पिछले दिनों संयुक्त अरब अमीरात (UAE) भारत में चौथे सबसे बड़े निवेशक के तौर पर उभरा. इसके साथ-साथ मई 2023 में भारत-UAE व्यापक आर्थिक साझेदारी समझौते (कंप्रीहेंसिव इकोनॉमिक पार्टनरशिप एग्रीमेंट यानी CEPA) का एक साल पूरा हो गया. इस तरह सभी संकेत दोनों देशों के बीच गहरे आर्थिक जुड़ाव की तरफ हैं. वैसे तो UAE के साथ आर्थिक सहयोग भारत सरकार के लिए 2014 से ही विदेश नीति से जुड़ी प्राथमिकता रही है लेकिन ये द्विपक्षीय संबंधों में इकलौता आधार नहीं है क्योंकि लचीला होने की वजह से ये बहुआयामी है. इस लचीले साझेदारी की नींव ईसा पूर्व 3000 साल पुरानी है जब भारतीय मछुआरे और व्यापारी मौजूदा समय के UAE के तट पर व्यापार करते थे. दोनों देशों के बीच औपचारिक संबंधों की शुरुआत 1972 में भारत-UAE राजनयिक संबंधों की स्थापना के साथ हुई. ऐतिहासिक रिश्ते जहां द्विपक्षीय संबंधों को गहरा करते हैं वहीं समकालीन राष्ट्रीय लक्ष्यों और नीतिगत उद्देश्यों को लेकर बढ़ता मेल इस स्थायी संपर्क को बढ़ाने वाला प्रमुख कारण है.
UAE के वर्तमान राष्ट्रपति शेख मोहम्मद बिन जायद अल-नाहयान ने 2021 में शताब्दी योजना (सेंटेनियल प्लान) 2071 की शुरुआत की थी. छह बुनियादों पर आधारित पांच दशक का ये विजन भरोसेमंद सॉफ्ट पावर के रूप में UAE की ख्याति को बढ़ाने के लिए रोड मैप पेश करता है.
मौजूदा राष्ट्रीय उद्देश्य और CEPA
UAE के वर्तमान राष्ट्रपति शेख मोहम्मद बिन जायद अल-नाहयान ने 2021 में शताब्दी योजना (सेंटेनियल प्लान) 2071 की शुरुआत की थी. छह बुनियादों पर आधारित पांच दशक का ये विजन भरोसेमंद सॉफ्ट पावर के रूप में UAE की ख्याति को बढ़ाने के लिए रोड मैप पेश करता है. इसमें 2071 तक वैश्विक रूप से सॉफ्ट पावर बनने की UAE की महत्वाकांक्षा को पूरा करने के लिए जरूरी जानकारी और हुनर से UAE को सुसज्जित करने के बारे में कल्पना की गई है.
UAE की शताब्दी योजना भारत के विजन 2047, जिसमें भारत के सभी लोगों की खुशहाली और विकास को सुनिश्चित करने के लिए महत्वाकांक्षी राष्ट्रीय लक्ष्य तय किए गए हैं, के साथ-साथ चल रही है.
दोनों देशों के दीर्घकालीन घरेलू और वैश्विक विजन में समानताओं ने भारत-UAE द्विपक्षीय व्यापार, वाणिज्य और आर्थिक संबंधों को तेज़ रफ्त़ार से आगे बढ़ाया है. CEPA पर हस्ताक्षर के साथ पिछले एक साल के दौरान दोनों देशों के आर्थिक संबंधों में और मजबूती आई है. CEPA संयुक्त अरब अमीरात की इस तरह की पहली साझेदारी है और खाड़ी सहयोग परिषद (GCC) के क्षेत्र में भारत का इस तरह का पहला समझौता है. CEPA के शुरू होने के बाद से भारत और UAE के बीच द्विपक्षीय व्यापार में पिछले साल की तुलना में 20 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की गई है. UAE को भारत के द्वारा निर्यात में भी 12 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है और 2022-23 में ये 31.3 अरब अमेरिकी डॉलर तक पहुंच गया है.
