Published on Jan 25, 2021 Updated 0 Hours ago

इब्राहिम सोलिह के नेतृत्व वाली मौजूदा सरकार को अपने पांच साल के कार्यकाल के दो वर्ष पूरे करने के बाद भी अंदरूनी कलह का सामना करना पड़ रहा है.

मालदीव की सरकार में भारत से मिलने वाली मदद को लेकर अंदरूनी कलह

मालदीव के ऑडिटर जनरल ने बिना अपने बड़े पड़ोसी देश भारत का नाम लिए हुए सिर्फ़ मदद के लिए एक देश पर निर्भरता को लेकर चिंता जताई है. अब मालदीव के ऑडिटर जनरल ने ये फ़िक्र अनजाने में ज़ाहिर की, या किसी ख़ास मक़सद से ये तो नहीं पता. लेकिन, मालदीव के ऑडिटर जनरल की इस टिप्पणी से दोनों ही देशों में भौंहे तननी स्वाभाविक हैं. अगर हम इसमें मालदीव की संसद की खुली बहस के दौरान स्पीकर मोहम्मद नशीद- जो सत्ताधारी मालदीव डेमोक्रेटिक पार्टी (MDP) के नेता भी हैं- के उस बयान को भी जोड़ लें कि सरकार द्वारा पेश किए गए बजट को उसके मौजूदा स्वरूप में पास करने से, ‘मालदीव पर अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संगठनों का विश्वास ख़त्म हो जाएगा’, तो इसका अर्थ ये होगा कि इब्राहिम सोलिह के नेतृत्व वाली मौजूदा सरकार को अपने पांच साल के कार्यकाल के दो वर्ष पूरे करने के बाद भी अंदरूनी कलह का सामना करना पड़ रहा है.

मालदीव की संसद द्वारा सरकार के बजट प्रस्तावों को कुछ संशोधनों के साथ पास करने से पहले ऑडिटर जनरल के दफ़्तर के प्रतिनिधि, संसद की बजट समिति के सामने पेश हुए थे. उन्होंने संसदीय समिति से कहा कि वर्ष 2021 में मालदीव की सरकार को अन्य देशों से मिलने वाली 2.2 अरब मालदीवी रुपए की प्रस्तावित मदद में अकेले भारत ने ही 1.82 अरब मालदीव रूपए देने का वादा किया है. ऑडिटर जनरल के दफ़्तर के प्रतिनिधियों ने कहा कि आम तौर पर प्रस्तावित मदद का केवल 61 प्रतिशत हिस्सा ही प्राप्त होता है. ऑडिटर जनरल के ऑफ़िस ने इस बात पर चिंता जताई कि मालदीव को मिलने वाली विदेशी मदद का तीन चौथाई हिस्सा सिर्फ़ एक देश से ही प्राप्त होने वाला है. उन्होंने कहा कि, ‘इस वैश्विक महामारी के दौर में सिर्फ़ एक देश पर अत्यधिक निर्भरता ठीक नहीं. क्योंकि हो सकता है कि महामारी के दौरान अगर वो देश वित्तीय संकटों से दो- चार होगा, तो शायद जिस रक़म का उसने वादा किया है, वो मालदीव को दे ही नहीं.’ मालदीव में ऑडिटर जनरल का दफ़्तर एक संवैधानिक व्यवस्था है.

मालदीव की संसद द्वारा सरकार के बजट प्रस्तावों को कुछ संशोधनों के साथ पास करने से पहले ऑडिटर जनरल के दफ़्तर के प्रतिनिधि, संसद की बजट समिति के सामने पेश हुए थे. उन्होंने संसदीय समिति से कहा कि वर्ष 2021 में मालदीव की सरकार को अन्य देशों से मिलने वाली 2.2 अरब मालदीवी रुपए की प्रस्तावित मदद में अकेले भारत ने ही 1.82 अरब मालदीव रूपए देने का वादा किया है

