Published on Oct 10, 2022 Updated 24 Days ago

2032 तक नवीकरणीय ऊर्जा और परमाणु बिजली उत्पादन क्षमता में दिन दुनी, रात चौगुनी वृद्धि होने की संभावना है.

भारत में बिजली निर्माण में ईंधन का मिश्रण: वर्तमान एवं भविष्य

यह लेख ‘कॉम्प्रिहेंसिव एनर्जी मॉनिटर : इंडिया एंड द वर्ल्ड’ श्रृंखला का हिस्सा है.


वर्तमान स्थिति : क्षमता और उत्पादन

केंद्रीय ऊर्जा प्राधिकरण (सीईए) की ओर से तैयार राष्ट्रीय बिजली योजना के मसौदे को सार्वजनिक परामर्श के लिए सितंबर 2022 (एनईपी 2022) में जारी किया गया. इसमें 2017-22 तक के विकास की समीक्षा, 2022-27 तक के लिए विस्तृत उत्पादन क्षमता वृद्धि योजना और 2027-32 के अनुमान शामिल हैं. 2017-22 में पारंपरिक क्षमता वृद्धि 30,667 मेगावाट (एमडब्ल्यू) थी, जो 51,561 मेगावाट की नियोजित क्षमता वृद्धि के मुकाबले 40 प्रतिशत कम थी. क्षमता वृद्धि में इस कमी का मुख्य कारण महामारी की वजह से लगाया गया लॉकडाउन था. 15 सितंबर 2022 तक स्थापित बिजली उत्पादन क्षमता 404,132.96 एमडब्ल्यू थी, जिसमें कोयले से 210,699.5 एमडब्ल्यू अथवा 52.14 प्रतिशत, हाइड्रोपावर (पनबिजली) से 46,850.17 एमडब्ल्यू अथवा या कुल क्षमता का 11.5 प्रतिशत, प्राकृतिक गैस का योगदान 24,856.21 अथवा क्षमता का महज 6 प्रतिशत से थोड़ा ज्यादा और परमाणु ऊर्जा का योगदान 6780 एमडब्ल्यू यानि बिजली उत्पादन क्षमता के 1.6 प्रतिशत के समकक्ष था. नवीकरणीय ऊर्जा ((आरई) सौर, वायु, जैव भार और नवीकरणीय ऊर्जा के अन्य स्त्रोतों) का इसमें योगदान 114,437.37 एमडब्ल्यू (जुलाई 2022 में) यानि क्षमता का 28.3 प्रतिशत था. अर्थात कोयले के बाद सबसे ज्यादा योगदान नवीकरणीय ऊर्जा का ही था. 2021-22 में बिजली उत्पादन क्षमता में कोयले और प्राकृतिक गैस ने 1114.75-2-टेरावॉट आवर (टीडब्ल्यूएच) अथवा 74 प्रतिशत का योगदान दिया था. इसके बाद आरई का नंबर आया, जिसका योगदान 178.34 टीडब्ल्यूएच अथवा 11.9 प्रतिशत रहा था. पनबिजली से 154.64 टीडब्ल्यूएच अथवा 10.36 प्रतिशत बिजली उत्पादित हुईं, जबकि परमाणु बिजली से 47.110 टीडब्ल्यूएच या 3.15 प्रतिशत बिजली का निर्माण हुआ था.

