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Published on Oct 23, 2024 Updated 0 Hours ago

अफ्रीका में चीनी निवेश के आसपास सकारात्मक नैरेटिव को प्रोत्साहित करने वाले सूचना अभियानों की बढ़ती संख्या को देखते हुए इसकी पड़ताल आवश्यक हो गई है.

अफ़्रीका महाद्वीप में चीन का ‘सूचना’ संग्राम!

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2014 में बीजिंग में केंद्रीय विदेश मामलों की एक बैठक में चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने वैश्विक स्तर पर चीन के सॉफ्ट पॉवर को मजबूती प्रदान करने के लिए चीन की अपनी संदेश देने वाली व्यवस्था में सुधार करने की वकालत की थी. आने वाले वर्षों में चीन में सरकारी नियंत्रण वाले मीडिया ने सांस्कृतिक निवेश, अंतरराष्ट्रीय सहयोग तथा अपने मार्केटिंग नेटवर्क्स स्थापित करते हुए विदेशों में, विशेषत: अफ्रीका में, बसे अपने सांस्कृतिक एसेट्स की पहुंच की गुणवत्ता में इज़ाफ़ा करने पर ध्यान दिया. 

 2014 में बीजिंग में केंद्रीय विदेश मामलों की एक बैठक में चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने वैश्विक स्तर पर चीन के सॉफ्ट पॉवर को मजबूती प्रदान करने के लिए चीन की अपनी संदेश देने वाली व्यवस्था में सुधार करने की वकालत की थी.

चीन की अफ्रीका में पहुंच

अफ्रीका में चीनी संचार अभियान सूक्ष्म हैं, जो आर्थिक मामलों पर ध्यान केंद्रित करते हुए चीनी निवेश, विशेषत: बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव, के ईर्द-गिर्द एक सकारात्मक नैरेटिव को प्रोत्साहित करते हैं. सरकार नियंत्रित मीडिया इकाई जैसे सिन्हुआ, चाइना डेली, चाइना रेडियो इंटरनेशनल (CRI) तथा  CGTN (पूर्व का CCTV International) इस नैरेटिव में अहम भूमिका अदा करते हैं.

 

इसी बीच StarTimes/स्टारटाइम्स जो एक चीनी स्वामित्व वाली मीडिया कंपनी है अब अफ्रीका की दूसरी सबसे बड़ी डिजिटल TV प्रदान करने वाली कंपनी बन गई है. इस कंपनी के पास 13 मिलियन डिजिटल TV तथा 20 मिलियन स्ट्रीमिंग उपभोक्ता हैं. इस कंपनी ने 30 अफ्रीकी देशों में डिजिटल TV इंफ्रास्क्ट्रचर में 2 बिलियन अमेरिकी डालर से ज़्यादा का निवेश किया है.

 