साफ़ है कि मालदीव के ऑडिटर जनरल के कार्यालय ने अपनी इस टिप्पणी से पहले भारत द्वारा मालदीव की मदद के पुराने रिकॉर्ड पर नज़र नहीं डाली. मालदीव में पूर्व राष्ट्रपति मामून अब्दुल गयूम के शासन काल से ही भारत, उसकी हर तरीक़े से मदद करता आया है. गयूम के बाद, जब 2008 में देश के पहले बहुदलीय चुनावों में जीत हासिल कर मोहम्मद नशीद, मालदीव के राष्ट्रपति बने थे, तब भी भारत द्वारा मालदीव की मदद ये सिलसिला जारी रहा था. चारों तरफ़ से ज़मीन से घिरे भूटान के अलावा, मालदीव ही एक ऐसा देश है, जिसके साथ भारत के इतने विशेष संबंध हैं. इसके तहत भारत ने मालदीव को हर तरह के निर्यात पर लगे तमाम प्रतिबंध और पाबंदियां हटा रखी हैं. दोनों देशों के बीच ये आम सहमति है कि मालदीव में खाद्य संकट के दौरान तो ख़ास तौर से उसको भारत से किसी भी सामान के निर्यात पर कोई रोक नहीं होगी. यही कारण है कि जब पूरी दुनिया में कोविड-19 की महामारी फैली हुई थी और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हवाई उड़ानों और अन्य परिवहन पर रोक लगी हुई थी, तब भी भारत ने कोविड-19 से मुक़ाबले के लिए  संबंधित मेडिकल सामान मालदीव पहुंचाया था, और रमज़ान के महीने से पहले खाने पीने का सामान भी हवाई जहाज़ से मालदीव को भेजा गया था.

मालदीव में महामारी के बढ़ते प्रकोप के बावजूद भारत के विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला, नवंबर 2020 में मालदीव की राजधानी माले गए थे. विदेश सचिव के मालदीव दौरे से भारत ने ये स्पष्ट संदेश दिया था कि उसे स्थानीय सरकार पर कितना विश्वास है. उस समय भारत ने  पहली माले-कुल्हूधुफुफुशी-कोच्चि-थूथुकुडी फेरी सेवा की भी शुरुआत की थी, जो भारत की सरकारी कंपनी शिपिंग कॉरपोरेशन ऑफ़ इंडिया द्वारा संचालित की जा रही है. मालदीव के राष्ट्रपति इब्राहिम सोलिह ने उसके बाद ही घोषणा की थी कि, बहुत जल्द यानी अगले कुछ हफ़्तों में ही मालदीव के सबसे दक्षिणी इलाक़ों अद्दू, हुवाधु और तमिलनाडु के दक्षिणी तट पर स्थिति थूथुकुडी के बीच कार्गो सेवा शुरू होगी.

पर्यटन पर मालदीव की भारी निर्भरता को देखते हुए, भारत ने इस महामारी के दौरान भी अपने यहां के नागरिकों को मालदीव जाने के लिए प्रोत्साहित करना जारी रखा था. मालदीव के पर्यटन मंत्रालय के अनुसार, महामारी के बाद जब से मालदीव ने अपने यहां के दरवाज़े सैलानियों के लिए खोले हैं, तब से रूस के बाद भारत, उसका दूसरा सबसे बड़ा पर्यटक बाज़ार बन चुका है. इस दौरान रूस के 7512 पर्यटक घूमने मालदीव पहुंचे, तो भारत से 5449 लोग मालदीव गए.

‘विश्वास का अभाव’

बाद में जब मालदीव की संसद ने बजट पर परिचर्चा और वोटिंग की शुरुआत की, तो स्पीकर मोहम्मद नशीद ने अपनी संसद के कुछ सदस्यों की उन बातों पर सहमति जताई थी कि बजट को उसके मौजूदा स्वरूप में ही पास कर देने से मालदीव पर अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संस्थाओं का जो भरोसा है, वो ख़त्म हो जाएगा. बजट पर 87 सदस्यों वाली मालदीव की संसद की वोटिंग के दौरान नशीद ने कहा कि, ‘अगले साल क्या किया जा सकता है, अगर इसे देखते हुए बजट आवंटन किया जाएगा, तो मालदीव का बजट घाटा कम किया जा सकता है.’ संसद ने 68 के मुक़ाबले एक वोट से मालदीव की सरकार के 33.29 मालदीवियन रुपए वाले बजट को पास कर दिया. इसमें 15.1 अरब डॉलर का बजट घाटा दिखाया गया है.

