Published on May 16, 2023 Updated 0 Hours ago
दो मोर्चों पर सूचना युद्ध लड़ता भारत

इस सूचना युद्ध में डिजिटल और सोशल मीडिया के माध्यम से राजनीतिक विमर्श, जनमत और सामाजिक परंपराओं को प्रभावित या नियंत्रित करने के लिए विभिन्न रणनीतियों और तकनीकों का इस्तेमाल किया जाता है. इसमें विशेष संदेशों या विचारों को फैलाने या दबाने के लिए गलत या भ्रामक जानकारी, दुष्प्रचार, अतिशयोक्तिपूर्ण जानकारी का सहारा लेना और सोशल मीडिया एल्गोरिदम्स में हेरफेर करना शामिल है.

चीन दुश्मन देशों की क्षमताओं को रोकने और बाधित करने के लिए साइबर हमलों और जासूसी जैसे इलेक्ट्रॉनिक और नेटवर्क केंद्रित युद्ध तकनीकों का व्यापक तौर पर इस्तेमाल करता है, जिसे इंटीग्रेटेड इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर (INEW) के रूप में भी जाना जाता है.


इस संबंध में रूस द्वारा 2016 के अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव के परिणाम को डोनाल्ड ट्रंप के पक्ष में प्रभावित करने के लिए सोशल मीडिया प्लेटफॉर्मों के इस्तेमाल और यूके ब्रेक्जिट जनमत संग्रह को कमज़ोर करने के लिए दुर्भावनापूर्ण बॉट के उपयोग का उदाहरण दिया जा सकता है, जो सामान्य जानकारी का हिस्सा है. ठीक इसी तरह, चीन और पाकिस्तान ने क्षेत्रीय ख़तरों एवं आर्थिक दबाव जैसे तौर-तरीकों परे जाकर भारत के खिलाफ़ सूचना युद्ध का लगातार इस्तेमाल किया है.

भारत के खिलाफ़ चीन का सुचना युद्ध


भारत के खिलाफ़ चीन का सूचना युद्ध उसके व्यापारिक एवं सैन्य रणनीति के निर्माण का अहम हिस्सा है. चीन दुश्मन देशों की क्षमताओं को रोकने और बाधित करने के लिए साइबर हमलों और जासूसी जैसे इलेक्ट्रॉनिक और नेटवर्क केंद्रित युद्ध तकनीकों का व्यापक तौर पर इस्तेमाल करता है, जिसे इंटीग्रेटेड इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर (INEW) के रूप में भी जाना जाता है. चीन ने सैन झोंग झांफा के माध्यम से सभी डिजिटल सोशल मीडिया प्लेटफॉर्मों पर नियंत्रण स्थापित किया है और इनकी निगरानी कर रहा है. चीन ने सभी डिजिटल सोशल मीडिया प्लेटफॉर्मों पर नियंत्रण स्थापित कर लिया है और सैन झोंग झांफा के जरिए इन पर निगरानी रख रहा है. सैन झोंग झांफा एक त्रिस्तरीय रणनीति है, जिसे वह जनमत/संचार युद्ध, मनोवैज्ञानिक युद्ध और कानूनी युद्ध के लिए इस्तेमाल करता है. शुरुआत में इसे दक्षिण-पूर्व एशिया में लागू किया गया, लेकिन अब लगातार इसका इस्तेमाल भारत के खिलाफ़ किया जा रहा है. इस रणनीति में प्रिंट और सोशल मीडिया का इस्तेमाल, निवेश एवं छात्रवृत्ति के जरिए सॉफ्ट पॉवर का प्रदर्शन करना, देश के भीतर विचारों के प्रसार को नियंत्रित एवं प्रभावित करना और नफ़रत फैलाना शामिल है. कानूनी युद्ध का उपयोग पड़ोसी देशों को "धमकाने" के लिए किया जाता है ताकि किसी विवादित क्षेत्र पर झूठा दावा किया जा सके और उसके आस-पास के इलाकों पर अधिकार जताया जा सके. भारत के लिए चीन की सूचना युद्ध रणनीति से पड़ने वालों प्रभावों को समझना प्रभावी जवाबी नीति विकसित करने और अपने राष्ट्रीय सुरक्षा हितों की रक्षा के लिए महत्वपूर्ण है.


