Author : Soumya Bhowmick

Published on Sep 10, 2022 Updated 24 Days ago

नीतियों का निर्माण इस तरह से होना चाहिए कि जो लोग सामाजिक-आर्थिक पायदान में सबसे नीचे हैं, उन्हें आगे बढ़ाया जाए क्योंकि इस बात के प्रमाण हैं कि सामाजिक गतिशीलता में बढ़ोतरी से ग़रीबी की व्यापकता को कम करने में मदद मिलती है.

सतत् विकास के लिए सामाजिक गतिशीलता का महत्व!

एजेंडा 2030 और एशिया-पैसिफिक 

सतत विकास के लक्ष्यों (एसडीजी) की तरफ़ यात्रा में वर्तमान “काम-काज के दशक” को बहुत ज़्यादा प्रासंगिकता हासिल हुई है. इसलिए 2030 की अंतिम समय सीमा को पूरा करने के लिए कोशिशों में तेज़ी लाने की ज़रूरत है. वैसे तो कोविड-19 महामारी ने दुनिया भर की अर्थव्यवस्थाओं को पंगु बना दिया है लेकिन इसकी वजह से प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से ग़रीबी और बेरोज़गारी से लेकर लैंगिक समानता एवं जलवायु परिवर्तन जैसे अलग-अलग तरह के विकासात्मक मानकों पर भी असर पड़ा है जिसके कारण विकसित और विकासशील समाजों के बीच घरेलू सामाजिक-आर्थिक असमानता में और ज़्यादा बढ़ोतरी हुई है. 

एडीबी की हाल ही में प्रकाशित 2022 की रिपोर्ट बताती है कि इस क्षेत्र के कुछ देश फिर से वापसी के लिए तैयार हैं लेकिन महंगाई की वजह से आने वाली संभावित मंदी, दो देशों के बीच संघर्ष और खाद्य सुरक्षा को ख़तरा जैसे मुद्दे निकट भविष्य में बड़े पैमाने पर आर्थिक विकास को रोक सकते हैं.

एशिया और पैसिफिक क्षेत्र में प्रमुख सूचकों को लेकर एशियाई विकास बैंक (एडीबी) की 2021 की रिपोर्ट कई तरह के सतत विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने की इस क्षेत्र की क्षमता में महामारी की वजह से आई रुकावट पर ज़ोर देती है. प्रमुख सूचकों को लेकर एडीबी की हाल ही में प्रकाशित 2022 की रिपोर्ट बताती है कि इस क्षेत्र के कुछ देश फिर से वापसी के लिए तैयार हैं लेकिन महंगाई की वजह से आने वाली संभावित मंदी, दो देशों के बीच संघर्ष और खाद्य सुरक्षा को ख़तरा जैसे मुद्दे निकट भविष्य में बड़े पैमाने पर आर्थिक विकास को रोक सकते हैं. एडीबी की सालाना कवायद के इस संस्करण में इस दशक के अंत तक सतत विकास लक्ष्यों को हासिल करने के लिए अलग-अलग देशों में सामाजिक गतिशीलता की भूमिका को महत्वपूर्ण मानते हुए प्रकाश डाला गया है. 

सामाजिक गतिशीलता का सूचकांक 

सामाजिक गतिशीलता का अर्थ है अपने जीवनकाल के भीतर सामाजिक-आर्थिक स्तर के बीच लोगों, जिनमें परिवार और दूसरी सामाजिक इकाइयां शामिल हैं, का परिवर्तन. एशिया के अलग-अलग विकासशील देशों में ग़रीबी के भीतर और बाहर कुछ लोगों के आने-जाने में अंतर है. असरदार परिवर्तन होने के लिए आगे बढ़ने के कई तौर-तरीक़ों को सुधारने की ज़रूरत है जो किसी व्यक्ति के स्वास्थ्य, शिक्षा, आमदनी, रोज़गार और जगह, ये सभी प्रमुख कारण हैं, पर सकारात्मक असर डाल सकते हैं. महामारी के दौरान इन तौर-तरीक़ों पर काफ़ी बुरा असर पड़ा और इस तरह लोगों के अपने जीवनकाल में सकारात्मक सामाजिक गतिशीलता का अनुभव करने की क्षमता कमज़ोर हुई. आगे बढ़ने की सामाजिक गतिशीलता सतत विकास के लिए मूलभूत चीज़ है क्योंकि ये एक देश के भीतर एवं अलग-अलग देशों में व्यापक विकास का समर्थन करती है और संसाधनों तक पहुंच के मामले में सामाजिक मेल-जोल को बढ़ावा देती है. अगर विकास के रास्ते संपूर्ण और समावेशी नहीं हैं तो वो सतत नहीं हो सकते हैं. 