जब मालदीव की संसद ने बजट पर परिचर्चा और वोटिंग की शुरुआत की, तो स्पीकर मोहम्मद नशीद ने अपनी संसद के कुछ सदस्यों की उन बातों पर सहमति जताई थी कि बजट को उसके मौजूदा स्वरूप में ही पास कर देने से मालदीव पर अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संस्थाओं का जो भरोसा है, वो ख़त्म हो जाएगा

संसद के स्पीकर मोहम्मद नशीद के सिवा, मालदीव के केंद्रीय बैंक मालदीव्स मॉनिटरी अथॉरिटी (MMA) के गवर्र अली हाशिम ने भी संसद की बजट समिति के साथ अपनी बैठक में चेतावनी दी थी कि किस तरह ‘बजट में शामिल किए गए बड़े प्रोजेक्ट, मौजूदा आर्थिक हालात के हिसाब से ठीक नहीं हैं.’ अली हाशिम का कहना था कि, ‘अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष और विश्व बैंक, दोनों ने ही उनके साथ पिछली बैठक में कहा था कि मालदीव, अगले साल से अपने यहां ब्लू और ग्रीन फाइनेंसिंग को बढ़ावा दे और वो ब्लू फाइनेंसिंग के तहत, मालदीव को फंड देने के लिए तैयार हैं. मौजूदा हालात में इस फंड का उपयोग करना मालदीव के लिए बहुत महत्वपूर्ण होगा.’

मालदीव के केंद्रीय बैंक के प्रमुख का मानना है कि अपने बड़े प्रोजेक्ट चलाने में मालदीव की सरकार को विदेशी मुद्रा, और ख़ास तौर से अमेरिकी डॉलर हासिल करने में ‘मुश्किलें आ सकती’ हैं. उन्होंने सरकार को सलाह दी कि ‘पहले वो विदेशी मुद्रा का इंतज़ाम कर ले, तभी बड़े प्रोजेक्ट पर काम शुरू करे.’ मालदीव के केंद्रीय बैंक के गवर्नर के इस तर्क को तब और मज़बूती मिल गई, जब वहां के चुनाव आयोग ने संसद की बजट समिति को बताया कि, उसके बजट आवंटन में कटौती से मार्च महीने में पूरे देश में स्थानीय परिषद के चुनाव कराने का वादा पूरा करने में दिक़्क़त आएगी. इन चुनावों में पहले ही काफ़ी देर हो चुकी है.

ख़ुद राष्ट्रपति इब्राहिम सोलिह ने कहा है कि, ‘किस तरह आज मालदीव के लिए विश्व बैंक का सहयोग पहले से अधिक महत्वपूर्ण हो गया है.’ सोलिह ने ये बात तब कही, जब वो विश्व बैंक के कंट्री डायरेक्टर फरीस हदाद-ज़रवोस और कंट्री मैनेजर चियो कांदा से मिले थे. विश्व बैंक के कंट्री डायरेक्टर ने मालदीव के अपने दौरे के समय कहा था कि, इस वैश्विक संकट के समय उनका मालदीव आना बेहद महत्वपूर्ण है. इससे ये ज़ाहिर होता है कि विश्व बैंक, मालदीव की मदद के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है.

वैक्सीन में भ्रष्टाचार?