CEPA के तहत दोनों देशों का लक्ष्य अगले पांच वर्षों के दौरान द्विपक्षीय व्यापार को बढ़ाकर 100 अरब अमेरिकी डॉलर तक पहुंचाना और सप्लाई चेन को सहारा देना है. ये लक्ष्य पटरी पर है और 2023 में UAE रिकॉर्ड 88 अरब अमेरिकी डॉलर के द्विपक्षीय व्यापार के साथ भारत के तीसरे सबसे बड़े व्यापारिक साझेदार के तौर पर उभरने जा रहा है जो कि सिर्फ़ चीन और अमेरिका से पीछे होगा. आगे आने वाले समय में CEPA का लक्ष्य दोनों अर्थव्यवस्थाओं के बीच 10,000 तक टैरिफ (व्यापार शुल्क) को कम करना और आखिर में उन्हें खत्म करना है. इस तरह द्विपक्षीय व्यापार नई ऊंचाइयों को छुएगा. भारत-UAE साझेदारी शिखर सम्मेलन 2023 के दौरान भाषण देते हुए भारत के वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि CEPA एंटरप्रेन्योरशिप को बढ़ाएगा और द्विपक्षीय साझेदारी के आर्थिक लक्ष्यों के लिए मददगार बनेगा. उन्होंने ये भी कहा कि समझौते पर हस्ताक्षर करने वाले दोनों देश रुपये-दिरहम व्यापार, डिजिटल व्यापार एवं खाद्य कॉरिडोर, हरित ऊर्जा (ग्रीन एनर्जी) और कनेक्टिविटी इंफ्रास्ट्रक्चर में सहयोग को मजबूत करेंगे.
अर्थव्यवस्था और ऊर्जा सुरक्षा में एक-दूसरे की मदद
द्विपक्षीय आर्थिक जुड़ाव के अलावा दोनों साझेदारों ने अपनी अर्थव्यवस्थाओं के एक-दूसरे के लिए मददगार होने का भी काम किया है. चूंकि भारत में औद्योगिक और उत्पादन क्षमता में अचानक तेज़ी आई है, ऐसे में UAE एक विश्वसनीय और लचीला ऊर्जा निर्यातक साबित हुआ है. सऊदी अरब और इराक के बाद UAE भारत के लिए तेल के तीसरे सबसे बड़े स्रोत के रूप में उभरा है. फरवरी 2018 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तीसरी UAE यात्रा के दौरान इंडियन स्ट्रैटजिक पेट्रोलियम रिज़र्व्स लिमिटेड (ISPRL) और UAE की अबूधाबी नेशनल ऑयल कंपनी (ADNOC) ने एक समझौते पर हस्ताक्षर किए जिसमें कॉन्सटेंट प्राइसिंग और तेल की सप्लाई के बारे में विस्तार से बताया गया था. इस समझौते के तहत ISPRL के अंडरग्राउंड भंडार में कच्चा तेल जमा करने के लिए ADNOC 400 मिलियन अमेरिकी डॉलर का निवेश करेगी. इस तरह के समझौते न सिर्फ़ एक-दूसरे के लिए आर्थिक मदद पर ज़ोर देते हैं बल्कि ऊर्जा सुरक्षा को द्विपक्षीय संबंध के जरूरी आधार के तौर पर भी देखते हैं.
चूंकि भारत में औद्योगिक और उत्पादन क्षमता में अचानक तेज़ी आई है, ऐसे में UAE एक विश्वसनीय और लचीला ऊर्जा निर्यातक साबित हुआ है. सऊदी अरब और इराक के बाद UAE भारत के लिए तेल के तीसरे सबसे बड़े स्रोत के रूप में उभरा है.
