Author : Ankai Xu

Published on Feb 04, 2021 Updated 0 Hours ago

कोविड-19 से बचाव के टीके और दूसरे चिकित्सकीय उत्पादों के निर्माण और वितरण के लिए अंतरराष्ट्रीय व्यापार ज़रूरी है.  

अगर हमें महामारी से निपटना है तो उसके लिए अंतरराष्ट्रीय व्यापार को प्राथमिकता देनी होगी

कोविड-19 संक्रमण से बचाव के लिए अब दुनियाभर में कई टीके असरदार साबित हो रहे हैं. वैसे तो ये ख़ुशख़बरी एक लंबे इंतज़ार के बाद आई है लेकिन ये वक़्त आत्मसंतुष्ट होकर बैठ जाने का नहीं है. दुनिया की अधिकांश आबादी तक वैक्सीन पहुंचाने के लिए नीतिगत स्तर पर अभी कई इंतज़ाम करने होंगे.

अंतरराष्ट्रीय व्यापार इन प्रयासों का एक महत्वपूर्ण पक्ष है. कोविड-19 से बचाव के टीके और दूसरे चिकित्सकीय उत्पादों के निर्माण और वितरण के लिए व्यापार ज़रूरी है. महामारी के बाद दुनिया को फिर से पटरी पर लाने के प्रयास जारी हैं. इस प्रयास से जुड़े नए-नए प्रयोगों के लिए व्यापार एक अहम कड़ी है.

जीवन-रक्षक टीकों तक पहुंच के लिए आवश्यक है व्यापार

ज़रूरतमंदों तक कोविड वैक्सीन और बाकी जीवनरक्षक चिकित्सा उपकरणों को पहुंचाने में अंतरराष्ट्रीय व्यापार की अहम भूमिका है. हाल ही में विश्व व्यापार संगठन के एक अध्ययन में कोविड-19 टीके के वितरण और प्रसार के लिए अंतरराष्ट्रीय व्यापार से जुड़े मुद्दों की पड़ताल की गई.

पहला मुद्दा तो असरदार टीकों के विकास से ही जुड़ा है. ऐसे टीकों के विकास के लिए दुनिया के देशों के बीच वैज्ञानिक जानकारियों और आंकड़ों का आदान-प्रदान ज़रूरी है. एक कारगर टीके की खोज के लिए दुनियाभर का सहयोग आवश्यक है. कोविड-19 से बचाव के लिए ढूंढे जा रहे टीकों से जुड़े पहले सफल परीक्षण की घोषणा करने वाली कंपनी बायोएनटेक की स्थापना जर्मनी में तुर्की से आए पहली पीढ़ी के प्रवासी ने की थी. इसकी स्थापना में अमेरिकी बहुराष्ट्रीय कंपनी फाइज़र भी साझीदार थी, जिसके प्रमुख ग्रीक मूल के हैं. फाइज़र-बायोएनटेक और मॉडर्ना की वैक्सीन जिस mRNA तकनीक पर आधारित है वो हंगरी के बायोकेमिस्ट और एक अमेरिकी इम्युनोलॉजिस्ट द्वारा सालों तक की गई शोध का नतीजा है. चीनी शोधकर्ताओं द्वारा सार्स कोव-2 वायरस की जेनेटिक श्रृंखला के प्रकाशन के कुछ ही हफ़्तों बाद कोविड-19 के टीके पर काम शुरू हो गया था. वैश्वीकरण ने दुनिया की उत्कृष्ट प्रतिभाओं को इस महामारी का समधान ढूंढने के लिए मिलकर काम करने को प्रेरित किया है.

टीके पर पेटेंट रखने वाली कंपनियां चाहें तो स्थानीय कंपनियों को उसके उत्पादन का लाइसेंस दे सकती हैं या फिर वो खुद की उत्पादन सुविधा भी प्रारंभ कर सकती हैं. वैक्सीन का उत्पादन एक जटिल प्रक्रिया है जिसके लिए विभिन्न देशों के बीच सहयोग की ज़रूरत होती है.

