डिजिटल पेमेंट और डिजिटल करेंसी में हो रही उल्लेखनीय प्रगति को डिजिटल यूरो बखूबी प्रकट करता है. डिजिटल यूरो देखा जाए तो पारंपरिक तौर पर नकद करेंसी के साथ-साथ रिटेल उपयोग के लिए यूरोपियन सेंट्रल बैंक (ECB) द्वारा जारी की गई केंद्रीय बैंक की धनराशि के डिजिटल स्वरूप के तौर पर काम करेगा. डिजिटल यूरो की इस पहल के पीछे जो मंशा है, वो यह है कि जिस प्रकार से पूरी दुनिया में डिजिटलीकरण को प्रोत्साहन मिल रहा है, ऐसे में डिजिटल करेंसी का उपयोग करना लोगों, उद्योग-धंधों और यूरोपियन यूनियन (EU) के लिए कई प्रकार से लाभकारी सिद्ध हो सकता है.
डिजिटल यूरो की परिकल्पना के बारे में अच्छी तरह से समझने के लिए सेंट्रल बैंक मनी और प्राइवेट मनी के बीच के अंतर को समझना बेहद अहम है. केंद्रीय बैंक की राशि को अक्सर “सार्वजनिक राशि” या फिर सरकारी धन कहा जाता है, जिसे सेंट्रल बैंक की ओर से अवमुक्त किया जाता है. यह धनराशि किसी देश या यूरोज़ोन जैसे सदस्य देशों के एक यूनियन की मॉनेटरी सॉवेरनिटी को प्रकट करता है. दूसरी तरफ प्राइवेट मनी को अक्सर “कॉमर्शियल बैंक की धनराशि” कहा जाता है. प्राइवेट मनी वाणिज्यिक बैंकों द्वारा सृजित किया जाता है और इसमें बैंक में जमा राशि एवं ऋण शामिल होते हैं. देखा जाए तो डिजिटल यूरो एक प्रकार से सेंट्रल बैंक की धनराशि का ही एक स्वरूप है और यह इसे पब्लिक फंड से जुड़ी पूरी गारंटी एवं स्थिरता उपलब्ध कराता है.
डिजिटल यूरो की इस पहल के पीछे जो मंशा है, वो यह है कि जिस प्रकार से पूरी दुनिया में डिजिटलीकरण को प्रोत्साहन मिल रहा है, ऐसे में डिजिटल करेंसी का उपयोग करना लोगों, उद्योग-धंधों और यूरोपियन यूनियन (EU) के लिए कई प्रकार से लाभकारी सिद्ध हो सकता है.
हालांकि, यूरोपियन यूनियन की संसद में CBDC के मकसद को लेकर संदेह जताया गया है. इतना ही नहीं संसद में इसको लेकर सावधानी बरतने एवं प्रगतिशील नज़रिया अख़्तियार करने की भी मांग की गई है. इन्हीं वजहों के चलते डिजिटल यूरो को लेकर निर्णय नवंबर 2024 तक टाला जा सकता है. ज़ाहिर है कि सेंट्रल बैंक के अधिकारियों को डिजिटल यूरो को लेकर तकनीक़ी बहस पर आगे बढ़ने से पहले, इसकी वास्तविक ज़रूरत से जुड़ी टेक्निकल, आर्थिक और राजनीतिक रुकावटों को हल करने की आवश्यकता है.
