता के बीच पारदर्शिता, उपभोक्ताओं की पसंद में निर्णायक कारक बन गई है. ऐसे में लग्ज़री ब्रांडों के पास उद्योग के भीतर ज़िम्मेदार तौर-तरीक़ों को बढ़ावा देने का बेहतरीन मौक़ा है.
फ्रांस, इटली, अमेरिका और यूनाइटेड किंगडम के विभिन्न फैशन हाउसों ने पारदर्शिता प्राप्त करने के लिए आपूर्तिकर्ता इकाइयों में आंशिक हिस्सेदारी हासिल कर ली है. चेनल और ब्रुनेलो कुसिनेली ने हाल ही में परिवार के स्वामित्व वाले ऊनी और प्राकृतिक फाइबर आपूर्तिकर्ता कैरिआगी लैनिफिको में आंशिक हिस्सेदारी हासिल की है. आंशिक हिस्सेदारी अधिग्रहण की इस क़वायद के ज़रिए चेनल को कैरिआगी लैनिफिको द्वारा प्राकृतिक फाइबर जुटाने और उसके कारोबारी तौर-तरीक़ों पर पहले से ज़्यादा नियंत्रण मिल जाएगा. इससे टिकाऊ विकास को लेकर ब्रांड के प्रयासों को बढ़ावा मिलेगा. फ्रांस में सरकार की ओर से बढ़ते प्रोत्साहनों के साथ लग्ज़री ब्रांडों ने अपने परिचालन को उनके गृह देश में स्थानांतरित कर दिया ताकि वो अपने आपूर्ति श्रृंखलाओं पर बेहतर निगरानी रख सकें. इसी तरह Levi’s ने पानी के उपयोग को कम करने के लिए ख़ास विनिर्माण प्रक्रियाओं को अपनाया है, जबकि पैटागोनिया ने अपनी उत्पाद श्रृंखला में रिसायकल्ड और जैविक कपड़ों की श्रृंखला पेश की है.
ज़िम्मेदार व्यावसायिक क़वायदों को बढ़ावा देना
ज़िम्मेदार व्यावसायिक पहल (RBIs) ऐसी पहल हैं जिन्हें अलग-अलग नामों से जाना जा सकता है. इन्हें “स्थिरता पहलों,” “कॉरपोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी (CSR) कार्यक्रम,” “उद्योग सहभागिताओं,” या “सामूहिक प्रभाव पहलों” के रूप में संदर्भित किया जा सकता है. आपूर्ति श्रृंखला पारदर्शिता को अपनाने की क़वायदों में रफ़्तार लाने में उनकी भूमिका महत्वपूर्ण है. सरकारों द्वारा फंडिंग की पहल (जैसे कि सरकार की फंडिंग से तैयार सतत परिधान गठबंधन), जो आपूर्ति श्रृंखला में शामिल लोगों में वापस निवेश करके साझा मूल्य बनाते हैं और न्यायसंगत वेतन और सम्मानजनक काम प्रदान करते हैं, वो सभी RBIs के उदाहरण हैं.
अपनी आपूर्ति श्रृंखलाओं को समझकर, ब्रांड ऐसे जागरूकतापूर्ण निर्णय ले सकते हैं, जो पर्यावरण संरक्षण, नैतिकतापूर्ण कारोबारी तौर-तरीक़ों और सामाजिक ज़िम्मेदारी को प्राथमिकता देते हैं.
आपूर्ति श्रृंखला में पारदर्शिता अपनाना, अब एक विकल्प नहीं बल्कि लग्ज़री फैशन ब्रांडों के लिए अनिवार्य आवश्यकता बन गई है. ये ब्रांड अधिक टिकाऊ भविष्य की आकांक्षा रखते हैं. अपनी आपूर्ति श्रृंखलाओं को समझकर, ब्रांड ऐसे जागरूकतापूर्ण निर्णय ले सकते हैं, जो पर्यावरण संरक्षण, नैतिकतापूर्ण कारोबारी तौर-तरीक़ों और सामाजिक ज़िम्मेदारी को प्राथमिकता देते हैं. पारदर्शी आपूर्ति श्रृंखलाएं ब्रांड की प्रतिष्ठा की रक्षा करती हैं, और संयुक्त राष्ट्र सतत विकास लक्ष्यों के अनुरूप अधिक न्यायसंगत और समानतापूर्ण फैशन उद्योग के लिए रास्ता साफ़ करती हैं.
सतत या टिकाऊ विकास के लिए उपभोक्ता मांग बढ़ती जा रही है. ऐसे में पारदर्शिता, लग्ज़री फैशन की ओर एक सतत या टिकाऊ क्रांति में जान फूंक सकती है. सरकारों को नियमनों और प्रोत्साहनों के ज़रिए स्थिरता की ओर रुख़ करने की क़वायद को आगे बढ़ाना चाहिए. उन्हें ऐसे क़ानून बनाने चाहिए जो कंपनियों को मानवाधिकारों और जलवायु ज़िम्मेदारियों पर नियमित रूप से ध्यान देने को बाध्य करें. साथ ही आपूर्ति श्रृंखला में ख़ामियों और उल्लंघनों के लिए कॉरपोरेशंस पर ज़िम्मेदारी आयद करें! फैशन पारदर्शिता सूचकांक में शामिल सभी मापदंडों के सार्वजनिक ख़ुलासे को भी क़ानून द्वारा अनिवार्य बनाया जाना चाहिए. साथ ही लग्ज़री फैशन उद्योग को लेकर समय-समय पर ऑडिट और जांच-पड़ताल भी होनी चाहिए.
राधिका पुरोहित ऑब्ज़र्वर रिसर्च फाउंडेशन में इंटर्न हैं.
The views expressed above belong to the author(s). ORF research and analyses now available on Telegram! Click here to access our curated content — blogs, longforms and interviews.