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Published on May 21, 2025 Updated 0 Hours ago

भारत और क़तर पिछले 50 वर्षों से भरोसे के आधार पर आपसी संबंध बनाए हुए हैं. इस दौरान ऊर्जा सुरक्षा, आर्थिक सहयोग और दोनों देशों के नागरिकों के बीच आपसी संबंध गहरे हुए हैं जो भविष्य में और मज़बूती की ओर अग्रसर हैं.

भारत – क़तर की साझेदारी के 50 साल: सामरिक संबंधों का नया युग

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भारत और क़तर ने 70 के दशक की शुरुआत में राजनयिक संबंध स्थापित किए थे. इस तरह साल 2023 में दोनों देशों ने अपने संबंधों की 50वीं सालगिरह मनाई, जिसे पिछले पांच दशक में उभरती हुई एक बहुआयामी साझेदारी के लिए महत्वपूर्ण उपलब्धि कह सकते हैं

मार्च 2015 में क़तर के अमीर के भारतीय दौरे ने द्विपक्षीय रिश्तों को नई मज़बूती दी और आपसी सहयोग के एक नए चरण की नींव रखी. उनकी इस हालिया यात्रा के दौरान दोनों देशों के बीचरणनीतिक साझेदारी स्थापित करने का समझौतासंपन्न हुआ, जिसमें क़तर द्वारा भारत में 10 अरब अमेरिकी डॉलर के निवेश की प्रतिबद्धता भी शामिल थी.

आपसी राजनयिक संबंधों के अलावा भारत और क़तर के बीच आर्थिक तथा नागरिकों के स्तर पर भी मज़बूत संबंध कायम हैं. दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार हर वर्ष लगभग 14 से 15 अरब अमेरिकी डॉलर का है जो भारत को क़तर का दूसरा सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार बनाता है.

आपसी राजनयिक संबंधों के अलावा भारत और क़तर के बीच आर्थिक तथा नागरिकों के स्तर पर भी मज़बूत संबंध कायम हैं. दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार हर वर्ष लगभग 14 से 15 अरब अमेरिकी डॉलर का है जो भारत को क़तर का दूसरा सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार बनाता है. भारत की ऊर्जा की स्थिर आपूर्ति में क़तर की एक महत्वपूर्ण भूमिका है और वो भारत के संपूर्ण एलएनजी आयात के लगभग 40% की आपूर्ति करता है. इस तरह भारत की ऊर्जा सुरक्षा के लिए क़तर एक भरोसेमंद साझेदार साबित हुआ है. वहीं भारत ने क़तर को खाद्य सामग्री से लेकर निर्माण में ज़रूरी उत्पादों तक - विभिन्न क्षेत्रों में अपने निर्यात को पिछले 10 सालों में लगभग दोगुना कर लिया है. दोनों ही देशों के नेताओं ने ये साफ़ किया है कि ऊर्जा, स्वास्थ्य सेवा, तकनीक, फ़ूड प्रोसेसिंग,फ़ार्मा और ग्रीन हाइड्रोजन जैसे क्षेत्रों में आपसी व्यापार और निवेश को बढ़ाने कीइच्छा और संभावनाएंदोनों मौजूद हैं

लोगों के बीच आपसी संबंध के स्तर पर भी देखा जाए तो इस वक्त  क़तर में लगभग बीस हज़ार भारतीय लघु मध्यम उद्यम (स्मॉल एंड मीडियम एंटरप्राइज़ेस)सेवा में है. वहीं लगभग 8 लाख भारतीय प्रवासी की आबादी वहां रहती है जो उन्हें क़तर की सबसे बड़ी विदेशी जनसंख्या बनाती है. हाल ही में दोनों देशों के संयुक्त व्यापार परिषद (जिसें ज्वाइंट बिज़नेस काउंसिल कहा गया) की पहली बैठक संपन्न हुई है. इस तरह के प्रयासों से दोनों देशों के व्यापारियों और उनके विचारों को एक प्लेटफ़ॉर्म पर लाया जा सकता है जिससे आपसी सहयोग को और मज़बूती मिल सकती है

