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संयुक्त राज्य अमेरिका (यूएस) के राष्ट्रपति जो बाइडेन के शामिल होने में असमर्थता जताई जाने की वजह से नेताओं की बैठक से ठीक एक सप्ताह पहले सिडनी, ऑस्ट्रेलिया में 24 मई को निर्धारित 2023 क्वॉड शिखर सम्मेलन को रद्द कर दिया गया था. यह बताया गया था कि राष्ट्रपति बाइडेन की अमेरिका में घरेलू मामलों को लेकर मौज़ूदगी बहुत ज़रूरी थी, इसी के चलते उनका क्वॉड समिट में शामिल हो पाना संभव नहीं था. ज़ाहिर है कि यह वो समय था, जब अमेरिका राष्ट्रीय ऋण संकट से जूझ रहा था और ऋण चूक 31.4 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर की मौज़ूदा ऋण सीमा के बहुत क़रीब थी, साथ ही ऋण सीमा को बढ़ाने के लिए एक राजनीतिक सहमति आवश्यक थी. राष्ट्रपति जो बाइडेन का दौरा रद्द होने (पैसिफिक आइलैंड फोरम लीडर्स समिट के लिए अमेरिकी राष्ट्रपति की पापुआ न्यू गिनी की निर्धारित यात्रा को रद्द करने के साथ) को लेकर मीडिया में कुछ नकारात्मक खबरें चलीं, जिसमें कहा गया था कि ऐसे नाज़ुक वक़्त में भी अमेरिका द्वारा रणनीतिक रूप से अहम शिखर सम्मेलनों को लेकर गंभीरता ‘प्रदर्शित’ नहीं की गई. अमेरिकी प्रशासन द्वारा मीडिया में चल रही इस आलोचना का जवाब देने में जरा सी भी देरी नहीं की गई और बताया गया कि अमेरिकी प्रशासन इंडो–पैसिफिक सहयोग ढांचे और व्यवस्थाओं में हुई पर्याप्त और बहुआयामी प्रगति को लेकर गंभीर है और इसे बरक़रार रखा जा रहा है. इसके बाद एक त्वरित क़दम उठाते हुए क्वॉड समिट को चार दिन आगे बढ़ाया गया और 20 मई 2023 को हिरोशिमा में जी7 शिखर सम्मेलन के अवसर पर इस समिट का आयोजन किया गया.
अमेरिकी प्रशासन इंडो-पैसिफिक सहयोग ढांचे और व्यवस्थाओं में हुई पर्याप्त और बहुआयामी प्रगति को लेकर गंभीर है और इसे बरक़रार रखा जा रहा है. इसके बाद एक त्वरित क़दम उठाते हुए क्वॉड समिट को चार दिन आगे बढ़ाया गया और 20 मई 2023 को हिरोशिमा में जी7 शिखर सम्मेलन के अवसर पर इस समिट का आयोजन किया गया.
क्वॉड की पहली लीडर्स समिट मार्च 2021 में वर्चुअल तरीक़े से आयोजित की गई थी और इस बैठक में क्वॉड के दृष्टिकोण एवं मकसद (इसके नए और औपचारिक स्वरूप में) को रेखांकित किया गया था. इस बैठक में ज़ोर देकर कहा गया कि इसका प्राथमिक उद्देश्य हिंद–प्रशांत क्षेत्र के सामने आने वाली एक समान चुनौतियों को लेकर सहयोग करना है. इस बैठक में तीन कार्य समूहों यानी वैक्सीन, महत्त्वपूर्ण व उभरती प्रौद्योगिकियों और जलवायु पर वर्किंग ग्रुप का ऐलान किया गया. इसके पश्चात सितंबर 2021 में वाशिंगटन में एक व्यक्तिगत रूप से आयोजित क्वॉड शिखर सम्मेलन में जारी स्टेटमेंट में एक ज़्यादा व्यापक एजेंडे की रूपरेखा तैयार की गई थी. इसमें साइबर, अंतरिक्ष, आतंकवाद विरोधी, अंतर्राष्ट्रीय एवं समुद्री क़ानून और शिक्षा सहित अन्य क्षेत्रों में सहयोग को व्यापक बनाने की बात कही गई थी. इसके साथ ही इस बैठक में इस क्षेत्र में G7, G20 एवं यूरोपियन यूनियन (EU) और पहले से चल रही कुछ बुनियादी ढांचा पहलों के साथ सहयोग करने के इरादे से एक क्वॉड इंफ्रास्ट्रक्चर साझेदारी की घोषणा की गई थी. उस स्टेटमेंट में पहले स्थापित किए गए तीन कार्य समूहों के अंतर्गत हुई प्रगति का संक्षेप में उल्लेख भी शामिल था और वर्ष 2022 के अंत तक एक बिलियन सुरक्षित व प्रभावी कोविड-19 वैक्सीनों की डिलीवरी का वादा किया गया था.
