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चीन द्वारा अपने सशस्त्र बलों में पर्याप्त निवेश करने से हिंद-प्रशांत क्षेत्र के बाहर नहीं, पर इस पूरे क्षेत्र में अपना प्रभाव बढ़ाने की उसकी क्षमता बढ़ सकती है.
Image Source: Getty
5 मार्च, 2025 को चीन की सरकार ने इस साल के लिए अपना राष्ट्रीय रक्षा बजट 249 अरब अमेरिकी डॉलर (1.81 ट्रिलियन चीनी युआन) घोषित किया. यह दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा रक्षा बजट है, जिसमें 7.2 प्रतिशत की सालाना वृद्धि की घोषणा की गई है, लेकिन चीन के सकल घरेलू उत्पाद (GDP) के रूप में इसे देखें, तो यह आज भी 1.5 प्रतिशत से नीचे बना हुआ है. उल्लेखनीय है कि यह बजट भारत, जापान, दक्षिण कोरिया और ऑस्ट्रेलिया सभी क्षेत्रीय ताकतों के संयुक्त सैन्य ख़र्च से अधिक है, जो संकेत है कि चीन के पास क्षेत्रीय प्रभुत्व की कितनी क्षमता है. हालांकि, इस बजट में कुछ ख़र्च शामिल नहीं हैं, जैसे कि हथियारों के आयात, पीपुल्स आर्म्ड पुलिस (PAP) की फंडिंग और शोध व विकास पर होने वाले ख़र्च. इस कारण आलोचकों का तर्क है कि जितना चीन का असल रक्षा ख़र्च है, उसका एक-तिहाई से आधा हिस्सा ही यह बजट है. इस शोध-पत्र में यह बताया गया है कि चीन के जीडीपी में लगातार हो रही वृद्धि से उसके सशस्त्र बलों को भी पर्याप्त संसाधन मिल रहा है. यदि यह परंपरा आगे बनी रहती है, तो 1.5 प्रतिशत कम आवंटन के बावजूद, पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) के पास हिंद-प्रशांत क्षेत्र में अपना प्रभाव बढ़ाने की पर्याप्त क्षमता होगी, बेशक इसके बाहर न हो.
चीन के रक्षा बजट की वृद्धि दर में पिछले एक दशक में लगातार गिरावट आई है, जबकि उसके पीछे के लगातार दो दशकों में यह दोहरे अंकों में बढ़ रही थी. इस अवधि के दौरान, चीन के जीडीपी में 76 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, जो 2015 में 11.06 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर से बढ़कर 2025 में 19.5 ट्रिलियन डॉलर हो गई.
चीन अक्सर तर्क देता है कि उसका रक्षा बजट अमेरिका के रक्षा बजट की तुलना में बेहद कम है. यह अमेरिकी रक्षा बजट को देखकर भी स्पष्ट होता है, जो 2025 के लिए लगभग 850 अरब अमेरिकी डॉलर है. इसके अलावा, अमेरिकी सरकार लगातार अपने सकल घरेलू उत्पाद का कम से कम 3 प्रतिशत रक्षा पर ख़र्च करती है. इसकी तुलना में, इस वर्ष चीन के बजट में 7.2 प्रतिशत की बढ़ोतरी सामान्य है और यह रकम टोही व शुरुआती चेतावनी प्रणाली, संयुक्त हमला करने की क्षमताओं, युद्ध के मैदान में व सैनिकों को समग्र समर्थन देने वाली प्रणालियों, सैनिकों के विकास और सैन्य प्रशिक्षण व कार्रवाई संबंधी तैयारियों को प्रोत्साहित करने के लिए आवंटित की गई है. हालांकि, PLA के प्रवक्ता वू कियान ने रक्षा बजट की घोषणा करते हुए इस बात पर ज़ोर दिया कि 1.81 ट्रिलियन चीनी युआन (249 अरब अमेरिकी डॉलर) का आवंटन राष्ट्रीय संप्रभुता, सुरक्षा व विकास हितों की रक्षा करने और चीन में चल रहे सैन्य आधुनिकीकरण योजनाओं के लिए कम है.
