Author : Harsh V. Pant

Published on Sep 26, 2022 Updated 24 Days ago

संयुक्‍त राष्‍ट्र महासभा में भारतीय विदेश मंत्री ने अपने भाषण में दुनिया के समक्ष भारत का समग्रता का दृष्टिकोण रखा. उन्‍होंने भारतीय विदेश नीति की बुनियादी सिंद्धांतों को जोरदार ढंग से पेश किया जिसकी पूरी दुनिया कायल हो गई.

UNGA में शांति के पक्ष में भारत: कूटनीति और वार्ता ही रूस-यूक्रेन विवाद का हल

संयुक्‍त राष्‍ट्र महासभा में भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने अपने भाषण में दुनिया के समक्ष भारत का समग्रता का दृष्टिकोण रखा. उन्‍होंने भारतीय विदेश नीति की बुनियादी सिद्धांतों को जोरदार ढंग से पेश किया, जिसकी पूरी दुनिया कायल हो गई. भारत की शांति प्र‍ियता, तटस्‍थता की नीति के साथ देश के विकास माडल की चमक पूरी दुनिया के समक्ष पेश की. उन्‍होंने वैश्विक मंच पर लोकतांत्रिक मूल्‍यों को जोरदार ढंग से रखा. उधर, एक बार फ‍िर पाकिस्‍तान ने अपनी घटिया सोच का प्रदर्शन किया. उसने वैश्विक मंच पर अनुच्‍छेद 370 का जिक्र करके भारत के आंतरिक मामले को उठाया है. आइए जानते हैं कि विदेश मंत्री एस जयशंकर ने यूएनजीए (UNGA) में भारत के पक्ष को कितने जोरदार ढंग से उठाया है. इस पर क्‍या है विशेषज्ञ की राय

आइए जानते हैं कि विदेश मंत्री एस जयशंकर ने यूएनजीए (UNGA) में भारत के पक्ष को कितने जोरदार ढंग से उठाया है. इस पर क्‍या है विशेषज्ञ की राय.

1- भारत की तटस्‍थता नीति के साथ यूक्रेन युद्ध का पक्ष रखा

विदेश मामलों के जानकार प्रो हर्ष वी पंत का कहना है कि संयुक्‍त राष्‍ट्र महासभा में भारत ने अपनी आंतरिक और वाह्य चुनौतियों को जिस तरह पेश किया उसकी पूरी दुनिया कायल हो गई है. उन्‍होंने कहा कि यूक्रेन युद्ध में भारत ने खुलकर अपना पक्ष रखा. विदेश मंत्री ने भारतीय विदेश नीति की तटस्‍थता की जो वकालत की उसका लोहा दुनिया ने माना. भारत ने वैश्विक मंच से यूक्रेन जंग में शांति का पाठ पढ़ाया. यह भारतीय विदेश नीति की ताकत है. उन्‍होंने कहा कि रूस-यूक्रेन विवाद का हल जंग नहीं हो सकता. इसे कूटनीति और वार्ता के जरिए ही सुलझाया जाना चाहिए. उन्‍होंने कहा कि भारत हमेशा से युद्ध का विरोधी रहा है. यह रूस और अमरिका के लिए स्‍पष्‍ट संदेश था. भारत ने रूस को दिखा दिया कि हम मित्र हैं, लेकिन अपने सिद्धांतों के साथ. अमेरिका के लिए यह सबक था कि हम किसी के दबाव में अपनी विदेश नीति का निर्धारण नहीं करते हैं. हमारी कथनी और करनी में फर्क नहीं है.

2- भारत के वसुधैव कुटुम्बकम् के विचार को जोरदार और तार्किक ढंग से रखा

प्रो पंत ने का कि विदेश मंत्री एस जयशंकर ने वैश्विक मंच से भारत के सनातन वसुधैव कुटुम्बकम् के विचार और दर्शन को जोरदार और तार्किक ढंग से पेश किया. विदेश मंत्री ने कहा कि भारत धरती के उज्जवल भविष्य को सुनिश्चित करने के लिए संयुक्त राष्ट्र के साथ अपनी साझेदारी को मजबूत करने के लिए प्रतिबद्ध है. उन्‍होंने कहा कि हमें संयुक्त राष्ट्र के सिद्धांतों और उसके चार्टर पर पूरा भरोसा है. हमारे विचार में दुनिया एक परिवार है. यह भारतीय वसुधैव कुटुम्बकम् के विचार को मजबूत करता है. विदेश मंत्री ने कहा कि हम सभी इस समय इकट्ठा क्यों हुए हैं. इसकी वजह यह है कि हम सभी संयुक्त राष्ट्र के जरिए एकजुट होकर रास्ता निकालने में भरोसा करते हैं.

भारत ने वैश्विक मंच से यूक्रेन जंग में शांति का पाठ पढ़ाया. यह भारतीय विदेश नीति की ताकत है. उन्‍होंने कहा कि रूस-यूक्रेन विवाद का हल जंग नहीं हो सकता. इसे कूटनीति और वार्ता के जरिए ही सुलझाया जाना चाहिए.