अविश्वास का माहौल खड़ा करने की कोशिश


कोरोना महामारी के दौरान, चीन पर भारतीय टीकों की प्रभावकारिता को कम साबित करने और वायरस के शुरुआती प्रसार के बारे में गलत सूचना फैलाने के मकसद दुष्प्रचार अभियान चलाने का आरोप लगाया गया था. सोशल मीडिया प्लेटफॉर्मों का लाभ उठाते हुए चीन ने महामारी के खिलाफ़ जवाबी कार्रवाई के पक्ष में धारणा बनाने और चीनी वैक्सीन की प्रभावकारिता ज़ोर देने का प्रयास किया जबकि दूसरी ओर उसने भारत के वैक्सीन प्रयासों को बदनाम करने की कोशिश की.

चीनी राज्य के स्वामित्व वाली मीडिया जैसे ग्लोबल टाइम्स ने महामारी से प्रभावी ढंग से निपटने में भारत की कथित विफलता को लेकर बार-बार फर्जी एवं संदिग्ध ख़बरें दिखाई हैं. कुछ रिपोर्टों में यह तक कहा गया कि भारत ने चीन और पाकिस्तान के साथ सीमा पर विवाद खड़े करके महामारी से ध्यान भटकाने की कोशिश की थी.

डोकलाम विवाद


2017 के डोकलाम सीमा विवाद के दौरान, चीन ने घरेलू एवं अंतर्राष्ट्रीय प्रतिक्रियाओं को प्रभावित करने के लिए सोशल मीडिया का इस्तेमाल किया. राज्य के स्वामित्व वाली मीडिया और चीन के विदेश एवं रक्षा मंत्रालयों ने भारत को किसी भी कार्रवाई से पीछे हटने के लिए सार्वजनिक बयान जारी किए. बीजिंग ने मनोवैज्ञानिक युद्ध रणनीति अपनाते हुए भारत की तत्कालीन विदेश मंत्री स्वर्गीय सुषमा स्वराज को झूठा कहते हुए भारत की युद्ध संचालन क्षमता को नीचा दिखाते हुए "उलटी गिनती शुरू हो गई है" और "सिक्किम को आज़ाद करो" जैसे निराधार बयान दिए थे.



सोशल मीडिया आधारित दुष्प्रचार अभियान


जबकि राज्य के स्वामित्व वाली मीडिया प्रमुख रूप से ज़िम्मेदार रही हैं, लेकिन चीन ने अपने दुष्प्रचार को फैलाने के लिए सोशल मीडिया प्लेटफॉर्मों का भी इस्तेमाल किया है. उदाहरण के लिए, जून 2020 में, ट्विटर ने 150,000 खातों के एक संगठित नेटवर्क से जुड़े 23,750 खातों को डिलीट कर दिया क्योंकि वे झूठी ख़बरें फैला रहे थे. वे चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के पक्ष में भू-राजनीतिक धारणाओं का प्रचार कर रहे थे. इसी तरह, फेसबुक, इंस्टाग्राम और यूट्यूब जैसे प्लेटफार्मों ने व्यापक पैमाने पर किए जा रहे समन्वित प्रयासों का खुलासा किया है जो दुष्प्रचार अभियानों को प्रभावित कर रहे थे. ट्विटर पर ज्यादातर झूठे अकाउंट भारत के विरुद्ध सोशल मीडिया युद्ध छेड़ने के लिए पाकिस्तान और अन्य पड़ोसी देशों के साथ चीन के क़रीबी संबंधों को बढ़ा-चढ़ाकर दिखाने की कोशिश करते हैं.


चीन के नक़्श-ए-क़दम पर चलता हुआ पाकिस्तान


भारत विरोधी भावनाओं को भड़काते हुए पाकिस्तान भी भारत के सूचना तंत्र को अस्थिर करने के लिए कई झूठे साधनों का सहारा लेते हुए दुष्प्रचार अभियान चलाता है, जहां आधिकारिक पाकिस्तानी सोशल मीडिया हैंडल, आईटी सेल, बोट, ट्रोल अकाउंट के ज़रिए सोशल मीडिया प्लेटफॉर्मों पर भ्रामक सूचनाएं फैलाई जाती हैं. पाकिस्तान द्वारा चलाए जा रहे दुष्प्रचार अभियानों में भारत और पाकिस्तान के बीच सैन्य संघर्ष, भारत में मुस्लिम समुदाय के साथ कथित दुर्व्यवहार और कश्मीर मुद्दे पर ध्यान केंद्रित किया है.


