22 मार्च 2024 को रूस पिछले कई दशकों के सबसे ख़तरनाक हमलों में से एक का निशाना बना. कई बंदूकधारियों ने मॉस्को के क्रोकस सिटी हॉल पर हमला बोल दिया जिसमे 115 लोगों की मौत हुई जबकि 187 लोग घायल हो गए. इस्लामिक स्टेट खुरासान प्रोविंस (ISKP) ने सोशल मीडिया पर पोस्ट किए गए एक बयान में शुक्रवार को हुए इस हमले की ज़िम्मेदारी ली. इस ख़ौफ़नाक हमले के बाद रूस की सुरक्षा एजेंसियों ने 11 लोगों को गिरफ़्तार किया. रूस के राजनेता अलेक्जेंडर ख्रिस्तीन के मुताबिक इनमें से चार बंदूकधारियों के पास ताजिकिस्तान का पासपोर्ट मिला. इसी तरह 7 मार्च को रूस के सुरक्षा बलों ने ISKP से संबंध रखने वाले दो कज़ाख नागरियों को मार गिराया जो एक सिनेगॉग (यहूदी धार्मिक स्थल) पर आतंकी हमला करने की साज़िश रच रहे थे.
जनवरी में ISKP के द्वारा ईरान में किए गए आत्मघाती हमले में 92 लोगों की मौत हो गई जबकि 102 लोग घायल हो गए. इस हमले के एक हफ्ते बाद ईरान के खुफिया मंत्रालय ने दावा किया कि ISKP के आत्मघाती हमलावरों में से एक ताजिक नागरिक था. इस हमले का मास्टरमाइंड भी एक ताजिक नागरिक को बताया जा रहा है जो ईरान छोड़कर चला गया है. पिछले साल दक्षिणी ईरान के शिराज़ में एक धार्मिक स्थल पर आतंकी हमले में भी ताजिक नागरिक शामिल थे. अपनी स्थापना के समय से ISKP ने मध्य एशिया की कमज़ोरियों का फायदा उठाया है और अलग-अलग तरह की भर्ती की रणनीतियों का इस्तेमाल किया है जिसके ज़रिए मध्य एशिया के कई नागरिकों को अपनी तरफ आकर्षित किया है. इसके बाद अफ़ग़ानिस्तान की सत्ता में तालिबान की वापसी के साथ मध्य एशिया के देशों के निवासियों को लक्ष्य बनाकर ISKP की भर्ती की कोशिशों में महत्वपूर्ण बढ़ोतरी का संयोग देखा गया.
मध्य एशिया ISKP के फलने-फूलने की जगह बना
2015 की शुरुआत में ताजिक एलिट स्पेशल फोर्स के प्रमुख और राष्ट्रपति एवं उनके परिवार के क़रीबी सहयोगी कर्नल गुलमुरोद कलिमोव लापता हो गए और फिर वो इस्लामिक स्टेट ऑफ इराक़ एंड सीरिया (ISIS) में शामिल हो गए. कलिमोव एक बेहद हुनरमंद स्नाइपर (निशाना लगाने वाले) थे जिनके पास आतंकवाद विरोधी ट्रेनिंग का लंबा-चौड़ा अनुभव था. उन्होंने अमेरिका में भी आतंकवाद विरोधी कोर्स किया था. 2016 में ISIS में शामिल होने वाले मध्य एशिया के 5,000 लड़ाकों में कलिमोव का विद्रोह सबसे अप्रत्याशित था. उज़्बेकिस्तान से सबसे ज़्यादा 1,500 लड़ाके ISIS में शामिल हुए जिसके बाद ताज़िकिस्तान से 1,094 और किर्गिज़स्तान से 188 महिलाओं समेत 863 लड़ाके ISIS में शामिल हुए.
दक्षिण एशिया के अफ़ग़ानिस्तान-पाकिस्तान (अफ़ग़ान-पाक) रीजन में ISKP के उदय ने अल-क़ायदा, तहरीक-ए-तालिबान (TTP), तालिबान और इस्लामिक मूवमेंट ऑफ उज़्बेकिस्तान (IMU) के असंतुष्ट उग्रवादियों को लुभाया. अफ़ग़ानिस्तान की सत्ता में तालिबान की वापसी के बाद संगठन बदलने वालों की संख्या में बढ़ोतरी हुई और 2022 में ISKP में शामिल लड़ाकों की संख्या 1,500 से 4,000 के बीच थी. संख्या में इस बढ़ोतरी ने इस आतंकी संगठन को अपने कामकाज का दायरा अफ़ग़ानिस्तान-पाकिस्तान के सरहदी इलाकों से आगे बढ़ाने में मदद की, ख़ास तौर पर मध्य एशिया तक ले जाने में. इस विस्तार के साथ-साथ इस क्षेत्र के भीतर ISKP की भर्ती में भी बढ़ोतरी हुई, ख़ास तौर पर उज़्बेकिस्तान और ताजिकिस्तान के लोगों के बीच. जैसे-जैसे ISKP में उज़्बेक और ताजिक लड़ाकों की संख्या बढ़ी, वैसे-वैसे इस संगठन ने पड़ोस के मध्य एशियाई देशों में हमले करना शुरू कर दिया. 18 अप्रैल 2022 को ISKP ने उज़्बेकिस्तान के तरमेज़ में एक सैन्य अड्डे पर हमला किया और 7 मई 2022 को इस संगठन ने ताजिकिस्तान के सात अज्ञात सैन्य ठिकानों को निशाना बनाकर अफ़ग़ानिस्तान के ख्वाजा घर ज़िले से सात रॉकेट दागे.
