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Published on Jan 25, 2024 Updated 0 Hours ago

तीन रुझानों ने चीन के लिए साल 2023 की रूपरेखा गढ़ दी: अर्थव्यवस्था के लिए चुनौतियां; देश की वैज्ञानिक प्रकृति को बढ़ावा देने पर ज़ोर; और क्षेत्रीय संघर्षों, ख़ासतौर से पश्चिम एशिया में जारी टकरावों का प्रबंधन.  

चीन: कोविड-युग के बाद आत्मनिर्भरता की ओर शी जिनपिंग का रोडमैप!

आर्थिक झटके 

 

2022 में महज़ 3 प्रतिशत की आर्थिक वृद्धि दर के साथ चीन ने साल 2023 का स्वागत किया- जो क़रीब चार दशकों में देश के सबसे ख़राब प्रदर्शनों में से एक था. सरकार द्वारा बेतरतीब तरीक़े से कोविड-19 प्रतिबंधों को हटाने की क़वायद ने हालात को और मुश्किल बना दिया, जिससे देश भर में कोविड के मामलों और मौतों में उछाल आ गया.

रियल एस्टेट पर सख़्त कार्रवाइयों से क्षेत्र की उत्पादकता प्रभावित हुई; जासूसी पर नकेल कसने के लिए बने क़ानूनों के प्रावधानों के विस्तार के साथ जासूसी गतिविधियों के शक़ में कारोबारी लोगों को मनमाने ढंग से अलग-थलग कर दिया गया, जिससे कॉरपोरेट जगत के आत्मविश्वास पर प्रभाव पड़ा

जल्द ही चीनी गणराज्य को एक के बाद एक कई झटकों का सामना करना पड़ा: जनसांख्यिकीय संकट (घटते युवा और बढ़ती बुज़ुर्ग आबादी) पर लगाम लगाने के लिए ऊंची जन्म दरों का समर्थन करने वाली नीति अपनाए जाने के बावजूद वांछित नतीजे ना मिलने के चलते लगभग 60 वर्षों में पहली बार जनसंख्या में गिरावट हुई; रियल एस्टेट पर सख़्त कार्रवाइयों से क्षेत्र की उत्पादकता प्रभावित हुई; जासूसी पर नकेल कसने के लिए बने क़ानूनों के प्रावधानों के विस्तार के साथ जासूसी गतिविधियों के शक़ में कारोबारी लोगों को मनमाने ढंग से अलग-थलग कर दिया गया, जिससे कॉरपोरेट जगत के आत्मविश्वास पर प्रभाव पड़ा; रईस लोगों द्वारा अपनी दौलत को विदेश भेजे जाने के साथ ही विदेशी संस्थानों ने अपने परिचालनों में कटौती कर दी, जिससे देश के आकर्षण में कमी होने का आभास होने लगा. नतीजतन, भले ही देर से, लेकिन दिसंबर 2023 में केंद्रीय आर्थिक कार्य सम्मेलन में चीनी कम्युनिस्ट पार्टी (CPC) की केंद्रीय कमेटी के राजनीतिक ब्यूरो की स्थायी समिति के सदस्यों ने सुरक्षा से जुड़े विचारों और आर्थिक वृद्धि के बीच प्रभावी संतुलन लाने, चीन की कामयाबियों को रेखांकित करने और निवेशकों के बीच सकारात्मक भाव तैयार करने का प्रण लिया. 

 

विज्ञान और टेक्नोलॉजी पर आशावादी रुख़

 

तकनीक़ के मोर्चे पर अमेरिका के साथ अपनी प्रतिद्वंदिता के बीच चीन विज्ञान और प्रौद्योगिकी में राजकीय क्षमता में सुधार लाकर आत्म-निर्भरता हासिल करने का प्रयास कर रहा है. 2023 में नेतृत्व परिवर्तन के दौरान ये घोषणा की गई कि पश्चिमी प्रतिबंधों से लड़ने की चीन की क़ाबिलियत कैडर को बढ़ावा देने की क़वायद के लिए अहम कारक साबित होगी. लिहाज़ा, अंतरिक्ष अनुसंधान और परमाणु ऊर्जा जैसे विशिष्ट क्षेत्रों में विशेषज्ञता वाले ज़्यादा से ज़्यादा विशेषज्ञों को पार्टी के शीर्ष प्रशासकीय निकायों- पॉलित ब्यूरो और केंद्रीय कमेटी में पदोन्नति दी गई. दीर्घ अवधि में चीन ने हाई स्कूल और कॉलेज के स्तरों पर विज्ञान के बुनियादी विषयों को प्राथमिकता देने का लक्ष्य रखा है ताकि अपनी रणनीतिक ज़रूरतों को पूरा करने के लिए प्रतिभाओं का समूह तैयार किया जा सके. CPC उन युवा प्रतिभाओं को आगे बढ़ाने का भी इरादा रखती है जो वैज्ञानिक अनुसंधान के लिए ख़ुद को समर्पित करना चाहते हैं. 