स्त्रोत: राष्ट्रीय विद्युत योजना मसौदा 

2027 में अनुमानित ईंधन मिश्रण

एनईपी 2022 में 2027 तक 25,580 मेगावाट की कोयला आधारित बिजली उत्पादन क्षमता और 370 मेगावाट की गैस आधारित बिजली उत्पादन क्षमता का अनुमान लगाया गया है. हालांकि इनके 2027 तक शुरू होने में काफी दिक्कतें हैं. इसका अर्थ यह है कि कोयले से उत्पादित होने वाली बिजली की क्षमता बढ़कर 236,279.5 एमडब्ल्यू हो जाएगी, लेकिन कुल उत्पादन क्षमता में इसका योगदान घटकर 37.9 प्रतिशत रह जाएगा. उत्पादन क्षमता में 370 एमडब्ल्यू की वृद्धि के कारण प्राकृतिक गैस से बनने वाली बिजली का योगदान बढ़कर 6.2 प्रतिशत हो जाएगा. हालांकि हाइड्रोपावर से उत्पादित बिजली की क्षमता बढ़कर 10,903 एमडब्ल्यू हो जाएगी, लेकिन 2027 तक इसका योगदान गिरकर 9.2 प्रतिशत रह जाएगा. 2027 तक लगभग 1580 मेगावाट पंप की हाइड्रोपावर क्षमता कार्यान्वित होने की उम्मीद है, जबकि परमाणु ऊर्जा क्षमता के बढ़कर दो गुणा अर्थात 7000 मेगावाट जुड़ने की उम्मीद है, जिससे बिजली उत्पादन क्षमता में इसकी हिस्सेदारी 2.2 प्रतिशत तक बढ़ जाएगी. आरई से कुल 187,909 एमडब्ल्यू बिजली और मिलने लगेगी, जिसमें सौर बिजली का सबसे ज्यादा अर्थात 132,080 मेगावाट  और इसके बाद पवन ऊर्जा का योगदान 40,500 एमडब्ल्यू रहेगा. जैव भार (बायोमास) आधारित बिजली उत्पादन से 2318 मेगावाट का योगदान मिलेगा और 2700 मेगावाट का पंप स्टोरेज उपलब्ध होगा. 2027 तक यदि यह पूरा हो जाता है तो आरई से मिलने वाली 302,346 मेगावाट या 48.5 प्रतिशत की बिजली उत्पादन क्षमता का योगदान कोयले की तुलना में बड़ा हो जाएगा. हालांकि उत्पादन क्षमता की दृष्टि से कोयले से बनने वाली बिजली का योगदान ही सबसे ज्यादा अर्थात 1158 टीडब्ल्यूएच अथवा 58.8 प्रतिशत होगा, जबकि आरई से 503 टीडब्ल्यूएच बिजली उत्पादन होने की उम्मीद है. अत: 2027 तक कुल उत्पादन क्षमता में आरई का योगदान 26.4 प्रतिशत हो जाएगा. इसी प्रकार गैस आधारित बिजली उत्पादन क्षमता के 35 टीडब्ल्यूएच अथवा सिर्फ 1.7 प्रतिशत तक ही सीमित रहेगा, जबकि परमाणु बिजली उत्पादन की क्षमता बढ़कर 82 टीडब्ल्यूएच अथवा 4.1 प्रतिशत हो जाएगी. इसके अलावा बिजली उत्पादन में 189 टीडब्ल्यूएच  के साथ पनबिजली का योगदान हल्का गिरकर 9.6 प्रतिशत रह जाएगा.

एनईपी 2022 में 2027 तक 25,580 मेगावाट की कोयला आधारित बिजली उत्पादन क्षमता और 370 मेगावाट की गैस आधारित बिजली उत्पादन क्षमता का अनुमान लगाया गया है. हालांकि इनके 2027 तक शुरू होने में काफी दिक्कतें हैं.

2032 में अनुमानित ईंधन मिश्रण

2027 में कुल 622,899 मेगावाट बिजली उत्पादन क्षमता के 2032 तक 40 प्रतिशत बढ़कर 865,941 मेगावाट होने की उम्मीद है. इसमें सबसे बड़ी क्षमता वृद्धि नवीकरणीय ऊर्जा से 214,020 मेगावाट की होने की उम्मीद है. इसमें लगभग 69 प्रतिशत योगदान सौर फोटोवोल्टिक (पीवी) का रहेगा. 2032 तक लगभग 10,000 मेगावाट की अपतटीय (समुद्र किनारे से दूर) पवन ऊर्जा उत्पादन क्षमता कार्यान्वित होने की उम्मीद है.

2027 के बाद गैस आधारित बिजली उत्पादन क्षमता में वृद्धि होने की संभावना नहीं है. अत: गैस आधारित बिजली उत्पादन का योगदान 2032 तक गिरकर केवल 2.9 प्रतिशत रह जाएगा.

कुल मिलाकर, 2032 तक नवीकरणीय ऊर्जा से बिजली उत्पादन क्षमता का 60 प्रतिशत अर्थात अनुमानित 516,361 मेगावाट योगदान होने की उम्मीद है. कोयले से उत्पादित बिजली का योगदान 2027 के 37 प्रतिशत से 2032 तक घटकर 28.3 प्रतिशत रह जाने की उम्मीद है. 2027 के बाद गैस आधारित बिजली उत्पादन क्षमता में वृद्धि होने की संभावना नहीं है. अत: गैस आधारित बिजली उत्पादन का योगदान 2032 तक गिरकर केवल 2.9 प्रतिशत रह जाएगा. इसके अलावा 68,641.17 मेगावाट के साथ पनबिजली का योगदान भी 2032 तक (2027 में 9.6 प्रतिशत) गिरकर 7.9 प्रतिशत रह जाने की उम्मीद है. 2032 तक 8000 मेगावाट की अतिरिक्त क्षमता के साथ परमाणु ऊर्जा के लिए अनुमान आशावादी कहा जा सकता हैं. ऐसा होने पर परमाणु बिजली उत्पादन क्षमता बढ़कर 22,480 मेगावाट हो जाएगी और कुल बिजली उत्पादन में इसका योगदान बढ़कर 2.5 प्रतिशत (2027 के 2.2 प्रतिशत) होने की उम्मीद है. 2032 तक कुल बिजली उत्पादन क्षमता के बढ़कर 865,941 टीडब्ल्यूएच होने की उम्मीद है, जिसमें कोयले से उत्पादित बिजली का योगदान सर्वाधिक 1333.8 टीडब्ल्यूएच अथवा 50 प्रतिशत का रहेगा. नवीकरणीय ऊर्जा से 938 टीडब्ल्यूएच बिजली उत्पादन हासिल होने की संभावना है, जिसकी वजह से इसका योगदान लगभग उत्पादन का 34.8 प्रतिशत हो जाएगा. पनबिजली से 231.8 टीडब्ल्यूएच बिजली उत्पादित होगी, जो 2032 तक कुल उत्पादन क्षमता का 8.7 प्रतिशत हो जाएगा. इसी प्रकार परमाणु जनरेटर्स से 134 टीडब्ल्यूएच बिजली मिलेगी और इसका योगदान कुल उत्पादन क्षमता में 5 प्रतिशत की वृद्धि कर देगा.