3- आतंकवाद की चुनौती का वैश्विक पक्ष रखा

प्रो पंत ने कहा कि विदेश मंत्री ने सुरक्षा परिषद में आतंकवाद पर जोरदार तरीके से भारत का पक्ष रखा. उन्‍होंने यह स्‍थापति किया कि आतंकवाद भारत की ही नहीं एक वैश्विक समस्‍या है. आतंकवादियों को बचाने के मुद्दे पर चीन और पाकिस्‍तान को कटघरे में खड़ा किया. उन्‍होंने चीन जैश-ए-मोहम्मद के आतंकी साजिद मीर को काली सूची में डाले जाने की राह में रोड़ा अटकाने को लेकर चीन का नाम लिए बगैर उसकी खिचाई की. विदेश मंत्री ने कहा कि यह बहुत ही खेदजनक है कि जब कभी दुनिया के सबसे खतरनाक आतंकवादियों पर प्रतिबंध लगाने की बात आती है तो कुछ देश उन्हें बचाने का काम करते हैं. उन्‍होंने कहा कि यह घटना हाल के दिनों में हमने इसे इसी कक्ष में होते देखी है. बता दें कि लश्कर-ए-तैयबा के आतंकी साजिद मीर को वैश्विक आतंकी घोषित करने के लिए अमेरिका और भारत की तरफ से इसी महीने सुरक्षा परिषद में लाए गए प्रस्ताव को चीन ने रोक दिया था. आतंकी मीर मुंबई हमले का मुख्य साजिशकर्ता है. चीन ने पिछले महीने मसूद अजहर के भाई अब्दुल रउफ अजहर को ब्लैक लिस्ट करने की राह में बाधा डाली थी.

4- गुलामी से लेकर 5वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था तक का भारत का सफर

विदेश मंत्री ने भारत की बढ़ती अर्थव्यवस्था पर भी फोकस किया. उन्‍होंने कहा कि 18वीं सदी में भारत की अर्थव्यवस्था विश्व की कुल अर्थव्यवस्था का लगभग एक चौथाई हिस्सा थी. इसके बाद 20वीं सदी के मध्य तक गुलामी के कारण भारत दुनिया के गरीब देशों में से एक बन गया, लेकिन आजादी के 75वें वर्ष में भारत दुनिया की 5वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के रूप में आपके सामने गर्व से खड़ा है. इतना ही नहीं हम तेजी से आगे भी बढ़ रहे हैं. वर्ष 2047 तक विकसित देश बनने का लक्ष्य रखा है. उन्‍होंने कहा कि हमारा लक्ष्य अपने दूर-दराज के गांवों को भी डिजिटाइज करने का है. हम तेजी से इस पर काम भी कर रहे हैं. 300 बिलियन से अधिक के लाभ डिजिटल रूप से बांटे जा रहे हैं. उन्होंने कहा कि हमने दो बिलियन से अधिक टीके लगाए हैं.

18वीं सदी में भारत की अर्थव्यवस्था विश्व की कुल अर्थव्यवस्था का लगभग एक चौथाई हिस्सा थी. इसके बाद 20वीं सदी के मध्य तक गुलामी के कारण भारत दुनिया के गरीब देशों में से एक बन गया, लेकिन आजादी के 75वें वर्ष में भारत दुनिया की 5वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के रूप में आपके सामने गर्व से खड़ा है.

5- शहबाज ने उठाया अनुच्‍छेद 370 का मामला

संयुक्त राष्ट्र महासभा की 77वीं बैठक को संबोधित करते हुए पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने एक बार फ‍िर अनुच्‍छेद 370 का मामला उठाया. शहबाज ने कहा भारत द्वारा पांच अगस्त, 2019 को जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद-370 हटाने की गैरकानूनी और एकपक्षीय कार्रवाई से शांति की संभावना कम हुई है और क्षेत्रीय तनाव बढ़ा है. उन्होंने कहा कि, मुझे लगता है कि अब समय आ गया है कि भारत इस संदेश को स्पष्ट रूप से समझे कि दोनों देश मारक हथियारों से लैस हैं. प्रो पंत ने कहा कि भारतीय विदेश मंत्री ने अपने भाषण में शहबाज के इस भाषण का कोई जिक्र नहीं करके एक बड़ा संदेश दिया है. पाकिस्‍तान इस मामले में पूरी तरह से अलग-थलग पड़ गया है. उन्‍होंने का कि भारत बार-बार पाकिस्तान से कहता रहा है कि जम्मू-कश्मीर देश का अभिन्न हिस्सा था, है और हमेशा रहेगा. भारत ने कहा है कि वह पाकिस्तान के साथ सामान्य पड़ोसी जैसे संबंधों का इच्छुक है जो आतंक, शत्रुता और हिंसा से मुक्त हों.

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