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स्टार्ट अप का दौर पूरा हुआ. पायलट प्रोजेक्ट्स भी हो गए. अब विश्व की सबसे बड़ी भुगतान प्रणाली को सीमा पार करनी होगी. उसे ऐसा करने के लिए भारत की व्यापक रणनीति का हिस्सा बनना होगा.
Image Source: Getty
परंपरागत रूप से पश्चिम में हाई फाइनेंस यानी बड़े लेन देन को सुगम और सक्षम बनाने वाली तकनीक भारत में लोकतांत्रिक हो गई है. फाइनेंस, जिसे विकासात्मक अर्थव्यवस्था का साधन माना जाता था, अब दुनिया की सबसे बड़ी आबादी वाले देश में आम नागरिकों के मोबाइल फोन में भी जमकर बैठ गया है. नवाचार के मामले में भारत के पास अनेक केस स्टडी मौजूद हैं. इसमें दुनिया की सबसे बड़ी वित्तीय समावेशन योजना की चर्चा की जा सकती है या फिर दुनिया की सबसे बड़ी सामाजिक सुरक्षा योजना पर बात की जाती सकती है. इतना ही नहीं भारत अब दुनिया की हाईएस्ट ट्रांजैक्टिंग इकोनॉमी यानी सबसे ज़्यादा लेनदेन करने वाली अर्थव्यवस्था भी बन गया है. इन सभी तत्वों को यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस (UPI) एक सूत्र में पिरोता है.
UPI दुनिया में भुगतान करने वाला सबसे बड़ा प्लेटफार्म बन गया है. 2024 में वीजा ने जहां प्रतिदिन 639 मिलियन भुगतान किए, वहीं 1 जून 2025 को UPI ने 644 मिलियन भुगतान किए, जबकि 2 जून को यह आंकड़ा बढ़कर 650 मिलियन पहुंच गया था. किए गए लेनदेन के मूल्य में वीजा हालांकि अभी भी अग्रणी है. वीजा ने 13.2 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर का भुगतान किया है. यह आंकड़ा UPI की ओर से किए गए 3.2 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 4 गुना से भी अधिक है. वीजा की स्थापना 1958 में की गई थी. यदि इस बारे में विचार किया जाए तो 2016 में UPI स्थापित होने के पांच दशक पहले ही वीजा की स्थापना हो चुकी थी. इस बात के मद्देनजर किए गए लेनदेन के मूल्य में वीजा का अग्रणी होना आश्चर्य की बात नहीं है. आने वाले दशकों में UPI की वॉल्यूम्स यानी मात्रा में और वृद्धि होने की संभावना है. इसका कारण यह है कि UPI अब न केवल भारत के सकल घरेलू उत्पाद (GDP) के विकास में शामिल हो रहा है बल्कि वह इसमें अपना योगदान भी दे रहा है. वर्तमान में भारत की GDP दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ने वाली GDP दर है. मई 2018 से मई 2025 के बीच प्रतिवर्ष UPI भुगतान में दो गुना बढ़ा है. आकार में एक अहम स्तर हासिल करने की वजह से इसकी गति धीमी हो सकती है लेकिन इसका विकास लगातार चलता रहेगा.
वर्तमान में भारत की GDP दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ने वाली GDP दर है. मई 2018 से मई 2025 के बीच प्रतिवर्ष UPI भुगतान में दो गुना बढ़ा है.
