Author : Sarah Sawhney

Expert Speak Raisina Debates
Published on Jun 27, 2024 Updated 0 Hours ago

इजरायल और हमास के नेताओं के ख़िलाफ़ गिरफ्तारी वारंट पर ICC का विचार लंबे समय तक चलने वाले संघर्ष में जवाबदेही तय करने में मुश्किलों को उजागर करता है. 

इज़रायल और हमास के नेताओं के ख़िलाफ़ ICC वारंट: आगे की चुनौतियां

Image Source: ICC

ख़बरों के मुताबिक अंतर्राष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय (ICC) इज़रायल और हमास के नेताओं के ख़िलाफ़ गिरफ्तारी वारंट जारी करने पर विचार कर रहा है. इन नेताओं में इज़रायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू और रक्षा मंत्री योव गैलेंट के अलावा हमास के याहया सिनवार, मोहम्मद दियाब इब्राहिम अल-मसरी (जिन्हें मोहम्मद दाएफ के नाम से भी जाना जाता है) और इस्माइल हानियेह शामिल हैं. इनके ख़िलाफ़ गज़ा में चल रहे संघर्ष में कथित युद्ध अपराध और मानवता के ख़िलाफ़ अपराध के आरोप हैं. ICC के इस अभूतपूर्व कदम का अंतर्राष्ट्रीय न्याय और मध्य पूर्व के भू-राजनीतिक परिदृश्य पर गंभीर असर पड़ सकता है. गज़ा संघर्ष में ICC का अधिकार क्षेत्र होने का कारण फिलिस्तीनी प्राधिकरण के द्वारा अदालत के अधिकार को स्वीकार करना है. वहीं इज़रायल रोम समझौते का सदस्य नहीं है. ये ऐसा समझौता है जो चार प्रमुख अपराधों- नरसंहार, मानवता के ख़िलाफ़ अपराध, युद्ध अपराध और आक्रमण का अपराध- के मामले में ICC को अधिकार क्षेत्र की अनुमति देता है. 

ICC के इस अभूतपूर्व कदम का अंतर्राष्ट्रीय न्याय और मध्य पूर्व के भू-राजनीतिक परिदृश्य पर गंभीर असर पड़ सकता है. गज़ा संघर्ष में ICC का अधिकार क्षेत्र होने का कारण फिलिस्तीनी प्राधिकरण के द्वारा अदालत के अधिकार को स्वीकार करना है. 

वारंट जारी होने से ICC को फिलिस्तीनी क्षेत्र में इज़रायल और हमास- दोनों के नेताओं के द्वारा किए गए कथित अपराधों की छानबीन करने की इजाज़त मिल जाएगी. इज़रायल के नेताओं के ख़िलाफ़ संभावित आरोपों में जानबूझकर भुखमरी की स्थिति पैदा करना, मानवीय सहायता में रुकावट डालना, गैर-सैन्य ठिकानों पर हमला करना और कैदियों से अमानवीय बर्ताव करना शामिल हो सकता है. हमास के नेताओं के ख़िलाफ़ आरोपों में 7 अक्टूबर के हमलों के दौरान आम लोगों की हत्या और बंधक बनाना शामिल हो सकता है. 

कानूनी और राजनीतिक नतीजे 

इज़रायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू और रक्षा मंत्री योव गैलेंट के ख़िलाफ़ ICC की संभावित कार्रवाई की वजह इज़रायल-हमास संघर्ष में पिछले कुछ दिनों की छानबीन है. अभियोजक करीम ख़ान ने नेतन्याहू और गैलेंट पर अनाज, पानी और दवाई जैसी ज़रूरी सप्लाई से गज़ा के लोगों को वंचित रखकर उन्हें जानबूझकर भूखा रखने समेत युद्ध अपराधों का आरोप लगाकर गिरफ्तारी वॉरंट जारी करने की मांग की है. उनके मुताबिक इज़रायली नेताओं की इस रणनीति का मक़सद कथित तौर पर हमास से लड़ना और गज़ा के आम लोगों को सामूहिक सज़ा देना है. 

इसी तरह हमास के तीन वरिष्ठ नेता- याहया सिनवार, मोहम्मद दाएफ और इस्माइल हानियेह- 7 अक्टूबर को इज़रायल के आम लोगों पर हुए हमले में अपनी भूमिका के लिए आरोपों का सामना कर रहे हैं. उन पर हत्या, बंधक बनाने, बलात्कार, यातना देने और दूसरी अमानवीय हरकतों का आरोप है. 

कानूनी रूप से हालात मुश्किल हैं. इज़रायली नेताओं को सज़ा देने के लिए इस संघर्ष को ‘अंतर्राष्ट्रीय’ होने के रूप में देखा जाना आवश्यक है जबकि हमास की कार्रवाई को ‘गैर-अंतर्राष्ट्रीय’ संदर्भ के भीतर देखा जा रहा है. इस तरह अंतरराष्ट्रीय कानून का पेचीदा स्वरूप उजागर होता है. 

