यूक्रेन पर रूस के आक्रमण की वजह से अनेक समस्याएं उत्पन हुई हैं. इस युद्ध की वजह से यूरोप में गहराते मानवीय संकट के साथ खाद्य एवं ऊर्जा सुरक्षा को लेकर उभरी चुनौतियों का प्रभाव दुनियाभर में देखा जा रहा है. इसके बावजूद यूरोपियन यूनियन (ईयू) को सबसे ज्यादा चिंता आने वाले ठंड के दिनों में इस महाद्वीप के सामने मौजूद ऊर्जा की कमी को लेकर हो रही है. इस युद्ध की वजह से एक बात तो साफ हो गई है कि यूरोप, अपनी ऊर्जा आपूर्ति के लिए रूस पर काफी ज्यादा आश्रित है. इसी वजह से पश्चिमी देशों ने रूस को यूक्रेन से वापस जाने के लिए मजबूर करने के उद्देश्य से ही प्रतिबंध लगाए थे. हालांकि इस प्रतिबंध का उल्टा असर हुआ और रूस ने आत्म-प्रतिबंध लगाकर और अपने सबसे बड़े उपभोक्ता – यूरोप की गैस आपूर्ति को सीमित करके वैश्विक व्यवस्था को झटका दे दिया. रूसी सरकार के स्वामित्व वाले ऊर्जा निगम गज़प्रोम ने 30 वर्षों में पहली बार लाभांश रद्द करने का निर्णय लिया. यूरोप के ऊर्जा बाजार पर दशकों से अपने नेतृत्व वाले प्रभाव की वजह से रूस ने इस महाद्वीप को अपनी ऊर्जा की जरूरतों के लिए मास्को पर अत्यधिक निर्भर कर दिया.
ईयू का ब्लॉक अपनी प्राकृतिक गैस खपत का लगभग 84 प्रतिशत और तेल उत्पादों का 97 प्रतिशत आयात करता है. रूस ही आयात का प्रमुख स्त्रोत है, क्योंकि वहां से लगभग 45 प्रतिशत प्राकृतिक गैस, 25 प्रतिशत निर्यातित तेल तथा 45 प्रतिशत कोयले का आयात होता है.
रूसी ऊर्जा पर यूरोप की निर्भरता
खुद के ही खिलाफ युद्ध के वित्तपोषण को लेकर वैश्विक स्तर पर आलोचना के बावजूद यूरोप आज भी रूसी ऊर्जा आपूर्ति पर ही निर्भर है. सेंटर फॉर रिसर्च ऑन एनर्जी एंड क्लीन एयर की ओर से किए गए एक विश्लेषण के अनुसार युद्ध के पहले सौ दिनों में (24 फरवरी से 3 जून तक) जीवाश्व ईंधन का निर्यात करते हुए रूस ने 93 बिलियन यूरो का राजस्व हासिल किया था. इसमें से 61 प्रतिशत (लगभग 57 बिलियन यूरो) का ईयू ने ही आयात किया था. ईयू का ब्लॉक अपनी प्राकृतिक गैस खपत का लगभग 84 प्रतिशत और तेल उत्पादों का 97 प्रतिशत आयात करता है. रूस ही आयात का प्रमुख स्त्रोत है, क्योंकि वहां से लगभग 45 प्रतिशत प्राकृतिक गैस, 25 प्रतिशत निर्यातित तेल तथा 45 प्रतिशत कोयले का आयात होता है. इन आयात की लागत प्रति वर्ष 400 बिलियन यूरो, अर्थात 114 मिलियन यूरो प्रतिदिन के आसपास होती है. यूरोप में परिवहन क्षेत्र तेल का सबसे बड़ा उपभोक्ता है तो गैस का सबसे ज्यादा उपयोग बिजली क्षेत्र के लिए किया जाता है.
