Author : B. Rahul Kamath

Published on Jul 29, 2023 Updated 0 Hours ago

इसकी अध्यक्षता संभालते ही फ्रांस ने अगले छह महीनों के दौरान एक महत्वाकांक्षी कार्यक्रम को अमल में लाने का लक्ष्य रखा.

यूरोपियन यूनियन काउंसिल: राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों के नेतृत्व में फ्रांस बना अध्यक्ष
यूरोपियन यूनियन काउंसिल: राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों के नेतृत्व में फ्रांस बना अध्यक्ष

1 जनवरी 2022 को, 14 वर्षों में पहली बार फ्रांस ने स्लोवेनिया से यूरोपीय संघ परिषद (ईयू) की अध्यक्षता हासिल की. 1 जनवरी से 30 जून 2022 तक छह महीने के लिए यूरोपीय संघ के परिषद की अध्यक्षता फ्रांस करने वाला है. परिषद की अध्यक्षता अन्य यूरोपीय संघ के संस्थानों के साथ बैठकें आयोजित करने, एजेंडा निर्धारित करने और संवाद को सुविधाजनक बनाने के लिए ज़िम्मेदार है. फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने एलिसी पैलेस में एक घंटे के अपने प्रजेंटेशन में, “रिकवरी, पावर और बिलॉन्गिंग” के लक्ष्य की व्याख्या करते हुए फ्रांस की प्राथमिकताओं के बारे में बताया. फ्रांस अपनी अध्यक्षता के दौरान कई मुद्दों को हल करने का प्रयास करेगा, जैसा कि राष्ट्रपति मैक्रों का मकसद संप्रभुता और रणनीतिक स्वायत्तता पर जोर देकर यूरोप में आपसी सहयोग को बढ़ावा देना है. राष्ट्रपति मैक्रों ने 2017 में फ्रांस का राष्ट्रपति पद संभालते ही एक रूपरेखा तैयार की और तब से उनकी सरकार यूरोपीय संप्रभुता के निर्माण की दिशा में काम कर रही है, जो अपने मूल्यों और हितों की रक्षा करने की यूरोप की क्षमताओं पर फोकस करेगी. एक  प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान राष्ट्रपति मैक्रों ने एक ऐसे यूरोप की ओर बढ़ने की अपनी प्राथमिकताओं को समझाया जो अपने विकल्पों में शक्तिशाली और पूरी तरह से संप्रभु है.

राष्ट्रपति मैक्रों ने 2017 में फ्रांस का राष्ट्रपति पद संभालते ही एक रूपरेखा तैयार की और तब से उनकी सरकार यूरोपीय संप्रभुता के निर्माण की दिशा में काम कर रही है.

ईयू की अध्यक्षता फ्रांस को स्वास्थ्य, ऊर्जा और पलायन की समस्याओं की पृष्ठभूमि में मिली है, ख़ास कर यूरोपीय संघ की पूर्वी सीमा पर यूक्रेन और रूस के बीच तनाव लगातार बढ़ता ही जा रहा है. अपने भाषण में, मैक्रों ने राजनीतिक संचालन समिति की स्थापना कर शेंगेन सीमा-मुक्त क्षेत्र में सुधार करने के साथ पलायन की चुनौतियों से निपटने के उपायों की बात की. इसके अतिरिक्त, फ्रांस शरणार्थी संकट के लिए आपातकालीन सीमा सहायता तंत्र को भी बनाने के पक्ष में खड़ा है, जो एक ऐसी व्यवस्था है जिसे साल 2016 में शरणार्थी संकट के संबंध में यूरोपीय संघ के भीतर मानवीय ज़रूरतों को पूरा करने के लिए बनाया गया था. यूरोपीय संघ एक बार फिर शरणार्थी संकट से गुजर रहा है क्योंकि बेलारूस द्वारा शरणार्थियों को पोलैंड, लिथुआनिया और लातविया में शरण लेने के लिए उकसाया जा रहा है.

