Author : Prithvi Gupta

Published on Dec 07, 2023 Updated 0 Hours ago

माइक्रोनेशियाई और पॉलिनेशियाई क्षेत्रों में अपने सहयोगात्मक प्रयास बढ़ाकर चीन एक अहम साझेदार के तौर पर उभरा है.

पोलिनेशिया और माइक्रोनेशिया में आर्थिक शासन कला के बूते पांव जमाता चीन

दूसरे विश्व युद्ध के बाद पहली बार ओशिनिया ने अपनी सामरिक अहमियत दोबारा हासिल की है. मेलानेशिया, माइक्रोनेशिया, पोलिनेशिया  और ऑस्ट्रेलेशिया को शामिल करने वाले इस विशाल इलाक़े में 16 देश आते हैं. क्षेत्र के द्वीपीय भूगोल के कारण इनमें से कुछ देशों के पास दुनिया के सबसे बड़े विशेष आर्थिक क्षेत्र (EEZs) मौजूद हैं. नीला प्रशांत (ब्लू पैसिफिक) महाद्वीप नीली अर्थव्यवस्था के अज्ञात स्रोतों और गहरे समुद्र के प्राकृतिक बंदरगाहों का भंडार भी है. हाल के वर्षों में अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, जापान, न्यूज़ीलैंड, फ्रांस और ताइवान ने इस क्षेत्र के साथ अपने जुड़ाव बढ़ा दिए हैं, जो आंशिक तौर पर इस इलाक़े में चीन की बढ़ती दिलचस्पी का जवाब है. इस क्षेत्र में चीन के सहयोगात्मक प्रयास एक मज़बूत, दो-स्तरों वाली रणनीति को रेखांकित करते हैं, जिसमें कूटनीतिक और आर्थिक जुड़ाव शामिल हैं. ये लेख माइक्रोनेशियाई और पोलिनेशियाई क्षेत्रों में चीनी निवेश और उसके सामरिक और भू-आर्थिक निहितार्थों पर ध्यान केंद्रित करता है.

ये लेख माइक्रोनेशियाई और पोलिनेशियाई क्षेत्रों में चीनी निवेश और उसके सामरिक और भू-आर्थिक निहितार्थों पर ध्यान केंद्रित करता है.

माइक्रोनेशिया और पॉलिनेशिया में चीनी ऋण और निवेश

किरिबाती 1 जनवरी 2020 को बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) से जुड़ने वाला 10वां प्रशांत द्वीपीय देश (PIC) बन गया. BRI बुनियादी ढांचे और कनेक्टिविटी पर चीन की अंतरराष्ट्रीय पहल है. किरिबाती से पहले समोआ, फ़ेडरेटेड  स्टेट्स ऑफ़  माइक्रोनेशिया (FSM), टोंगा और नीयू 2019 में BRI में शामिल हो चुके थे. 2019 में संपन्न दूसरे बेल्ट एंड रोड फोरम के दौरान चीनी सरकार के अधिकारियों ने प्रशांत द्वीपीय देशों को विकास सहायता के तौर पर करोड़ों डॉलर देने का वादा किया था. इसके साथ-साथ विकासात्मक बुनियादी ढांचे के निर्माण के लिए चीन के सरकारी और निजी कंपनियों से मदद की भी बात कही गई.

टेबल 1. माइक्रोनेशिया और पॉलिनेशिया  में चीन की प्रमुख परियोजनाएं (2017-22) 


स्रोत: चीन के राष्ट्रीय विकास और सुधार आयोग, एडडेटा, चीन राज्य परिषद, AEI चीन ग्लोबल इन्वेस्टमेंट ट्रैकर से जुटाए गए आंकड़े

इस मक़सद से 2013-2023 के बीच चीन ने समोआ में 2.34 अरब अमेरिकी डॉलर, FSM में 2 अरब अमेरिकी डॉलर, मार्शल आइलैंड्स में 1.7 अरब अमेरिकी डॉलर, किरिबाती में 1.19 अरब अमेरिकी डॉलर, और कुक आइलैंड्स में 0.5 अरब अमेरिकी डॉलर का निवेश किया. चीनी सहायता और निवेश ने इन देशों में तमाम आर्थिक क्षेत्रों का प्रसार किया है, जिसे टेबल 1 में दर्शाया गया है. चीन के सरकारी स्वामित्व वाले निगमों ने पॉलिनेशियाई और माइक्रोनेशियाई द्वीपों के व्यापक इलाक़े में 1 अरब अमेरिकी डॉलर मूल्य के बराबर सड़कों, रेलमार्गों, हवाई पट्टियों, सामाजिक बुनियादी ढांचों (स्कूल, अस्पताल, किफ़ायती घर), और नवीकरणीय ऊर्जा बुनियादी ढांचे का निर्माण किया है. हुआवै, टेंसेंट, और अलीबाबा जैसी चीनी टेक कंपनियों ने इन राष्ट्रों में 5जी क्षमता का निर्माण करके इस पूरे इलाक़े में डिजिटल कनेक्टिविटी को आगे बढ़ाने का प्रयास किया है. इस सिलसिले में समुद्र के भीतर केबल बिछाई गई और यहां की सरकारों को हाई-टेक निगरानी हार्डवेयर तक पहुंच मुहैया कराई गई.