हालांकि, यूरोपीय संघ के भीतर रूसी तेल पर निर्भरता में कोई समानता नहीं है. रूसी तेल के सबसे बड़े आयातकों में नीदरलैंड, इटली, फ्रांस और फिनलैंड शामिल हैं. निर्भरता के संदर्भ में, स्लोवाकिया सबसे अधिक आश्रित सदस्य है, जिसके बाद लिथुआनिया, पोलैंड और फिनलैंड का नंबर आता है (फिगर 1 देखें).
प्राकृतिक गैस का रूस से यूरोप में चार रास्तों से आयात किया जाता है, जिसमें यूक्रेन, बेलारूस-पोलैंड, द नॉर्ड स्ट्रीम 1 कॉरिडोर, जो रूस को जर्मनी से बाल्टिक सागर के रास्ते जोड़ता है तथा टर्कस्ट्रीम कॉरिडोर जो ब्लैक सागर के रास्ते रूस को तुर्की से जोड़ता है. (फिगर 2 देखें)
2021 के पूरे वर्ष में इन पाइपलाइनों के रास्ते रूसी आपूर्ति अपनी इष्टतम क्षमता से कम रही. 2022 में गज़प्रोम ने जितनी आपूर्ति का वादा किया था उसके मुकाबले केवल एक तिहाई आपूर्ति ही की. (फिगर 3 देखें) इसके अलावा क्रेमलिन ने अनेक ईयू देशों को गैस निर्यात करने पर रोक लगाते हुए नॉर्ड स्ट्रीम 1 पाइपलाइन से गैस की आपूर्ति के प्रवाह के स्तर को भी कम कर दिया. रूस ने इसके लिए ‘‘अमित्रवत’’ खरीददारों पर प्रतिबंध लगाते हुए इसके लिए टर्बाइन रखरखाव में देरी और कम पारवहन स्तर को दोषी बताया.
रूस ने युद्ध आरंभ होने के बाद से छह देशों, पोलैंड, बुलगारिया, फिनलैंड, नीदरलैंड्स, डेनमार्क और लातविया, को प्राकृतिक गैस निर्यात करना बंद कर दिया है. जहां लातविया को गैस भेजना बंद करने के लिए आपूर्ति की शर्तो के उल्लंघन को कारण बताया गया, वहीं पोलैंड, बुलगारिया, फिनलैंड, नीदरलैंड्स और डेनमार्क ने रशियन रुबल में भुगतान करने से इंकार किया तो उनको गैस आपूर्ति नहीं की गई. यह छह देश मिलकर लगभग 22.2 बिलियन क्यूबिक मीटर्स (बीसीएम) मात्रा में रूसी प्राकृतिक गैस का आयात करते थे. इसके अलावा यूक्रेन ने जब रूसी तेल परिवहन को निलंबित कर दिया, तो मध्य यूरोप के अनेक हिस्से इससे प्रभावित हुए. रूस पर लगाए गए पश्चिमी देशों के प्रतिबंधों की वजह से कीव, मॉस्को से परिवहन शुल्क नहीं ले सकता था. इस वजह से ड्रुज़बा पाइपलाइन के दक्षिणी गलियारे के स्लोवाकिया, हंगरी और चेक गणराज्य पर तो असर पड़ा, लेकिन उत्तरी गलियारे के माध्यम से पोलैंड और जर्मनी अप्रभावित रहे. इसके साथ ही जर्मनी, इटली, फ्रांस और ऑस्ट्रिया का गैस परिवहन भी प्रतिबंधित कर दिया गया है.
