Author : Ravi Mittal

Published on Apr 17, 2023 Updated 0 Hours ago

भारत की G20 अध्यक्षता वैश्विक स्वास्थ्य चुनौतियों का समाधान कर सकती है और भविष्य में आने वाली महामारियों की रोकथाम में वैश्विक शासन व्यवस्था की मज़बूती में मदद कर सकती है.

भारत की G20 अध्यक्षता में न्यायसंगत बहाली और एक वैश्विक स्वास्थ्य एजेंडे को तरजीह!

कोविड-19 महामारी वैश्विक स्वास्थ्य प्राथमिकताओं में अभूतपूर्व बदलाव लेकर आई है जो स्वास्थ्य से जुड़े मुद्दों का समाधान करने में एक अधिक समन्वित दृष्टिकोण की आवश्यकता की तरफ़ ले जाती है. चूंकि भारत ने G20 की अध्यक्षता ग्रहण की है, ऐसे में ध्यान महामारी से न्यायसंगत ढंग से बहाली और एक वैश्विक स्वास्थ्य एजेंडे को विकसित करने पर है. 

अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक एवं वित्तीय सहयोग के प्राथमिक केंद्र के रूप में G20 ने हाल के दिनों में स्वास्थ्य देखभाल से जुड़े मुद्दों को उठाया है. वैश्विक स्वास्थ्य संरचना की मज़बूती और भविष्य में किसी स्वास्थ्य आपातकाल के प्रबंधन के लिए G20 की भागीदारी और नेतृत्व महत्वपूर्ण होगा. G20 के सदस्य देशों का दुनिया की GDP में 80 प्रतिशत और अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में 75 प्रतिशत का योगदान है. साथ ही G20 देशों में दुनिया की कुल आबादी का दो-तिहाई हिस्सा रहता है. ऐसे में G20 का नेतृत्व और भी महत्वपूर्ण बन जाता है. 

अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक एवं वित्तीय सहयोग के प्राथमिक केंद्र के रूप में G20 ने हाल के दिनों में स्वास्थ्य देखभाल से जुड़े मुद्दों को उठाया है. वैश्विक स्वास्थ्य संरचना की मज़बूती और भविष्य में किसी स्वास्थ्य आपातकाल के प्रबंधन के लिए G20 की भागीदारी और नेतृत्व महत्वपूर्ण होगा.

महामारी के सबक़ से सीख कर G20 भविष्य के स्वास्थ्य संकट को लेकर तैयारी और जवाब को सुधारने की दिशा में काम कर सकता है. महामारी के दौरान जो सबक़ सीखे गए उनमें सार्वजनिक स्वास्थ्य के बुनियादी ढांचे में निवेश की आवश्यकता, विज्ञान एवं प्रमाण आधारित निर्णय लेने को बढ़ावा, ग़लत जानकारी का मुक़ाबला एवं पारदर्शिता की कमी से निपटना और अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को प्राथमिकता देना शामिल हैं. G20 के स्वास्थ्य एजेंडे में इन सबक़ को प्राथमिकता मिलनी चाहिए, ज़्यादा-से-ज़्यादा लोगों के स्वास्थ्य से जुड़े विशेष मुद्दों की तरफ़ ध्यान निर्देशित करना चाहिए और एक सामान्य एजेंडे से परहेज करना चाहिए. स्वास्थ्य से जुड़े विशेष मुद्दों पर चर्चा करने के अलावा एक मूलभूत दृष्टिकोण से मुद्दों का समाधान करना आवश्यक है. 

G20 के मौजूदा अध्यक्ष के तौर पर भारत ने तीन प्राथमिकताओं की पहचान की है: स्वास्थ्य आपातकाल, रोकथाम एवं तैयारी और प्रतिक्रिया; फार्मास्युटिकल सेक्टर में सहयोग को मज़बूत करना और यूनिवर्सल हेल्थ कवरेज में सहायता के लिए डिजिटल हेल्थ इनोवेशन और सॉल्यूशन. इन प्राथमिकताओं पर हेल्थ वर्किंग ग्रुप (HWG) की बैठकों और स्वास्थ्य मंत्री स्तर की बैठकों (HMM) में चर्चा की जाएगी. 

G20 का नेतृत्व महत्वपूर्ण  

भारत की G20 की अध्यक्षता देश को स्वास्थ्य देखभाल से जुड़ी महत्वपूर्ण प्राथमिकताओं का नेतृत्व करने और वैश्विक स्तर पर स्वास्थ्य असमानताओं के मूल कारणों का समाधान करने में बड़ी भूमिका निभाने का एक अनूठा अवसर मुहैया कराती है. भारत अपनी डिजिटल स्वास्थ्य संरचना, जिसमें कोविन जैसी तकनीकी सफलताएं और राष्ट्रीय डिजिटल स्वास्थ्य मिशन (NDHM) शामिल हैं, को दूसरे देशों के साथ साझा कर सकता है और उन्हें अपनी क्षमता का निर्माण करने में मदद कर सकता है. 