राजनीतिक रूप से कहें तो इस गिरफ्तारी वारंट के गंभीर नतीजे हो सकते हैं. इज़रायल के नेता ICC में आरोपों का सामना करेंगे तो इज़रायल की अंतर्राष्ट्रीय प्रतिष्ठा को नुकसान हो सकता है और उसके अंतर्राष्ट्रीय संबंध तनावपूर्ण हो सकते हैं, विशेष रूप से यूरोपीय देशों के साथ संबंध ख़राब हो सकते हैं जो ICC के सदस्य हैं. इन यूरोपीय देशों को अपने राजनीतिक गठबंधनों के साथ अपनी कानूनी बाध्यताओं को संतुलित करने की ज़रूरत होगी जिससे इज़रायल के साथ कूटनीतिक टकराव के हालात पैदा हो सकते हैं.

अगर ICC आगे बढ़ता है तो इसके गंभीर कूटनीतिक नतीजे हो सकते हैं, ख़ास तौर पर इसलिए क्योंकि न तो इज़रायल, न ही अमेरिका ICC के अधिकार क्षेत्र को स्वीकार करता है. 

अगर ICC आगे बढ़ता है तो इसके गंभीर कूटनीतिक नतीजे हो सकते हैं, ख़ास तौर पर इसलिए क्योंकि न तो इज़रायल, न ही अमेरिका ICC के अधिकार क्षेत्र को स्वीकार करता है. ICC के इस कदम से इज़रायल का अपने सहयोगियों के साथ संबंध जटिल हो सकता है, अंतरराष्ट्रीय कूटनीतिक संबंध नए रूप में सामने आ सकता है और भविष्य में संघर्ष के क्षेत्रों में व्यवहार को प्रभावित कर सकता है. ICC की कार्रवाई न्याय मांगने और अंतर्राष्ट्रीय मामलों में राजनीतिक वास्तविकताओं का सामना करने के बीच नाज़ुक संतुलन पर ज़ोर देती है. 

अमेरिका का रुख

अमेरिका ICC का सदस्य नहीं है और ऐतिहासिक रूप से उसने अपने सहयोगी देशों के ख़िलाफ़ जांच का विरोध किया है. अमेरिका ये दलील देता है कि फिलिस्तीन देश होने के मानदंडों को पूरा नहीं करता है और इस वजह से वो ICC को अधिकार क्षेत्र नहीं सौंप सकता है. बाइडेन ने पिछले दिनों अपने एक बयान में ICC की कोशिशों को “हैरान करने वाला” बताया. बाइडेन प्रशासन ने इस मामले में ICC के अधिकार क्षेत्र को लेकर विरोध जताया है और ज़ोर देकर कहा है कि इज़रायल ICC का सदस्य नहीं है और इसलिए ICC का निर्णय उस पर लागू नहीं होता है. व्हाइट हाउस की प्रेस सेक्रेटरी करिने जीन-पियरे ने भी बयान दिया कि अमेरिका जहां ICC की छानबीन का समर्थन नहीं करता है, वहीं वो इस प्रक्रिया में शामिल किसी भी अंतर्राष्ट्रीय न्यायिक हस्ती के ख़िलाफ़ धमकी की भी निंदा करता है. 

अमेरिका में रिपब्लिकन पार्टी के सीनेटर तो और आगे चले गए हैं, उन्होंने धमकी दी है कि अगर ICC इज़रायल के किसी नेता पर निशाना साधता है तो उस पर पाबंदी लगाई जाएगी. ये रुख महत्वपूर्ण राजनीतिक दांव और इज़रायल के लिए अमेरिका के समर्थन की मज़बूती को उजागर करता है. इसे दिखाते हुए हाउस ऑफ रिप्रेज़ेंटेटिव ने अवैध न्यायालय प्रतिरोध अधिनियम (इलिजिमेट कोर्ट काउंटरएक्शन एक्ट) पारित किया है जिसमें ICC के ख़िलाफ़ प्रतिबंध की सिफारिश की गई है. वैसे तो ये अधिनियम काफी हद तक सांकेतिक है लेकिन ये अमेरिकी राजनीति में दोनों दलों की व्यापक सर्वसम्मति पर ज़ोर देता है. इस सर्वसम्मति के तहत ICC की कार्रवाई को संभावित रूप से इज़रायल की आत्मरक्षा के अधिकार और आतंकवाद का मुकाबला करने की उसकी क्षमता को कमज़ोर करने के रूप में देखा जाता है. अमेरिका की तरफ से ज़ोरदार प्रतिक्रिया गहरे राजनीतिक परिणामों और अंतर्राष्ट्रीय कानूनी चुनौतियों के सामने इज़रायल के लिए बड़े स्तर के समर्थन का संकेत देती है. 

ICC की कार्रवाई 

ICC की संभावित कार्रवाई का इज़रायल और हमास- दोनों ने ज़ोरदार विरोध किया है. इज़रायल के प्रधानमंत्री नेतन्याहू ने ICC के कदम को इज़रायल की आत्मरक्षा के अधिकार पर हमला बताते हुए निंदा की है. उन्होंने कोर्ट की कार्रवाई को पक्षपातपूर्ण और राजनीतिक रूप से प्रेरित बताया है. नेतन्याहू ने कहा, “हम ICC के द्वारा आत्मरक्षा के अपने जन्मजात अधिकार को कमज़ोर बनाने की किसी भी कोशिश को कभी स्वीकार नहीं करेंगे”. इसी तरह हमास ने अपने नेताओं की तुलना इज़रायल के नेताओं से करने की आलोचना की है. हमास ने तर्क दिया है कि उसकी कार्रवाई इज़रायली कब्ज़े के ख़िलाफ़ वैध प्रतिरोध का हिस्सा है. 