रूसी निर्भरता को कम करने के उपाय
ईयू ने पहले ही रूस से कोयले और जीवाश्म ईंधन के आयात को निलंबित कर दिया है. 2023 तक रूसी तेल आयात को पूरी तरह रोकने और प्राकृतिक गैस के आयात को कुल ऊर्जा आयात के केवल दो-तिहाई तक सीमति करने के प्रयास भी किए जा रहे हैं. अनेक यूरोपीय देशों ने रूसी ऊर्जा पर अपनी निर्भरता को कम करने की दिशा में अनेक अहम कदम उठाए हैं. जर्मनी ने अपने तेल आयात को कम करने में सफलता हासिल की है, जबकि पोलैंड ने संयुक्त राज्य अमेरिका (यूएस) के साथ, स्वीनौजससा बंदरगाह (कतर और यूएस संचालित) में एक तरल प्राकृतिक गैस (एलएनजी) टर्मिनल का निर्माण करके रूस के ऊर्जा राजस्व को प्रभावित किया है. इसके साथ ही लिथुआनिया, फिनलैंड तथा एस्टोनिया ने रूसी ऊर्जा आपूर्ति पर अपनी निर्भरता को 50 प्रतिशत कम करने में सफलता हासिल कर ली है. लेकिन हंगरी, जैसे अतिनिर्भर देश मास्को पर ईयू की ओर से लगाए गए व्यापक प्रतिबंधों से मुक्ति की मांग कर रहे हैं.
यूरोपियन कमिशन का सुझाव है कि आपूर्ति सुरक्षा और आयात के लचीलेपन को बढ़ाने के लिए रूसी गैस की जगह एलएनजी का उपयोग किया जाए. इससे गैस आपूर्ति रुकावटों के दौरान ऊर्जा की कमी को कम करने के साथ ही रूसी ऊर्जा के उपयोग को समाप्त करने का महत्वपूर्ण लक्ष्य भी हासिल किया जा सकता है.
यूरोपियन कमिशन का सुझाव है कि आपूर्ति सुरक्षा और आयात के लचीलेपन को बढ़ाने के लिए रूसी गैस की जगह एलएनजी का उपयोग किया जाए. इससे गैस आपूर्ति रुकावटों के दौरान ऊर्जा की कमी को कम करने के साथ ही रूसी ऊर्जा के उपयोग को समाप्त करने का महत्वपूर्ण लक्ष्य भी हासिल किया जा सकता है. इसके अलावा, नॉर्वे, अल्जीरिया और अजरबैजान जैसे मौजूदा गैस आपूर्तिकर्ताओं को पश्चिम में अपनी आपूर्ति बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है. ईयू ने नॉव्रे को आर्कटिक में नए तेल और गैस क्षेत्रों का पता लगाने का सुझाव भी दिया है. अमेरिका, कतर और ऑस्ट्रेलिया से एलएनजी आयात में भी उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई है.
यूरोपीय संघ नवीकरणीय ऊर्जा के अपने हिस्से को बढ़ाने के लिए एक सचेत प्रयास कर रहा है. 2030 तक हाइड्रोजन के उपयोग को चौगुना करने के साथ-साथ बायोगैस के उपयोग को बढ़ावा देने पर विचार किया जा रहा है. संघ की अन्य सिफारिशों में घरेलू छतों पर रूफटॉप सौर ऊर्जा पैनल लगाना शामिल हैं, जो ब्लॉक की बिजली खपत का एक चौथाई उत्पन्न कर सकते हैं.
‘‘स्वच्छ ऊर्जा संक्रमण में तेजी लाने’’ के प्रयास एक चुनौती साबित हुए हैं. रूसी ऊर्जा पर निर्भरता को कम करने की आवश्यकता की राह में जीवाश्म ईंधन की कीमतों में वृद्धि रोड़ा बनी हुई है. इसने यह सुनिश्चित किया है कि रूसी ऊर्जा आयात पर प्रतिबंध का प्रभाव सीमित ही रहेगा.
