सिक्युरिटीज या कमोडिटिज के रूप में क्रिप्टोकरेंसी के वर्गीकरण का उनकी बिक्री, लिस्टिंग और संभावित कानूनी स्थिति पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ता है. हालांकि सुरक्षा या वस्तु के रूप में इसका वर्गीकरण अनिश्चित बना हुआ है और भविष्य के रेग्युलेटरी निर्णयों में यूनिफॉर्मिटी की कमी हो सकती है और क्रिप्टोकरेंसी की विविध प्रकृति के कारण इसमें शामिल विशिष्ट टोकन पर भिन्नता हो सकती है. हालांकि भारत के मौज़ूदा रेग्युलेटरी फ्रेमवर्क के तहत क्रिप्टोकरेंसी की कोई स्पष्ट परिभाषा नहीं है लेकिन मुख्य रूप से निवेशकों की सुरक्षा, एंटी मनी-लॉन्ड्रिंग उपायों और वित्तीय स्थिरता पर ध्यान केंद्रित किया गया है.
भारत के मौज़ूदा रेग्युलेटरी फ्रेमवर्क के तहत क्रिप्टोकरेंसी की कोई स्पष्ट परिभाषा नहीं है लेकिन मुख्य रूप से निवेशकों की सुरक्षा, एंटी मनी-लॉन्ड्रिंग उपायों और वित्तीय स्थिरता पर ध्यान केंद्रित किया गया है.
अंतर को समझना
सिक्युरिटीज और कमोडिटीज अद्वितीय विशेषताओं और उद्देश्यों के साथ ख़ास फाइनेंशियल इंस्ट्रूमेंट्स हैं. जबकि सिक्युरिटीज कंपनियों में स्वामित्व या ऋण पर केंद्रित होती हैं, कमोडिटीज में फिजिकल कमोडिटीज का व्यापार शामिल होता है. सिक्युरिटीज, जैसे स्टॉक, बॉन्ड और डेरिवेटिव, किसी कंपनी में स्वामित्व या ऋण का प्रतिनिधित्व करते हैं और मुख्य रूप से निवेश के लिए इस्तेमाल किए जाते हैं. इन्हें अमेरिका में सिक्युरिटीज एंड एक्सचेंज कमीशन (एसईसी) और भारत में सिक्युरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (सेबी) जैसी संस्थाओं द्वारा रेग्युलेट किया जाता है और इनसे निवेशकों को कंपनी के विकास में हिस्सा लेने या लाभांश या ब्याज़ के माध्यम से निश्चित आय प्राप्त करने का मौक़ा मिलता है.
दूसरी ओर कमोडिटीज, फिजिकल गुड्स या कच्चे माल जैसे सोना, तेल या कृषि उत्पाद हैं, जिनका एक्सचेंज के द्वारा कारोबार होता है. कमोडिटीज विभिन्न उद्देश्यों की पूर्ति करता है जिसमें पोर्टफोलियो डायवर्सिफिकेशन और मूल्य में उतार-चढ़ाव के ख़िलाफ़ बचाव शामिल रहता है, इन्हें कमोडिटीज फ्यूचर्स ट्रेडिंग कमीशन (सीएफटीसी) जैसी एजेंसियों द्वारा रेग्युलेट किया जाता है और उनकी क़ीमतें सप्लाई डिमांड डायनेमिक्स, जियो-पॉलिटिकल इवेंट और स्टोरेज कॉस्ट से प्रभावित होती हैं.
सिक्योरिटी क्या होती है?