डिजिटल रोडमैप
इस मुकाम तक पहुंचने के लिए डिजिटल यूरो ने एक लंबा सफर तय किया है. ECB ने अक्टूबर 2020 में यूरो मूल्यवर्ग वाले CBDC को जारी करने की संभावना को परखते हुए एक रिपोर्ट प्रकाशित की थी. इतना ही नहीं ECB ने अक्टूबर 2020 से जनवरी 2021 के मध्य डिजिटल यूरो के फायदों और इसकी रूपरेखा के बारे में लोगों की राय एवं सुझावों से अवगत होने के लिए सार्वजनिक तौर पर विचार-विमर्श आयोजित किया था और लोगों की आपत्तियां व सुझाव मांगे थे. इस प्रक्रिया को आगे बढ़ाते हुए सेंट्रल बैंक ने जुलाई 2021 में डिजिटल यूरो के डिजाइन और वितरण जैसे ज़रूरी पहलुओं पर फोकस करते हुए जांच-पड़ताल के फेज को शुरू किया था. इसी फेज के अंतर्गत डिजिटल यूरो से संबंधित डिजाइन के मुद्दों को संबोधित करने और यूरोपीय संघ की विभिन्न नीतियों के साथ इसका मेलजोल सुनिश्चित करने के लिए तमाम कोशिशें की गई थीं. इनमें यूरोपियन कमीशन, यूरोग्रुप और यूरोपीय पार्लियामेंट जैसे EU के अलग-अलग संस्थानों एवं हितधारकों के साथ सहयोग के ज़रिए डिजिटल यूरो की उपयोगिता के बारे में जानकारी एकत्र करने के लिए प्रोटोटाइप क़वायदें, अर्थात डिजाइन के विचारों को अमली जामा पहनाने की क़वायदें भी शामिल हैं.
डिजिटल यूरो की जांच-पड़ताल वाला यह चरण अक्टूबर 2023 तक चलेगा. इस चरण में ECB की गवर्निंग काउंसिल यह निर्धारित करेगी कि डिजिटल यूरो की तैयारी एवं प्रयोग के इस फेज को आगे बढ़ना है, या फिर यहीं रोक देना है. संभावना है कि तैयारी एवं प्रयोग वाला यह चरण लगभग अगले तीन वर्षों तक यूं ही चल सकता है और इसी चरण में आख़िरकार डिजिटल यूरो का विकास होगा. आख़िर में डिजिटल यूरो की शुरुआत करने का फैसला ECB की गवर्निंग काउंसिल और यूरोपीय संसद द्वारा इसके लिए एक सक्षम क़ानूनी फ्रेमवर्क को बनाने और उसे अपनाने पर निर्भर करेगा.
इसी फेज के अंतर्गत डिजिटल यूरो से संबंधित डिजाइन के मुद्दों को संबोधित करने और यूरोपीय संघ की विभिन्न नीतियों के साथ इसका मेलजोल सुनिश्चित करने के लिए तमाम कोशिशें की गई थीं.
डिजिटल भुगतान के क्षेत्र में क्रांतिकारी परिवर्तन लाने की डिजिटल यूरो की क्षमता, साथ ही केंद्रीय बैंक की धनराशि को सुरक्षित एवं स्थिर बनाए रखने की इसकी योग्यता, इसे EU के वित्तीय सेक्टर में एक उल्लेखनीय घटनाक्रम के रूप में सामने लाती है.
अनगिनत चुनौतियां
देखा जाए तो यूरोपियन कमीशन और ECB डिजिटल यूरो से संबंधित विभिन्न तकनीक़ी पहलुओं पर पूरी शिद्दत के साथ काम कर रहे हैं, लेकिन जब इसके बारे में राजनीतिक विमर्श और सहमति की बात होती है, तो एकदम सन्नाटा नज़र आता है. हालांकि, सच्चाई यह है कि CBDC को लेकर अभी नए क़ानूनों को सामने लाया जाना बाक़ी है, लेकिन कहीं न कहीं ये क़ानून मुख्य रूप से इस बात पर फोकस करते हैं कि डिजिटल यूरो को क्या-क्या गतिविधि नहीं करनी चाहिए. इसमें ब्याज के भुगतान और होल्डिंग्स की सीमाएं शामिल हैं. इन पाबंदियां का लक्ष्य डिजिटल यूरो को पारंपरिक बचत और निवेश के तरीक़ों के साथ होड़ करने से रोकना है.
लेकिन सबसे दिलचस्प पहलू यह है कि अब कुछ राजनेता यह कह रहे हैं कि CBDC की ज़रूरत ही क्या है और इससे कौन सा मकसद हल होने वाला है. राजनीतिक हलकों के बीच डिजिटल यूरो की परिकल्पना को लेकर यह अस्पष्टता, इससे जुड़े क़ानूनी व विधायी प्रस्तावों को तैयार करने में कुछ हद तक चुनौतियां पेश करती है. हाल ही में हुई एक बैठक के दौरान यूरोज़ोन के वित्त मंत्रियों ने इस बात पर ज़ोर दिया था कि डिजिटल यूरो की वजह से यूरोपीय नागरिकों के जीवन पर और वाणिज्यिक गतिविधियों पर क्या प्रभाव पड़ेगा, यह जानना ज़रूरी है. इसलिए, डिजिटल यूरो के फायदों एवं इसके महत्व के बारे में विस्तार से बताया जाना चाहिए.
