दुनिया भर में केंद्रीय बैंक वित्तीय प्रणाली की दक्षता में सुधार के लिए डिजिटल सॉल्यूशन (समाधान) लागू कर रहे हैं. जी20 देशों के, 20 में से 19 देश, सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (सीबीडीसी) के विकल्प तलाश रहे हैं, जिसमें 16 पहले से ही विकास के चरण में हैं. ऐसा लगता है कि चीन वैश्विक वित्तीय प्रणाली को बदलने की बड़ी महत्वाकांक्षाओं के साथ सीबीडीसी के विकास को लेकर सबसे आगे है.
क्या है सीबीडीसी?
सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (CBDC) एक डिजिटल टोकन है जो केंद्रीय बैंक द्वारा जारी और गारंटी दी जाने वाली नक़दी के पूरी तरह से डिजिटल संस्करण के रूप में काम करता है. सीबीडीसी क्रिप्टोकरेंसी के विपरीत है, जो विकेंद्रीकृत है और स्टेबल क्वॉइन्स (स्थिर सिक्कों) के मामले में, डॉलर या यूरो जैसी सरकार द्वारा जारी मु्द्रा के मूल्य से आंकी जाती है. दुनिया भर के केंद्रीय बैंक प्रत्यक्ष मौद्रिक और राजस्व नीति के लिए बेहतर चैनल विकसित करने के लिए सीबीडीसी के विकल्प के साथ प्रयोग कर रहे हैं और इसके ज़रिए धन की पहुंच में सुधार और घरेलू बाज़ारों में प्रतिस्पर्द्धा स्थापित करके वित्तीय समावेशन को बढ़ावा देने की कोशिश कर रहे हैं. पीपल्स बैंक ऑफ़ चाइना (पीबीओसी) 2014 से सीबीडीसी स्पेस में अग्रणी रहा है और डिजिटल युआन के विकास के साथ, जो उन्हें कई अन्य देशों से आगे रखता है, लेकिन यह अभी भी अनुसंधान और योजना के चरण में है. यह शुरुआती विकास चीन को उसकी मुद्रा रॅन्मिन्बी (RMB) का अंतर्राष्ट्रीयकरण करने और डॉलर के आधिपत्य को रोकने के लिए बढ़ावा देता है.
सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (CBDC) एक डिजिटल टोकन है जो केंद्रीय बैंक द्वारा जारी और गारंटी दी जाने वाली नक़दी के पूरी तरह से डिजिटल संस्करण के रूप में काम करता है. सीबीडीसी क्रिप्टोकरेंसी के विपरीत है, जो विकेंद्रीकृत है और स्टेबल क्वॉइन्स (स्थिर सिक्कों) के मामले में, डॉलर या यूरो जैसी सरकार द्वारा जारी मु्द्रा के मूल्य से आंकी जाती है.
डॉलर का वर्चस्व
साल 1944 में स्थापित ब्रेटन वुड्स प्रणाली ने अमेरिकी डॉलर को विश्व की अंतर्राष्ट्रीय आरक्षित मुद्रा के रूप में उभरने का मौक़ा दिया. नतीजतन, वैश्विक अर्थव्यवस्थाएं और वित्तीय बाज़ार डॉलर और अमेरिकी अर्थव्यवस्था के साथ जुड़ गए. आज भले चीन दुनिया का सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार है लेकिन, चीनी मुद्रा आरएमबी अभी भी दुनिया की आरक्षित मुद्रा का मात्र 2 प्रतिशत से भी कम का हिस्सा रखती है. वैश्विक अर्थव्यवस्था में व्यापार और मुद्रा की स्थिति के बीच ऐसी असमानता चीन के लिए चिंता का विषय है, जो कि डॉलर के प्रभुत्व वाली वित्तीय प्रणाली के लिए संरचनात्मक तौर पर ऋणी है.