बालाकोट हवाई हमले को लेकर दुष्प्रचार फैलाना


2019 के बालाकोट हवाई हमले के दौरान, भारतीय वायु सेना के विंग कमांडर अभिनंदन वर्धमान ने पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में अपने मिग -21 बाइसन के दुर्घटनाग्रस्त होने से पहले पाकिस्तान वायु सेना के F-16 फाइटर जेट को मार गिराया था. पाकिस्तानी सेना की मीडिया विंग, इंटर-स्टेट पब्लिक रिलेशंस (ISPR) के महानिदेशक ने एक प्रेस कांफ्रेंस बुलाकर इस घटना का जोरदार खंडन किया था. उनके खंडन को एक अमेरिकी प्रकाशन, फॉरेन पॉलिसी, का समर्थन मिला, जिसके द्वारा प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तानी हथियार बेड़े में F-16 विमानों की संख्या से पता चलता है कि उनमें से कोई विमान लापता नहीं है. अमेरिकी रक्षा विभाग ने तत्काल खुद को इस रिपोर्ट से दूर करते हुए कहा कि वह ऐसी किसी "गणना" से अनजान है.

27 फरवरी 2023 को बालाकोट हवाई हमले की चौथी वर्षगांठ पर पाकिस्तान ने सूचना युद्ध के उन्हीं पुराने हथकंडों को हुए अपने ट्विटर हैंडलों के ज़रिए कई ट्वीट किए. उदाहरण के लिए, #PakistanZindabad, #SurpriseDay, and #TeaIsFantastic. उन्होंने पाकिस्तानी सैनिकों द्वारा पकड़े जाने के बाद विंग कमांडर (अब ग्रुप कैप्टन) वर्धमान का मज़ाक उड़ाते हुए इमेज, मीम्स, और वीडियो पोस्ट किए. इस अभियान का लक्ष्य भारतीय हवाई हमले की विफलता के झूठे दावों को दोहराना और भारतीय सेना को बदनाम करना था.

भारतीय मुस्लिम समुदाय के साथ कथित दुर्व्यवहार


एक और मुद्दा जिसे पाकिस्तान द्वारा किये गए दुष्प्रचार अभियानों में बार-बार जगह दी गई है वह भारत में मुसलमानों के साथ कथित दुर्व्यवहार का मुद्दा है. पाकिस्तान ने भारतीय मुसलमानों के साथ हो रहे अत्याचारों को लेकर लगातार आरोप लगाया है. उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार पर फासीवाद, हिंदू वर्चस्व को बढ़ावा देने और मुस्लिम विरोधी होने का आरोप लगाया है. ISPR ने अपने इस एजेंडे को विभिन्न सोशल मीडिया हैंडलों और थिंक टैंक रिपोर्टों के माध्यम से आगे बढ़ाया है. पाकिस्तानी मीडिया ने भी प्रधानमंत्री मोदी की तुलना नाज़ी नेता एडोल्फ हिटलर से की है और यह दावा किया है कि भारत में मुस्लिमों की हालत ठीक वैसी ही है जैसा जर्मनी में 1940 के दशक में होलोकॉस्ट के दौरान यहूदियों के साथ बर्ताव किया जा रहा था.

इस धारणा को हवा देने के लिए, पाकिस्तान ने भारत में हुई कई घटनाओं का सहारा लिया है. उदाहरण के लिए, 2020 में फ़रवरी के आखिर में हुए दिल्ली दंगों में पाकिस्तान की ओर से कई ट्वीट किए गए, जहां #Hinduterrorism और #RSSKillingMuslims जैसे हैशटैग इस्तेमाल किए गए थे. इसके अतिरिक्त, विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफॉर्मों पर कई ऐसी मनगढ़ंत और छेड़छाड़ की हुई मीडिया सामग्री साझा की गई थी, जो असल में दूसरे देशों से ताल्लुक रखती हुई पुरानी ख़बरें और सूचनाएं थीं जिनके बारे में दावा किया जा रहा था कि यह भारत से जुड़ी हैं.

कश्मीर मुद्दा


कश्मीर को लेकर, पाकिस्तान ने आधिकारिक ट्विटर हैंडलों, जिनमें ISPR, प्रधानमंत्री कार्यालय, विदेश मंत्रालय (MOFA) की वेबसाइट, विदेशी मीडिया और सोशल मीडिया ट्रोल शामिल हैं, के माध्यम से लगातार यह दुष्प्रचार किया है कि भारतीय सेना ने कश्मीर में युद्ध अपराध किए हैं.

पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय की वेबसाइट पर "गैर कानूनी रूप से भारत के अधीन जम्मू और कश्मीर" के नाम से एक अलग सेक्शन है, जहां भारतीय सेना को कश्मीरी जनता के लिए ख़तरा बताते हुए कई भ्रामक और झूठी सामग्री पोस्ट की गई है. विदेशी मीडिया ने भी भारत के खिलाफ़ पाकिस्तान के सूचना युद्ध में योगदान दिया है? उदाहरण के लिए, यूके स्थित एक स्वतंत्र संस्था स्टोक व्हाइट ने एक पाकिस्तानी लॉ फर्म, लीगल फोरम कश्मीर के साथ मिलकर एक रिपोर्ट का प्रकाशन किया है, जिसमें कहा गया है कि भारतीय सेना ने कश्मीर में कथित रूप से युद्ध अपराध किए हैं और मानवाधिकारों का उल्लंघन किया है.