विश्व आर्थिक मंच (डब्ल्यूईएफ) ने 2020 में एक सामाजिक गतिशीलता के सूचकांक का निर्माण किया जिसमें 82 देशों को रैंकिंग दी गई और अर्थव्यवस्था में साझा अवसरों को बढ़ावा देने वाले क्षेत्रों की पहचान की गई. ये सूचकांक किसी देश में सामाजिक गतिशीलता की 10 बुनियादों की समीक्षा उपयुक्त सूचकों के रूप में करता है जिनमें दूसरी चीज़ों के अलाना स्वास्थ्य, शिक्षा की सेवाओं तक पहुंच, सामाजिक संरक्षण, उचित मज़दूरी की दर और समावेशी पढ़ाई शामिल हैं. रिपोर्ट में आकलन किया गया है कि यूरोप और उत्तर अमेरिका के ज़्यादा आमदनी वाले देश सामाजिक गतिशीलता के मामले में काफ़ी अच्छा प्रदर्शन करते हैं और इसलिए लैटिन अमेरिका एवं कैरिबियन, दक्षिण एशिया और सहारा रेगिस्तान के दक्षिण में स्थित अफ्रीका के ग़रीब देशों, जो कि विश्व आर्थिक मंच के सूचकांक की रैंकिंग में काफ़ी नीचे हैं, के लिए चिंता उत्पन्न करते हैं. 

 

सारिणी 1: वैश्विक सामाजिक गतिशीलता सूचकांक 2020

Importance Of Social Mobility For Sustainable Development
Source: World Economic Forum

सतत विकास की तुलना में सामाजिक गतिशीलता

किसी भी देश के भीतर आमदनी की असमानता और उसकी सामाजिक गतिशीलता की रैंकिंग के बीच सीधा संबंध मौजूद है. एक तरफ़ ज़्यादा सामाजिक गतिशीलता वाले देश जहां समान रूप से साझा अवसरों तक पहुंच बढ़ाते हैं, वहीं दूसरी तरफ़ आमदनी में ज़्यादा असमानता सामाजिक गतिशीलता में रुकावट डालती है. नीचे के आंकड़े में जो रेखा गिरती हुई दिख रही है वो गिनी सूचकांक (किसी देश में आर्थिक असमानता का सांख्यिकीय सूचक) और उसकी मूलभूत सामाजिक गतिशीलता के बीच नकारात्मक संबंध का संकेत देती है. इसका मतलब ये हुआ कि आर्थिक रूप से असमान समाजों का 2015 से 2019 के बीच सामाजिक गतिशीलता के सूचकों में बेहद ख़राब प्रदर्शन रहा है. 

आंकड़ा 1: सामाजिक गतिशीलता सूचकांक और गिनी सूचकांक 

Importance Of Social Mobility For Sustainable Development
Source: Asian Development Bank Estimates

जिन देशों में सामाजिक गतिशीलता ज़्यादा है, वो घरेलू स्तर पर ग़रीबी की व्यापकता को कम करने में बेहतर सफलता हासिल कर सकते हैं. सबसे पहले, जिन क्षेत्रों में ग़रीबी ज़्यादा और सामाजिक गतिशीलता कम है, उनकी पहचान के लिए मज़बूत नीतिगत हस्तक्षेप की आवश्यकता होगी. इसकी वजह उन लोगों की अक्षमता है जो अपने पास उपलब्ध संसाधनों के साथ अपना सामाजिक-आर्थिक स्तर नहीं बढ़ा पाते हैं. ऐसी परिस्थितियों में नीतिगत हस्तक्षेप को समावेशी बनाना आवश्यक है. इस तरह से सतत विकास के बुनियादी सिद्धांतों को अपने भीतर आत्मसात करते हैं. दूसरी बात, नीचे के वर्ग की ऊपर की तरफ़ सामाजिक गतिशीलता महामारी जैसे बाहरी झटकों से पार पाने में सुधार के तौर पर संपूर्ण रूप से समाज के लिए चमत्कार का काम करती है. एडीबी के सदस्य देशों की आर्थिक संभावना का वितरण महामारी के बाद लगभग 69 प्रतिशत कम हो गया है. इसे देखते हुए अगर संसाधनों की समानता को अलग-अलग स्तर पर स्थापित किया जाता है तो ये लंबे समय में ज़्यादा सतत विकास के साथ आगे आने वाली पीढ़ियों को स्थिर रूप से लाभ पहुंचाएगी. 

