Author : Kabir Taneja

Published on Jul 26, 2023 Updated 0 Hours ago

भारतीय विदेश मंत्री के हालिए मिस्र (Egypt visit) दौरे के उपरांत सालों “ठंडे बस्ते” में बंद भारत मिस्र संबंधों में गर्मी आई है.

India-Egypt relations: भारत और मिस्र के बीच के ऐतिहासिक संबंधों का ‘नवीनीकरण’
India-Egypt relations: भारत और मिस्र के बीच के ऐतिहासिक संबंधों का ‘नवीनीकरण’

काफी लंबे अरसे तक अधर में लटके होने के बाद, भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर (S Jaishankar’s) की मिस्र यात्रा, के उपरांत, नई दिल्ली और काहिरा के बीच के द्विपक्षीय संबंधों में क्रमोत्तर तेज़ी आयी है. पिछले 7 सालों में, किसी भारतीय विदेश मंत्री की ये पहली मिस्र यात्रा थी, हालांकि, इस बार यह संयुक्त सैन्य अभ्यास (joint-military exercise), के बाद के उच्च लेवल के राजनीतिक जुड़ाव की वजह से भी रेखांकित हुई है.

जुलाई और अगस्त के महीनों में भारतीय एयर फोर्स (IAF) और मिस्र एयरफोर्स (EAF) ने, राजधानी के समीप बसे, मिस्र लड़ाकू शस्त्र स्कूल में विभिन्न रूप से संयुक्त अभ्यास किये. दोनों वायुसेना की संरचना अपने इतिहास के चंद पन्नों में उल्लेखनीय वजहों से, विडंबनापूर्ण तरीके से एक जैसी है, जहां दोनों देश, भारत के प्रथम प्रधानमंत्री, जवाहरलाल नेहरू और मिस्र के दूसरे राष्ट्रपति, गमाल अब्देल नासिर, के नेतृत्व में गैर संयुक्त आंदोलन (NAM) के संस्थापक सदस्य रहे थे.

आईएफ और ईएएफ दोनों के बाड़े में तैनात लड़ाकू विमानों का जख़ीरा एक तरह से आयातित खिचड़ी है, क्योंकि इनमें रूस, फ़्रांस, अमेरिका, ब्रिटेन समेत कई अन्य आपूर्तिकर्ताओं देशों से लाये गये विमान मौजूद हैं. जो इसे महज़ आयात का एक ठिकाना बना देता है.

आईएफ और ईएएफ दोनों के बाड़े में तैनात लड़ाकू विमानों का जख़ीरा एक तरह से आयातित खिचड़ी है, क्योंकि इनमें रूस, फ़्रांस, अमेरिका, ब्रिटेन समेत कई अन्य आपूर्तिकर्ताओं देशों से लाये गये विमान मौजूद हैं. जो इसे महज़ आयात का एक ठिकाना बना देता है. हुबहू दिल्ली की तरह, पश्चिमी देशों के साथ के अपने विवादास्पद परंतु नज़दीकी रिश्तों के बावजूद काहिरा ने 2015 में मॉस्को से 46 एमआईजी-29 (MiG-29) फाइटर जेट विमान की खरीद की थी. ये उन्होंने अपने रक्षा पोर्टफोलियो में विविधता लाने के मक़सद से की थी, एवं वाशिंगटन को ये संदेश देने के लिए भी था, जो पिछले कई वर्षों से, अपने पूर्व के सत्यापित मानवाधिकार के रिकॉर्ड के आधार पर, अपने खास देशों को ही F-15 विमान बेचने के लिए प्रयासरत था. मिस्र ने रूस के पास भी उनके प्रीमियर सुखोई 35 जेट के ऑर्डर दे रखे थे, हालांकि, हालिया के यूक्रेन
युद्ध और उसके काफी पहले से मॉस्को की पश्चिमी देश के साथ उभरे जुदा भूराजनीतिक विचारों की वजह से, यह डील खत्म हो गई थी. ( बदले में सुखोई 35 की डील अब संभवतः ईरान के साथ भी खत्म होगी. ) पहले कभी भी इस हद तक आयात पर निर्भरता नहीं थी, खासकर 1960 के दशक में; काहिरा एवं नई दिल्ली दोनों ने ही देश में ही एयरक्राफ्ट के निर्माण के स्थानीय प्रोग्राम पर कार्य शुरू किया था. भारत के पास HAL Marut, और मिस्र के पास Helwan HA- 300 है. भारत HA-300 के विकास कार्य की फंडिंग का इच्छुक था; हालांकि, ये प्रोग्राम खुद काफी अन्य चीजों की वजह, जिनमें उसके जर्मन डिज़ाइनर के यूरोपियन विरासत एवं ब्रिटेन उत्पादित ब्रिस्टल सिडले इंजन, जो कि Marut और HA-300 दोनों ही में इस्तेमाल की जाती है, उसकी वजह से परेशानियों में घिर गया है.