एक अन्य तरीके से देखा जाए तो UPI के माध्यम से होने वाले वार्षिक लेनदेन (3.2 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर) का मूल्य इटली (2.3 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर), ब्राजील (2.2 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर) और कनाडा (2.1 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर) जैसे देशों के GDP से अधिक हैं. (देखे टेबल 1)
टेबल 1: UPI की वार्षिक वृद्धि
UPI की वार्षिक वृद्धि: बोत्सवाना से इटली तक |
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12 महीने |
वार्षिक UPI का मूल्य लेनदेन (बिलियन अमेरिकी डॉलर में) |
देश जिन्होंने बाजी मारी |
जून 2017 - मई 2018 |
19.81 |
बेनिन , जमैका, बोत्सवाना |
जून 2018 - मई 2019 |
133.34 |
स्लोवाक रिपब्लिक, डोमिनिकन रिपब्लिक, इक्वाडोर |
जून 2019 - मई 2020 |
264.81 |
कज़ाकिस्तान, न्यूज़ीलैण्ड ईराक़ |
जून 2020 - मई 2021 |
566.21 |
आयरलैंड, थाईलैंड, UAE |
जून 2021 - मई 2022 |
1,068.87 |
सऊदी अरब, स्विट्जरलैंड पोलैंड |
जून 2022 - मई 2023 |
1,776.06 |
ऑस्ट्रेलिया,साउथ कोरिया , स्पेन |
जून 2023 - मई 2024 |
2,531.98 |
इटली, ब्राज़ील , कनाडा |
जून 2024 - मई 2025 |
3,234.81 |
इटली, ब्राज़ील, कनाडा (कोई नया देश शामिल नहीं) |
स्रोत: नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI) से UPI लेनदेन का डेटा; विश्व बैंक से GDP डेटा
इसे एक और अन्य तरीके से भी देखा जा सकता है दिसंबर 2016 में लांच होने के बाद से UPI के माध्यम से होने वाले ट्रांजैक्शंस के कारण प्रतिमाह किसी ने किसी देश की बराबरी का भुगतान किया है. UPI के माध्यम से होने वाले भुगतान ने मई 2025 में फिनलैंड और पुर्तगाल को पार किया. अक्टूबर 2024 में यह न्यूजीलैंड से आगे निकल गया, जबकि मई 2024 में ग्रीस और दिसंबर 2023 में इसने कतर और हंगरी को पीछे छोड़ दिया था. देखें टेबल 2
टेबल 2 : UPI की मासिक वृद्धि: तुवालू से फिनलैंड तक
महीना |
मासिक यूपीआई लेनदेन का मूल्य (मिलियन डॉलर में) |
देशों ने बाजी मारी |
दिसम्बर 2016 |
85 |
तुवालु |
जनवरी 2017 |
204 |
नाउरू |
मार्च 2017 |
291 |
पलाउ, किरिबाती, मार्शल द्वीप समूह |
अगस्त 2017 |
499 |
फ़ेडरेटेड स्टेट्स ऑफ़ माइक्रोनेशिया |
सितम्बर 2017 |
639 |
टोंगा |
अक्टूबर 2017 |
847 |
साओ टॉम एंड प्रिन्सिपे, डॉमिनिका, सेंट मार्टिन |
नवंबर 2017 |
1,160 |
वानुअतु, उत्तरी मरीना द्वीप, सेंट विंसेंट और ग्रेनेडाइंस, सेंट किट्स और नेविस, समोआ, अमेरिकी समोआ |
दिसम्बर 2017 |
1,581 |
टर्क्स एंड कैकोस द्वीप समूह, कोमोरोस, ग्रेनेडा |
जनवरी 2018 |
1,869 |
सैन मैरिनो, माइक्रोनेशिया के संघीय राज्य, सिंट मार्टेन |
फरवरी 2018 |
2,295 |
सेशेल्स, लेसोथो, तिमोर-लेस्ते, इरीट्रिया, गिनी-बिसाऊ, एंटीगुआ और बारबुडा |
मार्च 2018 |
2,901 |
भूटान, बुरुंडी, मध्य अफ्रीकी गणराज्य, काबो वर्डे, सेंट लूसिया, गाम्बिया |
अप्रैल 2018 |
3,243 |
ग्रीनलैंड, बेलीज़ |
मई 2018 |
3,995 |
फरो आइलैंड्स, अंडोरा, अरूबा, सूरीनाम, कुराकाओ |
जून 2018 |
4,900 |
वर्जिन द्वीप समूह, इस्वातिनी, लाइबेरिया, जिबूती |
जुलाई 2018 |
6,221 |
फ़्रेंच पोलिनेशिया, फ़िजी |
अगस्त 2018 |
6,505 |
सियरा लिओन |
सितम्बर 2018 |
7,180 |
केमैन द्वीप, गुआम, बारबाडोस, मालदीव |
अक्टूबर 2018 |
8,997 |
