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महिलाओं की स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच में सहायता करने और उन्हें सशक्त बनाने में फेमटेक एक बेहद महत्त्वपूर्ण उपकरण साबित हो सकता है.
महिलाएं स्वास्थ्य संबंधित कई गंभीर चुनौतियों जैसे माहवारी के दौरान अत्यधिक रक्तस्राव, प्रजनन संबंधी समस्याओं, गर्भावस्था, पोस्टपार्टम डिप्रेशन, मेनोपॉज़ और यौन स्वास्थ्य से संबंधित समस्याओं का सामना करती हैं. इसके बावजूद सामाजिक पूर्वाग्रहों और वर्जनाओं ने महिलाओं को स्वतंत्र रूप से चिकित्सा सुविधाएं लेने से रोका है. विशेष रूप से महिलाओं के प्रजनन एवं यौन स्वास्थ्य के मामले में यह सोच कहीं ज़्यादा हावी है. लंबे समय से, स्वास्थ्य उत्पादों और समाधानों ने ऐसे किसी दृष्टिकोण को अपनाने में रुचि नहीं दिखाई है, जो महिलाओं की स्वास्थ्य सुविधाओं तक पहुंच, इन उत्पादों को वहन करने की उनकी क्षमता और सामाजिक-सांस्कृतिक परंपराओं को ध्यान में रखते हों. फेमटेक महिलाओं की विशिष्ट स्वास्थ्य ज़रूरतों पर केंद्रित प्रौद्योगिकी है, जिसके उभार से दुनिया भर की महिलाओं को फ़ायदा होगा. आसान भाषा में कहें तो, फेमटेक के अंतर्गत कई तरह के डिजिटल उत्पाद एवं सेवाएं आती हैं (जिसमें पहनने योग्य उपकरण एवं ऐप शामिल हैं), जो महिलाओं को अपने स्वास्थ्य पर ध्यान केंद्रित करने में सहायता प्रदान करती हैं. यह महिलाओं के यौन स्वास्थ्य, प्रजनन स्वास्थ्य और मासिक धर्म के अलावा उन्हें प्रभावित करने वाली अन्य स्वास्थ्य समस्याओं के लिए भी समाधान प्रस्तुत करता है, जिसे महिला विशेष की ज़रूरतों के अनुसार अनुकूलित किया जा सकता है.
फेमटेक के अंतर्गत कई तरह के डिजिटल उत्पाद एवं सेवाएं आती हैं, जो महिलाओं को अपने स्वास्थ्य पर ध्यान केंद्रित करने में सहायता प्रदान करती हैं. यह महिलाओं के यौन स्वास्थ्य, प्रजनन स्वास्थ्य और मासिक धर्म के अलावा उन्हें प्रभावित करने वाली अन्य स्वास्थ्य समस्याओं के लिए भी समाधान प्रस्तुत करता है, जिसे महिला विशेष की ज़रूरतों के अनुसार अनुकूलित किया जा सकता है.
दिलचस्प बात यह है कि फेमटेक एक पूर्व सोवियत कंपनी थी, जो एक संयुक्त व्यापार उद्यम के तहत 80 के दशक के अंत से 90 के दशक के मध्य तक टैंपोन बनाने के लिए अमेरिकी कंपनी टैमब्रांड्स के साथ मिलकर काम कर रही थी. सालों बाद, 2016 में एक पीरियड ट्रैकिंग ऐप “क्लू” की संस्थापक इडा टिन ने ‘फेमटेक’ शब्द का इस्तेमाल करते हुए इसे महिला स्वास्थ्य क्षेत्र के एक शक्तिशाली उपकरण में बदल दिया. तब से इसमें उल्लेखनीय वृद्धि हुई है, जहां 2019 में इसका 18 अरब अमेरिकी डॉलर का वैश्विक बाज़ार था, वहीं 2027 में इसके 60 अरब अमेरिकी डॉलर हो जाने का अनुमान है. भारत में भी फेमटेक उद्योग में तेज़ी से फल-फूल रहा है, जहां 2017-2022 के बीच इस क्षेत्र में निवेश में 91.4 प्रतिशत की भारी बढ़ोतरी देखी गई. उम्मीद है कि यह उद्योग 2020 से 2026 के बीच 17 प्रतिशत वृद्धि दर के साथ विकास करेगा. फेमटेक विशेषज्ञों ने संकेत दिया है कि 2026 तक इसका बाज़ार 76 अरब अमेरिकी डॉलर तक पहुंच जाएगा और अगले कुछ सालों में भारत भर की महिलाओं तक फेमटेक की पहुंच में पर्याप्त वृद्धि दर्ज की जाएगी. उद्योग जगत के अनुसार फेमटेक उद्यम ही नहीं स्वास्थ्य क्षेत्र सामान्य तौर पर भी महिलाओं की अपनी विशिष्ट स्वास्थ्य ज़रूरतों के प्रति जागरूक हो रहा है और इसलिए महिलाओं के लिए ज़रूरी उपकरणों और समाधानों में नवाचार को बढ़ावा दे रहा है. रिपोर्टों के अनुसार, अपनी स्वास्थ्य ज़रूरतों के लिए पुरुषों की तुलना में महिलाओं द्वारा डिजिटल समाधानों को अपनाने की संभावना में 75 प्रतिशत अधिक होती है.