भारत-मिस्र संबंधों के अच्छे दिन

सन् 1980 तक का वक्त भारत-मिस्र संबंधों के अच्छे दिनों के तौर पर देखे जा सकते हैं. उसके बाद, दोनों देशों के बीच के प्रांतीय और घरेलू मुद्दे और प्राथमिकता बदल गई. फिर भी, इस बात पर बहस की जा सकती है कि कोविड-19 और उसके बाद सम्पूर्ण विश्व में फैली महामारी ने, कई द्विपक्षीय संबंधों को ठंडे बस्ते से बाहर निकाल पाने में एक उत्प्रेरक के तौर पर काम किया. क्योंकि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ‘वैक्सीन कूटनीति’ ने आदिवासिता या tribalism को अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था में पांव जमाते हुए देखा. जहां पश्चिम देश अक्सर ही दवाओं की जमाखोरी कर रहे होते
हैं और दुनिया के दक्षिणी पटल पर बसने वाले देश, वैश्विक वैक्सीन समानता में काफी पीछे छूटते जा रहे हैं. सन् 2021 में भारत में आए भयानक डेल्टा लहर के बदतरीन वक्त् में, मिस्र उन चंद देशों में से एक था जिसने भारत को मेडिकल ऑक्सीजन की सप्लाई मुहैया करायी थी.

मिस्र आर्थिक कठिनाई के दौर में हैं और किसी भी प्रकार के दीर्घकालिक आर्थिक संकट से बचने के लिए उसे तत्काल ही आर्थिक राहत की ज़रूरत है.

संबंधों का पुनर्जन्म

दोनों देशों के बीच संबंधों के पुनर्जन्म, विभिन्न भू-राजनीतिक घटनाओं पर आधारित है. पहला ये कि, मिस्र आर्थिक कठिनाई के दौर में हैं और किसी भी प्रकार के दीर्घकालिक आर्थिक संकट से बचने के लिए उसे तत्काल ही आर्थिक राहत की ज़रूरत है. पहले ही लोगों के गुस्से की वजह से आर्थिक विपन्नता, सांप्रदायिकता और भ्रष्टाचार की वजह से उपजे अरब विद्रोह का नज़ीर देखा जा चुका है, और राष्ट्रपति अबदेल फ़तह अल सीसी, देश के भीतर कोई दूसरा तहरीर स्क्वैर (अधिक से अधिक जिसने किसी प्रो-मुस्लिम ब्रदरहुड सरकार को सत्ता पर अधिकार दिलाने का काम किया) नहीं चाहते हैं. विदेशमंत्री एस. जयशंकर को दिए एक टिप्पणी में, उन्होंने कहा की दोनों देशों के बीच हुए 7 बिलियन अमेरिकी डॉलर टर्नओवर का व्यापार पर्याप्त नहीं था, ये दिखलाता हैं कि क़ाहिरा में उसकी वर्तमान आर्थिक दिशा को दुरुस्त करने की किस कदर जल्दबाज़ी है. यूक्रेन पर हुए रूसी आक्रमण और उस वजह से उत्पन्न हुई ज़रूरी सामानों की कमी ने, विशेष रूप से कृषिक्षेत्र में, गेहूं के आयात की त्वरित वैकल्पिक व्यवस्था पर ध्यान देने पर विशेष बल दिया है. जैसा कि नई दिल्ली ने अनावश्यक रूप से आत्म-उग्र स्वर में व्यवहार्य विकल्प के रूप में अपने यहां उत्पादित उपज की पेशकश कर दी, शीघ्र ही नई दिल्ली ने अपने घरेलू बाज़ार में सशक्त सप्लाई की कमी को रोकने और महंगाई से बचाव के उद्देश्य से गेहूं और चावल के निर्यात पर रोक लगा दिया.

