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Published on Mar 08, 2024 Updated 3 Days ago

इंडो-पैसिफिक देशों को अपने-अपने यहां WPS एजेंडा के घटकों को बढ़ाना चाहिए ताकि इस क्षेत्र में समावेशी और स्थायी विकास को बढ़ावा दिया जा सके.

नारी शक्ति: इंडो-पैसिफिक के देशों में WPS इंडेक्स की समीक्षा

ये लेख अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस सीरीज़ का हिस्सा है.  


इंडो-पैसिफिक के गतिशील भू-राजनीतिक परिदृश्य में विमेन (महिला), पीस (शांति) और सिक्युरिटी (सुरक्षा) यानी WPS का एजेंडा शांति और स्थिरता के लिए लैंगिक तौर पर समावेशी दृष्टिकोण को बढावा देने में एक निर्णायक ताकत के तौर पर उभरता है. चूंकि ये क्षेत्र सुरक्षा से जुड़े अलग-अलग ख़तरों से जूझ रहा है, ऐसे में समर्थ और सतत समाज के निर्माण के लिए युद्ध की रोक-थाम, युद्ध के समाधान और युद्ध के बाद पुनर्निर्माण में महिलाओं की भूमिका को समझना सर्वोपरि बन जाता है. ये लेख इंडो-पैसिफिक में WPS एजेंडे की ज़रूरत की पड़ताल करता है और इस क्षेत्र के देशों के लिए एजेंडे का मतलब, इन देशों के सामने मौजूद चुनौतियों और समावेशी सुरक्षा स्थापित करने के लिए उनकी क्षमता का विश्लेषण करता है.

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव (UNSCR) 1325 के तहत WPS एजेंडा एक नीतिगत ढांचा है जिसे 31 अक्टूबर 2000 को अपनाया गया था. ये प्रस्ताव स्थायी अंतर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा हासिल करने में महिलाओं की महत्वपूर्ण भूमिका को स्वीकार करता है और उस पर ज़ोर देता है. 

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव (UNSCR) 1325 के तहत WPS एजेंडा एक नीतिगत ढांचा है जिसे 31 अक्टूबर 2000 को अपनाया गया था. ये प्रस्ताव स्थायी अंतर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा हासिल करने में महिलाओं की महत्वपूर्ण भूमिका को स्वीकार करता है और उस पर ज़ोर देता है. ये प्रस्ताव सभी देशों से समान हिस्सेदारी का निर्माण करने का अनुरोध करता है और शांति एवं सुरक्षा के लिए संयुक्त राष्ट्र की पहल में महिलाओं की भागीदारी को बढ़ाता है. इसके लिए संघर्ष के अलग-अलग चरणों के प्रबंधन- रोकथाम, बातचीत, शांति निर्माण, मानवीय प्रतिक्रिया और युद्ध के बाद पुनर्निर्माण- में महिलाओं की हिस्सेदारी को स्वीकार किया गया है. इसके अलावा ये सशस्त्र संघर्ष के दौरान लिंग आधारित हिंसा (GBV), बलात्कार और यौन उत्पीड़न के ख़िलाफ़ सुरक्षा पर ज़ोर देता है. इसके मूल में उद्देश्य है "महिलाओं और पुरुषों- दोनों की क्षमताओं का इस्तेमाल करके असुरक्षा और हिंसा को रोकना और स्थायी शांति के लिए बाधक संरचनात्मक लैंगिक असमानता एवं भेदभावपूर्ण लैंगिक मानकों का समाधान करना."

जैसा कि दुनिया भर में है पैसिफिक देशों के द्वारा अलग-अलग स्तरों पर अनुभव की जाने वाली असुरक्षा, जिनमें जलवायु परिवर्तन और क्षेत्रीय अनिश्चितताओं से खड़ी वैश्विक चिंताएं, कोविड-19 महामारी से बढ़ी राष्ट्रीय चुनौतियां, प्राकृतिक आपदाएं, अंतर्राष्ट्रीय अपराध और अवैध ढंग से मछली पकड़ना शामिल हैं, लैंगिक असमानताओं से और जटिल होती है, उसमें बढ़ोतरी होती है. इसके अलावा ये क्षेत्र महिलाओं के राजनीतिक प्रतिनिधित्व के मामले में सबसे निचले स्तर पर है और यहां लिंग आधारित हिंसा की दर बहुत ज़्यादा है. कहने की आवश्यकता नहीं है कि WPS के एजेंडे को आगे बढ़ाना इंडो-पैसिफिक में शांति और समृद्धि सुनिश्चित करने के लिए महत्वपूर्ण है.