यही नहीं, मैक्रों ने अफ्रीकी महाद्वीप के महत्व को रेखांकित करते हुए आने वाले फरवरी महीने में ब्रुसेल्स में ईयू- अफ्रीका शिखर सम्मेलन के आयोजन की घोषणा भी की, क्योंकि फ्रांस अफ्रीका और पश्चिमी बाल्कन के लिए ढांचागत पहल करने की दिशा में अपना एजेंडा जारी रखना चाहता है. उन्होंने यूरोप की ग्लोबल गेटवे पहल से परे अफ्रीका के साथ एक नया आर्थिक और वित्तीय समझौता शुरू करने की भी इच्छा प्रकट की है. इसी तरह, पश्चिमी बाल्कन का क्षेत्र फ्रांस और यूरोपीय संघ के लिए बेहद महत्वपूर्ण है क्योंकि मैक्रों ने इस क्षेत्र में अल्पसंख्यकों की रक्षा करने और यूरोपीय संघ और पश्चिमी बाल्कन देशों के बीच आगे की बातचीत को बढ़ावा देने पर जोर दिया है. यह क्षेत्र पहले से ही ऐसे शरणार्थियों के लिए जो पश्चिमी यूरोप के मुल्कों में पहुंचना चाहते हैं उनके लिए एक प्रमुख ट्रांजिट (पारगमन) मार्ग है. जिसके चलते इस क्षेत्र में नशीली दवाओं की तस्करी, छोटी-मोटी चोरी और मानव तस्करी जैसी आपराधिक गतिविधियों को काफी बढ़ावा मिलता रहा है. इससे पहले 2021 में, यूरोपीय संघ-पश्चिमी बाल्कन शिखर सम्मेलन के दौरान, यूरोपीय आयोग के अध्यक्ष उर्सुला वॉन डेर लेयेन ने कहा था कि पश्चिमी बाल्कन के बिना यूरोपीय संघ पूर्ण नहीं है, इसलिए फ्रांस अपनी अध्यक्षता के दौरान इस क्षेत्र की परिग्रहण वार्ता को आगे बढ़ाने का लक्ष्य रखता है.

मैक्रों ने अफ्रीकी महाद्वीप के महत्व को रेखांकित करते हुए आने वाले फरवरी महीने में ब्रुसेल्स में ईयू- अफ्रीका शिखर सम्मेलन के आयोजन की घोषणा भी की, क्योंकि फ्रांस अफ्रीका और पश्चिमी बाल्कन के लिए ढांचागत पहल करने की दिशा में अपना एजेंडा जारी रखना चाहता है.

फ्रांस का लक्ष्य

राष्ट्रपति मैक्रों ने बड़े पैमाने पर बेरोज़गारी के ख़िलाफ़ लड़ने और महाद्वीप में आर्थिक विकास लाने के लिए “एक नए यूरोपीय मॉडल की कल्पना” करने की अपील की है, क्योंकि मैक्रों ने यूरोपीय निवेश की कई योजनाओं की घोषणा की है और मार्च 2022 तक नए औद्योगिक गठजोड़ की बुनियाद ऱखने की बात कही है. ख़ास तौर पर यूरोप में एक बैंकिंग संघ की बुनियाद रखने के लिए यह नया मॉडल एक आसान और पारदर्शी ढांचे को अपनाने पर भी ध्यान केंद्रित करेगा. फ्रांस का लक्ष्य, ख़ासकर कोरोना महामारी की चौथी लहर से निपटने के बाद, यूरोप के बजटीय ढांचे पर पुनर्विचार करना है. नए मॉडल के तहत फ्रांस ने डिज़िटल परिवर्तन को सर्वोच्च प्राथमिकता के रूप में रेखांकित किया है क्योंकि वह यूरोपीय संघ के डिज़िटल मार्केट एक्ट (डीएमए) और डिज़िटल सर्विसेज़ एक्ट (डीएसए) को सफलतापूर्वक ख़त्म करने की उम्मीद करता है. यह नया यूरोपीय विकास मॉडल पर्यावरण सुधारों से संबंधित महत्वाकांक्षाओं को भी बढ़ावा देता है क्योंकि कार्बन एडजस्टमेंट मेकेनिज़्म तंत्र, जिसे कार्बन टैक्स के रूप में भी जाना जाता है, को अपनाने और उसे अमल में लाने का मैक्रों वादा करते हैं जो यूरोपीय उद्योगों को अपनी प्रतिस्पर्द्धा को बनाए रखने की आजादी देता है. नया मॉडल चीन और संयुक्त राज्य अमेरिका से मिलने वाली प्रतिस्पर्द्धा के ख़िलाफ़ एक प्रेरणा के रूप में भी कार्य करता है , क्योंकि फ्रांस का लक्ष्य तकनीकी क्षेत्र में यूरोप की निर्भरता को कम करना है और इस लिहाज से मैक्रों ने यूरोपीय लोगों को वास्तविक तौर पर इस महाद्वीप को एक डिज़िटल पॉवरहाउस बनाने के लिए यूरोप में तकनीकी संप्रभुता लाने के लिए प्रेरित किया है.