ऑपरेशन संकल्प, जिसके तहत, भारतीय नौसेना ने सऊदी अरब और ईरान के बीच व्याप्त तनाव के माहौल में तेल टैंकरों को सुरक्षित तरीके से स्ट्रेट ऑफ़ होर्मुज से गुज़रने में मदद करना, इस प्रांत में, भारत को मिले जनादेश का एक उत्कृष्ट उदाहरण है जो राष्ट्रीय संपत्ति और हितों की सुरक्षा के लिए, एंटी-पाइरेसी ऑपरेशन से भी ऊपर जा रहा है.

भारत के नज़रिये से

भारत के नज़रिए से, मिस्र तक पहुँच बनाना, पश्चिम एशिया, ख़ासकर के खाड़ी को देशों, जहां विशेष रूप से संयुक्त अरब अमीरात जो निस्संदेह रूप से इस प्रांत के सबसे शक्तिशाली नेता है, और जिसके साथ नई दिल्ली के पहले से ही प्रगाढ़ रिश्ते हैं, उसकी सुरक्षा व्यवस्था को समुचित रखने की दिशा में एक कदम है. प्रवासी भारतीयों के मद्देनज़र, व्यापार और ऊर्जा की सुरक्षा हेतु अमेरिकी हितों में कमी की संभावना के साथ, बढ़ती चीनी दिलचस्पी, और अंतर-प्रांतीय भू राजनीतिक मतभेद ने, भारत को इस भूगोल में, जहां राजनीतिक व्यवस्थायें सेना को लचीला बनाने और उसकी उपयोगिता का प्रदर्शन करने में गौरवान्वित महसूस करती है, अपने आपको भी उसके अनुसार तैयार कर लिया है और अपनी सैन्य उपस्थिति में क्रमोत्तर बढ़त बना ली है. ऑपरेशन संकल्प, जिसके तहत, भारतीय नौसेना ने सऊदी अरब और ईरान के बीच व्याप्त तनाव के माहौल में तेल टैंकरों को सुरक्षित तरीके से स्ट्रेट ऑफ़ होर्मुज से गुज़रने में मदद करना, इस प्रांत में, भारत को मिले जनादेश का एक उत्कृष्ट उदाहरण है जो राष्ट्रीय संपत्ति और हितों की सुरक्षा के लिए, एंटी-पाइरेसी ऑपरेशन से भी ऊपर जा रहा है. अगले कुछ वर्षों तक, ऊर्जा सुरक्षा और भी अनिश्चित होने की स्थिति में, संयुक्त अभ्यास तंत्र के ज़रिये भारतीय नौसेना और हवाई मिलिट्री उपस्थिति को काफी बढ़ावा मिलेगा. अंतरराष्ट्रीय व्यापार सिस्टम के अंग के तौर पर जहां भारत के लिए स्वेज़ नहर जैसे मुद्दे काफी अहम हैं, वहीं ऊर्जा सुरक्षा, नई दिल्ली की सीमित रक्षा उपकरणों और सीमा पर इसके तत्काल उपलब्धता की प्राथमिकता को तय करेगी.

अंत में, वर्तमान समय में, एक बेहतर, ठोस एवं रणनीतिक भारत-मिस्र संबंध को और समय देने और इसे तराशने की ज़रूरत पड़ेगी, सैन्य अभ्यास से हुई शुरुआत भी आगे मिस्र के सैन्य ज़रूरतों तक पहुँचने की दिशा में एक सार्थक कदम है. एक तरफ जहां HAL तेजस जेट विमान मिस्र कोबेचने की कोशिश की समूची गाथा, एक अति महत्वाकांक्षी और अवास्तविक प्रयास रहा है, वहीं बाकी अन्य क्षेत्रों के अलावा, कृषि, इनफार्मेशन टेक्नोलॉजी, के साथ-साथ सैन्य संबंधों को बढ़ावा देना, क़ाहिरा को फायदे दे सकता है क्योंकि ऐसा दिखता है कि इससे उनकी आर्थिक पदचिन्हों को और विस्तार मिलेगा.

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