इंडोनेशिया में G20 की बैठक के दौरान वैश्विक स्वास्थ्य मानक प्रोटोकॉल की तर्कसंगत व्याख्या पर चर्चा की गई थी. एक मानकीकृत प्रोटोकॉल होना महत्वपूर्ण है जो केवल बिलिंग सिस्टम से आगे बढ़कर हो. हेल्थ इंश्योरेंस पोर्टेबिलिटी एंड अकाउंटेबिलिटी एक्ट (HIPAA) को मूल रूप से एक बिलिंग सिस्टम के तौर पर विकसित किया गया था लेकिन अब ये एक स्वास्थ्य मानक प्रोटोकॉल बन गया है. स्वास्थ्य ख़तरों का प्रभावी ढंग से सामना करने के लिए एक समन्वित दृष्टिकोण आवश्यक है. भारत का डिजिटल फाइनेंस, जो कि सरल रूप से लोगों, सरकारों और व्यवसायों को जोड़ता है, पहुंच बढ़ाने और उपलब्धता के मामले में मददगार हो सकता है. 

एक व्यक्ति ही दूसरे व्यक्ति की मदद कर सकता है और स्थानीय लोग अपने समुदाय के सबसे बड़े पर्यवेक्षक हैं. इसलिए स्वास्थ्य देखभाल से जुड़ी योजना बनाने में ये आवश्यक है कि भागीदार के रूप में स्थानीय समुदायों को शामिल किया जाए. वो संदर्भ विशेष और आवश्यकता के अनुसार देखभाल प्रदान कर सकते हैं और अपने साथी लोगों के लिए सबसे बड़े समर्थक बन सकते हैं. संपूर्ण समाज वाला दृष्टिकोण स्वास्थ्य देखभाल तक न्यायसंगत पहुंच, विशेष रूप से कमज़ोर समुदायों के लिए जो अक्सर पंक्ति में सबसे पीछे होते हैं, को बढ़ावा देने के लिए ज़रूरी है. ऐसी प्रणाली विकसित करना आवश्यक है जो स्वास्थ्य देखभाल से जुड़ी योजनाओं में स्थानीय समुदायों को केंद्र में रखती है. 

डिजिटल विभाजन और डिजिटल समाधानों की ग़लतियां ऐसे कारक हैं जिन पर विचार किया जाना चाहिए, विशेष रूप से ज़मीनी स्तर पर. इसके विपरीत ग्लोबल पेशेंट सेफ्टी लीडर्स ग्रुप सिस्टम स्तर के समाधानों और स्थानीय स्तर पर उचित इनोवेटिव समाधानों के माध्यम से लागू करने में कमियों को दूर कर सकते हैं.

ज़मीनी स्तर पर समस्याओं को हल करने के लिए अलग-अलग हिस्सेदारों के बीच विचारों का आदान-प्रदान महत्वपूर्ण है. इस तरह सिर्फ़ विभागीय भागीदारी पर निर्भर रहने के बदले सामुदायिक तत्वों को शामिल करना अहम है. एक गांव या वॉर्ड से मिला सबक़ दूसरे जूझ रहे समुदायों को फ़ायदा पहुंचा सकता है.  

बीमारियों और पीड़ाओं की दीर्घकालीन सामाजिक एवं आर्थिक लागत को कम करने के लिए ध्यान सिर्फ़ स्वास्थ्य देखभाल पर नहीं बल्कि स्वास्थ्य पर होना चाहिए. इस तरह स्वास्थ्य देखभाल के नियोजन में स्वास्थ्य से जुड़े सभी पहलुओं- शारीरिक, मानसिक, सामाजिक एवं भावनात्मक सुख- पर प्राथमिकता देना महत्वपूर्ण है. रोकथाम और तैयारी वाले स्वास्थ्य देखभाल के उपायों को हर हाल में हेल्थकेयर इकोसिस्टम में एकीकृत कर देना चाहिए. सर्वश्रेष्ठ कार्यप्रणालियों और स्वास्थ्य की परंपरागत पद्धतियों, जैसे कि आयुर्वेद एवं योग, से सीखना इस मामले में मदद कर सकता है. 

