राष्ट्रपति चुनाव के साल में तीखे घरेलू राजनीतिक ध्रुवीकरण, आर्थिक असमानता, यूक्रेन एवं गज़ा के संघर्ष के क्षेत्रों में भागीदारी, लगातार महंगाई के दबाव और स्वच्छ ऊर्जा की तरफ बदलाव के लिए होड़ के साथ अमेरिका के सामने भारी-भरकम चुनौतियां मौजूद हैं. इसी पृष्ठभूमि में 27 जून को मौजूदा राष्ट्रपति जो बाइडेन और पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बीच प्रेसिडेंशियल कैंडिडेट डिबेट का पहला राउंड शुरू हुआ. अटलांटा में CNN की मेज़बानी में ये बहस अमेरिका में टीवी पर होने वाली प्रेसिडेंशियल डिबेट के इतिहास में सबसे पहले शुरू होने के मामले में अनूठा था. दोनों दलों की सर्वसम्मति के तहत अभी तक प्रेसिडेंशियल डिबेट का संचालन करने वाले गैर-लाभकारी आयोग (नॉन-प्रॉफिट कमीशन) को नज़रअंदाज़ कर दिया गया. बहस के दौरान रुकावट को कम-से-कम करने के लिए नए नियमों के तहत स्टूडियो में दर्शकों को नहीं रखा गया और इसके साथ-साथ बिना बारी के हस्तक्षेप को रोकने के लिए उम्मीदवारों के माइक्रोफोन को भी बंद किया जा सकता था. आमतौर पर टीवी डिबेट को मीडिया का एक तमाशा बताया जाता है जो सुर्खियां और दमदार वन-लाइनर तैयार करती है. फिर भी टीवी डिबेट दुनिया के सबसे पुराने लोकतंत्र में राष्ट्रपति चुनाव अभियान का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है.
आमतौर पर टीवी डिबेट को मीडिया का एक तमाशा बताया जाता है जो सुर्खियां और दमदार वन-लाइनर तैयार करती है. फिर भी टीवी डिबेट दुनिया के सबसे पुराने लोकतंत्र में राष्ट्रपति चुनाव अभियान का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है.
राजनीतिक वैज्ञानिकों ने दलील दी है कि प्रेसिडेंशियल डिबेट अलग-अलग कारणों से अंतिम चुनाव परिणाम पर निर्णायक प्रभाव नहीं डालती है. बहस में शामिल होने वाले राजनीतिक रूप से समझदार और जागरूक ज़्यादातर नागरिक पहले से ही अपना मन बना लेते हैं. बहस का सनसनीख़ेज असर भी मतदान के दिन तक सार्थक प्रभाव छोड़ने के हिसाब से बहुत कम होता है. अमेरिकी लोकतंत्र में द्विदलीय प्रणाली आमतौर पर पक्षपात को मज़बूत करती है जो समझाने-बुझाने के लिए तैयार स्विंग वोटर (जिनका वोट तय नहीं होता है) का अनुपात काफी कर देती है. इसके बावजूद बहुत ज़्यादा राजनीतिक ध्रुवीकरण और प्रमुख स्विंग राज्यों में कुछ हज़ार मतदाताओं का बहुत अधिक महत्व चुनावी मुकाबले में बाइडेन-ट्रंप की बहस को निर्णायक बना सकता है.