क़तर की नज़रों में भारत

क़तर भारत को एक महत्वपूर्ण और रणनैतिक साझेदार मानता है. क़तर ने अपने देश की नीतियों का मार्गदर्शन करने के लिएक़तर राष्ट्रीय दृष्टि 2030 (Qatar National Vision 2030)” बनाई है. वैश्विक अस्थिरताओं और तेज़ी से बदलते हुए वैश्विक परिवेश के बीच प्रतिस्पर्धा में बने रहने के लिए ये राष्ट्रीय दृष्टि क़तर के मार्गदर्शक सिद्धांत हैं

आज का वैश्विक दौर एकध्रुवीय दुनिया से बदलकर बहुध्रुवीय दुनिया की ओर बढ़ रहा है जहां राजनीतिक और आर्थिक संबंधों का पुनर्गठन हो रहा है. जहां कुछ देश जनसंख्या की संकट और औद्योगिकीकरण में बढ़ती कमज़ोरी से जूझ रहे हैं, वहीं कुछ दूसरे देश दुनिया में अपना आर्थिक और राजनीतिक प्रभाव बढ़ा रहे हैं. क़तर, भारत की विकास क्षमता को समझता है और इसलिए वो भारत के साथ एकव्यापक आर्थिक साझेदारी समझौता(या Comprehensive Economic Partnership Agreement) की संभावना तलाश करना चाहता है जिसका लक्ष्य साल 2030  तक द्विपक्षीय व्यापार को दोगुना करना है.

व्यापार को दोगुना करने के लक्ष्य को हासिल करने के लिए क़तर निवेश प्राधिकरण ने भारत में अपना कार्यालय खोला है. साथ ही क़तर ने आधारभूत संरचना, प्रौद्योगिकी, निर्माण, खाद्य सुरक्षा, लॉजिस्टिक्स और आतिथ्य जैसे क्षेत्रों में 10 अरब डॉलर के निवेश की घोषणा भी की है

वहीं दूसरी ओर क़तर का आर्थिक विकास भारतीय निवेश, उद्यमिता और रोज़गार के मौक़े प्रदान करता रहेगा. इनमें पारंपरिक क्षेत्र जैसे उर्जा, श्रम और रेमिटेंस के अलावा पर्यटन, तकनीक और सतत विकास के लिए ज़रूरी बदलाव जैसे नए क्षेत्रों में परस्पर निवेश और साझेदारी शामिल है.

क़तर अपनी अर्थव्यवस्था का विस्तार कई रणनीतिक क्षेत्र जैसे आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस या कृत्रिम बुद्धिमत्ता में करने के लिए तत्पर है. इन क्षेत्रों में सहयोग और निवेश के लिए भारत क़तर को एक भरोसेमंद पार्टनर के रूप में देख सकता है.

क़तर अपनी अर्थव्यवस्था का विस्तार कई रणनीतिक क्षेत्र जैसे आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस या कृत्रिम बुद्धिमत्ता में करने के लिए तत्पर है. इन क्षेत्रों में सहयोग और निवेश के लिए भारत क़तर को एक भरोसेमंद पार्टनर के रूप में देख सकता है.

क़तर आज भारत का सबसे बड़ा एलएनजी (LNG) या तरलीकृत प्राकृतिक गैस का आपूर्तिकर्ता है जो भारत में एलएनजी की 40 प्रतिशत ज़रूरत को पूरा करता है.फरवरी 2024 में दोनों देशों ने एक दीर्घकालिक समझौते पर हस्ताक्षर किया जिसके तहत 7.5 मिलियन टन एलएनजी भारत को हर साल भेजा जाएगा. ये सौदा 78 अरब अमेरिकी डॉलर का होगा और साल 2028 से शुरू होकर अगले 20 वर्षों तक एलएनजी की आपूर्ति की जाएगी. भारत की ऊर्जा ज़रूरतों को स्वच्छ स्रोतों की तरफ़ बदलने के प्रयासों में ये समझौता अहम है क्योंकि इसके ज़रिए स्वच्छ उर्जा का टिकाऊ और भरोसेमंद आपूर्ति संभव हो पाएगा.