असरदार ढंग से डिजिटल हेल्थ टास्क फोर्स एवं ग्लोबल पेशेंट सेफ्टी लीडर्स ग्रुप का इस्तेमाल करना डिजिटल हेल्थ के विशेष क्षेत्र में जानकारी को बढ़ाने के लिए, डिजिटल विभाजन को पाटने के लिए और सिस्टम स्तर के समाधानों एवं स्थानीय स्तर पर उचित इनोवेटिव समाधानों के माध्यम से लागू करने में कमियों को दूर करने के लिए महत्वपूर्ण है. वैसे तो आज के डिजिटल युग में तकनीक स्वास्थ्य देखभाल की योजना बनाने में सबसे आगे है लेकिन तकनीकों की हदों को स्वीकार करना और वैकल्पिक योजनाएं तैयार करना महत्वपूर्ण है. डिजिटल विभाजन और डिजिटल समाधानों की ग़लतियां ऐसे कारक हैं जिन पर विचार किया जाना चाहिए, विशेष रूप से ज़मीनी स्तर पर. इसकेSURBHI JAI विपरीत ग्लोबल पेशेंट सेफ्टी लीडर्स ग्रुप सिस्टम स्तर के समाधानों और स्थानीय स्तर पर उचित इनोवेटिव समाधानों के माध्यम से लागू करने में कमियों को दूर कर सकते हैं. 

आपातकालीन स्थिती में समन्वय

कोविड-19 महामारी ने आपातकालीन परिस्थितियों में बौद्धिक संपदा को साझा करने की आवश्यकता को उजागर किया है ताकि सभी लोगों तक, इस बात से अलग कि वो कहां रहते हैं, वैक्सीन, इलाज और डायग्नोस्टिक की सुविधाएं सुनिश्चित की जा सकें. G20 प्रक्रिया की निगरानी कर सकता है और ये सुनिश्चित कर सकता है कि स्तरीय मूल्य निर्धारण व्यवस्था को निष्पक्ष और पारदर्शी ढंग से लागू किया जा रहा है. इसके अलावा, G20 अलग-अलग देशों को वैक्सीन की ख़रीद, इलाज और डायग्नोस्टिक सुविधाओं के समर्थन के लिए अनुदान और सहायता प्रदान कर सकता है और इसके साथ-साथ ये सुनिश्चित करने के लिए स्वास्थ्य देखभाल की प्रणालियों में व्यवस्थात्मक बदलाव कर सकता है कि बौद्धिक संपदा को साझा करना एवं स्तरीय मूल्य निर्धारण व्यवस्था लोगों की आवश्यकताओं को प्राथमिकता देने के हिसाब से लागू की जाए. 

भारत की अध्यक्षता से महामारी की रोकथाम, तैयारी और प्रतिक्रिया के लिए वित्तीय व्यवस्था और मज़बूत होनी चाहिए. साथ ही वैश्विक शासन व्यवस्था वाले संस्थानों जैसे कि विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) को भी शक्तिशाली बनाना चाहिए ताकि वैश्विक स्वास्थ्य व्यवस्था से जुड़ी समकालीन चुनौतियों का समाधान किया जा सके. 

भविष्य की महामारियों की रोकथाम और व्यवस्था की कमज़ोरियों को दूर करने के लिए ये महत्वपूर्ण है कि स्वास्थ्य से जुड़े ख़तरों को लेकर एक समन्वित आपातकालीन प्रतिक्रिया स्थापित की जाए. इसके लिए एक पर्याप्त वित्तीयन प्रणाली होनी चाहिए. भारत की अध्यक्षता से महामारी की रोकथाम, तैयारी और प्रतिक्रिया के लिए वित्तीय व्यवस्था और मज़बूत होनी चाहिए. साथ ही वैश्विक शासन व्यवस्था वाले संस्थानों जैसे कि विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) को भी शक्तिशाली बनाना चाहिए ताकि वैश्विक स्वास्थ्य व्यवस्था से जुड़ी समकालीन चुनौतियों का समाधान किया जा सके. भारत को ये समझने की भी ज़रूरत है कि वैश्विक स्वास्थ्य व्यवस्था से जुड़ी समकालीन चुनौतियों का हल करने के लिए क्या G20 वैश्विक शासन व्यवस्था, विशेष रूप से WHO जैसे संस्थानों, को और मज़बूत कर सकता है. 

इन उपायों को अपनाकर G20 स्वास्थ्य देखभाल के नियोजन और हर किसी के लिए उचित स्वास्थ्य देखभाल को सुनिश्चित करने की तरफ़ एक अधिक समन्वित एवं प्रभावी दृष्टिकोण की ओर काम कर सकता है. कुल मिलाकर भारत की G20 अध्यक्षता कुछ ज़रूरी वैश्विक स्वास्थ्य चुनौतियों का समाधान कर सकती है और वैश्विक स्वास्थ्य की चुनौतियों एवं आपातकाल का मुक़ाबला करने में वैश्विक शासन व्यवस्था, संस्थानों और तौर-तरीक़ों को मज़बूत करने में मदद कर सकती है. G20 की भागीदारी और नेतृत्व भविष्य में किसी स्वास्थ्य आपातकाल की स्थिति में वैश्विक स्वास्थ्य संरचना और प्रबंधन को मज़बूत करने के लिए महत्वपूर्ण होगा. 

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