दुनिया भर में चीन की बढ़ती आर्थिक ताक़त के साथ, वैश्विक बाज़ारों में अमेरिकी डॉलर का लगातार दबदबा कायम रहना चीन के लिए चिंता का विषय है. डॉलर का वर्चस्व संयुक्त राज्य अमेरिका (यूएस) को ग्लोबल पेमेंट रेल्स से अलग करके चीनी कंपनियों पर प्रतिबंध लगाने का मौक़ा देती है. दुनिया भर में ज़्यादातर पेमेंट रेल के लिए डॉलर का उपयोग किया जाता है, इससे अमेरिका को सीमा पार लेनदेन को नियंत्रित करने में बहुत मदद मिलती है. यह दुनिया भर के अन्य केंद्रीय बैंकों के लिए भी एक अवास्तविक समस्या बन कर उभर सकती है.
डिजिटल युआन का विकास
- सीमा-पार अंतर-बैंक भुगतान सेवा (सीआईपीएस)
पीबीओसी ने डॉलर के प्रभुत्व वाली वैश्विक भुगतान प्रणाली को चुनौती देने के लिए साल 2015 में क्रॉस-बॉर्डर इंटर-बैंक पेमेंट सर्विस (सीआईपीएस) को खड़ा किया. सिटी बैंक, एचएसबीसी, और जेपी मॉर्गन चेज सहित बड़े बैंकों और वित्तीय संस्थानों द्वारा स्वीकृत, सीआईपीएस (CIPS) वैश्विक स्तर पर आरएमबी से लेनदेन को बढ़ावा देता है. लेकिन आरएमबी के अंतराष्ट्रीयकरण के इस प्रयास की भी अपनी सीमाएं हैं, क्योंकि सीआईपीएस में सोसायटी फॉर वर्ल्डवाइड इंटरबैंक फ़ाइनेंसियल टेली-कम्युनिकेशन्स (एसडब्ल्यूआईएफटी) के मुक़ाबले केवल 1300 प्रतिभागी हैं, जबकि स्विफ्ट में 10,000 प्रतिभागी हैं. हालांकि, यहां ध्यान देने की बात यह है कि सीआईपीएस और स्विफ्ट (एसड्ब्लूआईएफटी) के अलग-अलग कार्यक्षेत्र हैं. स्विफ्ट किसी भी फंड को स्थानांतरित नहीं करता है. यह केवल एक सुरक्षित संदेश प्रणाली है जो भाग लेने वाले बैंकों को एक दूसरे के साथ संवाद करने का प्लेटफॉर्म मुहैया कराता है. दूसरी ओर, सीआईपीएस महज़ आरएमबी को क्लीयर करने का एक ज़रिया है, जो इसे यूएस ‘क्लियरिंग हाउस इंटरबैंक पेमेंट सिस्टम (सीएचआईपीएस) जैसा ही बनाता है, जो डॉलर-डिनोमिनेटेड लेनदेन के लिए स्विफ्ट नेटवर्क का उपयोग करता है.
हालांकि, बीआरआई की स्थापना के बाद से ही अमेरिकी डॉलर निवेश के लिए मुख्य मुद्रा बना हुआ है – सभी ऋणों का केवल 14 प्रतिशत आरएमबी डिनोमिनेटेड है. इस तरह का असंतुलन बीआरआई निवेश में वृद्धि और चीन की वैश्विक आर्थिक स्थिति के बिल्कुल विपरीत है, जो चीन की वैश्विक व्यापार स्थिति और आरएमबी उपयोग की मौज़ूदा स्थिति जैसा ही है.
साल 2022 की शुरुआत में जारी नवीनतम वित्तीय मानकीकरण पंचवर्षीय योजना (2021-2025) द्वारा परिकल्पित लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए, चीन को आरएमबी के अंतर्राष्ट्रीयकरण को और बेहतर बनाने के लिए सीआईपीएस के नेटवर्क को और प्रभावी बनाना होगा. इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि आरएमबी को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर एक सुरक्षित संपत्ति की पहचान दिलाने और कुल वैश्विक रिज़र्व में इसकी हिस्सेदारी को बढ़ाने के लिए चीन को संरचनात्मक आर्थिक बदलाव लाने होंगे, बावज़ूद इसके कि साल 2016 में आईएमएफ ने इसे स्पेशल ड्रॉइंग राइट् बास्केट में जोड़ा है.
- बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (बीआरआई)
चीन के बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (बीआरआई) की सफलता के लिए आरएमबी का अंतराष्ट्रीयकरण भी अहम है, जो चीन और लगभग सत्तर देशों के बीच व्यापक व्यापार और निवेश के अवसरों को बढ़ा कर एशिया, यूरोप और अफ्रीका में मुख्य आर्थिक गलियारों को जोड़ने की रणनीतिक योजना है. बीआरआई का मक़सद इसमें शामिल देश की अर्थव्यवस्था में बुनियादी ढांचे में निवेश कर चीनी उत्पादों और सेवाओं के लिए अतिरिक्त बाज़ार तलाश कर पारस्परिक लाभ विकसित करना है. बीआरआई के सभी निवेश का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बुनियादी ढांचा परियोजनाओं को विकसित करने में है – जैसे राजमार्ग, रेलवे नेटवर्क, बंदरगाह और औद्योगिक पार्क. कई देशों में सॉफ्ट पावर विकसित करने के अलावा, बीआरआई चीन को आरएमबी-डिनोमिनेटेड डेब्ट जारी करने और एशिया, यूरोप और अफ्रीका में इस मुद्रा के इस्तेमाल को बढ़ावा देने का मौक़ा प्रदान करता है.
हालांकि, बीआरआई की स्थापना के बाद से ही अमेरिकी डॉलर निवेश के लिए मुख्य मुद्रा बना हुआ है – सभी ऋणों का केवल 14 प्रतिशत आरएमबी डिनोमिनेटेड है. इस तरह का असंतुलन बीआरआई निवेश में वृद्धि और चीन की वैश्विक आर्थिक स्थिति के बिल्कुल विपरीत है, जो चीन की वैश्विक व्यापार स्थिति और आरएमबी उपयोग की मौज़ूदा स्थिति जैसा ही है. एशियाई विकास बैंक के अनुसार एशिया को अगले दशक में बुनियादी ढांचे के निवेश में 26 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर की आवश्यकता है और चीन ऐेसे निवेश की ज़रूरत को पूरा करने का दम रखता है. डिज़िटल युआन चीन को आरएमबी के तौर पर ज़्यादा ऋण जारी करने और ऋण चुकाने के लिए नेटवर्क और तंत्र को मज़बूत करने का मौक़ा देता है. चीन पहले से ही बीएरआई के लिए आरएमबी का उपयोग बढ़ाने की दिशा में काम कर रहा है. उदाहरण के तौर पर, चीन अब 25 बीआरआई में शामिल होने वाले देशों के साथ सबसे बड़ा व्यापार साझेदार है और 20 देशों के साथ उसका करेंसी – स्वैप समझौता है. इसके अलावा बैंक ऑफ चाइना और चाइना कंस्ट्रक्शन बैंक बीआरआई परियोजनाओं के वित्तपोषण के लिए देश के बाहर आरएमबी-डिनोमिनेटेड बॉन्ड जारी कर रहे हैं.
युआन के विस्तार का एक और विकल्प अफ्रीका में कर्ज़ देने के रूप में मौज़ूद है. चीन जाम्बिया और जिबूती जैसे अफ्रीकी देशों का सबसे बड़ा द्विपक्षीय कर्ज़दाता है, जो ऐसे देशों को ऋण वापस करने के लिए भंडार के तौर पर डिजिटल युआन जमा करने के लिए मजबूर करता है. इसके अलावा सीबीडीसी सीमा पार लेनदेन की दक्षता में बढ़ोतरी करता है, जिससे डिजिटल युआन अफ्रीका में देश से बाहर भेजे हुए धन के लिए आदर्श ज़रिया बन जाता है.