चित्र संख्या 1: क्षेत्र के अनुसार फेमटेक का वितरण, 2021
स्रोत: फेमटेक इंडस्ट्री लैंडस्केप Q2 2022
फेमटेक उपक्षेत्रों में प्रजनन स्वास्थ्य और गर्भ निरोध, गर्भावस्था और स्तनपान, पेल्विक और गर्भाशय संबंधी समस्याएं, रजोनिवृति के बाद देखभाल, माहवारी, मानसिक और यौन स्वास्थ्य जैसे महिलाओं के स्वास्थ्य से जुड़े मुद्दों पर डिजिटल सेवाएं शामिल हैं. यह उद्योग महिलाओं के समग्र स्वास्थ्य को भी ध्यान में रखता है, जिसके अंतर्गत महिलाओं के फिटनेस और पोषण संबंधी ज़रूरतों पर आधारित डिजिटल समाधान (जैसे महावारी चक्र के आधार पर बनाए गए ऐप), स्वास्थ्य संबंधी आंकड़ों को ट्रैक करना और समग्र स्वास्थ्य को और बेहतर बनाने के लिए विभिन्न समाधानों को जोड़ना शामिल है.
उभरते फेमटेक क्षेत्र पर काम कर रही एक स्ट्रेटेजिक एनालिटिक्स एजेंसी के अनुसार, फेमटेक बाज़ार में गर्भावस्था और स्तनपान उपक्षेत्र की लगभग 22 फ़ीसदी भागीदारी है, प्रजनन स्वास्थ्य और गर्भ निरोधकों से जुड़े समाधान क़रीब 19 प्रतिशत बाज़ार का निर्माण करते हैं, वहीं माहवारी से जुड़े स्वास्थ्य समाधानों के लिए ये आंकड़ा 13 प्रतिशत है. और इसके अलावा एजेंसी की रिपोर्ट आगे कहती है कि फेमटेक बाज़ार में उपभोक्ता उत्पाद सबसे लोकप्रिय उत्पाद हैं, जिनकी कुल बाज़ार में लगभग 22 फ़ीसदी हिस्सेदारी है. उदाहरण के लिए, फेमिनिन हाइजीन से जुड़े उत्पाद और महिलाओं की स्वास्थ्य ज़रूरतों पर आधारित विशेष परिधान. इसमें यह भी बताया गया है कि फेमटेक बाज़ार में नवाचार आधारित समाधानों की 16 फ़ीसदी हिस्सेदारी है, जिसमें महिलाओं के यौन स्वास्थ्य में सुधार के लिए तैयार किए उपकरण, डिजिटल बायोमार्कर और लाइफस्टाइल ट्रैकर आदि शामिल हैं. जबकि डिजिटल प्लेटफार्म (शैक्षिक एवं बाज़ार क्षेत्र) फेमटेक क्षेत्र का 16 प्रतिशत हिस्सा हैं.