हॉवे टेस्ट – एसईसी बनाम डब्ल्यू.जे. होवे कंपनी मामले से लिया गया, एक कानूनी ढांचा है जिसका उपयोग संयुक्त राज्य अमेरिका में यह निर्धारित करने के लिए किया जाता है कि कोई लेनदेन इन्वेस्टमेंट कॉन्ट्रैक्ट के रूप में योग्य है या नहीं और सिक्योरिटी की परिभाषा के अंतर्गत आता है. इसमें चार आवश्यक चीजें शामिल हैं : i) वित्तीय निवेश, ii) एक कॉमन इंटरप्राइज में हिस्सेदारी, iii) लाभ की उम्मीद और iv) लाभ पैदा करने के लिए प्रमोटर या अन्य के प्रयासों पर निर्भरता. अगर ये शर्तें पूरी होती हैं, तो लेनदेन सिक्युरिटीज रेग्युलेशन के अधीन है. हॉवे टेस्ट टोकन सेल्स और इनिशियल कॉइन ऑफरिंग्स (आईसीओ) सहित अलग-अलग फाइनेंशियल अरेंजमेंट्स की रेग्युलेटरी स्टेटस का आकलन करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है.
क्रिप्टोकरेंसी के ग्रे एरिया
पहली नज़र में क्रिप्टोकरेंसी को वर्गीकृत करना भ्रमित करने वाला हो सकता है, क्योंकि इसका वर्गीकरण आसानी से स्पष्ट नहीं होता है. उदाहरण के लिए विकेंद्रीकरण, सिक्योरिटी कानूनों के उल्लंघन को रोकने के लिए सिक्योरिटी इशू करने वाली कंपनी द्वारा अपनाई गई एक रणनीति है. लेकिन क्रिप्टोकरेंसी में उसके मूल्य को प्रभावित करने के लिए ज़वाबदेह एक केंद्रीकृत और समन्वित इकाई का अभाव होता है और इसी के चलते सिक्योरिटी के रूप में इसका वर्गीकरण करना आसान नहीं होता है. डिसेंट्रलाइज्ड फाइनेंस (डीईएफआई) परियोजनाएं इस उद्देश्य को पूरा करने के लिए डिसेंट्रलाइज्ड डेवलपमेंट, डिसेंट्रलाइज्ड ऑटोनॉमस ऑर्गेनाइजेशन (डीएओ) के माध्यम से प्रूफ ऑफ स्टेक कंसेंसस मेकेनिज़्म का इस्तेमाल करती हैं. प्रतिभागियों को निवेशकों और योगदानकर्ताओं के रूप में शामिल करके, उन्हें उनकी होल्डिंग्स पर दांव लगाने या वोटिंग के माध्यम से डीएओ निर्णय लेने में भाग लेने की अनुमति देकर, रिटर्न के लिए बाहरी संस्थाओं पर निर्भरता कम हो जाती है और यह होवे टेस्ट की आवश्यकताओं से हटकर है.
प्रतिभागियों को निवेशकों और योगदानकर्ताओं के रूप में शामिल करके, उन्हें उनकी होल्डिंग्स पर दांव लगाने या वोटिंग के माध्यम से डीएओ निर्णय लेने में भाग लेने की अनुमति देकर, रिटर्न के लिए बाहरी संस्थाओं पर निर्भरता कम हो जाती है और यह होवे टेस्ट की आवश्यकताओं से हटकर है.
इस इवेंट में, जिसमें कि एक क्रिप्टोकरेंसी को सिक्योरिटी के रूप में वर्गीकृत किया गया है, इशुअर्स और एक्सचेंज को सिक्योरिटीज रेग्युलेटर्स से लाइसेंस प्राप्त करना होगा. लेकिन सिक्योरिटी लॉ का पालन करना महत्वपूर्ण चुनौती है, जिससे क्रिप्टो इंडस्ट्री को उनसे बचने के लिए पर्याप्त संसाधन आवंटित करने के लिए प्रेरित किया जाता है. इसके अलावा, सिक्युरिटीज के रूप में क्रिप्टोकरेंसी का वर्गीकरण एक्सचेंजों के लिए जोख़िम पेश करता है, क्योंकि वे अनरजिस्टर्ड सिक्योरिटी के व्यापार के लिए रेग्युलेटर्स द्वारा लगाए गए संभावित जुर्माने को कम करने के लिए ऐसी परिसंपत्तियों को सूचीबद्ध करने का विकल्प चुन सकते हैं.