बरमूडा, आइल ऑफ मैन, मोंटेनेग्रो, लिकटेंस्टीन |
नवंबर 2018 |
9,868 |
न्यू कैलेडोनिया, टोगो |
दिसंबर 2018 |
12,311 |
ताजिकिस्तान, दक्षिण सूडान, सोमालिया, मॉरिटानिया, कोसोवो, मोनाको |
जनवरी 2019 |
13,192 |
चाड, मलावी, चैनल द्वीप समूह, नामीबिया, इक्वेटोरियल गिनी |
मार्च 2019 |
16,015 |
लाओ पीडीआर, मेडागास्कर, उत्तरी मैसेडोनिया, कांगो, ब्रुनेई दारुस्सलाम, मॉरीशस, बहामास, रवांडा, किर्गिज़ गणराज्य |
अप्रैल 2019 |
17,044 |
नाइजर, मोल्दोवा |
मई 2019 |
18,294 |
निकारागुआ, वेस्ट बैंक और गाजा, अफगानिस्तान, गुयाना |
अक्टूबर 2019 |
22,963 |
माल्टा, गिनी, यमन, लेबनान, मोजाम्बिक, माली, मंगोलिया, बुर्किना फासो, हैती, बेनिन, जमैका, बोत्सवाना, गैबॉन, निकारागुआ, अफगानिस्तान |
दिसंबर 2019 |
24,302 |
आर्मेनिया, सीरिया, अल्बानिया |
जून 2020 |
31,420 |
आइसलैंड, सेनेगल, जॉर्जिया, पापुआ न्यू गिनी, जाम्बिया, बोस्निया और हर्जेगोविना, त्रिनिदाद और टोबैगो |
जुलाई 2020 |
34,865 |
होंडुरास, अल साल्वाडोर, साइप्रस |
अगस्त 2020 |
35,797 |
जिम्बाब्वे |
अक्टूबर 2020 |
46,333 |
बहरीन, मकाऊ, बोलीविया, लीबिया, पैराग्वे, कंबोडिया, लातविया, आर्मेनिया, नेपाल |
दिसंबर 2020 |
49,941 |
कैमरून, युगांडा, ट्यूनीशिया |
जनवरी 2021 |
51,742 |
जॉर्डन |
जून 2021 |
65,685 |
तुर्कमेनिस्तान |
जुलाई 2021 |
72,754 |
उरुग्वे, घाना, अजरबैजान, बेलारूस, स्लोवेनिया, म्यांमार, कांगो |
अक्टूबर 2021 |
92,573 |
कोस्टा रिका, लक्जमबर्ग, अंगोला, क्रोएशिया, श्रीलंका, पनामा, सर्बिया, लिथुआनिया, तंजानिया, कोटे डी आइवर |
मार्च 2022 |
115,270 |
सूडान, ओमान, केन्या, क्यूबा, ग्वाटेमाला, बुल्गारिया, उज़्बेकिस्तान |
अप्रैल 2022 |
117,996 |
प्यूर्टो रिको |
मई 2022 |
124,982 |
डोमिनिकन गणराज्य, इक्वाडोर |
सितंबर 2022 |
133,973 |
स्लोवाक गणराज्य |
अक्टूबर 2022 |
145,390 |
मोरक्को |
मार्च 2023 |
169,253 |
कुवैत, इथियोपिया |
जुलाई 2023 |
184,024 |
यूक्रेन |
दिसंबर 2023 |
218,754 |
कतर, हंगरी |
मई 2024 |
245,392 |
ग्रीस |
अक्टूबर 2024 |
281,979 |
पेरू, कजाकिस्तान, न्यूजीलैंड, इराक, अल्जीरिया |
मार्च 2025 |
297,267 |
फिनलैंड, पुर्तगाल |
अप्रैल 2025 |
287,391 |
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मई 2025 |
301,716 |
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स्रोत : नेशनल पेमेंट्स कारपोरेशन ऑफ़ इंडिया (NPCI), वर्ल्ड बैंक के GDP डाटा से लिए गए UPI भुगतान के मूल्य की जानकारी.
UPI की सफ़लता पांच स्तंभों पर आधारित है.
पहला स्तंभ है 8 नवंबर 2016 को ₹500 तथा ₹1000 के नोट पर लागू की गई पाबंदी, जिसे नोटबंदी कहा गया था. नोटबंदी की वजह से भुगतान करने की पर्याय प्रणाली को अपनाने की आपात आवश्यकता पैदा हुई थी. ऐसे में इलेक्ट्रॉनिक पेमेंट्स को तेजी से अपनाया गया. नोटबंदी को एक नीतिगत धक्का या पहल मानते हुए भारतीय नागरिकों ने सांस्कृतिक लचीलेपन का प्रदर्शन करते हुए नगद के मुकाबले इलेक्ट्रॉनिक राशि को स्वीकारने में बेहतरीन सहयोग किया. वर्तमान में नगद को भुगतान का माध्यम बनाने की बजाय लोग इसे आपातकालीन व्यवस्था के रूप में जमा रखना जरूरी समझते हैं या आपात व्यवस्था में ही नगदी का उपयोग किया जाता है. ऐसे में नगदी का उपयोग कम होते जा रहा है जबकि डिजिटल का उपयोग तेजी से बढ़ रहा है.