यूरोपियन सेंट्रल बैंक के प्रस्तावकों का कहना है कि डिजिटल यूरो एक लिहाज़ से ऐसे मॉनेटरी एंकर यानी मौद्रिक सहारे के तौर पर काम कर सकता है, जिससे तेज़ी से हो रहे डिजिटलीकरण के इस युग में सरकार की ओर से जारी डिजिटल राशि तक नागरिकों की आसान पहुंच सुनिश्चित हो सके. हालांकि, ऐसे में कुछ लोगों का यह भी कहना है कि डिजिटल यूरो परिवर्तनशील कमर्शियल बैंकिंग सिस्टम को पूरी तरह से बाईपास कर सकता है, या कहा जाए कि नज़रंदाज़ कर सकता है. हालांकि, इन सभी बातों को आम लोगों तक अच्छी तरह से नहीं पहुंचाया जा सका है. यहां तक कि ECB फोकस समूह ने भी यह माना है कि ऐसे लोग, जिन्हें टेक्नोलॉजी की बहुत समझ है, उनमें से भी बहुत कम लोग डिजिटल यूरो के उद्देश्य एवं फायदों को समझते हैं.
स्टीफन बर्जर, जिन्होंने इससे पहले यूरोपीय संघ के मार्केट्स इन क्रिप्टो एसेट्स रेगुलेशन (MiCA) को पास कराने में अहम भूमिका निभाई थी, उन्होंने साफ कहा है कि डिजिटल यूरो की क़ामयाबी में भरोसा बहुत ज़रूरी है, जिसे हर हाल में क़ायम रखना होगा.
यूरोपीय संसद में जर्मन सदस्य स्टीफन बर्जर को ECB की महत्वाकांक्षी CBDC यानी डिजिटल यूरो को साकार करने के मकसद से क़ानूनी फ्रेमवर्क बनाने की प्रक्रिया की अगुवाई करने के लिए नियुक्त किया गया है. स्टीफन बर्जर, जिन्होंने इससे पहले यूरोपीय संघ के मार्केट्स इन क्रिप्टो एसेट्स रेगुलेशन (MiCA) को पास कराने में अहम भूमिका निभाई थी, उन्होंने साफ कहा है कि डिजिटल यूरो की क़ामयाबी में भरोसा बहुत ज़रूरी है, जिसे हर हाल में क़ायम रखना होगा. हालांकि, सच्चाई यह है कि ECB ने अभी तक CBDC पर औपचारिक तौर पर कोई फैसला नहीं किया है, लेकिन सेंट्रल बैंक ने डिजिटल यूरो को लेकर अपनी तकनीक़ी तैयारियों में ज़बरदस्त ख़र्च किया है. यूरोपीय संसद और यूरोपियन यूनियन के सदस्य देशों की सरकारों के लिए ज़रूरी है कि अगर वे CBDC का समर्थन करते हैं, तो उन्हें इसके लिए बनाए जाने वाले क़ानूनों पर भी अपनी रज़ामंदी जतानी होगी. अगर ऐसा नहीं होता है, तो निश्चित तौर पर डिजिटल यूरो को लेकर सदस्य देशों के अलग-अलग राजनीतिक दृष्टिकोण, संसद में नतीज़ों पर असर डालेंगे.