इसके अलावा अपने सॉफ्ट पॉवर को बढ़ावा देने के लिए चीन सक्रिय रूप से डॉक्टयूमेंटरिज जैसे अफ्रीकन इन यीवू, तज़ारा: ए जर्नी विदाउट एन एंड और बॉबीस्‌ फैक्ट्री भी प्रोड्यूस करता है. उदाहरण के लिए डॉक्यूसीरिज्‌ “बॉबीस्‌ फैक्टरी” में अफ्रीका में काम करने वाले एक चीनी फैक्टरी मालिक और स्थानीय कर्मचारियों के साथ होने वाली उसकी सकारात्मक बातचीत पर ध्यान केंद्रित किया गया है. एक अन्य सीरिज “तज़ारा: ए जर्नी विदाउट एन एंड” में तंजानिया-जांबिया रेलवे (TAZARA) प्रोजेक्ट की आवश्कता को उजागर किया गया है. इस प्रोजेक्ट को BRI के व्यापक छत्रछाया के तहत चीन-अफ्रीका सहयोग का प्रतीक बताया गया है. इस सीरिज के तहत तीन एपिसोड्‌स हैं : “ए रेलवे ऑफ फ्रेंडशिप”, “द लाइन फाइन” तथा “लव फॉर तज़ारा” का समावेश है. ये डॉक्यूसीरिज इस रेलवे लाइन के भावनात्मक पहलू पर ध्यान देते हुए यह बताती हैं कि कैसे इस रेल लाइन ने तंजानिया के युवाओं को सकारात्मक रूप से प्रभावित किया है. इसी प्रकार “अफ्रीकंस इन यीवू-चाइनीज मीट अफ्रीका” में अफ्रीका में रहने वाले मेहनती तथा उद्यमी लोगों की कहानियों को शामिल किया गया है. इसमें बताया गया है कि कैसे ये मेहनती और उद्यमी लोग अपने प्रयासों से चीन तथा अफ्रीका के बीच की दूरी को कम कर रहे हैं. अंतत: ‘माइ चाइना स्टोरी’ में ऐसे लोगों की बात की गई है जिन्होंने चीन में रहकर कुछ वक़्त गुज़ारा है. इसमें बताया गया है कि कैसे चीन में गुज़ारे गए वक़्त के कारण उनके जीवन में सकारात्मक प्रभाव पड़ा. इस सीरिज की वजह से आने वाली युवा पीढ़ी के दिलों पर एक सकारात्मक छवि को आकार देने की कोशिश की जा रही है.

 

अफ्रीका में चीन की सूचना रणनीति

अफ्रीका में चीन ने अपने सूचना अभियान में त्रिस्तरीय रणनीति अपनाई है. सबसे पहले वह हर साल अफ्रीकी मीडिया से जुड़े पेशेवरों का मेज़बान बनकर उन्हें प्रशिक्षित करता है. वह इन पेशेवरों को चीनी निवेश को सकारात्क शक्ति के रूप में बढ़ावा देने की कला से अवगत करवाता है. दूसरे स्तर पर चीन स्थानीय अफ्रीकी इकाईयों में निवेश करते हुए उनकी संपादकीय व्यवस्था को प्रभावित करता है. उसका उद्देश्य वहां की संपादकीय व्यवस्था को चीनी नैरेटिव के साथ कदम के कदम मिलाने के लिए प्रभावित करना है. उदाहरण के लिए स्टारटाइम्स ने जांबिया नेशनल ब्रॉडकास्टिंग कार्पोरेशन (ZNBC) के साथ एक संयुक्त उपक्रम करते हुए उसमें प्रमुख साझेदारी हासिल कर ली है. और अंत में चीन अफ्रीकी सरकारों को तकनीक बेचता है. ऐसा करने से उसे वहां की डिजिटल इंर्फोमेशन पर अधिक कड़ा नियंत्रण हासिल हो जाता है. इस वजह से वह वेबसाइट्‌स को ब्लॉक करने और इंटरनेट तक पहुंच को रोकने का अधिकार हासिल कर लेता है. 2020 में इथियोपिया के टिग्रे संघर्ष के दौरान इथियो टेलीकॉम ने चीनी फर्म हुआवै तथा ZTE जैसी फर्मों की तकनीक तथा विशेषज्ञों का उपयोग करते हुए ही सूचना के प्रवाह को नियंत्रित करते हुए विरोध को दबाया था.

 

चीनी कंटेंट यानी सामग्री नियमित रूप से अपनी परियोजनाओं को लेकर स्थानीय स्तर पर होने वाली आलोचना को दबाती है. इसमें श्रमिक विवाद, पर्यावरणीय मुद्दे और ऋण चिंताओं को लेकर होने वाली आलोचनाओं का समावेश है. इसके चलते चीन-अफ्रीकी संबंधों की ओर देखने का दृष्टिकोण विकृत हो जाता है. 2016 में हुए जांबिया के चुनावों में चीनी स्वामित्व वाले तथा स्थानीय मीडिया इकाईयों ने चीनी निवेश को जांबिया के भविष्य के लिए लाभदायक बताया था. ऐसा करते हुए मीडिया का ये वर्ग चीन समर्थक उम्मीदवार एडगर लुंगु का पक्ष ले रहा था अथवा उन्हें बढ़ावा दे रहा था.

