जिओपॉलिटिक्स को ताक़त एक नई चीज़ दे रही है और वो है जिओ-टेक्नोलॉजी. अगर हमारे आसपास तकनीक और सूचना से लेकर कारोबार और समाज तक बाधित होकर बेतरतीब, लगातार आंकड़ों की लहर का अव्यवस्थित ढेर बन जाए तो राजनीति इन व्यापक सामाजिक रुझानों से सुरक्षित या अलग-थलग नहीं रह सकती है और न ही उसे रहना चाहिए. ख़ासकर तब, जब एल्गोरिदम सामानों, सेवाओं और सूचनाओं के लिए लोगों की गहरी इच्छा का हिसाब लगाने लगे तो ये मान लेना ग़लत होगा कि ये मतदाताओं और नेताओं की आकांक्षा के ज़रिए अंतर्राष्ट्रीय राजनीति में घुसपैठ नहीं करेगा.
जब एल्गोरिदम सामानों, सेवाओं और सूचनाओं के लिए लोगों की गहरी इच्छा का हिसाब लगाने लगे तो ये मान लेना ग़लत होगा कि ये मतदाताओं और नेताओं की आकांक्षा के ज़रिए अंतर्राष्ट्रीय राजनीति में घुसपैठ नहीं करेगा.
तब भी डोनाल्ड ट्रंप के इर्द-गिर्द इन बदलावों के बारे में समझ बनाने की कोई भी कोशिश तभी तक सीमित रहेगी जब तक कि इस लगातार बाधित होने वाले सूचनाओं के ढेर के नीचे पूरा, कई सिर वाला सांप दिख नहीं जाता. शी जिनपिंग के नेतृत्व में सत्तावादी चीन जिओ-टेक्नोलॉजी के बाधित करने वाले स्वभाव का इस्तेमाल लोकतांत्रिक देशों के संचार नेटवर्क में घुसपैठ करने और चीन की हर संस्था को जासूसी के औज़ार में बदलकर सूचना जमा करने और उन सूचनाओं का इस्तेमाल लोकतांत्रिक देशों के ख़िलाफ़ करने में सक्षम रहा है. लेकिन किसी समय में लोकतांत्रिक प्रतिघात भी दिखेगा. वो समय आज है क्योंकि पूरी दुनिया में चीन के हुआवेई को दूरसंचार के क्षेत्र में प्रतिबंधित करने को लेकर तेज़ी से सर्वसम्मति बन रही है.
अगर 20वीं शताब्दी ने दुनिया को महामंदी दी है तो 21वीं शताब्दी महा-बाधा पेश कर रही है. अमेरिकी चुनाव के नतीजों के बावजूद ये महा-बाधा यहां रहने वाली है. ट्रंप की हार के बावजूद अमेरिकी नागरिकों की चेतना की लहर एक और बाधा पैदा करेगी नहीं तो ट्रंप के बाधा पैदा करने के, बदले हुए रूप के लिए अगले राष्ट्रपति को मजबूर करेगी.
वास्तव में ट्विटर या फ़ेसबुक जैसे प्लेटफॉर्म, 21वीं शताब्दी को आकार देने वाले हैं, लेकिन 19वीं शताब्दी में जिनकी बुनियाद है, जब अतीत के विचारों पर नियंत्रण करने वाले माध्यम की तरह व्यवहार करने लगते हैं तो उन्हें सबक़ सिखाया जाता है.
इस स्पष्ट अव्यवस्था की लहर में खो चुका- या कहिए कि राजनीतिक-सामाजिक परिवर्तन में बदलाव के शीर्ष पर है. एक किस्म का अजीब अतीत जिसमें विचारों पर नियंत्रण, आइडिया का एकाधिकार और मीडिया, शैक्षणिक समुदाय और इसकी सेवा करने वाली और इससे फ़ायदा उठाने वाली सोच शामिल है. तकनीक सूचनाओं को सीधे स्रोत से जिज्ञासुओं तक ला रही है. वास्तव में ट्विटर या फ़ेसबुक जैसे प्लेटफॉर्म, 21वीं शताब्दी को आकार देने वाले हैं, लेकिन 19वीं शताब्दी में जिनकी बुनियाद है, जब अतीत के विचारों पर नियंत्रण करने वाले माध्यम की तरह व्यवहार करने लगते हैं तो उन्हें सबक़ सिखाया जाता है.
सूचना तकनीक के ज़रिये जिओ-पॉलिटिक्स
इसी तरह नीतियों के उदारवादी चश्मे से पारित होने की ज़रूरत ख़त्म हो गई है. सबसे शक्तिशाली लोकतंत्र और सबसे शक्तिशाली सत्तावादी शासन के बीच सूचनाओं की जंग में ट्रंप ने शी को मिली छूट की सोच में ख़लल डाल दिया है. चीन की कम्युनिस्ट पार्टी, जो ख़ुद सम्राट शी से कमतर है, के नियंत्रण के तहत चीन पिछले तीन दशकों से मदद के जिस लंबे हाथ का अभ्यस्त हो चुका है वो उसे नहीं मिल रहा है.
अगर शी हुआवेई को हथियार के रूप में इस्तेमाल करने की कोशिश कर रहे हैं तो ट्रंप ने इसका जवाब जिओ-टेक्नोलॉजिकल रक्षा से दिया है जिसके तहत उन्होंने पिछले कुछ महीनों में यूरोप के 13 देशों में हुवावे के 5जी शुरू करने पर पाबंदी लगवा दी है.
अगर शी हुआवेई को हथियार के रूप में इस्तेमाल करने की कोशिश कर रहे हैं तो ट्रंप ने इसका जवाब जिओ-टेक्नोलॉजिकल रक्षा से दिया है जिसके तहत उन्होंने पिछले कुछ महीनों में यूरोप के 13 देशों में हुवावे के 5जी शुरू करने पर पाबंदी लगवा दी है. आने वाले महीनों में महाशक्तियों का ये जिओ-टेक्नोलॉजिकल युद्ध क्षेत्र अपनी निगाहें यूरोप से एशिया की तरफ़ करेगा और ख़लल पैदा करने की तरंगें इसके साथ वहां भी जाएगी.
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