मार्च 2022 में वर्चुअल माध्यम से एक और क्वॉड समिट का आयोजन किया गया. इसके संक्षिप्त स्टेटमेंट में पहले के विवरणों में दिए गए कुछ बिंदुओं को दोहराया गया. इसमें मानवीय पहलुओं पर ध्यान केंद्रित करते हुए रूस–यूक्रेन युद्ध का सामान्य तौर पर उल्लेख किया गया था. टोक्यो में मई 2022 में आयोजित क्वॉड के अगले व्यक्तिगत शिखर सम्मेलन में एक व्यापक एजेंडे को शामिल किया गया, जिसमें विभिन्न वर्गों के अंतर्गत एक विस्तृत स्टेटमेंट तैयार किया गया. इसमें शांति और स्थिरता को पहले सेक्शन के रूप में पेश किया गया था, जो स्थिरता, सुरक्षा एवं विकास और पब्लिक गुड्स यानी सार्वजनिक वस्तुओं की डिलीवरी के बीच के संबंध को प्रमुखता से सामने लाता था. इसने वादों को पूरा करने को लेकर क्वॉड के फोकस पर बल दिया और इंडो–पैसिफिक रीजन के लिए कुछ ठोस व वास्तविक लाभों पर प्रकाश डाला. इसमें अगले पांच वर्षों में इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए 50 बिलियन अमेरिकी डॉलर की मदद और 5G आपूर्तिकर्ता विविधीकरण एवं सेमीकंडक्टर आपूर्ति श्रृंखला पर सहयोग का संकेत दिया गया. इस समिट ने क्वॉड क्लाइमेट चेंज एडेप्टेशन एंड मिटिगेशन पैकेज (Q-CHAMP), क्वॉड साइबर सिक्योरिटी पार्टनरशिप, प्रिंसिपल्स ऑन क्रिटिकल टेक्नोलॉजी सप्लाई चेन, दि इंडो–पैसिफिक पार्टनरशिप फॉर मैरीटाइम डोमेन अवेयरनेस (IPMDA) और हिंद–प्रशांत क्षेत्र में क्वॉड पार्टनरशिप फॉर ह्यूमैनिटेरियन असिस्टेंस एंड डिजास्टर रिलीफ को शुरू करने का ऐलान किया.
हिरोशिमा में क्वॉड के तीसरे व्यक्तिगत शिखर सम्मेलन के बाद साझा स्टेटमेंट में इस बात पर प्रकाश डाला गया कि इस समिट की मेज़बानी ऑस्ट्रेलिया द्वारा की गई थी, लेकिन जापान में इसे आयोजित किया गया था. ज़ाहिर है कि पहले ही इस बैठक को लेकर विस्तृत योजना बनाई जा चुकी थी और पूरी तैयारी की गई थी, यही वजह थी कि अल्प सूचना पर किसी अन्य स्थान पर इस क्वॉड समिट का सुचारू और प्रभावी ढंग से संचालन संभव हो सका. इस बैठक में क्वॉड के साझा नज़रिए और तेज़ी के साथ बदलते एवं अनिश्चितता से भरे विश्व में महत्वपूर्ण क्षेत्रों में पारस्परिक रूप से सहमत सिद्धांतों के महत्व पर विशेष ज़ोर दिया गया. बैठक में एसोसिएशन फॉर साउथ ईस्ट एशियन नेशंस (ASEAN), पैसिफिक आइलैंड्स फोरम (PIF) और इंडियन ओसीन रिम एसोसिएशन (IORA) के साथ सहयोग पर विशेष फोकस को लेकर प्रकाश डाला गया. इस बैठक में जलवायु, स्वास्थ्य, बुनियादी ढांचा, प्रौद्योगिकी, साइबर, अंतरिक्ष और मैरिटाइम जैसे अहम स्तंभों के अंतर्गत प्रगति, योजनाओं एवं नई पहलों की रूपरेखा भी तैयार की गई थी. इस समिट में मार्च 2023 में क्वॉड विदेश मंत्रियों की बैठक में एक नए आतंकवाद विरोधी कार्य समूह की सहमति की भी पुष्टि की गई.