8 नवंबर 2016 को ₹500 तथा ₹1000 के नोट पर लागू की गई पाबंदी, जिसे नोटबंदी कहा गया था. नोटबंदी की वजह से भुगतान करने की पर्याय प्रणाली को अपनाने की आपात आवश्यकता पैदा हुई थी.
दूसरा कारण यह था कि भारतीय नागरिकों ने डिजिटल भुगतान को काफ़ी आसानी से स्वीकार कर लिया था. भारतीय नागरिकों तक डिजिटल सुविधा पहुंचाने में जिओ के लॉन्च ने अहम भूमिका अदा की थी. जिओ ने दुनिया में सबसे सस्ती दरों पर उच्च गुणवत्ता वाला डाटा आम नागरिकों तक पहुंचाया था. इस रणनीति को बाद में अन्य टेलीकॉम कंपनियों ने भी अपनाया. इसकी वजह से स्मार्टफोन की पैठ में इज़ाफ़ा हुआ और डिजिटल ट्रांजैक्शंस में भी वृद्धि देखी गई.
तीसरा स्तंभ यह था कि जहां इंटरनेट कनेक्टिविटी की समस्या थी, वहां UPI फीचर फोन पर भी काम करता था.
चौथा स्तंभ था कि क्रेडिट कार्ड के मुकाबले UPI पर भुगतान करने के लिए कोई शुल्क नहीं लगता था. भारत जैसे देश में इस व्यवस्था ने चुंबक का काम किया.
और पांचवां तथा अंतिम स्तंभ था कि UPI सरकार की ओर से फाउंडेशनल डिजिटल सिस्टम यानी आधारभूत डिजिटल प्रणाली मुहैया करवाने के लिए शुरू किए गए अभियान का हिस्सा था. यह आधारभूत डिजिटल प्रणाली मुहैया करवाने के लिए सरकार पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर को खड़ा कर रही थी और आधार के आइडेंटी इंफ्रास्ट्रक्चर यानी पहचान संबंधी बुनियादी ढांचे का उपयोग करते हुए उपयोगकर्ता के डाटा को बैंकिंग सिस्टम के साथ जोड़ रही थी.
भविष्य की ओर देखते हुए ग्लोबल साउथ के एक उभरते हुए समर्थक और एंकर के रूप में भारत अपनी व्यापक रणनीति के तहत UPI इंफ्रास्ट्रक्चर का इंटरनेशनल पब्लिक गुड तथा इकोनामिक कंपोनेंट यानी आर्थिक हिस्से के रूप में इस्तेमाल कर सकता है. यह एक ऐसा भविष्य है जिसे वर्तमान में आकर दिया जा रहा है. भारत से बाहर UPI सात देशों - UAE, सिंगापुर, भूटान, नेपाल, श्रीलंका, फ्रांस तथा मॉरीशस में काम कर रहा है. फ्रांस के साथ UPI ने 18 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर के यूरोपियन यूनियन (EU) मार्केट में प्रवेश कर लिया है. अब वह बचे हुए 26 देशों जिसमें जर्मनी से लेकर इटली और इटली से लेकर पुर्तगाल और माल्टा तक का समावेश है, तक कैसे विस्तारित होता है यह देखने वाली बात होगी. सिंगापुर ने 4 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर वाले एसोसिएशन ऑफ साउथ ईस्ट एशियन नेशंस (ASEAN) बाज़ार तक पहुंच बना ली है. जापान तथा ऑस्ट्रेलिया अब अगले डिजिटल डेस्टिनेशन हैं.