सामाजिक गतिशीलता और महामारी

आंकड़ों की कमी को देखते हुए इस बात की संभावना सटीक ढंग से लगाना मुश्किल है कि अगर ज़्यादा सामाजिक गतिशीलता होती तो महामारी किस तरह समाज पर असर डालती. लेकिन अनुमान निश्चित रूप से संकेत देते हैं कि जिन देशों में महामारी से पहले सामाजिक गतिशीलता कम थी, वो लंबे समय तक सामाजिक-आर्थिक झटकों का अनुभव करते रहेंगे. इसके बावजूद एशिया के विकासशील देशों से उम्मीद लगाई जाती है कि वो 2030 तक व्यापक और सामान्य ग़रीबी में क्रमश: 1 और 7 प्रतिशत की कमी कर सकेंगे. लेकिन इस तरह के परिणाम तभी आ सकेंगे जब आर्थिक वृद्धि और सामाजिक गतिशीलता से जुड़े जोखिमों का समझदारी से समाधान किया जाएगा. महामारी से पहले एडीबी के 72 सदस्य देशों की आधी से कम जनसंख्या को सामाजिक सुरक्षा का लाभ मिला हुआ था. वैसे तो महामारी के जवाब के रूप में कई नई नकद और लाभकारी योजनाएं लाई गईं लेकिन इस तरह के उपायों का कुछ वर्षों के बाद भी विस्तार होना आवश्यक है. नीतिगत जवाब का लक्ष्य उन लोगों को आगे बढ़ाना होना चाहिए जो 2020 से पहले सबसे निचले सामाजिक-आर्थिक पायदान पर थे और उन्हें सामाजिक गतिशीलता के ज़्यादा स्तर को हासिल करने में मदद करनी चाहिए. 

वैसे तो महामारी के जवाब के रूप में कई नई नकद और लाभकारी योजनाएं लाई गईं लेकिन इस तरह के उपायों का कुछ वर्षों के बाद भी विस्तार होना आवश्यक है. नीतिगत जवाब का लक्ष्य उन लोगों को आगे बढ़ाना होना चाहिए जो 2020 से पहले सबसे निचले सामाजिक-आर्थिक पायदान पर थे और उन्हें सामाजिक गतिशीलता के ज़्यादा स्तर को हासिल करने में मदद करनी चाहिए. 

चूंकि 2022 का मध्य सतत विकास के एजेंडा 2030 की तरफ़ आधा रास्ता है, ऐसे में अब उन मानदंडों की पहचान करना भी महत्वपूर्ण है जिन पर उच्च गुणवत्ता के साथ सटीक और सही समय पर आंकड़े इकट्ठे होने चाहिए ताकि सामाजिक गतिशीलता और उसके अनुकूल नीतिगत क़दमों के लिए संसाधनों की आवश्यकता को स्पष्ट किया जा सके. ये एशिया-पैसिफिक के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण होगा. इसकी वजह ये है कि एशिया-पैसिफिक में दुनिया की सबसे ज़्यादा आबादी है और यहां बड़ी संख्या में उभरते हुए बाज़ार हैं जो आने वाले वर्षों में वैश्विक आर्थिक व्यवस्था की दिशा को ज़्यादा उल्लेखनीय ढंग से तय करेंगे. विकासात्मक मानदंडों पर उठाए जाने वाले क़दम का न केवल घरेलू अर्थव्यवस्था और समुदायों को ज़्यादा लचकदार बनाने में मज़बूत भूमिका होगी बल्कि वो इस क्षेत्र में विदेशी निवेशों की गति और सौहार्दपूर्ण व्यावसायिक माहौल का भी निर्णय करेंगे.


 

(इस लेख में रिसर्च सहायता के लिए लेखक एनएलएसआईयू, बेंगलुरु के रोहन रॉस के प्रति आभार जताते हैं.)

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