जैसा कि तालिका 1 में स्पष्ट है, चीन के रक्षा बजट की वृद्धि दर में पिछले एक दशक में लगातार गिरावट आई है, जबकि उसके पीछे के लगातार दो दशकों में यह दोहरे अंकों में बढ़ रही थी. इस अवधि के दौरान, चीन के जीडीपी में 76 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, जो 2015 में 11.06 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर से बढ़कर 2025 में 19.5 ट्रिलियन डॉलर हो गई. रक्षा बजट में भी इस दौरान 72 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, जो 2015 में 145 अरब अमेरिकी डॉलर से बढ़कर अब 249 अरब डॉलर हो गया है. हालांकि, चीन के जीडीपी में इसकी हिस्सेदारी लगातार कम बनी हुई है और केंद्र सरकार के ख़र्च में इसका अनुपात 5 प्रतिशत के आसपास बना हुआ है, जो बताता है कि आर्थिक विकास और घरेलू स्थिरता की तुलना में सेना के आधुनिकीकरण को कम प्राथमिकता दी जा रही है.
तालिका 1- साल 2015 के बाद चीन का रक्षा बजट
Year | Chinese GDP (US $ Trillion) | Defence Budget (US$) Billion | Def Budget Growth Rate | % of GDP | % of Govt Expenditure |
2015 | 11.06 | 145 | 10.1 | 1.31 | 5.9 |
2016 | 11.2 | 146.6 | 7.6 | 1.30 | 5.8 |
2017 | 12.3 | 151 | 7.0 | 1.23 | 5.6 |
2018 | 13.9 | 175 | 8.1 | 1.26 | 5.5 |
2019 | 14.2 | 178 | 7.5 | 1.25 | 5.4 |
2020 | 14.7 | 183 | 6.6 | 1.24 | 5.1 |
2021 | 17.7 | 209 | 6.8 | 1.18 | 5.4 |
2022 | 17.9 | 229 | 7.1 | 1.27 | 4.8 |
2023 | 17.79 | 225 | 7.2 | 1.26 | 5.0 |
2024 | 18.5 | 235 | 7.2 | 1.27 | 5.1 |
2025 | 19.5 | 249 | 7.2 | 1.27 | 5.2 |
स्रोत- विश्व बैंक, आईआईएस मिलिट्री बैलेंस, चीन के आधिकारिक आंकड़े और समाचार रिपोर्ट
चीन की सरकार अपनी सैन्य सेवाओं के लिए अलग-अलग श्रेणियों की जानकारी दिए बिना केवल समग्र रक्षा ख़र्च प्रकाशित करती है. बीजिंग का तर्क है कि पूरी पारदर्शिता मुख्य रूप से बड़ी ताकतों के लिए फायदेमंद है, क्योंकि वे अपने विरोधियों को रोकने के लिए अपनी क्षमताओं को सार्वजनिक करने का ख़तरा मोल ले सकती हैं. छोटी ताकतों को अपनी सैन्य क्षमताओं की सुरक्षा के लिए कुछ छिपाव की ज़रूरत पड़ती है.
अब रक्षा बजट का ज़्यादातर हिस्सा केंद्र सरकार के आवंटन के रूप में आता है, इसलिए अब इसका हिसाब सार्वजनिक करना पड़ता है.
हालांकि, चीन की क्षमताएं चूंकि विकसित हैं, इसलिए तीन प्रमुख कारणों से उसका आधिकारिक रक्षा आवंटन अपेक्षाकृत भरोसेमंद जान पड़ता है. पहला, आर्थिक खाते के रख-रखाव में सुधार करने और PLA में शून्य-बजट की शुरुआत ने उसकी आर्थिक प्रक्रिया को व्यवस्थित बना दिया है. दूसरा, अब रक्षा बजट का ज़्यादातर हिस्सा केंद्र सरकार के आवंटन के रूप में आता है, इसलिए अब इसका हिसाब सार्वजनिक करना पड़ता है. और तीसरा, स्थानीय और क्षेत्रीय सरकारों से मिलने वाले अतिरिक्त धन को सीमित कर दिया गया है, जो अधिक से अधिक तीन प्रतिशत होता है. इससे बजट में अस्पष्टता की गुंजाइश कम हो जाती है.