गुप्त धन और हंटर बाइडेन
प्रेसिडेंशियल डिबेट व्यक्तिगत और नीतिगत स्तर पर दोनों उम्मीदवारों के लिए गंभीर चुनौतियां खड़ी करती है. ट्रंप को जहां हश मनी (गुप्त धन) ट्रायल में न्यूयॉर्क की अदालत के द्वारा दोषी ठहराए जाने से निपटना है वहीं बाइडेन की बेचैनी बंदूक रखने के अपराध (फेलोनी गन चार्जेज़) में उनके बेटे हंटर बाइडेन को कसूरवार ठहराए जाने से पैदा होती है. इसके अलावा ट्रंप को अपने चरित्र के साथ-साथ 6 जनवरी 2021 को कैपिटल हिल दंगे को लेकर असहज सवालों का जवाब देने की भी ज़रूरत है. बाइडेन के हिसाब से देखें तो सबसे दबाव वाले काम के अनुरूप अपने शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के बारे में शंकाओं का समाधान करने के उद्देश्य से असरदार स्टेट ऑफ यूनियन भाषण को दोहराने की आवश्यकता है. बाइडेन ने जहां कैंप डेविड के एकांतवास में बहस के लिए बारीकी से तैयारी की, वहीं ट्रंप के सामने भी 2020 की बहस को दोहराने से परहेज़ करने की चुनौती थी क्योंकि उस समय खलल डालने का उनका अंदाज़ मतदाताओं को पसंद नहीं आया था.
ट्रंप के आर्थिक प्रदर्शन की सकारात्मक समीक्षा में बढ़ोतरी के साथ बाइडेन के राष्ट्रपति कार्यकाल के दौरान असंतोष की व्यापक भावना डेमोक्रेटिक पार्टी की तरफ से राष्ट्रपति चुनाव जीतने की दावेदारी के लिए बहुत बड़ी मुसीबत खड़ी कर रही है.
नीतिगत दृष्टिकोण से आर्थिक मुद्दे और अवैध आप्रवासन (इमिग्रेशन) मौजूदा राष्ट्रपति के लिए ज़्यादा ध्यान देने वाले विषय हैं. ट्रंप के आर्थिक प्रदर्शन की सकारात्मक समीक्षा में बढ़ोतरी के साथ बाइडेन के राष्ट्रपति कार्यकाल के दौरान असंतोष की व्यापक भावना डेमोक्रेटिक पार्टी की तरफ से राष्ट्रपति चुनाव जीतने की दावेदारी के लिए बहुत बड़ी मुसीबत खड़ी कर रही है. बाइडेन के कार्यकाल के दौरान अवैध इमिग्रेशन में बहुत अधिक बढ़ोतरी ने भी लोगों का गुस्सा बढ़ाया है. मतदाताओं की चिंताओं का समाधान करने की दिशा में कदम उठाते हुए बाइडेन प्रशासन ने पिछले दिनों अवैध प्रवासियों को आश्रय पर प्रतिबंध लगाने और अमेरिकी नागरिकों से शादी करने वाले लंबे समय से रहने वाले लोगों को नागरिकता प्रदान करने का कार्यकारी आदेश जारी किया. पहला कदम जहां लोगों की व्यापक चिंता को दूर करता है, वहीं दूसरा कदम लैटिन अमेरिकी मतदाताओं के फायदे के लिए उठाया गया है.
विदेश नीति से जुड़े मुद्दे भी डिबेट में शामिल होते हैं. चीन को लेकर काफी हद तक दोनों दलों की आम राय है जिसका पता बाइडेन प्रशासन के द्वारा ट्रंप के कार्यकाल की नीतियों को जारी रखने से चलता है. हालांकि पिछले दिनों रिपब्लिकन पार्टी के कुछ सदस्यों ने इस बात को लेकर बाइडेन की आलोचना की कि वो चीन को लेकर पर्याप्त रूप से सख्त़ नहीं हैं. कट्टर विचारों वाले रिपब्लिक सदस्यों ने चीन को भरोसा देने की बाइडेन प्रशासन की कूटनीतिक कोशिशों पर निशाना साधा है. उन्होंने “ताकत के ज़रिए शांति” के दृष्टिकोण की मांग की है जिसके तहत रक्षा पर अधिक खर्च अमेरिका की सैन्य शक्ति बढ़ाती है और एशिया के सहयोगियों की मुकाबले की क्षमता मज़बूत होती है.
