Author : Pulkit Mohan

Published on Sep 03, 2022 Updated 0 Hours ago

10वां समीक्षा सम्मेलन एक ऐसे समय में आयोजित हुआ जब अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा संदर्भ अप्रत्याशित बने हुए हैं. ऐसे में सार्थक संवाद और उसके बाद योजनाओं पर ठोस अमल किए जाने की दरकार है.

परमाणु निरस्त्रीकरण का भविष्य: 10वें NPT समीक्षा सम्मेलन से क्या हासिल हुआ?

अगस्त 2022 में न्यूयॉर्क में परमाणु हथियार अप्रसार संधि (NPT) के 10वें समीक्षा सम्मेलन का आयोजन किया गया. परमाणु हथियारों के इस्तेमाल के बढ़ते ख़तरों के मद्देनज़र अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा वातावरण के भविष्य पर तीन हफ़्तों तक मंथन हुआ. परमाणु हथियारों और हथियार प्रौद्योगिकी के प्रसार को रोकने के इरादे के प्रकटीकरण के रूप में अंतरराष्ट्रीय संधि के तौर पर NPT मील का पत्थर है. परमाणु निरस्त्रीकरण इस संधि का लक्ष्य है. परमाणु अप्रसार पर केंद्रित ये संधि 1970 में प्रभाव में आई थी. दुनिया के 191 राष्ट्रीय पक्ष इसपर दस्तख़त कर चुके हैं. संधि की धारा 7 (तीसरे पैराग्राफ़) में हर पांच साल में इसके संचालन और अमल की समीक्षा किए जाने की बात कही गई है. 

परमाणु हथियारों और हथियार प्रौद्योगिकी के प्रसार को रोकने के इरादे के प्रकटीकरण के रूप में अंतरराष्ट्रीय संधि के तौर पर NPT मील का पत्थर है.

संधि पर अमल और हासिल नतीजों के आकलन और विश्लेषण में NPT समीक्षा सम्मेलनों की अहम भूमिका होती है. इसके ज़रिए अगले पांच वर्षों की कार्ययोजना तैयार की जाती है. NPT के प्रभाव में आने के 25 साल बाद 1995 के समीक्षा और विस्तार सम्मेलन में NPT के बेमियादी विस्तार का फ़ैसला लिया गया. 2020 के समीक्षा सम्मेलन को कोविड-19 से जुड़ी पाबंदियों के चलते अगस्त 2022 तक के लिए टाल दिया गया था. ग़ौरतलब है कि 2015 का समीक्षा सम्मेलन अगले पांच सालों के लिए कोई ठोस प्रस्ताव मंज़ूर किए बिना ही समाप्त हो गया था. उसके बाद पिछले महीने ऐसे सम्मेलन का आयोजन हो सका है. 2010 के समीक्षा सम्मेलन में NPT से जुड़े राष्ट्रों ने आख़िरी बार एक नतीजा दस्तावेज़ को मंज़ूरी दी थी. इसमें उठाए जाने वाले क़दमों के लिए निष्कर्षों और सिफ़ारिशों की पहचान की गई थी, जिनमें 1995 के मध्य पूर्व प्रस्ताव पर अमल से जुड़ा फ़ैसला भी शामिल है. 