नवीकरणीय ऊर्जा के लिए वित्तीय संसाधनों के साथ-साथ भूमि और खनिज जैसे प्राकृतिक संसाधनों की अभूतपूर्ण मात्रा में आवश्यकता होगी. नीति के समक्ष प्रमुख चुनौती वित्तीय और प्राकृतिक संसाधनों की उपलब्धता सुनिश्चित करना होगा.

चुनौतियां

बिजली उत्पादन क्षमता के एनईपी 2022 के मसौदे में लगाए गए अनुमान 2030 तक 500 जीडब्ल्यू (गिगावाट्स) की गैर जीवाश्म आधारित बिजली उत्पादन क्षमता स्थापित करने के निर्धारित लक्ष्य के अनुरूप हैं. एनईपी 2022 के अनुमान के अनुसार 2022-32 तक कुल बिजली उत्पादन क्षमता में 114 प्रतिशत वृद्धि होने की संभावना है. इस अवधि में नवीकरणीय ऊर्जा बिजली उत्पादन क्षमता के 351 प्रतिशत, परमाणु बिजली के 230 प्रतिशत, पनबिजली के 46 प्रतिशत, कोयले से उत्पादित बिजली के 16 प्रतिशत तथा गैस आधारित बिजली के महज 1.5 प्रतिशत बढ़ने की उम्मीद है. कोयला आधारित बिजली उत्पादन क्षमता के धीमे होने की उम्मीद है, लेकिन 2032 तक भी कोयले से उत्पादित बिजली का ही बिजली उत्पादन में सर्वाधिक योगदान रहेगा. यह कोयला आधारित बिजली संयंत्रो  के पीएलएफ (प्लांट लोड फैक्टर) को 2026-27 में 55 प्रतिशत से बढ़ाकर 2031-32 में 62 प्रतिशत से अधिक करके संभव बनाया गया है. बिजली उत्पादन से होने वाला कुल कार्बन डायऑक्साइड उत्सजर्न 2020-21 के 910 एमटी (मिलियन टनस्) से 30 प्रतिशत बढ़कर 2031-32 में 1180 एमटी होने की उम्मीद है. हालांकि बिजली उत्पादन से उत्सर्जन कारक (एमिशन फैक्टर) 0.441 केजी (किलोग्राम)/केडब्ल्यूएच (किलोवाट घंटा) तक गिरने की उम्मीद है. 2030 तक गैर जीवाश्म ईंधन आधारित क्षमता में वृद्धि के साथ उत्सजर्न कारक में आने वाली कमी, नवीकरणीय ऊर्जा पर आधारित बिजली उत्पादन में पर्याप्त वृद्धि और परमाणु ऊर्जा पर कुछ हद पर निर्भर है. नवीकरणीय ऊर्जा के लिए वित्तीय संसाधनों के साथ-साथ भूमि और खनिज जैसे प्राकृतिक संसाधनों की अभूतपूर्ण मात्रा में आवश्यकता होगी. नीति के समक्ष प्रमुख चुनौती वित्तीय और प्राकृतिक संसाधनों की उपलब्धता सुनिश्चित करना होगा. इसके अलावा नवीकरणीय ऊर्जा से लगभग शून्य लागत वाली बिजली को समायोजित करने के लिए बाजार को नया स्वरूप देना और ऊर्जा सुरक्षा को मजबूत करने के लिए बैटरी और ऊर्जा भंडारण के अन्य रूपों में निवेश करने की होगी.

स्त्रोत: राष्ट्रीय बिजली योजना का मसौदा.
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Authors

Akhilesh Sati

Akhilesh Sati

Akhilesh Sati is a Programme Manager working under ORFs Energy Initiative for more than fifteen years. With Statistics as academic background his core area of ...

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Lydia Powell

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Ms Powell has been with the ORF Centre for Resources Management for over eight years working on policy issues in Energy and Climate Change. Her ...

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Vinod Kumar Tomar

Vinod Kumar Tomar

Vinod Kumar, Assistant Manager, Energy and Climate Change Content Development of the Energy News Monitor Energy and Climate Change. Member of the Energy News Monitor production ...

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