क्रिप्टोकरेंसी के वर्गीकरण में आगे और भी अस्पष्टताएं पैदा हो सकती हैं. क्रिप्टोकरेंसी में ऐसी विशेषताएं होती हैं जो उन्हें आसानी से कमोडिटीज से तुलना करने के लायक बनाती हैं. वे ग्लोबल एक्सचेंज पर इंटरएक्सचेंजबिलिटी प्रदर्शित करते हैं और बहुत हद तक कॉफ़ी जैसी कमोडिटी की तरह ही विभिन्न व्यापारिक प्लेटफार्मों पर लगातार वैल्यू बनाए रखते हैं. भले ही बिटकॉइन का कारोबार भारत या अमेरिका (यूएस) में किया जाता है लेकिन वैश्विक स्तर पर इसका वैल्यू और फंजिबिलिटी (मूल्य और प्रतिस्थापनशीलता) एक समान रहता है.
रेग्युलेटरी परिप्रेक्ष्य
बड़े पैमाने पर हितधारकों का लगा हुआ दांव और जटिल गतिशीलता को देखते हुए, निकट भविष्य में रेग्युलेटरी लैंडस्केप की सटीक कल्पना करना, या यहां तक कि वर्तमान में एक रेग्युलेटरी फ्रेमवर्क विकसित करना भी चुनौतीपूर्ण है. ग्लोबल डिबेट और डिस्कशन से इस मामले पर किसी निश्चित सहमति तक पहुंचने में विफल रहे हैं. उदाहरण के लिए, अमेरिकी कांग्रेस की पहल नॉन सिक्युरिटी टोकन के स्पॉट ट्रेडिंग की निगरानी के लिए सीएफटीसी के नियामक प्राधिकरण का विस्तार करने पर केंद्रित है जिसमें केवल बिटकॉइन को मान्यता दी गई है. साल 2021 में, भारत के वित्त मंत्रालय ने संकेत दिया है कि क्रिप्टोकरेंसी के लिए प्रस्तावित कानूनी ढांचा संभवतः इसे करेंसी के बजाय कमोडिटीज के तौर पर वर्गीकृत करेगा. हालांकि अब तक कोई ठोस नतीज़ा नहीं आया है.
एसईसी के अध्यक्ष गैरी जेन्सलर का मानना था कि उनकी एजेंसी के पास क्रिप्टोकरेंसी की निगरानी के लिए आवश्यक क्षेत्राधिकार है इसलिए उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि अधिकांश क्रिप्टो टोकन को सिक्युरिटीज के रूप में वर्गीकृत किया जाना चाहिए. हालांकि उन्होंने ज़ल्दी ही अपना विचार बदल लिया. मई 2023 में एसईसी ने हेज फंड नियम के अंतिम संस्करण से “डिजिटल संपत्ति” की परिभाषा को ख़त्म करने का निर्णय लिया. यह परिभाषा, जो एसईसी शब्द की प्रारंभिक औपचारिक व्याख्या होती, को आगे विचाराधीन रखा गया है. यह कदम संभावित रूप से क्रिप्टोकरेंसी के लिए एक सटीक परिभाषा गढ़ने में आने वाली चुनौतियों की ओर इशारा करता है.
यह अनिश्चितता लगभग हर जगह मौज़ूद है. वित्तीय जगत ने ब्लैकरॉक के सीईओ लैरी फिंक को 2017 में बिटकॉइन को “मनी लॉन्ड्रिंग का सूचकांक” कहते हुए ब्लैकरॉक को 2023 में स्पॉट बिटकॉइन ईटीएफ के लिए फाइल करते हुए देखा है.