अगस्त 2022 में 7 वर्षों के अंतराल के बाद 10वें समीक्षा सम्मेलन का आयोजन हुआ. शीत युद्ध के बाद के दौर में भूराजनीतिक तनाव और परमाणु हथियारों से जुड़े ख़तरे इस वक़्त सबसे ज़्यादा गंभीर हैं. संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस दुनिया में बढ़ती विषमताओं और शांति और सुरक्षा के सामने मौजूद चुनौतियों के बारे में चेतावनी दे चुके हैं. उन्होंने भूराजनीति पर कोविड-19 के दुष्प्रभाव की भी चर्चा की है. गुटेरेस ने दो टूक शब्दों में कहा है कि “परमाणु प्रसार के जोख़िम बढ़ रहे हैं और हालात को बदतर होने से रोकने के उपाय ढीले पड़ते जा रहे हैं. परमाणु ख़तरे के साये में दुनिया भर में कई तरह के संकट गहरा रहे हैं. इनमें मध्य पूर्व और कोरिया प्रायद्वीप से लेकर यूक्रेन पर रूसी हमले समेत दुनिया भर के तमाम कारक शामिल हैं.” नतीजतन हालिया सम्मेलन की शुरुआत से पहले ही कुछ अहम कार्यक्षेत्रों की पहचान कर ली गई. इनका मक़सद परमाणु हथियारों का प्रयोग रोकने पर राष्ट्रों की प्रतिबद्धता को दोबारा ज़ाहिर करना था. साथ ही परमाणु हथियारों के भंडार में कटौती कर आख़िरकार इनका पूरी तरह ख़ात्मा करने, निरस्त्रीकरण समझौतों पर बल देने और मध्य पूर्व के साथ एशिया में तनाव कम करने पर भी ज़ोर दिया गया. इसके अलावा यूक्रेन पर रूसी हमले के परमाणु अप्रसार पर पड़े असर पर भी ग़ौर किया गया. NPT समीक्षा सम्मेलन में मुख्य समितियां और सहायक निकाय शामिल होते हैं. ये तमाम इकाइयां परमाणु निरस्त्रीकरण, अप्रसार से जुडे़ मुद्दों और परमाणु ऊर्जा के शांतिपूर्ण इस्तेमाल पर ग़ौर करती हैं. इन परिचर्चाओं से निकले विश्लेषणों और पहचाने गए नतीजों का बाद में रिपोर्ट्स के तौर पर मसौदा तैयार किया जाता है. ये अंतिम दस्तावेज़ में शामिल किए जाते हैं, जिसे NPT से जुड़े राष्ट्र पक्षों के बीच आम सहमतियों के आधार पर तैयार किया जाता है. 10वें NPT समीक्षा सम्मेलन की मुख्य समितियों की मसौदा रिपोर्ट को सार्वजनिक कर दिया गया है. ऐसे में ताज़ा क़वायद के प्रत्याशित नतीजों को रेखांकित करना प्रासंगिक हो जाता है. 

परमाणु निरस्त्रीकरण पर मुख्य समिति I और सहायक निकाय I 

परमाणु निरस्त्रीकरण पर मुख्य समिति I को पक्षकारों द्वारा संधि पर अमल की समीक्षा की ज़िम्मेदारी दी गई है. ज़ाहिर तौर पर 2022 समीक्षा सम्मेलन समिति I की मसौदा रिपोर्ट में परमाणु शक्ति संपन्न देशों (NWS) और ग़ैर-परमाणु हथियारों वाले राष्ट्रों ने NPT और उसकी धाराओं के प्रति प्रतिबद्धता दोहराई है. ग़ौरतलब है कि मसौदा रिपोर्ट के ज़रिए NWS ने धारा 6 में दी गई वचनबद्धताओं को पूरा करने की बात रेखांकित की है. इसमें “परमाणु निरस्त्रीकरण के लक्ष्य के अनुरूप उनके परमाणु भंडारों का पूरी तरह से ख़ात्मा करने” की ज़रूरत पर ज़ोर दिया गया है. कमेटी I की रिपोर्ट में भी तमाम पक्षकारों में पारदर्शिता और भरोसा बहाल करने के उपायों पर बल दिया गया है. साथ ही मानव जीवन पर परमाणु हथियारों के असर से जुड़ी चिंता भी साझा की गई है. 

परमाणु ख़तरे के साये में दुनिया भर में कई तरह के संकट गहरा रहे हैं. इनमें मध्य पूर्व और कोरिया प्रायद्वीप से लेकर यूक्रेन पर रूसी हमले समेत दुनिया भर के तमाम कारक शामिल हैं.” नतीजतन हालिया सम्मेलन की शुरुआत से पहले ही कुछ अहम कार्यक्षेत्रों की पहचान कर ली गई. इनका मक़सद परमाणु हथियारों का प्रयोग रोकने पर राष्ट्रों की प्रतिबद्धता को दोबारा ज़ाहिर करना था.