सामरिक कन्वर्जेंस और मिनिलेटरल
भारत और UAE उभरती अंतर्राष्ट्रीय सामरिक संस्कृति और बहुपक्षीय सुधारों को लेकर भी एक समान आधार पाते हैं. अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में अमेरिकी डॉलर के दबदबे, आतंकवाद और यूक्रेन में संघर्ष को खत्म करने जैसे सामरिक मुद्दों पर दोनों देशों ने एक जैसी राय रखी है. दोनों साझेदार नियम आधारित अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था, जो वैश्विक अर्थव्यवस्था में उभरती अर्थव्यवस्थाओं की अधिक महत्वपूर्ण भूमिका का निर्धारण करती है और इसे स्वीकार करती है, भी चाहते हैं. सामरिक मुद्दों पर दोनों देशों की एक समान राय का नतीजा छोटे-छोटे संगठनों (मिनिलेटरल) के रूप में निकला जैसे कि भारत-इजरायल-अमेरिका-UAE (I2U2) और भारत-UAE-फ्रांस मेरिटाइम ट्राइलेटरल (समुद्री त्रिपक्षीय) फ्रेमवर्क.
I2U2 आर्थिक सहयोग एवं विकास के लिए एक भरोसेमंद पहल है जो खाद्य सुरक्षा, ऊर्जा सुरक्षा, पानी की सुरक्षा और जलवायु परिवर्तन पर ध्यान देती है. इस संगठन ने तेज़ी से काम किया है और 6 अरब अमेरिकी डॉलर के निवेश के साथ इसने UAE एवं भारत में अपनी पहली तीन परियोजनाओं– डिसैलिनेशन प्लांट, क्लीन एनर्जी प्लांट और फूड पार्क- का ऐलान किया है. भारत, UAE और फ्रांस ने पिछले दिनों ओमान की खाड़ी में पहला त्रिपक्षीय समुद्री अभ्यास किया है. इसके ज़रिए उन्होंने संकेत दिया है कि वो समुद्री क्षेत्र में परंपरागत और गैर-परंपरागत सामरिक चुनौतियों से सामूहिक तौर पर निपटने के लिए तैयार हैं.
एक राजनीतिक दोस्ती
हाई लेवल की सरकारी बातचीत में बढ़ोतरी की वजह से दोनों साझेदारों के बीच सामरिक जुड़ाव और पारस्परिक फायदे के समझौते हुए हैं. 2014 से 2022 के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चार बार UAE का दौरा किया और UAE के शासकों ने भी इस दौरान चार बार उच्च-स्तरीय यात्रा के साथ इसका जवाब दिया. प्रधानमंत्री मोदी 2022 में UAE के पूर्व राष्ट्रपति और अबूधाबी के शासक शेख खलीफ़ा बिन जायद अल नाहयान के निधन पर उन्हें श्रद्धांजलि देने के लिए वहां गए थे. इस तरह की भावना राजनीतिक दोस्ती और वैचारिक सहमति का संकेत देती है.
आर्थिक साझेदारी, प्रवासियों के स्तर पर संबंध और सामरिक समानता की बुनियाद ने पिछले 10 वर्षों में भारत-UAE के संबंधों को ग़हरा कर दिया है.
राष्ट्रीय स्तर पर एक जैसी राय के अलावा कुछ और स्तरों पर UAE के साथ भारत की भागीदारी भी भारत-UAE द्विपक्षीय संबंध के लिए निर्णायक रही है. UAE में रहने वाले भारतीय समुदाय के लोगों और उनके द्वारा भारत भेजी जाने वाली रकम ने दोनों देशों के बीच एक पुल का काम किया है. केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने केरल के साथ UAE के संबंधों को “दिल से दिल का रिश्ता” बताया है. UAE में बड़ी संख्या में केरल के लोग रहते हैं. UAE की अर्थव्यवस्था में उनके योगदान को वहां की सरकार ने भी स्वीकार किया है. पिछले कुछ वर्षों में केरल के अलावा उत्तर प्रदेश और तेलंगाना के लोगों ने भी बड़ी संख्या में अमीरात को अपनी जिंदगी और रोजगार का हिस्सा बनाया है. गोल्ड और ग्रीन वीजा की शुरुआत ज्यादा संख्या में भारतीय टैलेंट को UAE की ओर ले जाएगी, खास तौर पर भारतीय एंटरप्रेन्योर, जो अमीरात के फिनटेक (फाइनेंशियल टेक्नोलॉजी) और स्टार्टअप सेक्टर में अपना विस्तार करेंगे. 2024 में अबूधाबी में इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (IIT) के पहले विदेशी कैंपस की शुरुआत लोगों के स्तर पर संबंधों को मज़बूत करेगी और युवाओं की भागीदारी को बढ़ावा देगी.