टीके के विकास और उसके इस्तेमाल की मंज़ूरी के बाद बड़े पैमाने पर उसके उत्पादन की बात आती है. टीके पर पेटेंट रखने वाली कंपनियां चाहें तो स्थानीय कंपनियों को उसके उत्पादन का लाइसेंस दे सकती हैं या फिर वो खुद की उत्पादन सुविधा भी प्रारंभ कर सकती हैं. वैक्सीन का उत्पादन एक जटिल प्रक्रिया है जिसके लिए विभिन्न देशों के बीच सहयोग की ज़रूरत होती है. मिसाल के तौर पर लगभग सभी टीकों में रोग-प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए इस्तेमाल होने वाले तत्व “एडजुवांट” का उदाहरण ले सकते हैं. एडजुवांट के निर्माण में सोपबार्क के पेड़ से हासिल किए जाने वाले एक अहम कच्चे माल का इस्तेमाल होता है. ये पेड़ मध्य चिली के गर्म जलवायु वाले इलाक़े में उगता है. इस पेड़ से हासिल कच्चे माल का पहले स्वीडन में प्रसंस्करण होता है और उसके बाद इसे वैक्सीन के एंटीजेन में मिलाया जाता है. ऐसे में स्पष्ट है कि कच्चा माल और बाकी ज़रूरी पदार्थ बिना किसी बाधा के हासिल कर पाने की क्षमता वैक्सीन उत्पादन के काम को बड़े पैमाने पर तेज़ी से आगे बढ़ाने के लिए बेहद महत्वपूर्ण होंगे.

अंतरराष्ट्रीय व्यापार न सिर्फ़ वैक्सीन की तत्काल मंज़ूरी और वितरण के लिए अहम है बल्कि टीके की आपूर्ति श्रृंखला को सुचारु ढंग से चलाने के लिए भी ज़रूरी है. दुनिया का हर देश खुद से वैक्सीन का उत्पादन नहीं कर सकता लिहाजा वैकसीन का अंतरराष्ट्रीय स्तर पर वितरण बेहद महत्वपूर्ण है. यहां यह ध्यान देना ज़रूरी है कि अंतरराष्ट्रीय व्यापार में ज़्यादातर वस्तुएं अपनी मंज़िल तक पहुंचने से पहले कई देशों के बंदरगाहों, हवाई अड्डों और भौगोलिक सीमाओं से होकर गुज़रते हैं. लिहाजा सुरक्षित ढंग से वैक्सीन की सप्लाई के लिए कस्टम और सीमा-पार व्यापार से जुड़ी सुचारु प्रक्रियाएं सुनिश्चित करना बेहद ज़रूरी है. अब तक जितने भी टीके विकसित किए गए हैं उनके लिए बहुत निम्न तापमान की ज़रूरत होती है. ये टीके जल्द से जल्द अपने गंतव्य तक पहुंच सकें इसके लिए त्वरित गति से कस्टम की कार्रवाई सुनिश्चित करनी पड़ेगी. सौभाग्यवश दुनियाभर की सरकारें कोविड की रोकथाम से जुड़ी मेडिकल सप्लाई के व्यापार के मामले में ज़रूरी काग़ज़ी कार्यवाही को अपनी ज़मीन पर जल्द से जल्द पूरा करने के लिए एक नियमावली बनाने पर सहमत हो गए हैं.

ये फ़ैक्ट्रियों जिन इलाक़ों से कच्चा माल उठाती हैं वो इलाक़े कोरोना की चपेट में हों. आधी दुनिया को अपनी ज़द में ले लेने वाले संकट का प्रभाव दुनियाभर में मौजूद जटिल आपूर्ति श्रृंखला के चलते बाकी इलाक़ों पर भी पड़ना तय है. 