जबकि दुनिया में ऐसी कई फेमटेक स्टार्टअप कंपनियां हैं जो महिला स्वास्थ्य की बेहतरी के लिए प्रतिबद्ध हैं, लेकिन इनसे जुड़े अपने विवाद भी हैं. विशेषज्ञों ने बार-बार दावा किया है कि महिला स्वास्थ्य के सतही जानकार (जहां पुरुषवादी सोच के तहत यह मान लिया जाता है कि पुरूष महिलाओं के स्वास्थ्य के बारे में महिलाओं से ज़्यादा जानकारी रखते हैं और वे अकेले ही इस संबंध कोई निर्णय लेते हैं) इन उत्पादों पर पिंक टैक्स लगाकर इनके बाज़ार को नुकसान पहुंचा रहे हैं. पिंक टैक्स एक लिंग आधारित टैक्स है, जो महिलाओं के लिए प्रचारित उत्पादों और सेवाओं पर लगाया गया अधिभार है, जिसके लिए पुरुषों को कम दाम चुकाना पड़ता है. चूंकि, महिला उपयोग से जुड़े कई उत्पादों को गुलाबी रंग के पैकेटों में बेचा जाता है, जिसके आधार पर यह नाम चुना गया है. इसलिए औरतों के लिए बिकने वाले रेजरों के दाम अधिक होने की संभावना होती है. कई सालों से “टैंपोंन या पीरियड टैक्स” के मुद्दे पर भी गर्मागर्म बहस छिड़ती रही है, जहां सैनिटरी नैपकिन, पैंटी लाइनर, टैंपोन और मेंस्ट्रुअल कप जैसे फेमिनिन हाइजीन उत्पादों पर उपभोक्ता कर (जैसे मूल्य संवर्धित कर) या बिक्री कर लगाए जाते हैं. पीरियड इक्विटी की सहसंस्थापक और वकील जेनिफर वीस-वुल्फ बताती हैं कि टैम्पोन टैक्स से हर उम्र की महिलाएं असमान रूप से प्रभावित होती हैं. “पीरियड पॉवर्टी” के कारण टैम्पोन टैक्स को ख़त्म किए जाने की मांग लगातार बढ़ती जा रही है, क्योंकि कई महिलाएं एवं लड़कियां ऐसे उत्पादों को खरीदने में समर्थ नहीं होती, और इसके कारण उनका दैनिक जीवन प्रभावित होता है, वे उत्पादक गतिविधियों में हिस्सा नहीं ले पाती हैं और स्कूलों से दूर हो जाती हैं. थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन के मुताबिक, 2004 में केन्या सैनिटरी पैड पर वैट हटाने वाला पहला देश बन गया, उसके बाद कम से कम 17 देशों ने सैनिटरी पैड पर वैट हटा दिया. भारत ने 2018 में जन आक्रोश के कारण फेमिनिन हाइजीन उत्पादों पर 12 प्रतिशत टैक्स लगाने के अपने विवादित फैसले को रद्द कर दिया. इस तरह के स्पष्ट संकेत हैं कि फेमटेक उद्योग को ऐसे विवादों से दूर रहने की ज़रूरत है, नहीं तो यह महिलाओं की स्वास्थ्य चुनौतियों का समाधान ढूंढ़ने में विफल हो जायेगा.
“पीरियड पॉवर्टी” के कारण टैम्पोन टैक्स को ख़त्म किए जाने की मांग लगातार बढ़ती जा रही है, क्योंकि कई महिलाएं एवं लड़कियां ऐसे उत्पादों को खरीदने में समर्थ नहीं होती, और इसके कारण उनका दैनिक जीवन प्रभावित होता है, वे उत्पादक गतिविधियों में हिस्सा नहीं ले पाती हैं और स्कूलों से दूर हो जाती हैं.
इस क्षेत्र में जनता की रुचि और निवेश बढ़ने के बावजूद, यह स्वास्थ्य क्षेत्र से जुड़े अन्य उद्योगों से काफ़ी पीछे है. जैसा कि एक हालिया अध्ययन में कहा गया है कि केवल व्यावसायिक विस्तार और लोकप्रियता के मामले में ही नहीं बल्कि डिजिटल समाधानों को लागू करने के लिए भारी पूंजी की आवश्यकता भी स्टार्टअप कंपनियों के लिए बड़ी चुनौती साबित हो सकती है. इसमें यह भी कहा गया है कि हालांकि दुनिया भर की स्टार्टअप कंपनियों में में कुल निवेश 2012 के बाद से दस गुना बढ़ गया है लेकिन यह क्षेत्र कंपनियों के अचानक बंद होने के कारण पर्याप्त निवेश की कमी से जूझ रहा है, जहां 2021 में 5 बड़ी कंपनियां बंद हुई हैं. फेमटेक उद्योग तुलनात्मक रूप से एक उभरता क्षेत्र है, जो अनुसंधान के मामले में काफ़ी पीछे है, जहां महिलाओं के स्वास्थ्य देखभाल उत्पादों और सुविधाओं पर विकास निधि का केवल 4 प्रतिशत खर्च किया जाता है. तो समस्याएं क्या हैं? चित्र संख्या 2 में फेमटेक के भविष्य को लेकर भारत सहित 16 देशों में 48 फेमटेक इनफ्लूएंसरों के बीच किए गए सर्वेक्षण के परिणामों को दर्शाया गया है, जो कई बड़ी चुनौतियों को प्रदर्शित करता है.