 2016 में हुए जांबिया के चुनावों में चीनी स्वामित्व वाले तथा स्थानीय मीडिया इकाईयों ने चीनी निवेश को जांबिया के भविष्य के लिए लाभदायक बताया था. ऐसा करते हुए मीडिया का ये वर्ग चीन समर्थक उम्मीदवार एडगर लुंगु का पक्ष ले रहा था अथवा उन्हें बढ़ावा दे रहा था.

2017 में हुए केन्या के चुनावों में एक बुनियादी ढांचे के वित्त पोषक के रूप में चीनी भूमिका पर प्रमुखता से ध्यान दिया गया था. CGTN अफ्रीका ने पूर्व राष्ट्रपति उहरु केन्याटा को आधुनिकता एवं प्रगति का प्रतीक बताया था. उसके अनुसार उहरु केन्याटा ने स्टैंडर्ड गेज रेलवे परियोजना को सार्वजनिक चिंताओं के बावजूद मंजूरी देकर यह बात साबित की थी. स्टैंडर्ड गेज रेलवे को लेकर सार्वजनिक चिंताओं में सस्टेनेबिलिटी तथा इसकी लागत को लेकर चिंता का समावेश था. उस वक्त CGTN अफ्रीका ने इन चिंताओं को लेकर विपक्ष की आलोचना को भी बेहद कम जगह दी थी. जिम्बाब्वे में भी चीन ने सक्रिय रूप से राजनीतिक दल  ZANU-PF का समर्थन किया था. ऐसा करने के लिए उसने सिविल सोसाइटी तथा विपक्ष के मूवमेंट्‌स को सीमित करते हुए राजनीति तथा उद्योग में चीनी हितों का ध्यान रखने वालों को बढ़ावा दिया था. 

 

ठेकों तथा व्यापार समझौतों में सौदेबाजी करने के लिए भी चीन नए नैरेटिव तैयार करता है. एक प्रमुख तेल उत्पादक देश अंगोला को भविष्य में चीन को तेल का निर्यात सुनिश्चित करने के बदले में बड़ी मात्रा में चीन ने इंफ्रास्ट्रक्चर लोन मुहैया करवाया है. चीनी मीडिया इन इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजक्ट्‌स को “इंफ्रास्ट्रक्चर-फॉर-ऑयल” के रूप में पेश करते हुए इसे अंगोला को दशकों पुराने गृहयुद्ध से उबरने के लिए अहम बताती है. इस रणनीति की वजह से चीन को अंगोला के तेल भंडार तक दीर्घावधि के लिए पहुंच उसकी पसंदीदा कीमत पर मिल गई है. 

 

जांबिया में भी इस प्रकार के तरीकों का उपयोग किया गया. वहां चाइना नॉनफेरस मेटल माइनिंग कंपनी (CNMC) ने जांबिया की कॉपर माइंस में अहम हिस्सेदारी हासिल की. इसके लिए मीडिया ने जांबिया में पर्यावरणीय चिंताओं तथा श्रम संबंधी मुद्दों की अनदेखी करते हुए इसका सकारात्मक पहलू दिखाने पर बल दिया था. इसी प्रकार चीन ने अपने बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव के हिस्से के रूप में जिबूती के डोरालेह मल्टीर्पपस पोर्ट में अपनी मौजूदगी स्थापित कर ली है. ऐसा करते हुए उसने जिबूती की चीनी ऋण पर अत्यधिक निर्भरता को लेकर चिंताओं को ज़्यादा तवज्जो नहीं दी थी. इसके अलावा रणनीतिक रूप से अन्य महत्वपूर्ण परियोजनाओं जैसे यूगांडा के एंटेबे अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे तथा इथियोपिया के अदीस अबाबा-जिबूती रेलवे के चलते भी चीन को चीन समर्थित नैरेटिव को बढ़ावा देकर अहम आर्थिक और भूराजनीतिक लाभ पाने और ऋण संबंधी चिंताओं को दरकिनार करने का अवसर मिला है.