सहायक निकाय I की मसौदा रिपोर्ट में भी सकारात्मक सिफ़ारिशें की गई हैं. इसमें परमाणु निरस्त्रीकरण और सुरक्षा आश्वासनों पर कार्यबिंदुओं का ख़ुलासा किया गया है. सबसे अहम बात ये है कि सहायक निकाय I ने 2026 की समाप्ति तारीख़ से पहले न्यू स्टार्ट को लेकर अमेरिका और रूस से “उत्तराधिकार संबंधी ढांचे” से जुड़ी वार्ता के लिए प्रतिबद्धता जताने की ज़रूरत बताई है. मसौदा रिपोर्ट में NPT NWS और मित्र देशों द्वारा राष्ट्रीय और सामूहिक सुरक्षा सिद्धांतों में परमाणु हथियारों में कमी लाकर उनके ख़ात्मे की ओर बढ़ने की स्पष्ट प्रतिबद्धता शामिल की गई है. इस तरह की अनोखी क़वायद को पहली बार अंजाम दिया गया है. मसौदे में एक और अहम सिफ़ारिश NPT राष्ट्र पक्षों द्वारा “संधि की धारा VI और अतीत के समीक्षा सम्मेलनों पर अमल को लेकर नियमित रिपोर्ट दाख़िल करने” की प्रतिबद्धता से जुड़ी है.

यहां एक अहम बात का ज़िक्र ज़रूरी है. दरअसल न्यू स्टार्ट पर चर्चा और एक संभावित रिपोर्टिंग तंत्र के अलावा मसौदा रिपोर्ट में ठोस कार्य योजना बिंदुओं का अभाव है. समीक्षा सम्मेलन से पैमाइशी या ठोस नतीजे या कोई घटनाक्रम सामने नहीं आए हैं. लिहाज़ा पूर्व में हुए सम्मेलनों की तरह ताज़ा क़वायद भी बुनियादी आलोचनाओं की ज़द में आ गई. दरअसल अतीत में भी कार्य बिंदुओं पर अमल के लिए समयसीमाओं के अभाव में कोई पैमाइशी नतीजे हासिल नहीं हुए थे.

इस बार उभरकर आई एक और आलोचना समीक्षा सम्मेलन में सिविल सोसाइटी की भूमिका की ग़लतबयानी से जुड़ी है. ऐसा देखा गया है कि इसमें सिविल सोसाइटी की भागीदारी ना के बराबर होती है. दरअसल उनके सदस्यों को प्रतिनिधिमंडल के बैठक कक्ष में प्रवेश नहीं दिया जाता. साथ ही मुख्य समिति की बैठकों में उनके बोलने और सहायक निकाय में होने वाले विचार-मंथन सुनने पर पाबंदियां रहती हैं.

अप्रसार पर मुख्य समिति II और परमाणु ऊर्जा के शांतिपूर्ण प्रयोग पर मुख्य समिति III 

अप्रसार पर मुख्य समिति II और परमाणु ऊर्जा के शांतिपूर्ण प्रयोग पर मुख्य समिति III की मसौदा रिपोर्टों में यूक्रेन पर रूसी हमले के संदर्भ में एक अहम विवादित मसले को रेखांकित किया गया है. ये मसला यूक्रेन में ज़ैपरोज़िया परमाणु बिजली संयंत्र (NPP) पर रूसी क़ब्ज़े से जुड़ा है. NPT पक्षकारों ने जैपरोज़िया NPP पर रूसी क़ब्ज़े के चलते परमाणु आपदा के जोख़िम से जुड़ी चिंताओं पर ज़ोर दिया. मसौदा रिपोर्ट में NPP पर यूक्रेनी नियंत्रण बहाल करने और उसकी सुरक्षा और संरक्षा सुनिश्चित करने की बात कही गई है. बहरहाल रूस ने दोनों ही क़वायदों (NPP पर क़ब्ज़ा ख़त्म करने या इसके इर्द-गिर्द असैनिक इलाक़ा स्थापित करने) को लेकर अपनी बेपरवाही का एलान कर दिया है. ऐसे में ज़ैपरोज़िया NPP से जुड़े हालात बेहद नाज़ुक बने हुए हैं. समिति II और III दोनों ने ही इसे विवादित बिंदु के तौर पर रेखांकित किया है. 

