Author : Hari Bansh Jha

Published on Jun 15, 2022 Updated 0 Hours ago

खाली विदेशी मुद्रा भंडारण, बढ़ते आयात, और पेमेंट असंतुलन के प्रति बढ़त संतुलन की वजह से कई लोगों को ये भय सता रहा है कि नेपाल तेज़ी से आर्थिक संकट की ओर बढ़ रहा है.

पड़ोसी देश नेपाल में व्याप्त आर्थिक संकट: क्या हिमालय की गोद में बसा यह देश, श्रीलंका की राह पर अग्रसर है?

संभवतः इससे पहले कभी भी, 29 मिलियन जनसंख्या वाले हिमालय की गोद में बसे देश नेपाल को आंतरिक और बाहरी मोर्चों पर, इतने बदतर आर्थिक संकट से घिरा पाया गया था. बाहरी मोर्चे पर नेपाल को घटते प्रेषित धन का सामना करना पड़ रहा है, जिसकी वजह से उसके यहां अभूतपूर्व तरीके आयात में बढ़ोत्ततरी दर्ज की जा रही है. इन दोनों ही स्थितियों ने देश के वित्तीय सेहत पर काफी बुरा असर डाला है, क्योंकि लंबित भुगतान में देरी होने के साथ-साथ, भयंकर असंतुलन हो रहा है. इन सब के बीच देश का विदेशी मुद्रा भंडार भी लगातार गिरता जा रहा है. घरेलू स्तर पर, आवश्यक वस्तुओं के दाम काफी तेज़ी से बढ़ गए हैं और बैंक आदि भी व्यवसाय आदि के लिए  ज़रुरी क़र्ज़ दे पाने में भी असफल हो रहे हैं. ऐसी चंद आर्थिक संकटों की वजह से, नेपाली जनता का एक बड़ा वर्ग इस बात से चिंतित है कि श्रीलंका की तरह नेपाल भी ठीक उसी दिशा की ओर अग्रसर है, जहां आज जिन समस्याओं का सामना नेपाल कर रहा है- तक़रीबन वैसे ही आर्थिक संकट की समस्यायें कुछ समय पहले पैदा हो चुकीं थीं. 

नेपाली जनता का एक बड़ा वर्ग इस बात से चिंतित है कि श्रीलंका की तरह नेपाल भी ठीक उसी दिशा की ओर अग्रसर है, जहां आज जिन समस्याओं का सामना नेपाल कर रहा है- तक़रीबन वैसे ही आर्थिक संकट की समस्यायें कुछ समय पहले पैदा हो चुकीं थीं.

परंतु नेपाली वित्तमंत्री जनार्दन शर्मा, जो कि पुष्प कमल दहल के नेतृत्व वाली नेपाली कम्युनिस्ट पार्टी – माओइस्ट सेंटर (सीपीएन-एमसी) का प्रतिनिधित्व करने वाले मात्र एक राजनीतिज्ञ हैं और जिनकी अर्थशास्त्र के क्षेत्र में कोई ख़ास अनुभव नहीं है, उन्होंने देश में ऐसे किसी विशाल आर्थिक संकट की शंकाओं को निर्मूल बताया है. ऐसे दावों के बावजूद, आर्थिक संकट से निपट पाने में असफ़लता की वजह से लोग उन पर त्यागपत्र देने का दबाव बना रहे हैं. 

लोगों का ध्यान ख़ुद पर से हटाने के प्रयास में, मंत्री शर्मा कभी कभी नेपाल राष्ट्र बैंक –  जो कि देश का केंद्रीय बैंक है उसके गवर्नर महाप्रसाद अधिकारी के ऊपर “असक्षमता, खुफिया जानकारियों को लीक करने और अपने कर्तव्यों के निर्वाहन में असफल” रहने का आरोप मढ़ते रहते हैं. इसी के आधार पर उन्हे निलंबित भी कर दिया गया है. इस स्थिती ने देश के केंद्रीय बैंक की स्वायत्ता सुनिश्चित और सुरक्षित करने की दिशा में सरकार की प्रतिबद्धता के प्रति शंका भी बढ़ा दी है. नेपाल की सुप्रीम कोर्ट की मध्यस्थता के बाद ही वित्त-मंत्री द्वारा उन्हें निलंबित किए जाने के प्रयास को निष्फल किया जा सका और उन्हें वापिस से अपनी पद पर बहाल किया जा सका है. 