स्लोवेनिया में 2022 की पहली छमाही में चुनाव होगा और इसके साथ कई मुद्दों पर वारसॉ और ब्रुसेल्स के बीच पैदा होने वाली प्रतिस्पर्द्धा फ्रांस और यूरोपीय संघ के लिए एक बड़ी चुनौती होगी. 

ईयू की फ्रांस की अध्यक्षता के तहत दूसरी प्रमुख प्राथमिकताओं में से यूरोपीय संघ की रक्षा नीति को आगे बढ़ाना है, क्योंकि 2017 के बाद से ही फ्रांस ने यूरोपीय रक्षा के क्षेत्र में काफी प्रगति की है, ख़ास कर ईयू की कॉमन सिक्युरिटी एंड डिफेंस पॉलिसी (सीएसडीपी) के तहत पर्मानेंट स्ट्रक्चर्ड कोऑपरेशन (पीईएससीओ) के निर्माण और यूरोपीय संघ के रक्षा कोष की पहल कर इस इलाके में काफी प्रगति की है. पेस्को को यूरोपीय संघ के अन्य सदस्य देशों द्वारा नाटो के पूरक के रूप में देखा जाता है. यूरोपीय संघ वर्तमान में एक यूरोपीय सामरिक विस्तार (यूरोपीय रक्षा और सुरक्षा को लेकर श्वेत पत्र) की दिशा में काम कर रहा है, एक ऐसा दस्तावेज़ जो अगले दशक के लिए सुरक्षा और रक्षा के लिए यूरोपीय संघ की परिभाषित महत्वाकांक्षाओं को सूचीबद्ध करता है. यह दस्तावेज़ यूरोपीय संघ की रणनीतिक स्वायत्तता को संचालित करेगा और ब्रुसेल्स को इस बात के लिए तैयार करेगा कि यूरोप की सुरक्षा ज़िम्मेदारियों से वो सीधे निपट सके. 2022 की पहली छमाही में फ्रांस की ईयू की अध्यक्षता के साथ ही यह दस्तावेज़ स्वीकार किया जा सकता है. राष्ट्रपति मैक्रों ने अमेरिका और नाटो से यूरोप की निर्भरता को कम करने के लिए एक यूरोपीय सेना की स्थापना को सक्रिय रूप से आगे बढ़ाया है.

पश्चिमी और पूर्वी यूरोप को शासन के मुद्दों ने विभाजित कर दिया है और मैक्रों कानून के शासन को बातचीत से परे मानते हैं. हंगरी, पोलैंड और स्लोवेनिया के नेताओं ने अपने-अपने तरीकों से मीडिया और न्यायपालिका पर सत्ता के प्रभाव को बदला है. यहां तक कि पोलैंड ने यूरोपीय संघ के कानूनों के ऊपर राष्ट्रीय कानूनों की प्रधानता को स्थापित कर दिया है और कानूनों के प्रभावी होने से संबंधित चुनौतियां साल 2022 में जब फ्रांस ईयू का अध्यक्ष बनेगा तब पैदा होंगी. हंगरी में संसदीय चुनाव होगा; स्लोवेनिया में 2022 की पहली छमाही में चुनाव होगा और इसके साथ कई मुद्दों पर वारसॉ और ब्रुसेल्स के बीच पैदा होने वाली प्रतिस्पर्द्धा फ्रांस और यूरोपीय संघ के लिए एक बड़ी चुनौती होगी. 