 

13 इंडिकेटर को प्राथमिकता

WPS इंडेक्स 13 इंडिकेटर (सूचकों) के आधार पर 177 देशों और अर्थव्यवस्थाओं में महिलाओं के समावेशन, न्याय और सुरक्षा को मापता है. 2023 में इस इंडेक्स में जापान 23वें, दक्षिण कोरिया 30वें और अमेरिका 37वें पायदान पर रहा वहीं दूसरी तरफ इंडोनेशिया, कंबोडिया और फिलीपींस जैसे आसियान के देश क्रमश: 82वें, 110वें और 121वें नंबर पर रहे जबकि भारत की रैंकिंग 128वीं रही. अंतर पूरी तरह से साफ है जो इस क्षेत्र में WPS को आगे बढ़ाने के महत्व को उजागर करता है. हाल के दिनों में सिविल सोसायटी के साथ गठजोड़ ने इस एजेंडे की दिशा में प्रगतिशील प्रयासों को तेज़ गति प्रदान की है. संयुक्त राष्ट्र महिला (लैंगिक समानता और सशक्तिकरण के लिए संयुक्त राष्ट्र की इकाई) के एशिया और पैसिफिक क्षेत्रीय कार्यालय ने राष्ट्रीय एक्शन प्लान (NAP) के लिए क्षमता-निर्माण की कोशिशों के ज़रिए समर्थन मुहैया कराया है और इन देशों में संघर्ष के समाधान और शांति स्थापित करने में योगदान दिया है. 2017 में अमेरिकी सरकार ने देश के साथ-साथ अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी महिलाओं को सशक्त बनाने की प्रतिबद्धता के साथ महिला, शांति और सुरक्षा अधिनियम लागू किया ताकि महिलाओं के अधिकारों को आगे बढ़ाया जा सके और उनकी हिस्सेदारी बढ़ाई जा सके. अमेरिका के रक्षा विभाग ने साझेदार देशों के साथ अपनी बातचीत में सक्रिय रूप से WPS पर अमल को बढ़ाने की मांग की है. उधर आसियान के सदस्य देशों ने इस क्षेत्र के भीतर पुराने राजनीतिक जुड़ाव के आधार पर महिला, शांति और सुरक्षा को लेकर एक क्षेत्रीय कार्य योजना (प्लान ऑफ एक्शन) के विकास को प्राथमिकता दी. अतीत की घोषणाओं और बयानों में जताई गई प्रतिबद्धताओं से प्रोत्साहित होकर ये पहल स्थायी शांति और सुरक्षा को बढ़ावा देने के लिए समग्र रूप से आसियान को एकजुट करना चाहती है.

इसके अलावा दक्षिण कोरिया और जापान जैसे देशों ने कमज़ोर देशों में लैंगिक समानता के लिए मदद में बढ़ोतरी की है. दक्षिण कोरिया ने अपनी तत्कालीन विदेश मंत्री कांग क्यूंग-व्हा की अगुवाई में संयुक्त राष्ट्र के प्रस्ताव 1325 पर एक राष्ट्रीय कार्य योजना (NAP) अपनाने के साथ 2017 में अपनी प्रतिबद्धता को मज़बूत किया. इसकी तीसरी राष्ट्रीय कार्य योजना ने महिलाओं की भागीदारी को मज़बूत करने के लिए संघर्ष की रोकथाम, शांति और एकीकरण को जेंडर के नज़रिए से देखा. मानवीय सुरक्षा के दृष्टिकोण से निर्देशित जापान लैंगिक समानता को मानवीय सुरक्षा को बढ़ावा देने के लिए आवश्यक मानता है. ये रणनीतियां WPS एजेंडा के अनुरूप लैंगिक समानता को आगे ले जाने और शांति एवं सुरक्षा को बढ़ावा देने के लिए क्षेत्रीय और वैश्विक प्रतिबद्धता को दर्शाती हैं. 

मानवीय सुरक्षा के दृष्टिकोण से निर्देशित जापान लैंगिक समानता को मानवीय सुरक्षा को बढ़ावा देने के लिए आवश्यक मानता है. ये रणनीतियां WPS एजेंडा के अनुरूप लैंगिक समानता को आगे ले जाने और शांति एवं सुरक्षा को बढ़ावा देने के लिए क्षेत्रीय और वैश्विक प्रतिबद्धता को दर्शाती हैं. 

ऑस्ट्रेलिया की राष्ट्रीय कार्य योजना 2021-2031 में कमज़ोर और संघर्ष से प्रभावित क्षेत्रों में उसकी अंतर्राष्ट्रीय भागीदारी के लिए चार प्राथमिक परिणामों की रूप-रेखा तैयार की गई है. इन परिणामों में संघर्ष की रोकथाम एवं शांति प्रक्रिया में महिलाओं और लड़कियों की सार्थक भागीदारी को बढ़ाना, यौन और लिंग आधारित हिंसा का मुकाबला करना, सामर्थ्य का निर्माण करना, संकट का जवाब और महिलाओं एवं लड़कियों की आवश्यकताओं और अधिकारों का समाधान करने के लिए सुरक्षा, कानून और न्याय से जुड़े प्रयास शामिल हैं. पैसिफिक द्वीप के देशों (PIC) के संबंध में 2012-2015 के लिए क्षेत्रीय कार्य योजना में संघर्ष की रोकथाम और शांति निर्माण में महिलाओं की भूमिका बढ़ाने के लिए, सुरक्षा से जुड़े नीति निर्माण में लैंगिक विचारों को जोड़ने के लिए और संघर्ष से गुज़र चुके क्षेत्रों में महिलाओं और लड़कियों के मानवाधिकार को सुनिश्चित करने के उद्देश्य से फोरम के सदस्यों और पैसिफिक इलाकों के लिए एक संरचना की पेशकश की गई.