फिर भी, कुछ विश्लेषकों का दावा है कि चीन का वास्तविक रक्षा बजट आधिकारिक आँकड़ों का तीन गुना नहीं, तो कम से कम दोगुना जरूर है. 2014 में एडम पी लिफ व एंड्रयू एरिक्सन और 2024 में एम टेयर फ्रेवल ने लगातार इन अटकलों की हवा निकाली है, जिनमें कुछ गणनाएं दोषपूर्ण क्रय शक्ति समता (PPP) पर भी आधारित है. उनके मुताबिक, 700 अरब अमेरिकी डॉलर का आंकड़ा आमतौर पर अविश्वसनीय लगता है.
राष्ट्रीय रक्षा पर 2019 में जारी चीनी श्वेत पत्र के अनुसार, रक्षा बजट में तीन श्रेणी में खासा ख़र्च होता है- कार्मिक, प्रशिक्षण व भरण-पोषण और रक्षा उपकरण. कार्मिक ख़र्च का मतलब है, वेतन, भत्ता, निर्वाह ख़र्च और पेंशन पर होने वाला ख़र्च, जबकि प्रशिक्षण व भरण-पोषण में सैनिकों का प्रशिक्षण, सैन्य शिक्षा, बेस का रखरखाव और नियमित उपभोग की वस्तुओं पर होने वाला ख़र्च शामिल है. उपकरण के ख़र्च का अर्थ है, अनुसंधान और विकास, हथियारों की ख़रीद, उनका प्रबंधन और सैन्य सामग्रियों के भंडारण पर होने वाला ख़र्च.
पिछले कुछ वर्षों में, इन श्रेणियों को लेकर प्राथमिकता बदल गई है. 1978 के सुधारों के बाद के शुरुआती वर्षों में, कार्मिक ख़र्च की ओर बजट बहुत अधिक झुका होता था. यह PLA के विशाल आकार का संकेत था. अगले दो दशकों तक सैन्य आधुनिकीकरण पर बहुत ख़ास ज़ोर नहीं दिया गया, क्योंकि आर्थिक सुधारों को प्राथमिकता दी गई. मगर, खाड़ी युद्ध और उसमें छिपे आधुनिक जंग के संकेत ने चीन को रणनीतिक बदलाव के लिए प्रेरित किया, जिसके बाद उसने उच्च तकनीक वाले हथियारों को शामिल करने और प्रशिक्षण को बेहतर बनाने के लिए ज़्यादा धन आवंटित करना शुरू किया. इससे PLA के आधुनिकीकरण में तेजी आई.
इस वर्ष के बजट में भी चीन की इस बढ़ती सैन्य उपस्थिति को आर्थिक मदद मिलने की उम्मीद है, जैसा कि ऑस्ट्रेलिया और ताइवान के आसपास इसके हालिया अभ्यासों में देखा गया है.
बीते कुछ वर्षों में PLA ने 20 लाख सैनिकों को कम किया है, जिसमें एक चौथाई थल सैनिक हैं. इससे उसका कार्मिक ख़र्च घटा है. फिर, उसने गैर-कमीशन अधिकारियों (NCO) की संख्या भी बढ़ाई है, जिससे PLA की फिज़ूलखर्ची घटी है और उसे अधिक कुशल भी बना दिया है. इस प्रकार बचाई गई बजट-राशि का इस्तेमाल असली युद्ध वाली परिस्थितियों के प्रशिक्षण में, संयुक्त प्रशिक्षण करने में, उन्नत मानको व हथियारों को शामिल करने के कामों में किया गया है.
इसके अलावा, चूंकि चीन का रक्षा उद्योग उच्च तकनीक वाले हथियारों के विकास पर ज़ोर देता है, जिसे असैन्य क्षेत्र की उन्नत विनिर्माण क्षमता और हथियारों के निर्यात राजस्व में हो रहे वृद्धि के कारण फ़ायदा मिलता है, इसलिए PLA प्रतिस्पर्धी लागत पर घर में ही उन्नत हथियार हासिल कर सकता है. यही कारण है कि चीन प्रशिक्षण के कामों पर और महत्वपूर्ण व साझा युद्ध क्षमताओं के लिए बजट का एक बड़ा हिस्सा आवंटित कर सकता है. इसका अंदाज़ा नजदीकी पड़ोसी देशों के आसपास लगातार किए जा रहे बड़े सैन्य अभ्यासों और नौसेना की तैनाती से भी होता है. इस वर्ष के बजट में भी चीन की इस बढ़ती सैन्य उपस्थिति को आर्थिक मदद मिलने की उम्मीद है, जैसा कि ऑस्ट्रेलिया और ताइवान के आसपास इसके हालिया अभ्यासों में देखा गया है. यह बजट चीन के जल, थल और भूमि के सैन्य ढांचे में अत्याधुनिक हथियारों को शामिल करने की प्रक्रिया में तेजी लाएगा, जिससे PLA की कार्रवाई करने संबंधी क्षमताएं बढ़ जाएंगी.