मालदीव के ऑडिटर जनरल और केंद्रीय बैंक की ओर से आए बयानों के उलट, संसद के स्पीकर मोहम्मद नशीद ने केवल बजट प्रस्तावों की व्यवहारिकता के बारे में ही टिप्पणी की. उन्होंने किसी बाहरी ताक़त, जैसे कि अपने पड़ोसी देश भारत को लेकर कोई बात नहीं कही. फिर भी, मोहम्मद नशीद ने जो कहा उसे वो पार्टी के भीतर उठा सकते थे. या फिर अपने दोस्त और राष्ट्रपति इब्राहिम सोलिह को निजी तौर पर भी बोल सकते थे. लेकिन, नशीद का अपनी बात को खुले तौर पर कहना, देश की सत्ताधारी MDP के भीतर परेशान करने वाली हलचल का संकेत दे रहा है.

स्वास्थ्य मंत्रालय में भ्रष्टाचार को लेकर मोहम्मद नशीद के बयान से उपजी एक और चिंता ये है कि, नसीम से पहले वो उनके पूर्ववर्ती अब्दुल्ला अमीन को भी मंत्रालय से हटाने में सफल रहे थे. अब्दुल्ला अमीन पर वेंटिलेटर ख़रीदने में भ्रष्टाचार के आरोप लगे थे. 

अपने उपरोक्त बयान के साथ-साथ, संसद में चल रही बहस के दौरान एक बार मोहम्मद नशीद ने मालदीव की सरकार द्वारा कोविड-19 वैक्सीन हासिल करने के लिए किए जा रहे प्रयासों में भी भ्रष्टाचार की आशंका जताई थी. नशीद के इन बयानों ने सत्ताधारी पार्टी के भीतर बहुत से लोगों को मुश्किल में डाल दिया है. सबसे पहले तो, देश के मौजूदा स्वास्थ्य मंत्री अहमद नसीम, मोहम्मद नशीद के बड़े पुराने राजनीतिक सहयोगी रहे हैं- वो 2008 में नशीद के राष्ट्रपति बनने से काफ़ी पहले से ही उनके साथ रहे हैं. नसीम तो मोहम्मद नशीद की कैबिनेट में भी रहे थे, और जब इब्राहिम सोलिह की सरकार बनी, तो वो पहले राष्ट्रपति के कार्यालय की टीम से जुड़े थे. अभी नवंबर महीने में ही उन्हें मालदीव का स्वास्थ्य मंत्री बनाया गया था.

स्वास्थ्य मंत्रालय में भ्रष्टाचार को लेकर मोहम्मद नशीद के बयान से उपजी एक और चिंता ये है कि, नसीम से पहले वो उनके पूर्ववर्ती अब्दुल्ला अमीन को भी मंत्रालय से हटाने में सफल रहे थे. अब्दुल्ला अमीन पर वेंटिलेटर ख़रीदने में भ्रष्टाचार के आरोप लगे थे. इस विवाद के दौरान उन्होंने मालदीव डेमोक्रेटिक पार्टी के सांसदों के तमाम गुटों को आपस में लड़ाकर, अमीन को अपने पद से इस्तीफ़ा देने को मजबूर कर दिया था. स्वास्थ्य मंत्री पर आरोपों की बौछार करते समय नशीद का असल निशाना तो राष्ट्रपति इब्राहिम सोलिह ही थे. उसके बाद से बात काफ़ी आगे बढ़ चुकी है. सत्ताधारी MDP के दस सांसदों का एक गुट, संचार मंत्री मोहम्मद मलीह को हटाने के लिए उनके ख़िलाफ़ अविश्वास प्रस्ताव ले आया था. मलीह के ऊपर इल्ज़ाम लगाया गया है कि, मालदीव का संचार प्राधिकरण अब तक, देश के दूरसंचार क़ानून के तहत कोई भी नियम बनाने में असफल रहा है.

MDP का संसदीय समूह, जो एक समय में कई गुटों में बंटा नज़र आता है, उसने इसी दौरान विपक्ष द्वारा गृह मंत्री शेख इमरान अब्दुल्ला के ख़िलाफ़ लाए गए अविश्वास प्रस्ताव को मिलकर गिरा दिया था. इमरान अबुदल्ला, मालदीव के धर्म आधारित राजनीतिक दल, अदालत पार्टी के नेता है. अदालत पार्टी, सत्ताधारी MDP की गठबंधन सरकार का सहयोगी दल है. MDP के सांसदों द्वारा अपनी पार्टी के मंत्रियों से इस्तीफ़ा मांगने और सहयोगी पार्टी के मंत्री को बचाने के लिए एकजुट होने को लेकर भी सवाल उठ रहे हैं. हालांकि, एक तथ्य ये भी है कि गृह मंत्री इमरान अब्दुल्ला पर भ्रष्टाचार के आरोप नहीं लगाए गए थे.