चित्र संख्या 2: बड़ी चुनौतियां एवं अवसर
स्रोत: फेमटेक इंडस्ट्री लैंडस्केप Q2 2022
निवेशकों की व्यापक पुरुष-प्रधान मानसिकता के चलते अक्सर इस क्षेत्र में अवसरों को अनदेखा किया जाता है, जिसका मुख्य कारण महिलाओं के यौन स्वास्थ्य के बारे में जानकारी या विशेषज्ञता का अभाव है. एक्सीलरेटर प्रोग्राम विशेषज्ञों (ऐसे लोग जो इक्विटी के बदले स्टार्टअप कंपनियों की स्थापना में मदद करते हैं) का कहना है कि जबकि फेमटेक उप-क्षेत्र में यौन स्वास्थ्य से जुड़े नए उत्पाद लाए जा रहे हैं, उसके बावजूद इनमें निवेश के लिए निवेशकों को मनाना बेहद कठिन है. जैसा कि एक हालिया रिपोर्ट में कहा गया है, फेमटेक को डेटा सुरक्षा नीतियों की अस्पष्टता के चलते भारी आलोचना का सामना करना पड़ा है. हो सकता है कि कई उपभोक्ता इस बारे में अनजान हों कि उनकी गोपनीयता का किस सीमा तक उल्लंघन हुआ है. लंबे समय से, जीवन विज्ञान में प्रौद्योगिकी ने चिकित्सीय परीक्षणों से महिलाओं को दूर रखा है, जहां इस मान्यता के कारण केवल पुरुषों के शरीर पर परीक्षण किया गया कि महिलाओं को परीक्षण में शामिल करने पर माहवारी और गर्भावस्था जैसे कारक परिणामों को प्रभावित कर सकते हैं. लैंगिक आंकड़ों को शायद ही अध्ययनों में शामिल किया जाता है जिसके कारण बीमारियों और दवाओं दोनों के मामले में महिलाओं पर पड़ने वाले विशिष्ट प्रभावों के बारे में जानकारी अधूरी रह गई है.
“पीरियड पॉवर्टी” के कारण टैम्पोन टैक्स को ख़त्म किए जाने की मांग लगातार बढ़ती जा रही है, क्योंकि कई महिलाएं एवं लड़कियां ऐसे उत्पादों को खरीदने में समर्थ नहीं होती, और इसके कारण उनका दैनिक जीवन प्रभावित होता है, वे उत्पादक गतिविधियों में हिस्सा नहीं ले पाती हैं और स्कूलों से दूर हो जाती हैं.
इन बाधाओं के बावजूद, फेमटेक कई तरह से मौजूदा स्वास्थ्य क्षेत्र में बदलाव को जन्म दे सकते है. महिलाओं की वैयक्तिक ज़रूरतों और प्रचलित सामाजिक परंपराओं के बीच की खाई को पाट सकता है, क्योंकि ऐसी परंपराएं महिलाओं को सीमाओं से जकड़ देती हैं. यह प्रजनन स्वास्थ्य, गर्भ निरोध उपाय और यौन स्वास्थ्य जैसे सामाजिक रूप से वर्जित मुद्दों पर आधारित होता है ताकि निजता को बनाए रखते हुए स्वास्थ्य लाभ चाहने वाली महिलाओं की मदद की जा सके. फेमटेक उद्योग के बारे जागरूकता को बढ़ावा देना विभिन्न क्षेत्रों की महिलाओं के लिए लाभप्रद साबित हो सकता है और वे ग्रामीण/शहरी बाजारों के जरिए अपने उत्पादों और सुविधाओं को लोगों तक पहुंचा सकते हैं. और कई लोग इस रास्ते को चुन रहे हैं. Zealthy जैसी कुछ स्टार्टअप कंपनियों ने स्थानीय भाषाओं के उपयोग मध्यम से महिलाओं की स्वास्थ्य समस्याओं को समझने के लिए एक प्लेटफार्म की स्थापना की है. CareNX Innovations भारत के दूरदराज के गांवों और गंदी बस्तियों में रहने वाली महिलाओं को स्वास्थ्य कर्मियों के जरिए स्मार्टफोन की मदद से चिकित्सा सुविधाएं प्रदान करता है.
एक अध्ययन के अनुसार, जिन क्षेत्रों में ध्यान देने की आवश्यकता है:
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Arundhatie Biswas, Ph.D is Senior Fellow at ORF. Her research traverses through multi-disciplinary research in international development with strong emphasis on the transformative approaches to ...
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