इस बीच रूस पर निर्भरता को चरणबद्ध तरीके से कम करने को लेकर यूरोप की प्राथमिक पसंद के रूप में एलएनजी को इस वजह से व्यापक आलोचना का शिकार होना पड़ा, क्योंकि इससे ग्रीनहाऊस गैस उर्त्सजन बढ़ता है. दो नए एलएनजी टर्मिनल स्थापित करने की जर्मनी की घोषणा का मतलब यह है कि जीवाश्म ईंधन से उत्पादित बिजली पर निर्भरता कुछ समय के लिए और जारी रहेगी और इस वजह से जर्मनी को लंबे समय तक अप्रत्याशित रूप से एलएनजी पर निर्भर रहना होगा. कुछ देशों को कोयले से बनने वाली बिजली के प्लांटस को अस्थायी रूप से शुरू कर कोयला उत्पादित बिजली पर स्थानांतरित होने का निर्णय लेना होगा. इस वजह से कार्बन उर्त्सजन में काफी इजाफा होगा, क्योंकि कोयले से बनने वाली बिजली में, गैस से उत्पादित बिजली की तुलना में दोगुना कार्बन उर्त्सजन होता है.
संक्रमण में आरईपॉवरईयू का महत्व
आक्रमण के जवाब में, 2030 से पहले एक ऊर्जा-स्वतंत्र यूरोप बनाने के लिए आरईपॉवरईयू रणनीति पर काम करने की योजना बनाई गई है. यह योजना बढ़ती ऊर्जा की कीमतों का मुकाबला करने के उपायों को लागू करते हुए रूसी प्राकृतिक गैस आयात पर ब्लॉक की निर्भरता को कम करने की दिशा में काम करेगी. आरईपॉवरईयू, ऊर्जा दक्षता में सुधार, अक्षय अथवा नवीकरणीय ऊर्जा के उपयोग को बढ़ावा देने और तेल तथा गैस आपूर्ति के लिए गैर रूसी आपूर्तिकर्ताओं को एकत्रित कर आपूर्ति सुरक्षित करने की त्रिसूत्रीय रणनीति की वकालत करता है. बिजली उत्पादन में अक्षय ऊर्जा स्त्रोतों को बढ़ावा देने के साथ गैस आपूर्ति का ऐसा विविधीकरण यूरोपीय संघ को हीटिंग और बिजली उत्पादन में गैस के उपयोग को बदलने में सहायक और सक्षम साबित होगा. यूरोपीय आयोग के अनुसार, इसका मतलब है कि 2022 के समाप्त होने से पहले ही यूरोपीय संघ में रूसी गैस की मांग में दो-तिहाई की कमी आ जाएगी.
आरईपॉवरईयू, ऊर्जा दक्षता में सुधार, अक्षय अथवा नवीकरणीय ऊर्जा के उपयोग को बढ़ावा देने और तेल तथा गैस आपूर्ति के लिए गैर रूसी आपूर्तिकर्ताओं को एकत्रित कर आपूर्ति सुरक्षित करने की त्रिसूत्रीय रणनीति की वकालत करता है.
गैस आपूर्ति में विविधीकरण को एलएनजी पर स्थानांतरित करके तथा गैर रूसी आपूर्तिकर्ताओं से पाइपलाइन के माध्यम से आयात करके हासिल किया जाएगा. इसके साथ ही बायोमिथेन और नवीकरणीय हाइड्रोजन उत्पादन और आयात भी इस विविधीकरण कोशिशों के तहत करने की योजना है. ईयू के गैस भंडार को एक अक्तूबर 2022 तक अधिकतम 90 प्रतिशत क्षमता तक भरने का प्रस्ताव मुश्किल है, क्योंकि वर्तमान में इसकी क्षमता केवल 30 प्रतिशत है. इसके अलावा योजना के तहत ईयू के सदस्य देशों को अपने गैस भंडार न्यूनतम रखना अनिवार्य है. आयोग के ‘फिट फॉर 55’ प्रस्ताव के अनुसार, 2030 तक वार्षिक जीवाश्म गैस की खपत 30 प्रतिशत, जो कि 100 बीसीएम है, कम हो जाएगी. आरईपॉवरईयू के योगदान के साथ, यह 155 बीसीएम जीवाश्म गैस के उपयोग के समान होगा.