इनके अलावा एशिया, अफ्रीका और साउथ अमेरिका की विकासशील अर्थव्यवस्था पर भी विचार किया जाना चाहिए. UPI उन भौगोलिक क्षेत्र में बेहतर तरीके से काम करेगा जहां अर्थव्यवस्था अभी भी अधिकतर इनफॉर्मल यानी अनौपचारिक है. इन भौगोलिक क्षेत्र में भारत अपने इंफ्रास्ट्रक्चर के संपूर्ण बास्केट यानी JAM (जनधन योजना, आधार तथा मोबाइल) तिकड़ी को सफ़लता के साथ दोहरा सकता है. इसका अर्थ यह है कि भारत न केवल UPI समकक्ष उपलब्ध करवा सकता है बल्कि वह JAM की तर्ज़ पर ही देश विशेष की आवश्यकताओं पर ध्यान देकर एक विस्तृत रणनीति तैयार कर सकता है. इसके तहत न केवल बैंकिंग आइडेंटिटी और टेलीकॉम के इर्द-गिर्द बुनियादी सुविधाएं खड़ी की जा सकती है बल्कि सरकार से सरकार के बीच भी पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप के माध्यम से साझेदारी की जा सकती है. इस रणनीति के तहत बुनियादी ढांचे पर काम करने के लिए सहयोगी देशों को सलाह देने का भी काम किया जा सकता है.
भारत से बाहर UPI सात देशों - UAE, सिंगापुर, भूटान, नेपाल, श्रीलंका, फ्रांस तथा मॉरीशस में काम कर रहा है. फ्रांस के साथ UPI ने 18 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर के यूरोपियन यूनियन (EU) मार्केट में प्रवेश कर लिया है.
एक देश के बाद दूसरा देश, एक वक़्त में UPI की सफ़लता के एक ही हिस्से के दम पर दुनिया के साथ साझेदारी खड़ी करने का काम किया जा सकता है. UPI का सहयोग लेकर फाइन प्रिंट-फ्री जिओ इकोनॉमिक्स यानी भू-अर्थव्यवस्था को बारीकी बातों से मुक़्त करते हुए UPI को भूराजनीति के एक साधन के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है. दुनिया भर के लोकतांत्रिक देशों के साथ बुनियादी सुविधाओं में इज़ाफ़ा करने के लिए एक स्पष्ट संवाद रणनीति की आवश्यकता है. ऐसा करते हुए एक सॉफ्ट पावर के रूप में भारत की गुडविल को खड़ा किया जा सकता है. हालांकि इसमें भला करने के मुकाबले भलाई मिलेगी यह उम्मीद नहीं की जा सकती, जैसा की हाल ही में तुर्की के मामले में आए अनुभव से साफ़ हो जाता है. इसके बावजूद एक उभरती हुई शक्ति के लिए यह एक ऐसा साहसिक कदम है जो उसे उठाना ही चाहिए.
फाइनेंशियल इंफ्रास्ट्रक्चर की रणनीतिक प्रकृति को देखते हुए, विशेषतः एक ऐसे वक़्त में जब व्यापार से लेकर तकनीक स्वास्थ्य और यहां तक कि जलवायु तक को हथियार बनाया जा रहा है, भारत के पास एक ऐसा अवसर है जिसे वह भूना सकता है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वसुधैव कुटुम्बकम यानी दुनिया एक परिवार है की विचारधारा सामने रखी है. वैसे ही भारत इस अवसर को उनकी विचारधारा से मेल खाते हुए क्रियान्वित कर सकता है. एक स्तर हासिल करने के बाद UPI महान शक्ति स्पर्धा की राजनीति के बोझ तले बिखरती जा रही दुनिया में भारत के लिए बातचीत का रास्ता खोलने वाला एक टर्निंग प्वाइंट साबित हो सकता है. नई वैश्विक व्यवस्था को भारत की ज़रूरत है. और भारत को इस व्यवस्था में अपनी साख जमाने के लिए अन्य बातों के अलावा खुद को वैश्विक सार्वजनिक हित के उत्पादक और वितरक के रूप में स्थापित करना होगा. पूर्व में इस्तेमाल की गई वैक्सीन डिप्लोमेसी की तर्ज़ पर ही भारत को UPI डिप्लोमेसी बनाकर इसकी विशेषताओं का उपयोग अपनी उभरती हुई व्यापक रणनीति के एक हिस्से के रूप में करना होगा.
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Gautam Chikermane is Vice President at Observer Research Foundation, New Delhi. His areas of research are grand strategy, economics, and foreign policy. He speaks to ...
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