एक वैकल्पिक परिप्रेक्ष्य एक अलग नैरेटिव प्रस्तुत करता है. सीएफटीसी ने लगातार इस बात पर जोर दिया है कि बिटकॉइन और ईथर जैसी क्रिप्टोकरेंसी को कमोडिटी के रूप में वर्गीकृत किया जाना चाहिए और कमोडिटी एक्सचेंज एक्ट (सीईए) के तहत रेग्युलेट किया जाना चाहिए. उनका तर्क इस धारणा पर आधारित है कि क्रिप्टोकरेंसी, एक्सचेंजेज पर विनिमेय होने के कारण, समान वैल्यू रखती है, जैसे मक्के की समान बोरियों का मूल्य निर्धारण किया जाता है.
क्रिप्टोकरेंसी की अंतर्निहित अस्पष्टताएं और विविध प्रकृति कुछ क्रिप्टोकरेंसी को प्रतिभूतियों के रूप में वर्गीकृत किए जाने की संभावना का सुझाव देती है, जबकि अन्य को कमोडिटी माना जाता है. इस तरह के परिदृश्य का ही नतीज़ा है कि एक जटिल नियामक परिदृश्य हो सकता है जहां अलग-अलग क्रिप्टोकरेंसी अलग-अलग नियमों और रेग्युलेशन के अधीन हो.
यूरोपियन रेग्युलेटर्स ने क्रिप्टोकरेंसी की जटिलताओं को स्वीकार किया है और परिणामस्वरूप, क्रिप्टोकरेंसी के लिए एक अलग असेट क्लास के तौर पर नियम स्थापित करने के लिए एक अलग दृष्टिकोण चुना है. क्रिप्टो असेट्स (एमआईसीए) में यूरोपीय संघ के बाज़ार रेग्युलेशन उपभोक्ताओं की सुरक्षा और निष्पक्ष व्यापार सुनिश्चित करने के लिए क्रिप्टो इशुअर्स, वॉलेट प्रोवाइडर्स और एक्सचेंजेज के लिए आवश्यकताएं निर्धारित करते हैं. ये दिशा निर्देश पारंपरिक प्रतिभूतियों और वस्तुओं से अलग, क्रिप्टो असेट्स की अनूठी विशेषताओं के अनुरूप बनाए गए हैं.
स्पष्टता की तलाश में
क्रिप्टोकरेंसी की उपयोगिता और तकनीक़ी ढांचे की विस्तृत श्रृंखला उनकी जटिलता, समझ और वर्गीकरण के संबंध में चुनौतियों को बढ़ाती हैं. उदाहरण के लिए, बिटकॉइन और एथेरियम, दो प्रमुख क्रिप्टोकरेंसी में महत्वपूर्ण अंतर हैं. एक उल्लेखनीय अंतर उनके सर्वसम्मति तंत्र में निहित है. बिटकॉइन नाकामोटो कंसेंसस पर निर्भर करता है, लेनदेन को मान्य करने और ब्लॉकचेन में नए ब्लॉक जोड़ने के लिए प्रूफ-ऑफ-वर्क सिस्टम का यह इस्तेमाल करता है. इसके विपरीत, एथेरियम एक प्रूफ-ऑफ-स्टेक प्रणाली को नियोजित करता है, जो लेनदेन की पुष्टि और ब्लॉक निगमन के लिए अधिक ऊर्जा-कुशल दृष्टिकोण प्रदान करता है. यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि प्रूफ-ऑफ-वर्क क्रिप्टोकरेंसी में संकेंद्रित शक्ति से जुड़े कुछ जोख़िम होते हैं. उदाहरण के लिए, यदि कोई व्यक्ति या समूह ब्लॉकचेन की खनन शक्ति के 50 प्रतिशत से अधिक पर नियंत्रण हासिल कर लेता है, तो वे संभावित रूप से इसके रिकॉर्ड में हेरफेर करने या इसे अप्रभावी बनाने की क्षमता रखते हैं. इस कमज़ोरी को आमतौर पर “51% हमला” कहा जाता है. क्रिप्टो करेंसी के बीच सूक्ष्म अंतरों का अस्तित्व यह सवाल उठाता है कि क्या उन्हें समान रूप से चित्रित और विनियमित किया जाना चाहिए, लेकिन यह सिर्फ रेग्युलेशन से जुड़ी जटिलताओं को ही बढ़ाएगा.