 

अगस्त 2023 में जारी दिशानिर्देशों में वैज्ञानिक अनुसंधान परियोजनाओं के लिए कोटा तय कर दिए गए हैं. इनमें परियोजना सदस्यों के कम से कम 50 प्रतिशत हिस्से के लिए 40 वर्ष से कम का होना अनिवार्य है; 35 साल से कम के लोगों के लिए ही बुनियादी अनुसंधान के लिए सरकारी कोष मुहैया कराने का प्रावधान है; और युवा वैज्ञानिकों के लिए बेहतर वेतन के उपाय किए गए हैं. अपने घरेलू एजेंडे के ज़रिए राष्ट्रपति शी ने पार्टी और सरकारी संस्थानों का पुनर्गठन कर दिया है ताकि वो देश में नए वातावरण के हिसाब से कार्य करने के लिए सक्षम हो सकें. नतीजतन, विज्ञान और टेक्नोलॉजी के साथ-साथ वित्त के दायरों पर क़रीब से निगरानी के लिए CPC की केंद्रीय कमेटी के तहत निकायों की स्थापना की गई है.

 

कूटनीतिक कामयाबियां और विफलताएं

 

कूटनीति के संदर्भ में, पिछले साल चीन ने जीत हासिल की है तो उसे कई झटके भी लगे हैं. अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थताकार और शांति स्थापक के रूप में अपनी भूमिका की मज़बूती उसकी सबसे बड़ी कामयाबियों में से एक थी. मार्च 2023 में पश्चिमी जगत को चौंकाते हुए चीन ने सऊदी-ईरान सौदे की मध्यस्थता करके अपनी धमक का एहसास कराया. सात वर्षों तक चली तनातनी के बाद दोनों देश राजनयिक रिश्ते बहाल करने पर सहमत हुए. चीनी अधिकारियों ने बताया कि उनके एजेंडे में अगला विषय इज़रायल-फिलिस्तीन शांति वार्ताओं की मध्यस्थता करना था. इसी घोषणा के अनुरूप, चीन ने मई 2023 में अपनी धरती पर फिलिस्तीनी राष्ट्रीय प्राधिकरण के अध्यक्ष महमूद अब्बास और इज़रायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू की अलग-अलग मेज़बानी की. हालांकि, 7 अक्टूबर को इज़रायल पर हमास द्वारा किए गए हमले के बाद छिड़े इज़रायल-हमास युद्ध ने शायद चीन के आकलनों को उलझा दिया है. रूस-यूक्रेन संघर्ष में भी चीन ख़ुद को शांति स्थापक के तौर पर पेश करने को उत्सुक रहा है और उसने फरवरी 2023 में यूक्रेन के लिए शांति योजना भी तैयार कर ली थी. 

चीनी सरकार की ओर से बिना किसी स्पष्टीकरण के राज्य परिषद के दो सदस्य- पूर्व विदेश मंत्री किन गैंग और पूर्व रक्षा मंत्री ली शांगफू- सबकी नज़रों से ग़ायब हो गए. पद छोड़ने के कुछ ही महीनों बाद चीन के पूर्व प्रधानमंत्री ली केकियांग की अचानक मृत्यु ने रहस्य को और गहरा कर दिया.

उसी समय, घरेलू राजनीतिक वातावरण के ज़्यादा जटिल और अप्रत्याशित बन जाने के चलते दुनियाभर में चीन की प्रतिष्ठा पर चोट लगी. चीनी सरकार की ओर से बिना किसी स्पष्टीकरण के राज्य परिषद के दो सदस्य- पूर्व विदेश मंत्री किन गैंग और पूर्व रक्षा मंत्री ली शांगफू- सबकी नज़रों से ग़ायब हो गए. पद छोड़ने के कुछ ही महीनों बाद चीन के पूर्व प्रधानमंत्री ली केकियांग की अचानक मृत्यु ने रहस्य को और गहरा कर दिया. अर्थव्यवस्था में सुस्ती के बीच चीन की घरेलू राजनीति में आए ऐसे बदलाव ने चीन के कारोबारी वातावरण पर प्रतिकूल प्रभाव डाला है. 

 

ये तमाम घटनाक्रम कोविड के बाद के कालखंड में पेश आए हैं जब कुछ क्षेत्र, ख़ासतौर से यूरोपीय संघ और अमेरिका, चीन के साथ अपने आर्थिक संबंधों को जोख़िम-मुक्त बनाने की वक़ालत कर रहे हैं. इन परिस्थितियों में, इटली (चीन के बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव से जुड़ा G7 का पहला और इकलौता सदस्य) ने दिसंबर 2023 में परियोजना से बाहर निकलने का एलान कर दिया, जो चीन के लिए एक कूटनीतिक झटका है.

 

2024 में, आगे चलकर चीन के कूटनीतिक नज़रिए पर उसकी कामयाबियों और विफलताओं का प्रभाव पड़ने के पूरे आसार हैं.

 


कल्पित ए मनकीकर ऑब्ज़र्वर रिसर्च फाउंडेशन में फेलो हैं.

अंतरा घोषाल सिंह ऑब्ज़र्वर रिसर्च फाउंडेशन में फेलो हैं. 

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Authors

Kalpit A Mankikar

Kalpit A Mankikar

Kalpit A Mankikar is a Fellow with Strategic Studies programme and is based out of ORFs Delhi centre. His research focusses on China specifically looking ...

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Antara Ghosal Singh

Antara Ghosal Singh

Antara Ghosal Singh is a Fellow at the Strategic Studies Programme at Observer Research Foundation, New Delhi. Her area of research includes China-India relations, China-India-US ...

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