पाकिस्तान ने भारतीय मुसलमानों के साथ हो रहे अत्याचारों को लेकर लगातार आरोप लगाया है. उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार पर फासीवाद, हिंदू वर्चस्व को बढ़ावा देने और मुस्लिम विरोधी होने का आरोप लगाया है.


अगस्त 2019 में भारत के अनुच्छेद 370 को निरस्त किए जाने के फैसले के बाद पाकिस्तान द्वारा और ज्यादा सक्रिय रूप से भारत विरोधी दुष्प्रचार अभियान चलाया गया. ISPR ने यहां तक दावा किया कश्मीर के विलय का 1947 का दस्तावेज "गैरकानूनी" था. इसके अलावा, पाकिस्तानी प्रधानमंत्री ने बार बार कश्मीरी मुसलमानों के उत्पीड़न और घाटी के सैन्यीकरण का आरोप लगाया.

भारत सरकार द्वारा उठाए गए कदम


चीन और पाकिस्तान द्वारा छेड़े गए सूचना युद्धों के कारण भारत को राष्ट्रीय सुरक्षा चिंताओं के साथ तथ्यात्मक सूचना प्रसार के संतुलन संबंधी कड़ी चुनौती का सामना करना पड़ रहा है. अभी तक, भारत ने आक्रामकता और सक्रियता की बजाय प्रतिरोध और बचाव की रणनीति अपनाई है.

भारत ने दुष्प्रचार का मुकाबला करने और डिजिटल साक्षरता बढ़ाने के लिए 'सत्यमेव जयते', प्रधानमंत्री ग्रामीण डिजिटल साक्षरता अभियान और राष्ट्रीय डिजिटल साक्षरता मिशन जैसे कार्यक्रमों के माध्यम से बचाव संबंधी उपाय किए हैं. कोरोना महामारी के दौरान, सरकार ने एक व्हाट्सएप चैटबॉट और प्रेस इनफार्मेशन ब्यूरो के अधीन एक फैक्ट-चेकिंग यूनिट की स्थापना की. सूचना युद्ध के मोर्चे पर, भारतीय सेना ने दो साल पहले एक डायरेक्टर जनरल इनफार्मेशन वारफेयर के पद की स्थापना की थी ताकि चीन और पाकिस्तान की ओर से किए जा रहे दुष्प्रचार अभियानों पर नज़र रखी जा सके. हालांकि, इन पहलों का उद्देश्य  "धारणाओं के युद्ध" में बढ़त बनाने जैसे व्यापक लक्ष्यों की बजाय तथ्यों की जांच करना है.


दुष्प्रचार अभियानों और सूचना युद्ध को जीतने के लिए निरंतर प्रयासों की आवश्यकता है. भारत विरोधी धारणाओं के खंडन की रणनीति केवल थोड़े समय तक ही प्रभावी रहेगी. भारत सरकार को सभी मंत्रालयों के साथ मिलकर एक समन्वित और व्यापक दृष्टिकोण को अपनाते हुए एक "विस्तृत योजना" तैयार करनी होगी ताकि वह सूचना युद्ध का डटकर सामना कर सके जो भारतीय जनता, ख़ासकर को निशाना बनाती है ताकि उनमें सरकार के प्रति असंतोष और सांप्रदायिक विद्वेष की भावनाएं पैदा की जा सकें. भारतीय सेना सूचना युद्ध में निवेश कर रही है लेकिन मनोवैज्ञानिक कार्रवाई, इलेक्ट्रॉनिक और साइबर युद्ध के लिए धन का आवंटन किया जाना चाहिए, और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस जैसी नई तकनीकों के इस्तेमाल से भारत के पक्ष में धारणाओं का प्रसार करना चाहिए. सोशल मीडिया प्लेटफॉर्मों के साथ साझेदारी से फैक्ट चेकिंग को और अधिक प्रभावी बनाया जा सकता है. भारत को सूचना युद्ध का मुकाबला करने के लिए एक समग्र दृष्टिकोण को अपनाना चाहिए और अपने राष्ट्रीय सुरक्षा हितों की सुरक्षा के लिए संसाधनों को आवंटित करना चाहिए.

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