भारत भी धीरे-धीरे क्रिप्टोकरेंसी के लिए एक स्थिर रेग्युलेशन फ्रेमवर्क बनाने की दिशा में आगे बढ़ रहा है. एंटी-मनी लॉन्ड्रिंग नियमों के दायरे में क्रिप्टो कंपनियों को शामिल करने से दायित्वों का आभास होता है और क्रिप्टोकरेंसी के लिए 30 प्रतिशत कर की दर के साथ-साथ किसी भी उल्लंघन के लिए दंड का प्रावधान है.
डिसेंट्रलाइज्ड टेक्नोलॉजी के पैराडॉक्सिकल सेंट्रलाइजेशन (विरोधाभासी केंद्रीकरण) के संबंध में चिंताएं पैदा होती हैं. बिटकॉइन माइनिंग में हाल के केंद्रीकरण टेक्नोलॉजी की संरचनात्मक अस्पष्टताओं को लेकर भी चिंता है. कुछ केंद्रीकृत तत्वों की उपस्थिति से एक सवाल यह पैदा होता है जो संक्षेप में, होवे टेस्ट की आवश्यकताओं को पूरा करते हैं और संभावित रूप से बिटकॉइन को सुरक्षा के रूप में वर्गीकृत करने के लिए भी जाने जाते हैं. इसके विपरीत, चूंकि अधिकांश क्रिप्टोकरेंसी विश्व स्तर पर एक्सचेंजेज पर विनिमेय हैं, यह गेहूं और कॉफी जैसी कमोडिटी की विशेषताओं को प्रदर्शित करता है.
क्रिप्टोकरेंसी के विविध संरचनात्मक और तकनीक़ी पहलू, दरअसल इसके लिए एक स्पष्ट परिभाषा या एक निश्चित नियामक ढांचा स्थापित करना बेहद चुनौतीपूर्ण बनाते हैं. तेज़ी से हो रही तकनीक़ी प्रगति ने नियामक प्रयासों को पीछे छोड़ दिया है लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि यह क्षेत्र अनियमित रहेगा. विनियमन करीब है और विभिन्न प्रकार की क्रिप्टो परिसंपत्तियों को वर्गीकृत करने के लिए उपयुक्त मूलभूत सिद्धांत तैयार होने के बाद इसे लागू किया जा सकता है. यूरोप में एमआईसीए स्टैंड की शुरुआत एक सकारात्मक कदम है.
भारत भी धीरे-धीरे क्रिप्टोकरेंसी के लिए एक स्थिर रेग्युलेशन फ्रेमवर्क बनाने की दिशा में आगे बढ़ रहा है. एंटी-मनी लॉन्ड्रिंग नियमों के दायरे में क्रिप्टो कंपनियों को शामिल करने से दायित्वों का आभास होता है और क्रिप्टोकरेंसी के लिए 30 प्रतिशत कर की दर के साथ-साथ किसी भी उल्लंघन के लिए दंड का प्रावधान है. क्रिप्टोकरेंसी को सिक्युरिटीज या कमोडिटी या एक अलग एसेट क्लास और उनके विनियमन के रूप में परिभाषित करने का सटीक आकार और परिणाम अभी अनिश्चित है जो इसके व्यापक इकोसिस्टम और संभावित बाधाओं पर प्रभाव के बारे में सवाल उठाते हैं. बहरहाल, विनियमन के लिए तकनीक़ी प्रगति के साथ तालमेल बिठाना बेहद अहम है.
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