अंतरराष्ट्रीय व्यापार देशों को अपने संसाधनों के बेहतर इस्तेमाल का अवसर देता है. कोई भी देश अकेले इस महामारी से लड़ने के लिए ज़रूरी चिकित्सा वस्तुओं की सप्लाई के मामले में आत्म-निर्भर नहीं हो सकता. विश्व व्यापार संगठन द्वारा तैयार एक पत्र के अनुसार जर्मनी, अमेरिका और स्विट्ज़रलैंड दुनियाभर में दवाइयों और मेडिकल सामानों की कुल आपूर्ति का 35 फ़ीसदी सप्लाई करते हैं. इसी तरह चीन, जर्मनी और अमेरिका दुनियाभर में व्यक्तिगत सुरक्षा उत्पादों जैसे हैंड सैनिटाइज़र, फेस मास्क और बचाव वाले चश्मे के 40 प्रतिशत का निर्यात करते हैं. चुनिंदा वस्तुओं के निर्माण में विशेषज्ञता हासिल कर दुनिया के देश अपने संसाधनों को सबसे अधिक उत्पादकता देने वाले कार्यों में लगा सकते हैं. इस तरह वो अपने संसाधनों को नए-नए प्रयोगों, शोधों, बुनियादी मेडिकल उत्पादों और दवाइयों के निर्माण में बेहतर तरीके से इस्तेमाल में ला सकते हैं.

संकट काल में व्यापार एक कवच का काम भी कर सकता है

कोविड-19 महामारी ने इस बात को भी रेखांकित किया कि भले ही किसी ख़ास इलाक़े की फैक्ट्रियों पर इस वायरस या क्वारंटीन से जुड़े उपायों का सीधे तौर पर असर नहीं हुआ हो लेकिन फिर भी ऐसा हो सकता है कि ये फ़ैक्ट्रियों जिन इलाक़ों से कच्चा माल उठाती हैं वो इलाक़े कोरोना की चपेट में हों. आधी दुनिया को अपनी ज़द में ले लेने वाले संकट का प्रभाव दुनियाभर में मौजूद जटिल आपूर्ति श्रृंखला के चलते बाकी इलाक़ों पर भी पड़ना तय है.

इस प्रकार के अवरोध अब कोई असामान्य बात नहीं रह गए हैं. मैकिंज़ी ग्लोबल इंस्टीट्यूट के एक अध्ययन में पाया गया है कि कंपनियां को अब अपनी आपूर्ति श्रृंखला में हरेक 3.7 वर्षों के बाद महीने भर या उससे भी ज़्यादा चलने वाले अवरोध की आशंका रहती है. इसके पीछे की वजहों में बढ़ती प्राकृतिक आपदा, महामारी, आतंकवाद, साइबर हमला या फिर व्यापार नीतियों से जुड़ी अनिश्चितता- कुछ भी हो सकती है.

व्यापार के ज़रिए प्रतिस्पर्धा को भी बढ़ावा मिलता है. नतीजतन कंपनियां हमेशा चौकन्नी रहती हैं और उन्हें नए-नए प्रयोग करते रहने की प्रेरणा मिलती है. कारोबार में बढ़ते जोखिमों के मद्देनज़र नए प्रयोग कर पाने की क्षमता का विकास निहायत ज़रूरी है.

अंतरराष्ट्रीय व्यापार में बढ़ते जोखिमों की वजह से संकट के समय कई नीति निर्माता आत्मनिर्भरता पर ज़ोर देने लगे हैं. हालांकि आत्मनिर्भरता अपने आप में बेहतर सुरक्षा की गारंटी नहीं है. शोधों से पता चलता है कि विदेशी उत्पादों और कच्चे मालों पर निर्भरता ख़त्म कर देने का मतलब सीधे तौर पर देशी उत्पादों पर निर्भरता बढ़ाना है. लेकिन देशी उत्पादों पर भी वक़्त-बेवक़्त आने वाले संकटों का ख़तरा बना ही रहता है.