विपक्ष का विरोध प्रदर्शन

इसी दौरान, मालदीव के विपक्षी गठबंधन यानी PPM-PNC ने मिलकर विरोध प्रदर्शन भी किए हैं. वो पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन को जेल से रिहा करने की मांग कर रहे हैं. अब्दुल्ला यामीन पिछले एक साल से ज़्यादा समय से क़ैद में हैं. इसके साथ साथ, देश के एक और बड़े राजनेता, अरबपति कारोबारी गासिम इब्राहिम ने एलान किया है कि उनकी विला ग्रुप ऑफ़ कंपनीज़ की माली हालत बेहद ख़राब है और वो अपने कर्मचारियों को वेतन तक नहीं दे पा रहे हैं. गासिम इब्राहिम, ऐसे नेता हैं जिनके बारे में कहा जाता है कि वो राष्ट्रपति पद के सदाबहार उम्मीदवार हैं.

हो सकता है कि एक हताश-निराश विपक्षी गठबंधन और ढुलमुल सहयोगी की ख़राब वित्तीय स्थिति, मध्यम अवधि में सत्ताधारी MDP के लिए फ़ायदेमंद साबित हो. लेकिन, इब्राहिम सोलिह की सरकार की लोकप्रियता और उनके दल की मालदीव की जनता के बीच स्वीकार्यता का असल इम्तिहान तब होगा, जब मार्च महीने में पूरे देश में स्थानीय परिषद के चुनाव होंगे. इसके साथ ही साथ, सरकार और पार्टी को इस बात की चिंता करनी चाहिए कि MDP के नियंत्रण वाली मालदीव की संसद की नेशनल सिक्योरिटी सर्विस कमेटी ने देश के पुलिस एक्ट में संशोधन का फ़ैसला कर लिया है. इस संशोधन के बाद, मालदीव के पुलिस अधिकारियों द्वारा किसी भी तरह का विरोध प्रदर्शन दंडनीय अपराध माना जाएगा.

हो सकता है कि एक हताश-निराश विपक्षी गठबंधन और ढुलमुल सहयोगी की ख़राब वित्तीय स्थिति, मध्यम अवधि में सत्ताधारी MDP के लिए फ़ायदेमंद साबित हो. लेकिन, इब्राहिम सोलिह की सरकार की लोकप्रियता और उनके दल की मालदीव की जनता के बीच स्वीकार्यता का असल इम्तिहान तब होगा, जब मार्च महीने में पूरे देश में स्थानीय परिषद के चुनाव होंगे

मालदीव की सत्ताधारी डेमोक्रेटिक पार्टी (MDP) के लिए तब एक बड़ी मुश्किल खड़ी हो गई थी, जब फरवरी 2012 में मोहम्मद नशीद की सरकार के ख़िलाफ़ विपक्ष के नेतृत्व वाले विरोध प्रदर्शन में पुलिसवाले भी शामिल हो गए थे. नशीद के ख़िलाफ़ इस विरोध प्रदर्शन में देश के धार्मिक स्वयंसेवी संगठन भी शामिल थे, और इनके चलते नशीद को फरवरी 2012 में राष्ट्रपति पद से इस्तीफ़ा देना पड़ा था. उस समय तक MDP ये अभियान चला रही थी कि समाज के सभी वर्गों को हर तरह के राजनीतिक आयोजनों और विरोध प्रदर्शनों में शामिल होने का अधिकार होना चाहिए. तब MDP की मांग थी कि पुलिसकर्मी और सरकार के अन्य विभागों के कर्मचारियों को भी राजनीतिक दलों से जुड़ने का अधिकार मिलना चाहिए.

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