अगस्त 2021 में अफ़ग़ानिस्तान पर तालिबान के कब्ज़े को देखते हुए ISKP ने इस मौके का फायदा उठाकर ख़ुद को मज़बूत करने और मध्य एशिया के गणराज्यों में अपनी मौजूदगी स्थापित करने की कोशिश की. उसकी बहुआयामी रणनीति ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर बहुत ज़्यादा निर्भर करती है जहां वो ताजिक और उज़्बेक जैसी स्थानीय भाषाओं में अपना दुष्प्रचार फैलाता है. ISKP संभावित सदस्यों को आकर्षित करने के लिए मौजूदा क्षेत्रीय आर्थिक और सामाजिक परेशानियों का इस्तेमाल करता है. ये तरीका तरमेज़ हमले के बाद स्पष्ट था जहां टेलीग्राम पर ISKP समर्थक चैनल्स जैसे कि ताजिक “डेली न्यूज़ ऑफ द मुजाहिदीन ऑफ कैलिफेट” और “दी आर्मी ऑफ विक्टोरियस सेक्ट” ने तुरंत आधिकारिक अल-अज़ैम फाउंडेशन के निशान (लोगो) के साथ ISKP का बयान पोस्ट किया. इसी तरह उज़्बेक भाषा के “तौहीद” चैनल ने “द ब्लेस्ड अटैक ऑफ तरमेज़” (तरमेज़ का मुबारक हमला) के शीर्षक के साथ 24 मिनट का एक वीडियो जारी किया जिसमें हमले को मध्य एशिया के गणराज्यों के ख़िलाफ़ एक बड़े जिहाद की शुरुआत बताया गया. ISKP का “अल-अज़ैम” प्रोपगैंडा विंग ताजिक और उज़्बेक ब्रांच के साथ भर्ती, फंड इकट्ठा करने और हमलों के लिए मध्य एशिया को निशाना बनाता है.
ताजिकिस्तान: ISKP की भर्ती का एक नया केंद्र
मध्य एशिया के पांच देशों में ताजिकिस्तान अपनी पंगु कानूनी व्यवस्था, बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार और एक निरंकुश सरकार के साथ अपने मुद्दों की वजह से अलग है. राष्ट्रपति इमोमाली रहमान 1992 से सत्ता में हैं और इन वर्षों के दौरान उन्होंने इस्लामिक रेज़िस्टेंस पार्टी ऑफ ताजिकिस्तान (IRPT) समेत ताजिकिस्तान के ज़्यादातर विपक्षी संगठनों पर कार्रवाई की है. शुरुआत में IRPT के साथ शांति समझौते, जिसने 1997 में गृह युद्ध ख़त्म किया, के हिस्से के रूप में उसे सरकार में पद और संसद में सीट की गारंटी दी गई थी. फिर भी 2015 में राष्ट्रपति रहमान ने IRPT को एक आतंकी संगठन घोषित कर दिया और ताजिकिस्तान को राजनीतिक इस्लाम के लिए अधिक असुरक्षित बना दिया.
IRPT के ज़्यादातर सदस्य अब या तो क़ैद में हैं या निर्वासन में रह रहे हैं. इस तरह वो ISKP के द्वारा भर्ती के लिए सॉफ्ट टारगेट बन गए हैं. इसके अलावा बेहद प्रतिबंधित राजनीतिक अधिकारों, सामाजिक-आर्थिक मुश्किलों और अफ़ग़ानिस्तान के साथ एक लंबी और असुरक्षित सीमा के साथ ताजिकिस्तान और यहां की युवा आबादी ISKP की विचारधारा के लिए ख़ास तौर पर असुरक्षित है. चूंकि ताजिकिस्तान से ISKP में भर्ती होने वाले युवा वही संस्कृति, भाषा और धर्म अपनाते हैं जो व्यापक यूरेशिया के क्षेत्र, विशेष रूप से तुर्किए और ईरान, के लोग अपनाते हैं. ऐसे में वो आसानी से इनमें घुल-मिल सकते हैं. ये उन्हें सुरक्षा छानबीन के दौरान पकड़ में आए बिना लोन-वूल्फ अटैक करने की इजाज़त देता है.