दोनों देशों के बीच उर्जा के क्षेत्र में मज़बूत समन्वय मौजूद है. जहां भारत ऊर्जा के क्षेत्र में गैस की हिस्सेदारी को बढ़ाकर 15 प्रतिशत तक ले जाना चाहता है, वहीं क़तर एलएनजी के उत्पादन को मौजूदा 77 मिलियन टन प्रतिवर्ष से बढ़ाकर 160 मिलियन करने के लिए बड़े प्रोजेक्ट्स शुरु करने जा रहा है. क़तर की ऊर्जा में विकास के पीछे उसकी सतत प्रतिस्पर्धा करने की काबिलियत है जो संभव बनाता है कि वह आर्थिक और औद्योगिक क्षेत्रों में आने वाले उतार-चढ़ाव का प्रभावी ढंग से सामना कर सके.

क़तर की स्थिर भू-राजनीतिक स्थिति, सिर्फ़ मध्य-पूर्व में बल्कि वैश्विक स्तर पर भी, उसकी बड़ी ताक़त है. दूसरा उसकी अनुकूल भौगोलिक स्थिति भी क़तर को उर्जा की प्रतिस्पर्धा में बढ़त दिलाती है. इनके अलावा क़तर एलएनजी के उत्पादन की लागत को बेहद कम रखता है जिसकी वजह से अगर गैस की कीमतों में बड़ी गिरावट भी आए तो वह लाभ में बना रह सकता है.

अगर वैश्विक गैस बाज़ार में उतार-चढ़ाव आए तो ऐसे हालात में क़तर की स्थिति दूसरे प्रमुख गैस आपूर्तिकर्ताओं की तुलना में अधिक मज़बूत है क्योंकि वो बाज़ार की मांग के मुताबिक निर्यात के प्रवाह को आसानी से बढ़ा-घटा सकता है. 

क़तर के पास एलएनजी वाहक जहाज़ों का बड़ा बेड़ा मौजूद है और उसकी एलएनजी उत्पादन की क्षमता दुनिया में यूएसए के बाद दूसरे नंबर पर है जो उसे इकॉनॉमी ऑफ़ सेल या आर्थिक आकार का लाभ दिलाता है.अगर वैश्विक गैस बाज़ार में उतार-चढ़ाव आए तो ऐसे हालात में क़तर की स्थिति दूसरे प्रमुख गैस आपूर्तिकर्ताओं की तुलना में अधिक मज़बूत है क्योंकि वो बाज़ार की मांग के मुताबिक निर्यात के प्रवाह को आसानी से बढ़ा-घटा सकता है. 

अगले 50 साल

पिछले पांच दशक में भारत और क़तर ने जो संबंध स्थापित किए हैं उस साझेदारी को अगले पचास वर्षों में आपसी हित और एकजुटता की बुनियाद पर और मज़बूत एवं गहरा किया जा सकता है. दोनो ही देश क्षेत्र में अमन और स्थिरता की ज़रूरत की गहरी समझ रखते है जो आर्थिक समृद्धि और मानव विकास को बढ़ावा देने का भरोसा दिलाता है. आज जिस तरह राजनयिक, आर्थिक और मानवीय स्तर पर दोनों देशों के बीच गहरे संबंध मौजूद है, उसे देखते हुए वर्ष 2025 भारत-क़तर के संबंधों को और मज़बूत करने की दिशा में एक अहम मील का पत्थर साबित हो सकता है


लोगन कोक्रेन हमद बिन खलीफा विश्वविद्यालय के कॉलेज ऑफ पब्लिक पॉलिसी में एसोसिएट प्रोफेसर हैं और ग्लोबल इंस्टीट्यूट फॉर स्ट्रैटेजिक रिसर्च में सीनियर रिसर्च एसोसिएट के रूप मे कार्यरत हैं.

(मुदस्सिर अली बेग ग्लोबल इंस्टीट्यूट फॉर स्ट्रैटेजिक रिसर्च में रिसर्च फ़ेलो है).

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