वित्तमंत्री और देश के केंद्रीय बैंक के गवर्नर के बीच का टकराव ख़ुद में आर्थिक परेशानियों का प्रमाण है. हालिया डाटा बतलाता है कि परिवहन और निर्माण की कीमत में उछाल की वजह से, देश में महंगाई 7.14 प्रतिशत तक की ऊंचाई छू गई. इसके अलावे, नेपाल स्टॉक एक्सचेंज के 41.77 पॉइंट तक की गिरावट, ने निवेशकों का अर्थव्यवस्था पर से भरोसा डिगा दिया है.

वित्तमंत्री और देश के केंद्रीय बैंक के गवर्नर के बीच का टकराव ख़ुद में आर्थिक परेशानियों का प्रमाण है. हालिया डाटा बतलाता है कि परिवहन और निर्माण की कीमत में उछाल की वजह से, देश में महंगाई 7.14 प्रतिशत तक की ऊंचाई छू गई. इसके अलावे, नेपाल स्टॉक एक्सचेंज के 41.77 पॉइंट तक की गिरावट, ने निवेशकों का अर्थव्यवस्था पर से भरोसा डिगा दिया है. क्योंकि नकदी के अभाव में, बैंक और वित्तीय संस्थाने कृषि, पर्यटन, मैन्युफैक्चरिंग और उर्जा सेक्टरों जैसे मुनाफ़े वाली कंपनियों को भी वित्तीय कर्ज़ देने में गुरेज़ करने लगे हैं. बैंकों ने मध्य अगस्त और मध्य सितंबर 2021 में लगभग 187 मिलियन रुपये क़र्ज़ में वितरित किए परंतु वो 2022 के मध्य जनवरी – मध्य फ़रवरी आते-आते बड़ी बुरी तरह से 11 बिलियन रुपये तक गिर चुका था. 

यूक्रेन संकट का भी प्रभाव

बड़े स्तर पर पर देखा जाये तो, आर्थिक विकास के दर के 7 प्रतिशत तक बढ़ने की आशा व्यक्त की गई थी, विश्व बैंक द्वारा उसमें 3.7 प्रतिशत तक की गिरावट दर्ज की गई है. यूक्रेन में हो रहे युद्ध की वजह से ईंधन की कीमत और अन्य कृषि संबंधी वस्तुओं के कीमत में बढ़ोत्तरी दर्ज की जा रही है, जिसकी वजह से भी अर्थव्यवस्था के विकास दर में गिरावट आया है. पिछले वित्त वर्ष में देश ने 175.53 बिलियन की कीमत का तेल का आयात किया था, परंतु इस साल मात्र 8 महीनों में ही आयातित तेल की कीमत 184.98 बिलियन तक पहुँच गई है. 

एक वक्त़ में जब ऋण सेवा का अनुपात अमेरिकी डॉलर 333 मिलियन है, उस वक्त़ देश को क़र्ज़ चुकाने के लिए विदेशी मुद्रा की सख्त़ ज़रूरत है, ख़ासकर जब विदेशी मुद्रा का वर्तमान स्तर इतना नहीं है, कि वो अगले छह महीनों के लिए टिक सके, ये अपने आप में एक गंभीर मसला है.

हालांकि, नेपाल एक कृषि प्रधान देश के तौर पर जाना जाता है, सालों से उसने ज्य़ादा से ज्य़ादा अनाज का आयात किया है. सिर्फ़ भारत से ही नेपाल द्वारा आयातित कृषि एवं खाद्य पदार्थ अकेले पिछले साल 2019-20 की तुलना में 38.9 प्रतिशत बढ़ गया है. 2020-21 में, इस देश ने अमेरिकी डॉलर 402.91 मिलियन कीमत की 1.2 मिलियन चावल का आयात किया है. आयात में लगातार होती वृद्धि के कारण, वर्तमान वित्तवर्ष, के शुरुआती 8 महीनों में नुकसान बढ़कर अमेरिकी डॉलर 9.5 बिलियन तक पहुँच गया, जो कि नेपाल सरकार के समूचे बजट राशि के लगभग करीब है. इसके अलावे, देश अपने विदेशी मुद्रा भंडारण में भी काफी नीचे चल रही है, जो कि पिछले वित्त-वर्ष 2021-22 के पहले 8 महीने में अमेरिकी डॉलर 12 बिलियन से गिर कर वर्तमान वित्त-वर्ष के समय में 18 प्रतिशत की गिरावट दर्ज करके, अमेरिकी डॉलर 9.6 बिलियन का हो गया. एक वक्त़ में जब ऋण सेवा का अनुपात अमेरिकी डॉलर 333 मिलियन है, उस वक्त़ देश को क़र्ज़ चुकाने के लिए विदेशी मुद्रा की सख्त़ ज़रूरत है, ख़ासकर जब विदेशी मुद्रा का वर्तमान स्तर इतना नहीं है, कि वो अगले छह महीनों के लिए टिक सके, ये अपने आप में एक गंभीर मसला है.