ध्रुवीकृत माहौल
रिपब्लिकन पार्टी में अमेरिका के हितों को प्राथमिकता देने वाले लोगों का बढ़ता दबदबा भी डिबेट में बाइडेन के लिए परेशानी पैदा कर सकता है अगर ट्रंप इन लोगों को गले लगाने का फैसला करते हैं. रिपब्लिकन पार्टी के इस समूह में सीनेटर जे डी वैंस और नीतिगत मामलों के स्कॉलर एलब्रिज कोल्बी शामिल हैं जिन्होंने दलील दी है कि अमेरिका यूरोपीय क्षेत्र में यूक्रेन युद्ध से अपना ध्यान हटाकर इंडो-पैसिफिक की तरफ करे ताकि ज़्यादा असरदार ढंग से चीन का मुकाबला किया जा सके. सहयोगियों के द्वारा अमेरिका से अधिक बोझ साझा करने की मांग के विरोध में ट्रंप की पिछली उदासीनता का ये मतलब है कि आने वाले दिनों में ट्रंप प्रशासन आने के किसी भी संकेत के लिए वो भी डिबेट पर ध्यान देंगे. इसके अलावा बाइडेन को अफ़ग़ानिस्तान से नाकाम वापसी और यूक्रेन में अमेरिकी भागीदारी जारी रहने से जुड़े सख्त सवालों का सामना करना पड़ सकता है.
ट्रंप और बाइडेन- दोनों को लेकर मतदाताओं में अपेक्षाकृत बहुत अधिक असंतोष के साथ ध्रुवीकरण के गहरे माहौल में दोनों पक्षों के लिए दांव पर बहुत कुछ है.
निष्कर्ष ये है कि 2024 में राष्ट्रपति पद के दोनों दावेदारों के बीच पहली सीधी टक्कर अधिक ध्यान देने की मांग करती है क्योंकि ये मौजूदा चुनाव अभियान की दिशा तय करने की क्षमता रखती है. ट्रंप और बाइडेन- दोनों को लेकर मतदाताओं में अपेक्षाकृत बहुत अधिक असंतोष के साथ ध्रुवीकरण के गहरे माहौल में दोनों पक्षों के लिए दांव पर बहुत कुछ है. वैसे तो निरंतरता शायद ही ट्रंप की विशेषता है लेकिन ये बहस अर्थव्यवस्था, विदेश संबंध, जलवायु परिवर्तन, इमिग्रेशन और गर्भपात एवं बंदूक पर नियंत्रण जैसे घरेलू मुद्दों को लेकर ट्रंप के संभावित नीतिगत दृष्टिकोण की झलक मुहैया करा सकती है. बाइडेन प्रशासन के तहत अर्थव्यवस्था की स्थिति, बढ़ते इमिग्रेशन, छात्रों का कर्ज़ माफ करने और यूक्रेन को बढ़ती सहायता जैसे मुद्दों पर ट्रंप हमला कर सकते हैं. दूसरी तरफ बाइडेन ट्रंप के राष्ट्रपति पद छोड़ने के बाद लोकतंत्र के मामले में अमेरिका की मज़बूती पर ज़ोर दे सकते हैं. इनमें सहयोगी देशों और साझेदारों के लिए भरोसेमंद साथी के रूप में अमेरिका की छवि भी शामिल है. बाइडेन के लिए बहस अपनी फिटनेस का प्रदर्शन करने एवं अपनी नीतियों का बचाव करने और हाल के दिनों में अपने चुनावी फायदों, जिसके तहत ट्रंप की बढ़त कम हुई है, को और मज़बूत करने का एक अवसर है. इस टक्कर ने जिस तरह से ध्यान खींचा है, उसे देखते हुए दोनों पक्षों के लिए आगे बढ़ने में एक ऐसा नपा-तुला प्रदर्शन महत्वपूर्ण होगा जो चूक और गलतियों से परहेज़ करता हो.
विवेक मिश्रा ऑब्ज़र्वर रिसर्च फाउंडेशन में फेलो हैं.
संजीत कश्यप ऑब्ज़र्वर रिसर्च फाउंडेशन में रिसर्च इंटर्न हैं.
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