कई वर्षों से भारतीय विशेषज्ञ सशस्त्र बलों के आधुनिकीकरण को बढ़ाने के लिए बड़े रक्षा बजट की वकालत करते रहे हैं. इस बात पर ख़ासकर सभी दिग्गज और रक्षा विशेषज्ञों की सहमति है कि भारत को अपने सकल घरेलू उत्पाद का 2 प्रतिशत से अधिक रक्षा क्षेत्र पर ख़र्च करना चाहिए. कुछ सुझाव इसे 3 प्रतिशत से लेकर 5 प्रतिशत तक करने के भी दिए जाते हैं.
हालांकि, चीन का अनुभव बताता है कि जीडीपी में समग्र वृद्धि और उच्च तकनीक वाले नागरिक उद्योगों का विकास राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए कहीं अधिक अहम है. जीडीपी अगर अधिक होगा, तो धन की कमी नहीं रहेगी, भले ही रक्षा आवंटन दो प्रतिशत से कम ही रहे. दरअसल, उच्च तकनीक वाले असैन्य निर्माण से महत्वपूर्ण तकनीक और दक्ष कर्मियों को प्रोत्साहन मिलता है. इस रणनीति ने पिछले दशक में PLA के मामूली बजट के बावजूद चीन के रक्षा उद्योग को अत्याधुनिक हथियार विकसित करने में मदद की है.
चीन लंबी रणनीति के तहत अपनी सेना का आधुनिकीकरण कर रहा है, जिसका उद्देश्य हिंद-प्रशांत क्षेत्र में व्यापक प्रभुत्व हासिल करना है. PLA को अपने नए सैन्य ढांचे और घरेलू रक्षा उद्योग से सस्ते व मारक हथियारों की ख़रीद का फ़ायदा मिलता है, जिस कारण वह अपने 249 अरब अमेरिकी डॉलर के बजट का एक बड़ा हिस्सा संयुक्त बल के पुनर्गठन, वास्तविक युद्ध प्रशिक्षण और चीन का प्रभाव बढ़ाते हुए अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा ढांचे की परीक्षा लेने में कर सकता है. चूंकि चीन का जीडीपी बढ़ रहा है, इसलिए PLA का बजट देश की अर्थव्यवस्था पर भारी बोझ डाले बिना बढ़ जाएगा. 2030 तक चीन का सकल घरेलू उत्पाद 30 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है. इसलिए रक्षा आवंटन 2 प्रतिशत से भी कम हुआ, तो PLA को लगभग 500-600 अरब डॉलर मिल जाएंगे, जिससे उसे नाममात्र के प्रतिरोध के साथ राष्ट्रीय हितों को आगे बढ़ाने में मदद मिल जाएगी.
यदि क्षेत्रीय ताकतें चीन की चुनौती का सफलतापूर्वक सामना करने के लिए कोई लंबी योजना बनाना चाहती हैं, तो उनको भी इस बारे में सोचना चाहिए. भारत और चीन के बीच बढ़ रहे ताकत के अंतर को रोकने के लिए नई दिल्ली को भी इस पर लगातार काम करना चाहिए, क्योंकि अगर अंतर बढ़ा, तो हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन और अधिक दुस्साहस कर सकता है.
(अतुल कुमार ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन में स्ट्रैटेजिक स्टडीज प्रोग्राम में फेलो हैं)
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Atul Kumar is a Fellow in Strategic Studies Programme at ORF. His research focuses on national security issues in Asia, China's expeditionary military capabilities, military ...
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