संक्रमण के समक्ष अल्पावधि बाधाएं
ईयू की अत्यधिक निर्भरता की वजह से रातोंरात नवीकरणीय ऊर्जा की दिशा में संक्रमण के प्रयास बाधित होते हैं, लेकिन इसकी वजह से प्राकृतिक गैस ऊर्जा का एक अहम स्त्रोत बन जाएगा. अत: 2023 के लिए गैस भंडार की तत्काल पुन:पूर्ति बेहद अहम है. विविधीकरण की प्रक्रिया को गति प्रदान करने से किसी बाधा के दौरान ऊर्जा आपूर्ति सुरक्षा भी सुनिश्चित होगी. यूरोप को गैस की आपूर्ति में कटौती करने के रूस के फैसले की वजह से गैस की कीमतों में बेतहाशा उछाल आया और इसकी वजह से ईयू को ठंड के दिनों में अपनी ऊर्जा खपत को नियंत्रित करने पर मजबूर होना पड़ेगा. एलएनजी का सहारा लेने के बावजूद, उनकी यूरोपीय प्रसंस्करण इकाइयां पहले से ही पूरी क्षमता से काम कर रही हैं. इसी प्रकार, सर्दियों के दौरान गैस की मांग में 30 प्रतिशत की वृद्धि को देखते हुए यूरोप के सीमित गैस भंडारण की स्थिति खराब कही जा सकती है. ऐसे में बड़े भंडार को समायोजित करने के लिए ढांचागत पुनर्गठन आवश्यक हो गया है.
2022 में प्राकृतिक गैस की कीमतें 2021 में अपने स्तर से लगभग छह गुना बढ़ गईं, लेकिन यूरोपीय संघ के छठे प्रतिबंध पैकेज में इसे रोकने की व्यवस्था अथवा प्रतिबंध का अभाव था. ऊर्जा गरीबी संकट के प्रभाव को कम करने वाला एक राहत पैकेज नागरिकों को सर्दियों में भोजन करने अथवा गर्म रहने की व्यवस्था में से किसी एक का चयन करने पर मजबूर नहीं करेगा. इस बीच, तेल की कीमतों में और उछाल की संभावना ने नेताओं को अपनी प्रतिबद्धताओं से पीछे हटने या उन्हें टालने पर मजबूर किया है.
संक्रमण की दीर्घकालीन बाधाएं
संक्रमण के लिए सबसे महत्वपूर्ण दीर्घकालिक बाधा यूरोपीय संघ का निरंतरता का लक्ष्य है. यूरोपीय संघ के जलवायु लक्ष्यों की प्रकृति को देखते हुए, नवीकरणीय और टिकाऊ विकल्प खोजना एक मुश्किल काम होगा. अब यूरोपीय नेता, ऊर्जा की बढ़ती कीमतों और उनके महत्वाकांक्षी जलवायु वादों के बीच फंस गए हैं.
सर्दियों के दौरान गैस की मांग में 30 प्रतिशत की वृद्धि को देखते हुए यूरोप के सीमित गैस भंडारण की स्थिति खराब कही जा सकती है. ऐसे में बड़े भंडार को समायोजित करने के लिए ढांचागत पुनर्गठन आवश्यक हो गया है.
नवीकरणीय स्त्रोत जैसे, पवन, सौर और जलविद्युत का उपयोग, हालांकि टिकाऊ है, लेकिन इन पर पूरी तरह से निर्भर नहीं हुआ जा सकता है. हवा या धूप नहीं होने की स्थिति में लचीला गैर-नवीकरणीय बिजली उत्पादन ही जनता की मांगों को पूरा करने में मदद करेगा. ऐसे में ईयू को जीवाश्म ईंधन के अस्थिर और अविश्वसनीय प्रदाताओं से सफलतापूर्वक संक्रमण करने के लिए विश्वसनीय आपूर्तिकर्ताओं की जरूरत होगी.
The views expressed above belong to the author(s). ORF research and analyses now available on Telegram! Click here to access our curated content — blogs, longforms and interviews.