इसलिए क्षेत्र में WPS रणनीति लैंगिक असमानताओं से निपटने और शांति एवं सुरक्षा में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने की दिशा में एक ठोस कोशिश दिखाती है. इस तरह की रणनीतियों की मज़बूती विशेष रूप से क्षेत्रीय भागीदारी में पाई जा सकती है जो आसियान महिला, शांति और सुरक्षा कार्य योजना जैसी पहल में दिखती है. ये कार्य योजना सहयोग और जानकारी साझा करने की सुविधा देती है. ऑस्ट्रेलिया, जापान और दक्षिण कोरिया की राष्ट्रीय कार्य योजना देश विशेष की चुनौतियों के समाधान के माध्यम से एजेंडे के प्रति उनकी प्रतिबद्धता उजागर करती है. इसके अलावा क्षेत्र में सफल क्षमता निर्माण किया गया है जो शांति और सुरक्षा में महिलाओं के योगदान की ज़रूरत को स्वीकार करना बताता है. 

क्रियान्वयन में बाधा

फिर भी WPS एजेंडे की समीक्षा WPS रैंक में व्यापक असमानता का भी प्रदर्शन करती है. कुल मिलाकर एजेंडे को अमल में लाने में दो बड़ी बाधाएं हैं- लगातार फंडिंग की कमी और व्यक्तिगत सूचकों पर लिंग के हिसाब से डेटा की कमी. फैसला लेने, संवाद और बातचीत में स्थानीय महिलाओं और हाशिये पर पड़ी महिलाओं की कमी साफ है. अलग-अलग सामाजिक-सांस्कृतिक संदर्भों और स्थानीय परंपराओं को स्वीकार करने और उनका सम्मान करने से WPS के लिए मौजूदा पहल का महत्व और असर बेहतर हो सकता है. इस तरह एक-दूसरे से मिलने वाला नज़रिया महत्वपूर्ण है लेकिन ये WPS की रणनीति से गायब है. साथ ही वो व्यापक दृष्टिकोण भी नहीं है जो लैंगिक असमानताओं के संरचनात्मक और व्यवस्थात्मक कारणों का समाधान कर सकता है. इसके अलावा एजेंडा इस क्षेत्र में सॉफ्ट पावर के तौर पर अमेरिका की मौजूदगी को मज़बूत करता है. इसलिए WPS एजेंडा में जहां लैंगिक असमानता को बढ़ाने और इंडो-पैसिफिक में महिलाओं के मानवाधिकार की रक्षा करने की बहुत ज़्यादा संभावना है वहीं ऊपर बताई गई कमियां WPS एजेंडे को अपना महान लक्ष्य हासिल करने की क्षमता में रुकावट डालती हैं. वैसे तो काफी प्रगति दर्ज की गई है लेकिन WPS एजेंडे की संभावना को पूरी तरह हासिल करने के लिए राजनीतिक प्रतिबद्धता, संसाधन आवंटन और संस्थागत समर्थन बढ़ाने की ज़रूरत बनी हुई है.  

अलग-अलग सामाजिक-सांस्कृतिक संदर्भों और स्थानीय परंपराओं को स्वीकार करने और उनका सम्मान करने से WPS के लिए मौजूदा पहल का महत्व और असर बेहतर हो सकता है. इस तरह एक-दूसरे से मिलने वाला नज़रिया महत्वपूर्ण है लेकिन ये WPS की रणनीति से गायब है. 

फिर भी इंडो-पैसिफिक में WPS एजेंडा समावेशी और स्थायी विकास को बढ़ावा देने के लिए एक महत्वपूर्ण रूप-रेखा के तौर पर उभरता है. लगातार रिसर्च एवं समय-समय पर मूल्यांकन, नीतिगत समर्थन और महिलाओं की आवाज़ एवं अधिकार को बढ़ाने की प्रतिबद्धता के साथ इंडो-पैसिफिक देश अपने-अपने देशों में एजेंडे के घटकों को बढ़ा सकते हैं. 


प्रत्नाश्री बासु ऑब्ज़र्वर रिसर्च फाउंडेशन में एसोसिएट फेलो हैं. 

रिया शर्मा ऑब्ज़र्वर रिसर्च फाउंडेशन में रिसर्च इंटर्न हैं. 

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