चीन ने 2018 और 2019 में बड़ी चालाकी से टोंगा, समोआ, FSM और किरिबाती को BRI से जुड़ने और ताइवान के साथ राजनयिक रिश्ते तोड़ने के लिए राज़ी कर लिया. बदले में, चीन के सरकारी स्वामित्व वाले निगमों ने इन राष्ट्रों में निवेश की बौछार कर दी..

हालांकि, चीन की BRI और उससे जुड़ी विकास सहायता में हिस्सेदारी, कुछ शर्त साथ लेकर आती है. 2009 में ताइवान को चीन गणराज्य के रूप में मान्यता देने वाले राष्ट्रों में प्रशांत द्वीप के देशों का हिस्सा एक तिहाई था. चीन ने 2018 और 2019 में बड़ी चालाकी से टोंगा, समोआ, FSM और किरिबाती को BRI से जुड़ने और ताइवान के साथ राजनयिक रिश्ते तोड़ने के लिए राज़ी कर लिया. बदले में, चीन के सरकारी स्वामित्व वाले निगमों ने इन राष्ट्रों में निवेश की बौछार कर दी. इन देशों में विशेष आर्थिक क्षेत्रों की भरमार है और चीन इस वजह से भी इन्हें रिझा रहा है: किरिबाती के पास दुनिया का सबसे बड़ा EEZ (35 लाख वर्ग मील) है और माइक्रोनेशिया का EEZ चीन के EEZ की तुलना में तीन गुणा बड़ा है. ये विशेष आर्थिक क्षेत्र नीली अर्थव्यवस्था के अज्ञात स्रोतों (ख़ासकर मछलियों) के भंडार हैं. चीन ने ब्लू पैसिफिक महाद्वीप के प्रचुरता भरे जलक्षेत्र में मछली पकड़ने के लाइसेंस हासिल कर लिए हैं. 2016 से 2022 के बीच दक्षिण प्रशांत में चीनी झंडे वाले और दूर तक जाकर मछली का शिकार करने वाले जहाज़ों की संख्या 245 से बढ़कर 476 हो गई, जो 2009 में 46 के आंकड़े की तुलना में 10 गुणा से भी ज़्यादा बढ़ोतरी को दर्शाते हैं. चीन के गहरे समुद्र वाले जहाज़ी बेड़े को दुनिया में अवैध, अनियमित और असूचित रूप से मछली पकड़ने का सबसे खुला अपराधी माना जाता है. इस क्षेत्र में चीन की स्क्विड ढुलाई 2012 में 42,000 टन थी जो 2022 में बढ़कर 422,000 टन हो गई; जबकि इस इलाक़े में चीन द्वारा मछली पकड़ने और ढुलाई की कुल मात्रा में 2014 से 2022 के बीच 430 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई. मछलियों के दोहन के इस विशाल पैमाने ने द्वीप देशों की अर्थव्यवस्थाओं और समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र के साथ-साथ टूना, स्क्विड और अन्य प्रजातियों की व्यावसायिक स्थिरता को नुक़सान की आशंका पैदा कर दी है. इसके बावजूद, सरकारें हस्तक्षेप करने में हिचक रही हैं क्योंकि चीन की विकासात्मक मदद उनकी अंतरराष्ट्रीय विकासात्मक सहायता का एक बड़ा हिस्सा है.   

माइक्रोनेशिया और पॉलिनेशिया में चीन का पॉजिटिव इकोनॉमिक स्टेटक्राफ्ट (PES)

चीन और प्रशांत द्वीप के देशों के बीच आपसी लेन-देन वाला रिश्ता है. इसके तहत चीन इन देशों की नीति अनिवार्यताओं को प्रभावित करता है और सकारात्मक आर्थिक बंदोबस्तों (जैसे आयात शुल्क रियायतों, विकासात्मक सहायता, रियायती ऋणों और बुनियादी ढांचा विकास) के ज़रिए यहां के देशों की सरकारों के बर्ताव पर असर डालता है. ये चीन के सकारात्मक आर्थिक सत्ता संचालन (PES) का एक प्रमुख उदाहरण है. हालांकि, PES के इन परंपरागत उपकरणों के अलावा चीन ने इन छह द्वीप देशों के साथ अनेक आर्थिक और तकनीकी सहयोग समझौतों (ETCAs) पर हस्ताक्षर किए हैं. इन समझौतों के तहत चीन ने आठ आर्थिक क्षेत्रों में स्थानीय क्षमता-निर्माण विकास को आगे बढ़ाने के लिए कोष आवंटित किए हैं. 2017 से 2022 के बीच चीनी ETCAs की राशि 38.5 करोड़ अमेरिकी डॉलर थी.