हिरोशिमा में हुई क्वॉड समिति में महत्वपूर्ण एवं उभरती प्रौद्योगिकियों, स्वच्छ ऊर्जा आपूर्ति श्रृंखलाओं और महत्त्वपूर्ण इन्फ्रास्ट्रक्चर की साइबर सुरक्षा पर नए सिद्धांतों की रूपरेखा तैयार की गई. नई घोषणाओं में समुद्र के नीचे केबल नेटवर्क के लिए क्वॉड साझेदारी, निजी क्षेत्र की अगुवाई में क्वॉड इन्वेस्टर नेटवर्क (प्रौद्योगिकी स्तंभ के अंतर्गत) और क्वॉड इंफ्रास्ट्रक्चर फेलोशिप कार्यक्रम शामिल हैं. स्पेस सिचुएशन अवेयरनेस में विशेषज्ञता और अनुभव साझा करने की योजना और IPMDA का हिंद महासागर क्षेत्र तक विस्तार करने की योजना विशेष महत्व वाली है.
मार्च 2022 में वर्चुअल माध्यम से एक और क्वॉड समिट का आयोजन किया गया. इसके संक्षिप्त स्टेटमेंट में पहले के विवरणों में दिए गए कुछ बिंदुओं को दोहराया गया. इसमें मानवीय पहलुओं पर ध्यान केंद्रित करते हुए रूस-यूक्रेन युद्ध का सामान्य तौर पर उल्लेख किया गया था
हालांकि क्वॉड के मानदंडों के अनुसार कहीं पर भी चीन का नाम नहीं लिया गया था, लेकिन सदस्य देशों की साझा चिंताओं से संबंधित कई संदर्भ स्पष्ट रूप से चीन की ओर इशारा कर रहे थे. उल्लेखनीय है कि धीरे–धीरे ही सही, लेकिन निश्चित तौर पर अब क्वॉड के स्टेटमेंट चीन के व्यवहार और उसकी कार्रवाइयों से पैदा होने वाली चुनौतियों को लेकर ज़्यादा सशक्त हो गए हैं.
ऐसा पहली बार था, जब वैश्विक बहुपक्षीय प्रणाली को मज़बूत करने एवं उसमें सुधार करने के साथ ही संयुक्त राष्ट्र के सुधार और विस्तार के एजेंडे का समर्थन करने के उद्देश्य का ज़िक्र क्वॉड स्टेटमेंट में किया गया था. हालांकि, इसमें एकीकृत मार्ग और फॉलोअप कार्रवाई के संबंध में कोई विशेष संकेत या जानकारी नहीं दी गई है.
देखा जाए तो पिछले दो वर्षों के दौरान शुरुआती कार्य समूहों (वैक्सीन, जिसे बाद में स्वास्थ्य, महत्त्वपूर्ण प्रौद्योगिकियों और जलवायु तक विस्तारित किया गया) और बाद के कार्य समूहों (इन्फ्रास्ट्रक्चर, अंतरिक्ष, साइबर) ने प्रगति दर्ज़ की है. सहयोगी साझेदारियों और कार्यक्रमों की सीमा एवं गहराई में भी उल्लेखनीय वृद्धि हुई है. इसने विकास से संबंधित विभिन्न क्षेत्रों में रणनीतियों, मौलिक सिद्धांतों और वितरण तंत्र के एकत्रीकरण में अच्छी गति हासिल की है, साथ ही चीन की आक्रामक रणनीति का सामूहिक रूप से मुक़ाबला करने में भी अच्छी–ख़ासी प्रगति हासिल की है. मज़बूत नींव के साथ क्वॉड समूह अब अपने सहयोग को उच्च स्तर पर ले जाने की स्थिति में पहुंच गया है. वर्ष 2021 के बाद से क्वॉड की समग्र धारणा भी ज़्यादा सकारात्मक हो गई है, ख़ास तौर पर दक्षिण पूर्व एशिया में. आने वाले महीनों में और इसके अधिक ठोस नतीज़े सामने आने की उम्मीद है. हालांकि, इन्हें उचित और प्रासंगिक आंकड़ों द्वारा समर्थित किया जाना चाहिए, विशेष रूप से क्षेत्र में पब्लिक गुड्स की डिलीवरी से संबंधित क्षेत्रों में.