इस आर्थिक संकट से निपटने के लिए ज़रूरी आधारभूत संरचना जिसमें सड़क, विद्युत संचार लाइन आदि का विकास शामिल है, उसके लिए नेपाल सरकार ने यूनाइटेड स्टेट्स एजेंसी फॉर इंटरनेशनल डेवलपमेंट (USAID) द्वारा, अमेरिकी सरकार के मार्फ़त, पाँच वर्षों के लिए, 659 मिलियन के अमेरिकी डॉलर का अनुदान ग्रहण किया. इसके अलावा, व्यापारियों को लक्ज़री वस्तु जैसे वाहन और कॉस्मेटिक आदि के आयात के लिए लेटर ऑफ़ क्रेडिट खोलने से मना कर रखा है. 

नेपाली प्रवासियों से निवेश की अपील

इसके अलावा भी, सरकार तेल की मांग पर काबू पाने के उद्देश्य से दो दिवसीय सप्ताहांत नियम लागू करने का विचार कर रही हैं. सिर्फ इतना ही नहीं, सरकार ने सरकारी एजेंसियों, मंत्रालयों और पब्लिक एंटरप्राइज़ आदि के लिए ज़रूरी ईंधन को 20 प्रतिशत तक कम कर दिया हैं. ऐसे संकट के क्षण में, विदेश में रह रहे नेपाली प्रवासियों से देश के भीतर डॉलर अकाउंट खोलने और देश में निवेश करने की अपील भी की है. 

ये सिर्फ़ समय ही बता पाएगा कि इस आर्थिक संकट से निपटने के लिए नेपाल सरकार द्वारा उठाए गए उपरोक्त क़दम से क्या वे देश में पैदा हो रहे इस आर्थिक संकट से निपटने में सफल हो पायेंगे या नहीं, जो दिनों-दिन बदतर होती जा रही है. हालांकि, सरकार द्वारा लिए गए कुछ कदमों से आयात में कमी आएगी और किसी हद तक अस्थिर विदेशी मुद्रा भंडारण के आउटफ्लो को सीमित किया जा सकेगा, जो संभवतः बड़े पैमाने पर राजस्व संग्रहण को प्रभावित कर सकता है. हालांकि, कम से कम अवधि में निर्यात में बढ़त लाने की संभावना काफी क्षीण है, क्योंकि इस राष्ट्र के पास निर्यात किए जाने लायक योग्य वस्तुएं काफी कम संख्या में मौजूद है. 

सरकार के पास जो एकमात्र रास्ता रह गया है, वो ये है कि वह किसी भी तरह से सीधी विदेशी निवेश (एफडीआई) को आकर्षित कर पाये, पर्यटन उद्योग को पुनर्जीवित कर पाये और फ़ॉरेन एक्सचेंज रिज़र्व को सुदृढ़ करने के लिए ज़रूरी मिलेनियम चैलेंज कॉर्पोरेशन पैक्ट को अमल में ले आये.

इसलिए, सरकार के पास जो एकमात्र रास्ता रह गया है, वो ये है कि वह किसी भी तरह से सीधी विदेशी निवेश (एफडीआई) को आकर्षित कर पाये, पर्यटन उद्योग को पुनर्जीवित कर पाये और फ़ॉरेन एक्सचेंज रिज़र्व को सुदृढ़ करने के लिए ज़रूरी मिलेननियम चैलेंज कॉर्पोरेशन पैक्ट को अमल में ले आये. यूएसए, यूके, ऑस्ट्रेलिया, जापान, साउथ कोरिया, कनाडा, हॉन्गकॉन्ग और यूरोप आदि विदेशी देशों में कूटनीतिक मिशन बनाए जाने चाहिए ताकि नेपाली प्रवासी बैंकिंग चैनल के ज़रिए पैसे नेपाल भेज सके और उत्पादन उद्योग में निवेश कर सकें. अगर ऐसा सफलतापूर्वक हो पाता है तो, नेपाल ख़ुद को श्रीलंका जैसा बनने से रोक पायेगा, जो विशेष कर सिर्फ़ अपने खाली हो चुके विदेशी मुद्रा भंडारण की वजह से गंभीर आर्थिक संकट झेलने को मजबूर है. 

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