ग्लोबल साउथ के लिए द्विपक्षीय फायदे
सभ्यतागत (सिविलाइजेशनल) संबंधों और एक जैसे हितों पर आधारित साझेदारी के रूप में भारत-UAE द्विपक्षीय रिश्ते का सकारात्मक वैश्विक असर भी हो सकता है- उदाहरण के रूप में, अफ्रीका में विकास से जुड़ी भारत-UAE की साझा परियोजनाएं. सितंबर 2022 में भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर और UAE के विदेश मंत्री शेख अब्दुल्ला बिन जायद अल नाहयान ने केन्या और तंजानिया में विकास से जुड़े सेक्टर में साझा पहल के जरिए द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने पर चर्चा की. साथ ही उन्होंने I2U2 फ्रेमवर्क के तहत अफ्रीका में खाद्य सुरक्षा के लिए मिल-जुलकर परियोजना चलाने की संभावनाओं को भी तलाशा. ये भरोसा तंजानिया की स्वास्थ्य मंत्री उम्मी वालिमू के साथ एक साझा उच्च-स्तरीय प्रतिनिधिमंडल की बैठक के बाद आया. तंजानिया की स्वास्थ्य मंत्री के साथ ये बैठक सरकार और इस पूर्वी अफ्रीकी देश में स्वास्थ्य सेवा मुहैया कराने वाले प्राइवेट सेक्टर के साथ सहयोग की खास परियोजनाओं पर चर्चा के लिए हुई थी.
कारोबार से जुड़े जानकार भी CEPA को लेकर उम्मीद से भरे हुए हैं. उन्हें लगता है कि ये समझौता न सिर्फ UAE के बाजारों तक भारत की पहुंच को खोलेगा बल्कि पश्चिम एशिया और उत्तर अफ्रीका जैसे भौगोलिक इलाकों में भारतीय स्टार्टअप की पहुंच का विस्तार करने में भी मदद करेगा.
जैसे-जैसे भारत अपना आगे का रास्ता बनाता जा रहा है, इस उथल-पुथल भरे समय में G20 का नेतृत्व कर रहा है, UAE उसका एक पक्का राजनीतिक, सांस्कृतिक और आर्थिक साझेदार बना हुआ है. आर्थिक साझेदारी, प्रवासियों के स्तर पर संबंध और सामरिक समानता की बुनियाद ने पिछले 10 वर्षों में भारत-UAE के संबंधों को ग़हरा कर दिया है. CEPA की वजह से द्विपक्षीय संबंध और मजबूत होने वाले हैं क्योंकि ये रिश्तों की गहरी जड़ों की तलाश करता है और दोनों देशों की नीतिगत प्रणालियों और कारोबार को ज्यादा समृद्ध, दोनों के लिए फायदेमंद और सार्थक जुड़ाव की ओर ले जाता है.
दिनेश एन. जोशी सत्यागिरी ग्रुप के चेयरमैन और इंटरनेशनल बिजनेस लिंकेज फोरम (भारत-UAE पार्टनरशिप समिट) के प्रेसिडेंट हैं. साथ ही वो IMC चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री की इंटरनेशनल बिजनेस कमेटी के चेयरमैन और फिक्की की नेशनल एग्जीक्यूटिव कमेटी के सदस्य हैं.
पृथ्वी गुप्ता ऑब्ज़र्वर रिसर्च फाउंडेशन के स्ट्रैटजिक स्टडीज प्रोग्राम में रिसर्च असिस्टेंट हैं.
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