सैन्य गठबंधन की सीमा से काफ़ी हद तक नीचे रहते हुए शांति, सुरक्षा और स्थिरता को बढ़ावा देने के लिए क्वॉड के एजेंडे पर कुछ नया करने के लिए बहुत गुंजाइश है. ज़ाहिर है कि AUKUS ने इसको लेकर एक भूमिका निभाई है, जो कि ऑस्ट्रेलिया, यूनाइटेड किंगडम और अमेरिका के बीच एक त्रिपक्षीय सुरक्षा समझौता है. हिरोशिमा क्वॉड समिट से कुछ दिन पहले, लॉस एंजेलिस में आयोजित हुई क्वॉड देशों के सैन्य प्रमुखों की पहली बैठक बेहद अहम थी. इस बैठक ने सिक्योरिटी डायलॉग या क्वॉड देशों के रक्षा मंत्रियों की बैठक शुरू करने के लिए मंच तैयार करने का काम किया. विस्तारित संयुक्त नौसैनिक अभ्यास यानी मालाबार अभ्यास को इसके इतिहास और विकास के बावज़ूद, कई लोगों द्वारा क्वॉड नौसैनिक अभ्यास के तौर पर देखा जा रहा है. यह नौसैनिक अभ्यास पहली बार अगस्त 2023 में ऑस्ट्रेलिया द्वारा आयोजित किया जा रहा है और ज़ाहिर है कि यह विशेष रूप से बहुत अहम और प्रासंगिक होगा.
अब देखा जाए तो क्वॉड एजेंडा मज़बूती के साथ क़ायम है. इस एजेंडे में उल्लेखनीय रूप से अधिक सहयोग के साथ एक बड़े और विस्तारित क्षेत्र को शामिल किया गया है. इस एजेंडे ने क्वॉड के सदस्यों के बीच द्विपक्षीय सहयोग को भी व्यापक रूप से बढ़ावा दिया है. इसके अलावा, क्वॉड के एजेंडे ने इसके सदस्यों के बीच अलग–अलग विचारों एवं चीज़ों को एक साथ लाने वाले पारस्परिक क्षेत्रों को बढ़ाने, साथ ही मतभेद वाले क्षेत्रों को लेकर सामंजस्य स्थापित करने में अपना योगदान दिया है.
हिरोशिमा में हुई क्वॉड समिति में महत्वपूर्ण एवं उभरती प्रौद्योगिकियों, स्वच्छ ऊर्जा आपूर्ति श्रृंखलाओं और महत्त्वपूर्ण इन्फ्रास्ट्रक्चर की साइबर सुरक्षा पर नए सिद्धांतों की रूपरेखा तैयार की गई.
सिडनी में आयोजित होने वाले क्वॉड शिखर सम्मेलन के रद्द होने पर ग्लोबल टाइम्स ने एक कार्टून के साथ एक ख़बर प्रकाशित की थी, जिसमें अमेरिकी राष्ट्रपति को अमेरिकी कूटनीति को आगे बढ़ाने के लिए संघर्ष करते हुए दिखाया गया था, जो कि अमेरिकी ऋण के भारी बोझ तले दबे हुए हैं. इस ख़बर का लब्बोलुआब यह था कि “सिडनी शिखर सम्मेलन को रद्द करना क्वॉड के लिए एक घातक झटका है.” हालांकि, हिरोशिमा बैठक और पिछले दो वर्षों के घटनाक्रम पर नज़र डाली जाए तो एक बहुत अलग तस्वीर उभर कर सामने आती है. एक “घातक झटके” से दूर, 2023 के क्वॉड शिखर सम्मेलन ने क्वॉड को मज़बूती से स्थापित करने का काम किया है और यह साफ कर दिया है कि यह समूह इसी प्रकार से बरक़रार रहेगा. इससे एक बात पूरी तरह से स्पष्ट हो गई है कि भविष्य में क्वॉड को नतीज़े देने पर अपना ध्यान केंद्रित रखना चाहिए, जवाबी कार्रवाई की प्रभावशीलता में सुधार करना चाहिए और ASEAN, PIF, IORA एवं हिंद–प्रशांत क्षेत्र के अन्य देशों के साथ सहयोग बढ़ाने की अपनी इच्छा को लेकर गंभीरता दिखाना चाहिए.
वाइस एडमिरल गिरीश लूथरा ऑब्ज़र्वर रिसर्च फाउंडेशन में डिस्टिंग्विश्ड फेलो हैं.
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Vice Admiral Girish Luthra is Distinguished Fellow at Observer Research Foundation, Mumbai. He is Former Commander-in-Chief of Western Naval Command, and Southern Naval Command, Indian ...
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