मुख्य समिति III और सहयोगी निकाय III ने “प्रायोजित कार्यक्रमों के ज़रिए परमाणु ऊर्जा के शांतिपूर्ण प्रयोग के क्षेत्रों में लैंगिक समानता के स्तर में सुधार और समावेशी श्रमबल को बढ़ावा देने” के प्रयास किए जाने की अपील भी की है. मसौदा रिपोर्ट की एक बात क़ाबिल-ए-ग़ौर है- इसमें परमाणु दायरे में समानता के महत्व और महिलाओं की भूमिका को अहमियत देने की बात कही गई है.   

समीक्षा सम्मेलन 2022 से हासिल नतीजे

समीक्षा सम्मेलन 2022 की मसौदा रिपोर्ट में परमाणु हथियार निषेध संधि (TPNW) की तस्दीक़ की गई है. हालांकि इसमें TPNW या उसके मानकों की मंज़ूरी का अभाव दिख रहा है. ये भी साफ़ नहीं है कि NPT ढांचे के तहत इन्हें कैसे आगे बढ़ाया जाएगा.

10वां समीक्षा सम्मेलन एक ऐसे समय में आयोजित हुआ जब अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा संदर्भ अप्रत्याशित बने हुए हैं. ऐसे में सार्थक संवाद और उसके बाद योजनाओं पर ठोस अमल किए जाने की दरकार है.

लाज़िमी तौर पर मुख्य समितियों और सहायक निकायों की मसौदा रिपोर्टों में NPT के अहम सिद्धांतों की अहमियत को लेकर प्रतिबद्धता दोहराई गई है. इनमें परमाणु हथियारों में कटौती, संपूर्ण निरस्त्रीकरण और परमाणु ऊर्जा के शांतिपूर्ण प्रयोग शामिल हैं. हालांकि इस रास्ते में कुछ बुनियादी चुनौतियां बरक़रार हैं. इनमें बढ़ते परमाणु ख़तरों से निपटने में तात्कालिकता के अभाव के साथ-साथ ठोस समयसीमाओं और कार्य बिंदुओं का नदारद होना शामिल है. 

इस सिलसिले में उभरने वाला एक अहम कारक मानवतावादी परिणामों से संबंधित पहलू के साथ-साथ कार्ययोजना बिंदुओं से जुड़ा है. इनमें न्यू स्टार्ट उत्तराधिकार ढांचे के साथ NPT के भीतर एक रिपोर्टिंग तंत्र का संभावित क्रियान्वयन शामिल है.

फ़िलहाल अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा वातावरण बेहद नाज़ुक है. ऐसे में NPT समीक्षा सम्मेलन की प्रमुख चिंता सिफ़ारिशों के ठोस क्रियान्वयन से जुड़ी प्रतिबद्धता को लेकर है. इसके साथ ही मौजूदा दौर के अहम मसलों के निपटारे का सवाल भी अहम है- इनमें परमाणु ख़तरों के मानवतावादी परिणाम और यूक्रेन पर रूसी चढ़ाई शामिल हैं. 10वां समीक्षा सम्मेलन एक ऐसे समय में आयोजित हुआ जब अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा संदर्भ अप्रत्याशित बने हुए हैं. ऐसे में सार्थक संवाद और उसके बाद योजनाओं पर ठोस अमल किए जाने की दरकार है. लिहाज़ा परमाणु हथियारों में कटौती और निरस्त्रीकरण का रास्ता इस वक़्त सबसे ज़्यादा प्रासंगिक दिखाई देता है. 

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