तालिबान ने आतंकवाद विरोधी कोशिशों में तरक्की की है और उसने ISKP के कई ताजिक और पाकिस्तानी लड़ाकों को मार गिराया है. इसके बाद ISKP ने ताजिक सदस्यों और उनकी साझा सांस्कृतिक कमज़ोरियों का इस्तेमाल अफ़ग़ानिस्तान और पाकिस्तान में अपने अड्डों को बरकरार रखते हुए ग्रेटर सेंट्रल एशिया, तुर्किए, ईरान और यूरोप में हमला करने में किया. नीचे की तालिका ISKP के हमलों में ताजिक नागरिकों की बढ़ी हुई भूमिका दिखाती है.
वर्ष |
देश |
ISKP के द्वारा ताजिकिस्तान में भर्ती रंगरूट किन वारदात में शामिल |
अप्रैल, 2020 |
जर्मनी |
ISKP के साथ संबंध के आरोप में ताजिक नागरिक की गिरफ्तारी. |
अक्टूबर 2022 |
ईरान |
वारदात में ताजिक नागरिक शामिल. |
फरवरी 2023 |
तुर्किए |
ISKP के कथित ट्रांस ऑक्सियाना डिवीज़न का ताजिक नागरिक गिरफ्तार. |
जून 2023 |
तुर्किए |
ISKP के लिए भर्ती करने के आरोप में ताजिक नागरिक गिरफ्तार. |
जुलाई 2023 |
जर्मनी, नीदरलैंड्स |
नौ व्यक्ति पकड़े गए जिनमें छह ताजिकिस्तान के थे जबकि तीन अन्य तुर्कमेनिस्तान और किर्गिज़स्तान के. |
दिसंबर 2023 |
किर्गिज़स्तान |
ISKP के दो आतंकी गिरफ्तार. |
दिसंबर 2023 |
जर्मनी, ऑस्ट्रिया |
ISKP के साथ संपर्क रखने वाले दो ताजिक आतंकी गिरफ्तार. |
दिसंबर 2023 |
रूस |
ISKP के साथ जुड़े ताजिकिस्तान के पांच नागरिकों को हमलों की साज़िश रचने के लिए जेल की लंबी सज़ा सुनाई गई. |
जनवरी 2024 |
ईरान |
ISKP के द्वारा किए गए बम धमाके में ताजिक नागरिक शामिल. |
जनवरी 2024 |
तुर्किए |
चर्च पर हमले में ISKP के दो आतंकवादी गिरफ्तार जिनमें से एक ताजिकिस्तान का था. |
स्रोत: लेखक के द्वारा अलग-अलग रिपोर्ट और अख़बारों से संकलित
इज़रायल और हमास के बीच संघर्ष, ख़ास तौर पर गज़ा में चल रहे मौजूदा युद्ध, ने इस क्षेत्र में जिहाद की अपील को जन्म दिया है. तुर्कमेनिस्तान को छोड़कर मध्य एशिया के देशों के नेता ने गाज़ा में आम लोगों पर हमले की निंदा की है. उन्होंने इसे आतंकवादी कार्रवाई बताया है जिसका मक़सद क्षेत्र में बढ़ती इज़रायल विरोधी भावनाओं को काबू करना है. इन नेताओं ने शांतिपूर्ण प्रदर्शनों की भी इजाज़त दी है और इज़रायली उत्पादों के बहिष्कार की अपील का समर्थन किया है. इसका दूसरा पहलू ये है कि मध्य एशिया में ISKP और अल-क़ायदा जैसे संगठन इज़रायल के ख़िलाफ इस बढ़ते ग़ुस्से का इस्तेमाल भर्ती करने, फंड जमा करने और जिहाद एवं क़ुर्बानी में शामिल होने में कर रहे हैं. विशेष रूप से ISKP मध्य एशिया में अपने पांव जमा रहा है, ख़ास तौर पर ताजिकिस्तान में. वैसे तो ISKP का ध्यान अफ़ग़ानिस्तान-पाकिस्तान क्षेत्र में है लेकिन मध्य एशिया में बढ़ती भर्ती आतंकी हमलों को लेकर पूरे यूरेशिया इलाके के लिए एक ख़तरा पेश करती है.
एजाज़ वानी ऑब्ज़र्वर रिसर्च फाउंडेशन में फेलो हैं.
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