मैक्रों राष्ट्रपति पद की दौड़ में सबसे आगे 

हालांकि, अप्रैल 2022 के लिए निर्धारित फ्रांसीसी राष्ट्रपति चुनाव यूरोपीय मामलों के लिए एक बेहद अहम पड़ाव होगा, क्योंकि यूरोपीय संघ के अध्यक्ष के तौर पर फ्रांस के राष्ट्रपति तब देश में होने वाले चुनावों को लेकर इसमें कम हस्तक्षेप कर पाएंगे. राष्ट्रपति मैक्रों ने अभी तक राष्ट्रपति पद के दूसरे कार्यकाल के लिए अपनी उम्मीदवारी को लेकर कोई घोषणा नहीं की है, हालांकि, लेस रिपब्लिक पार्टी के वैलेरी पेक्रेसे ने मैक्रों के ला रिपब्लिक एन मार्चे के ख़िलाफ़ राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के रूप में अपनी पार्टी का नामांकन प्राप्त किया है. मरीन ले पेन और एरिक ज़ेमौर की मौजूदगी के बावजूद पोलिटिको द्वारा कराए गए चुनावों में पेक्रेसे का कद बढ़ाने का काम किया है. हालांकि, मैक्रों राष्ट्रपति पद की दौड़ में सबसे आगे हैं. फ्रांस में होने वाले आगामी राष्ट्रपति चुनावों के नतीजे इस दशक के लिए यूरोपीय शासन को या तो यूरोपीय समर्थक या यूरोसेप्टिक्स की ओर ले जा सकते हैं, क्योंकि फ्रांसीसी राष्ट्रपति चुनावों में प्रमुख उम्मीदवारों ने पलायन को एक प्रमुख मुद्दा बना दिया है.

फ्रांस में होने वाले आगामी राष्ट्रपति चुनावों के नतीजे इस दशक के लिए यूरोपीय शासन को या तो यूरोपीय समर्थक या यूरोसेप्टिक्स की ओर ले जा सकते हैं, क्योंकि फ्रांसीसी राष्ट्रपति चुनावों में प्रमुख उम्मीदवारों ने पलायन को एक प्रमुख मुद्दा बना दिया है.

एंजेला मर्केल के इस्तीफ़े के साथ ही यूरोपीय राजनीतिक मामले में एक नया अध्याय शुरू होने की गुंजाइश है और मैक्रों वर्तमान में यूरोपीय संघ के स्तर पर अधिक राजनीतिक लाभ उठा रहे हैं. हालांकि, यूरोपीय संघ परिषद की फ्रांसीसी अध्यक्षता पूरी दुनिया में कोरोना के नए मामलों में उछाल के बीच यह घटना होने जा रही है. आने वाले महीनों में मैक्रों का ध्यान घरेलू और यूरोपीय मुद्दों के बीच काफी हद तक बंट जाएगा. मर्केल के जाने से अब मैक्रों को उनकी यूरोपीय समर्थक महत्वाकांक्षाओं को पूरा करने की आज़ादी तो मिल सकती है, जिसे वो 2017 में आने के बाद से ही आगे बढ़ा रहे हैं. दरअसल, यूरोपीय संघ अब ब्लॉक का प्रतिनिधित्व करने के लिए एक बड़े चेहरे की तलाश में है और इसके लिए मैक्रों के साथ इटली के मारियो ड्रैगी की उम्मीदवारी सबसे आगे है, हालांकि, मैक्रों और ड्रैगी दोनों को 2022 के शुरुआती छह महीने में चुनावों का सामना करना पड़ेगा; तब तक शायद यूरोप अनिश्चितता के दौर की ओर बढ़ रहा होगा.

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