ble 2. Chinese ETCAs with Micronesian and Polynesian countries between 2017-2022


स्रोत: एडडेटा

पहली नज़र में इन ETCAs ने आर्थिक विकास को बढ़ावा दिया है और व्यापक दक्षिण प्रशांत क्षेत्र में सामाजिक संरक्षण कार्यक्रमों में मदद की है. हालांकि, कुछ ऊंचे मूल्य वाले ETCAs हैं जहां ‘अनिर्दिष्ट उद्देश्यों’ के लिए कोष आवंटित किए गए हैं. ये अपारदर्शी ETCAs क्षेत्र में रणनीतिक अनिवार्यताएं हासिल करने को लेकर चीन की सामरिक पैंतरेबाज़ियों को छिपाते हैं. मिसाल के तौर पर, 2017 में चीन ने समोआ के साथ ETCA पर हस्ताक्षर किए जिसने ‘अनिर्दिष्ट उद्देश्यों’ के लिए समोआ को 1.74 करोड़ अमेरिकी डॉलर आवंटित किए. बाद में 2020 में समोआ की संसद के आदेश पर की गई एक जांच में ख़ुलासा हुआ कि कथित ETCA के तहत दी गई रकम को चीन द्वारा फंड किए गए अनेक उपयोग वाले गहरे समुद्री बंदरगाह की व्यवहार्यता पर प्रारंभिक शोध के लिए आवंटित किया गया था. अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और न्यूज़ीलैंड के दबाव के कारण आख़िरकार बंदरगाह को त्याग दिया गया. हाल ही में, मई 2023 में FSM के पूर्व प्रधानमंत्री डेविड पैन्युलो ने माइक्रोनेशिया की संसद को लिखे पत्र में आरोप लगाया कि चीनी अधिकारियों ने 2017 में FSM की संघीय सरकार के निर्वाचित प्रतिनिधियों को रिश्वत दी थी. संयोग से, चीन ने उसी साल FSM के साथ ETCA पर भी दस्तख़त भी किए थे, जिसमें ‘अनिर्दिष्ट उद्देश्यों’ के लिए कोष आवंटित किए गए थे. FSM ने चीन पर अपने विशाल द्वीपों के EEZs में जासूसी करने और चीन-विरोधी विचार रखने वालों पर निगरानी रखने का भी आरोप लगाया है.

हाल ही में, मई 2023 में FSM के पूर्व प्रधानमंत्री डेविड पैन्युलो ने माइक्रोनेशिया की संसद को लिखे पत्र में आरोप लगाया कि चीनी अधिकारियों ने 2017 में FSM की संघीय सरकार के निर्वाचित प्रतिनिधियों को रिश्वत दी थी.

निष्कर्ष  

चीन माइक्रोनेशियाई और पॉलिनेशियाई क्षेत्रों में विवादित लेकिन अहम भागीदार के तौर पर उभरा है. उसने इन क्षेत्रों में अपने सहयोगात्मक प्रयासों को आगे बढ़ाया है, क्योंकि ये क़वायद एक वैश्विक शक्ति के तौर पर चीन के उभार के लिहाज़ से बेहद अहम हैं. एकजुट तौर पर, ब्लू पैसिफिक महादेश बहुपक्षीय मंचों पर एक प्रमुख वोट बैंक हैं. इन मंचों पर ताइवान, हॉन्ग कॉन्ग और शिनजियांग मानवाधिकार  उल्लंघन जैसे मसलों से निपटने में इन द्वीप देशों का समर्थन चीन के लिए ज़रूरी है. इसके अलावा, पॉलिनेशियाई और माइक्रोनेशियाई क्षेत्रों में दुनिया में रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण स्थिति वाले अनेक द्वीप मौजूद हैं. मिसाल के तौर पर किरिबाती भूमध्य रेखा और 180 डिग्री देशांतर तक फैला हुआ है और प्रशांत महासागर के वास्तविक भौगोलिक केंद्र पर स्थित है. इस क्षेत्र में नीली अर्थव्यवस्था के ऐसे स्रोतों का भंडार है जिनका अब तक दोहन नहीं किया गया है. हाल ही में, चीन ने आर्थिक लाभ हासिल करने के लिए इन संसाधनों की ओर ध्यान केंद्रित किया है. तीनों ही मोर्चों पर चीन ने बड़ी छलांग लगाई है. 16 में से महज़ चार प्रशांत द्वीप देश ही आज ताइवान को मान्यता देते हैं. चीन किरिबाती की सरकार के साथ बंदरगाह का निर्माण करने में लगभग कामयाब रहा है, और इलाक़े के देशों के साथ द्विपक्षीय जुड़ावों को गहरा करना लगातार जारी रखे हुए है. अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और उनके सहयोगियों को ज़्यादा सार्थक और ठोस तरीक़े से विकासात्मक सहायता की आपूर्ति करने के लिए इस क्षेत्र में अपने दांव और मदद भरे क़दमों को निश्चित रूप से आगे बढ़ाना चाहिए, नहीं तो वो चीन की आर्थिक शासन कला के चलते इलाक़े में अपना रणनीतिक प्रभाव गंवा देंगे.


 पृथ्वी गुप्ता स्ट्रैटेजिक स्टडीज़ प्रोग्राम में जूनियर फेलो के तौर पर काम करते हैं.

The views expressed above belong to the author(s). ORF research and analyses now available on Telegram! Click here to access our curated content — blogs, longforms and interviews.