डिजिटल करेंसी को लेकर यूरोपीय संसद में संदेह के बादल छाए हुए हैं. संसद के सदस्यों को डिजिटल यूरो को लेकर तमाम तरह की आशंकाएं हैं, जिनमें यह डर भी शामिल है कि डिजिटल करेंसी फिजिकल करेंसी की जगह ले लेगी और फिर चीन की तरह सोशल क्रेडिट सिस्टम का मकड़जाल फैल जाएगा. हालांकि, यूरोपियन आयोग ने ऐसा कुछ भी नहीं होने का आश्वासन दिया है, फिर भी संसद सदस्यों में अविश्वास और दुविधा का माहौल बना हुआ है. कुछ सांसदों ने तो डिजिटल यूरो के उद्देश्य पर ही सवाल उठा दिया है. विशेष रूप से ऐसी परिस्थिति में जब डिजिटल यूरो स्पष्ट फायदों के बगैर वर्तमान पेमेंट सिस्टम के समानांतर उसी तरह का पेमेंट इंफ्रास्ट्रक्चर खड़ा कर देता है. भ्रम की यह स्थिति यूरोपियन यूनियन के पहले से ही जटिल पेमेंट नेटवर्क के माध्यम से भी पैदा हो सकती है, जो कि नागरिकों को डिजिटल पेमेंट के ढेरों विकल्प उपलब्ध कराता है.
एक तरफ डिजिटल पेमेंट व्यवस्था के लिए अमेरिकी कंपनियों पर निर्भरता को लेकर अधिकारी ख़ासे चिंतित हैं, वहीं बड़ी संख्या में यूरोपीय नागरिकों ने बगैर किसी हिचक के कैशलेस भुगतान के साधनों या विकल्पों को अपना लिया है, जिससे डिजिटल यूरो की प्रासंगिकता को लेकर सवाल उठ रहे हैं. हालांकि कुछ लोगों का यह भी कहना है कि हो सकता है कि कमर्शियल बैंकों द्वारा ये संदेह पैदा किया गया हो और इसके पीछे डिजिटल पेमेंट सेक्टर में सरकार के उतरने की इरादों को जानबूझकर कमज़ोर करने की मंशा भी हो सकती है.
भविष्य में क्या होने वाला है?
एक ओर डिजिटल यूरो को लाने के उद्देश्य को लेकर अलग-अलग विचारों के साथ बहस ज़ोर पकड़ रही है, वहीं दूसरी ओर जून 2024 में यूरोपीय चुनावों से पहले एक तर्कसम्मत राजनीतिक सहमति हासिल करने का रास्ता अभी तक साफ नहीं है. अनिश्चितता से भरे इस माहौल के बीच कुछ लोगों को उम्मीद है कि डिजिटल यूरो का विचार बेहतरीन है और यह क्रांतिकारी साबित होगा. हालांकि उनका यह भी कहना है कि डिजिटल यूरो को इतना सक्षम बनाना होगा वो जनता की हर कसौटी पर खरा उतरे.
आलोचकों ने फिर चाहे वो EU के हों या फिर अमेरिका के, दोनों ही जगहों पर डिजिटल यूरो को लेकर तमाम आशंका जताई गई हैं. आलोचक निजता के मुद्दे से लेकर साज़िश की आशंका तक का मसला उठाते हैं और यहां तक कहते हैं कि CBDC सरकारी नियंत्रण के साथ ही लोगों पर नज़र रखने का एक हथियार है. व्यापक स्तर पर डिजिटल यूरो का यह विरोध केंद्रीय बैंक के अफ़सरों के सामने विकट समस्या खड़ा कर देता है और इसका प्रभावी तरीक़े से बचाव करना बेहद मुश्किल हो जाता है. बेल्जियम की सेंट्रल बैंक के गवर्नर पियरे वुन्श के मुताबिक़ कुछ आलोचकों का दृष्टिकोण ऐसा है कि वे डिजिटल करेंसी की क़वायद को विश्व और दुनियाभर के नागरिकों पर नियंत्रण स्थापित करने की एक बड़ी साज़िश मानते हैं. उन्होंने कहा कि इस बात को ज़ोरदार तरीक़े से प्रचारित करने की ज़रूरत है कि डिजिटल यूरो का मकसद लोगों को जीवन पर नियंत्रण स्थापित करना नहीं है.
ECB की अध्यक्ष क्रिस्टीन लेगार्ड ने डिजिटल यूरो को लेकर निजता से जुड़ी चिंताओं को संबोधित करते हुए ऐलान किया है कि अभी इसको आने में लगभग दो साल का वक़्त है. ऐसे में उम्मीद की जा रही है कि ECB आने वाले कुछ हफ्तों में CBDC की तैयारियों को लेकर बड़े फैसले लेगा.