अमेरिका की तरफ से ज़ोरदार प्रतिक्रिया गहरे राजनीतिक परिणामों और अंतर्राष्ट्रीय कानूनी चुनौतियों के सामने इज़रायल के लिए बड़े स्तर के समर्थन का संकेत देती है. 

इन वारंट को जारी करना व्यावहारिक चुनौतियां भी पेश करता है. ICC के वारंट को लागू करना सदस्य देशों के सहयोग पर निर्भर करता है लेकिन राजनीतिक और कूटनीतिक चिंताओं के कारण सदस्य देश किसी भी पक्ष के वरिष्ठ नेताओं को गिरफ्तार करने से बचने की कोशिश कर सकते हैं. इसके अलावा, गिरफ्तारी इस क्षेत्र में मौजूदा शांति वार्ता और मानवीय प्रयासों को मुश्किल बना सकती है. गिरफ्तारी के कारण तनाव में और बढ़ोतरी हो सकती है.

ये वॉरंट इज़रायल-हमास युद्ध में दोनों पक्षों के द्वारा अंजाम दिए गए संभावित युद्ध अपराधों और मानवता के ख़िलाफ़ अपराध के सिलसिले में ICC की व्यापक छानबीन का हिस्सा है. जांच-पड़ताल का लक्ष्य अंतर्राष्ट्रीय कानून का उल्लंघन करने के लिए ज़िम्मेदार लोगों को उनकी राजनीतिक और सैन्य स्थिति की परवाह किए बिना जवाबदेह ठहराना है. 

निष्कर्ष

इज़रायल और हमास के नेताओं के ख़िलाफ़ गिरफ्तारी वारंट पर ICC का विचार जवाबदेही तय करने में चुनौतियों पर ज़ोर देता है और ICC की कार्रवाई में कथित दोहरे मानकों का खुलासा करता है. अफ्रीकी नेताओं पर मुकदमा चलाने में साफ तौर पर ध्यान जबकि पश्चिमी देशों द्वारा समर्थन नहीं किए जाने वाले नेताओं के मुकदमों को आगे बढ़ाने में झिझक के लिए कोर्ट को आलोचना का सामना करना पड़ा है. ये अंतर अंतर्राष्ट्रीय न्याय को लेकर ICC के दृष्टिकोण में निष्पक्षता पर सवाल खड़ा करता है. कथित युद्ध अपराधों के लिए न्याय सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है लेकिन इस क्षेत्र में शांति और स्थिरता पर संभावित प्रभाव की उपेक्षा नहीं की जा सकती है. इस बात का भी डर है कि पूरे मामले में ICC के शामिल होने से मौजूदा शांति वार्ता और युद्धविराम के प्रयासों में बाधा आ सकती है. दोनों पक्षों के नेताओं के ख़िलाफ़ कानूनी कार्रवाई से मौजूदा दरार में बढ़ोतरी हो सकती है जिससे समाधान की दिशा में कूटनीतिक प्रयास जटिल हो सकते हैं. 

संभावित मुकदमे कथित युद्ध अपराधों का समाधान करने और राजनीतिक स्थिति की परवाह किए बिना लोगों को जवाबदेह ठहराने में ICC की भूमिका पर ज़ोर देते हैं. इससे कोर्ट की स्थिति मज़बूत हो सकती है लेकिन उन देशों की आलोचना और विरोध भी तेज़ हो सकता है जो इस तरह की कार्रवाई को अपनी संप्रभुता को कमज़ोर करने के रूप में देखते हैं. 

जैसे-जैसे हालात बदलते जाएंगे, अंतर्राष्ट्रीय समुदाय ICC के फैसलों और इज़रायल-हमास संघर्ष पर इसके असर पर करीब से नज़र रखेगा. अमेरिका, जो ICC के अधिकार क्षेत्र को मान्यता नहीं देता है और जिसने ऐतिहासिक रूप से अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर इज़रायल को बचाया है, ने कोर्ट की कार्रवाई को लेकर चिंता जताई है. अमेरिका दलील देता है कि ICC की भागीदारी कूटनीतिक प्रयासों और शांति वार्ता में रुकावट बन सकती है. इसके बावजूद ICC गंभीर अंतर्राष्ट्रीय अपराधों के पीड़ितों के लिए न्याय सुनिश्चित करने के अपने उत्तरदायित्व को लेकर प्रतिबद्ध है. ये बदलती स्थिति इस क्षेत्र के भविष्य को तय करने में एक दिलचस्प कहानी होने का वादा करती है. 


सारा सहनी ऑब्ज़र्वर रिसर्च फाउंडेशन में रिसर्च असिस्टेंट हैं. 

 

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