हक़ीक़त ये है कि अप्रत्याशित घटनाओं के समय अंतरराष्ट्रीय व्यापार एक कवच का काम कर सकता है क्योंकि इसके ज़रिए आपूर्ति की विविधता सुनिश्चित की जा सकती है. मसलन  अगर किसी एक स्थान पर फ़ैक्ट्री ठप हो जाए तो कंपनियां आसानी से दूसरे स्थान पर चालू फ़ैक्ट्रियों से अपनी आपूर्ति सुनिश्चित कर सकती हैं. अंतरराष्ट्रीय व्यापार की मदद से दुनिया के देश मांग और आपूर्ति के अनेक स्रोत तैयार कर सकते हैं. अध्ययनों से पता चलता है कि अंतरराष्ट्रीय व्यापार के प्रति खुलेपन की नीति से घरेलू अवरोधों और झटकों के असर को भी कम किया जा सकता है और अस्थिरता से निपटने में मदद मिलती है. आपूर्तिकर्ताओं और ग्राहकों के मामले में विविधतापूर्ण नीति अपनाने वाली कंपनियां अप्रत्याशित झटकों के बाद तेज़ी से उबरती हैं. 2011 में पूर्वी जापान में आए विनाशकारी भूकंप के बाद यही देखने को मिला था.

दीर्घकालिक तौर पर नई खोजों को बढ़ावा देने के लिए भी अंतरराष्ट्रीय व्यापार आवश्यक है. विश्व व्यापार रिपोर्ट के ताज़ा अंक में कहा भी गया है- खुले व्यापार से बड़े बाज़ारों तक पहुंच बनती है जिससे कारोबार को नई-नई खोजों के लिए जोखिम उठाने की प्रेरणा मिलती है. अंतरराष्ट्रीय व्यापार के ज़रिए पूंजीगत और मध्यवर्ती सामानों के आयात से सतत विकासशील देशों की आधुनिकतम तकनीकों तक पहुंच बनती है. इससे उन्हें वैश्विक मूल्य श्रृंखला में भागीदारी का मौका मिलता है. व्यापार के ज़रिए प्रतिस्पर्धा को भी बढ़ावा मिलता है. नतीजतन कंपनियां हमेशा चौकन्नी रहती हैं और उन्हें नए-नए प्रयोग करते रहने की प्रेरणा मिलती है. कारोबार में बढ़ते जोखिमों के मद्देनज़र नए प्रयोग कर पाने की क्षमता का विकास निहायत ज़रूरी है. आधुनिक समय में काम निपटाने के डिजिटल उपायों की वजह से कई लोगों को घर से काम करने की सुविधा मिली. थ्री डी प्रिंटिंग तकनीक की मदद से उन्हें व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरणों, चिकित्सा से जुड़े सामानों और आइसोलेशन वार्ड तक से जुड़ी व्यापक समस्याओं के तत्काल समाधान ढूंढने में मदद मिली.

कोविड-19 महामारी ने साफ़ कर दिया है कि आपस में जुड़ी इस दुनिया में एक इलाके में फैला प्रकोप कुछ ही दिनों में दूसरे देशों तक पहुंच सकता है. जबतक सब सुरक्षित नहीं तब तक कोई सुरक्षित नहीं. ऐसे समय में जब दुनिया के तमाम देश अपने यहां जीवन-रक्षक टीके का इस्तेमाल शुरू कर रहे हैं, अंतरराष्ट्रीय व्यापार और सहयोग को बढ़ावा देने की ज़रूरत आज सबसे ज़्यादा है. विश्व व्यापार संगठन के कुछ सदस्य देशों ने एक सौदे का प्रस्ताव किया है जिसके तहत मेडिकल से जुड़े सामानों पर आयात शुल्क को पूरी तरह से ख़त्म करने की बात है. इसके साथ ही आवश्यक वस्तुओं के व्यापार के लिए संकटकाल में अंतरराष्ट्रीय नियमों और व्यवस्थाओं में समुचित सुधार लाने के भी प्रस्ताव किए गए हैं.

कोविड-19 का अनुभव पूरी मानव जाति के लिए एक समान रहा है. दुनिया के देशों के लिए भविष्य की तैयारियों को ध्यान में रखकर आपस में मिलजुलकर सतत प्रयास शुरू करने की ये एक माकूल वजह बन सकती है.

The views expressed above belong to the author(s). ORF research and analyses now available on Telegram! Click here to access our curated content — blogs, longforms and interviews.