कुछ भी कहा जाए, लेकिन अभी भी डिजिटल यूरो को हर तरफ से समर्थन नहीं मिला है. ऑस्ट्रिया की सेंट्रल बैंक के बैंकर रॉबर्ट होल्ज़मैन के अनुसार CBDC को लेकर जिस तरह का माहौल बनाना चाहिए था और सकारात्मक नैरेटिव फैलाना चाहिए था, उसका नितांत अभाव है. उन्होंने डिजिटल करेंसी को पब्लिक गुड्स के रूप में प्रचारित करने पर ज़ोर दिया, साथ ही उन्होंने निजी ऑपरेटरों एवं अन्य देशों से ख़तरों के बीच यूरोपीय संघ को मौद्रिक संप्रभुता बनाए रखने की ज़रूरत पर भी बल दिया.
ECB में डिजिटल यूरो के प्रोग्राम मैनेजर एवेलिन विट्लॉक्स ने माना है कि डिजिटल यूरो कहीं न कहीं व्यापक स्तर पर संस्कृति विवाद के बीच उलझ गया है. विट्लॉक्स ने डिजिटल यूरो के डिजाइन और इसको बनाने के दौरान अपनाई जाने वाली प्रक्रिया के बारे में बताते हुए कहा कि इसमें निजता की रक्षा और व्यक्तिगत ख़र्च की आज़ादी सुनिश्चित करने के लिए सभी प्रावधान किए गए हैं. हालांकि, उन्होंने यह तो माना कि इसकी विश्वसनीयता को बनाए रखना एक बड़ी चुनौती है, लेकिन ये भी कहा कि निरंतर विचार-विमर्श और बातचीत के ज़रिए भरोसे का माहौल बनाया जा सकता है.
ज़ाहिर है कि डिजिटल यूरो को लेकर फैली इसी दुविधा को समाप्त करने के लिए केंद्रीय बैंक के अफ़सर जनता को CBDC के फायदों और इसके ईमानदार इरादों के बारे में समझाने की कोशिश में जुटे हुए हैं. बैंक के अधिकारी यह भी समझ रहे हैं कि तकनीकी तर्कों से कुछ हासिल नहीं होगा, सबसे अधिक ज़रूरी डिजिटल यूरो के बारे में सरकारी नियंत्रण एवं निगरानी से जुड़ी चिंताओं का समाधान तलाशना है.
ECB की अध्यक्ष क्रिस्टीन लेगार्ड ने डिजिटल यूरो को लेकर निजता से जुड़ी चिंताओं को संबोधित करते हुए ऐलान किया है कि अभी इसको आने में लगभग दो साल का वक़्त है. ऐसे में उम्मीद की जा रही है कि ECB आने वाले कुछ हफ्तों में CBDC की तैयारियों को लेकर बड़े फैसले लेगा. हालांकि, ऐसी योजनाओं को मंज़ूरी देने का अधिकार रखने वाले यूरोपीय संसद के कई सदस्य डिजिटल यूरो को लेकर अभी भी संशय की स्थिति में हैं. क्रिस्टीन लेगार्ड ने साफ किया है कि अक्टूबर माह के अंत तक ECB की गवर्निंग काउंसिल यह निर्णय लेगी कि फिलहाल डिजिटल यूरो प्रोजेक्ट को आगे बढ़ाना है या फिर रोकना है.
जिस प्रकार से डिजिटल यूरो व्यापक तौर पर राजनीतिक संदेह के घेरे में है और इसके उद्देश्य एवं वैल्यू को लेकर भी लोगों के अलग-अलग मत हैं, उससे स्पष्ट है कि डिजिटल यूरो का भविष्य फिलहाल अनिश्चितता से घिरा हुआ है. ऐसे में ECB द्वारा आने वाले समय में डिजिटल यूरो को लेकर लिया जाने वाला अहम निर्णय और इसके बारे में फैली भ्रांतियों को दूर करने के लिए सकारात्मक नैरेटिव गढ़ने को लेकर किए जा रहे प्रयास, यह निर्धारित करने में अहम भूमिका निभाएंगे कि डिजिटल यूरो इन चुनौतियों का सामना कर पाएगा या नहीं और इसे हर तबके की स्वीकृति मिल पाएगी या नहीं.
सौरादीप बाग ऑब्ज़र्वर रिसर्च फाउंडेशन में एसोसिएट फेलो हैं.
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