युआन की शुरुआती अवस्था
इस तरह के फायदों के बावजूद, मुद्रा में भरोसे की कमी शायद आरएमबी के अंतराष्ट्रीयकरण के लिए सबसे महत्वपूर्ण चुनौती है. डिजिटल युआन को लाने के लिए चीनी संस्थानों से गारंटी की आवश्यकता होगी. अमेरिका और चीन के बीच बढ़ते व्यापारिक प्रतिस्पर्द्धा और तनाव और कोरोना महामारी ने दुनिया को और अधिक ध्रुवीकृत कर दिया है और युआन के लिए इससे कई चुनौतियां बढ़ गई हैं. इसके बावज़ूद BRI अभी भी कई एशियाई और अफ्रीकी देशों में डिजिटल युआन को बढ़ाने का काम कर सकता है. डिजिटल युआन की बढ़ोतरी सीबीडीसी की वैश्विक स्वीकृति और वो पारंपरिक वित्तीय प्रणाली में कैसे एकीकृत हो जाते हैं, इस पर निर्भर करती है.
RMB और डॉलर में मूलभूत अंतर है जो उनके अंतर्राष्ट्रीय इस्तेमाल को बढ़ावा देता है. डॉलर बड़े पैमाने पर बाज़ार संचालित है, जबकि आरएमबी सरकार या राज्य संचालित है. चीनी वित्तीय प्रणाली अपनी आर्थिक और राजनीतिक व्यवस्था के कारण प्रतिबंधात्मक और सीमित नज़र आती है. जबकि उदार अर्थव्यवस्थाओं द्वारा डॉलर के इस्तेमाल ने इसे अंतरराष्ट्रीय आरक्षित मुद्रा के रूप में बढ़ावा दिया है. दूसरी ओर, चीन मुख्य रूप से आरएमबी अस्थिरता का प्रबंधन करने के लिए अपनी अर्थव्यवस्था के अधिकांश पहलुओं पर पूंजी नियंत्रण रखता है.
डिजिटल युआन के घरेलू उपयोग का कई अंतर्राष्ट्रीय मुद्राओं पर प्रभाव पड़ सकता है क्योंकि चीन दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है और दुनिया का सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार भी है. इसे डॉलर के वर्चस्व के लिए या डॉलर के प्रभुत्व वाली वैश्विक वित्तीय प्रणाली के विकल्प के तौर पर भविष्य में देखा जा सकता है.
विश्व स्तर पर कम देशों द्वारा अपनाए जाने के बावज़ूद, चीन अभी भी सीबीडीसी अनुसंधान और निष्पादन की दौड़ में सबसे आगे है. डिजिटल युआन अभी तक एक अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा का दर्ज़ा नहीं पा सका है लेकिन यह निश्चित रूप से चीन में स्वीकार्यता प्राप्त कर रहा है. डिजिटल युआन के घरेलू उपयोग का कई अंतर्राष्ट्रीय मुद्राओं पर प्रभाव पड़ सकता है क्योंकि चीन दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है और दुनिया का सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार भी है. इसे डॉलर के वर्चस्व के लिए या डॉलर के प्रभुत्व वाली वैश्विक वित्तीय प्रणाली के विकल्प के तौर पर भविष्य में देखा जा सकता है. डिजिटल युआन के प्रभाव का आकलन करना अभी जल्दबाज़ी होगी लेकिन यह दुनिया भर की सरकारों के लिए एक बेहतर अवसर हो सकता है, जो सीबीडीसी विकसित करने के लिए चीन के डिजिटल युआन को बढ़ावा देने वाली रणनीति से सबक सीख सकते हैं. उदाहरण के लिए, डिजिटल युआन में लेनदेन के लिए इंटरनेट कनेक्शन की आवश्यकता नहीं होती है, यह उन क्षेत्रों में जहां इंटरनेट की बुनियादी ढांचे की मौज़ूदगी नहीं है वहां वित्तीय लेन-देन अभियान को बढ़ावा देने के लिए मददगार साबित हो सकता है. डिजिटल युआन के राजनीतिक प्रभाव का मूल्यांकन करते समय यह समझना भी बेहद अहम है कि, चाहे वह चीन हो या अमेरिका या भारत, वित्तीय प्रणाली पर डिजिटल मुद्रा का कितना प्रभाव पड़ता है.
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