 

जांच के दायरे में चीनी मीडिया का प्रभाव 

 अब चीन की ओर से की जा रही नैरेटिव खड़ा करने की कोशिशों के दुष्प्रभावों को लेकर ज़्यादा से ज़्यादा अफ्रीकी देशों में स्थानीय स्तर पर धारणाएं बनने की वजह से इसके विरोध में आवाज उठने लगी है. जांबिया के राष्ट्रपति हाकैंडे हिचिलेमा ने मीडिया पर विदेशी देशों, विशेषत: चीन, के बढ़ते प्रभाव को लेकर चिंता व्यक्त की है. उनकी चिंता चीन के प्रभाव की वजह से विशेष धाराणाओं को बढ़ावा देकर एक नैरेटिव को आकार देने की कोशिशों को लेकर सार्वजनिक की गई है. इसके साथ ही वर्ल्ड बैंक अफ्रीका की वर्तमान उपाध्यक्ष और नाइजीरिया की पूर्व राजनीतिज्ञ ओबी इज़ेकवेसिली का मानना है कि चीनी निवेश तथा ऋण को बेहद हल्के लेकिन बढ़े-चढ़े अंदाज में पेश किया जाता है. इज़ेकवेसिली ने चीनी इकाईयों को दिए गए ठेकों में पारदर्शिता की कमी को लेकर भी सवाल खड़े किए हैं. उनका आरोप है कि चीन-समर्थित मीडिया नैरेटिव को अहम तरीके से नियंत्रित कर रहा है. 

 चीनी स्वामित्व वाले सोशल मीडिया एप्प जैसे TikTok/टिकटॉक को लेकर भी चिंताएं बढ़ी हैं. इसका कारण यह है कि इन निवेश तथा ऋणों को राजनीतिक कार्रवाई के प्रति अतिसंवेदनशील माना जा रहा है. सेनेगल, सोमालिया जैसे अनेक देशों ने 2023 में ही इस एप्प को आधिकारिक रूप से प्रतिबंधित कर दिया है.

चीनी स्वामित्व वाले सोशल मीडिया एप्प जैसे TikTok/टिकटॉक को लेकर भी चिंताएं बढ़ी हैं. इसका कारण यह है कि इन निवेश तथा ऋणों को राजनीतिक कार्रवाई के प्रति अतिसंवेदनशील माना जा रहा है. सेनेगल, सोमालिया जैसे अनेक देशों ने 2023 में ही इस एप्प को आधिकारिक रूप से प्रतिबंधित कर दिया है. इन देशों ने इस एप्प को सुरक्षा तथा नैतिक चिंताओं को ध्यान में रखकर प्रतिबंधित किया है. दक्षिण अफ्रीका, केन्या जैसे अन्य देशों ने भी WeChat तथा TikTok के ख़िलाफ़ आवाज उठाई है.

 

नैरेटिव्स को नियंत्रित करना

 अफ्रीकी मीडिया परिदृश्य में CCP का निवेश सूचना तक पहुंच को प्रभावित करता है और अहम नैरेटिव को आकार देने के काम आता है. लेकिन चीन की ओर से दिए जाने वाले संदेश का प्रभाव मिश्रित ही है. अफ्रीकी सरकारों के भीतर कार्यरत अफसर चीनी प्रशासन मॉडल और मैसेजिंग को लेकर आमतौर पर अधिक रिसेप्टिव यानी ग्रहणशील होते है. लेकिन नैरेटिव के इस युद्ध का ख़ामियाजा आम अफ्रीकंस को भुगतना पड़ता है. क्योंकि उन्हें ही जनता के मत को प्रभावित करने वाले ऐसे विरोधाभासी दुष्प्रचार का सामना करना पड़ता है जो सामाजिक लगाव को नष्ट करता है. ऐसे में इन राजनेताओं को उनकी संप्रुभता पर दीर्घावधि में मंडरा रहे ख़तरों से अवगत करवाने के लिए तत्काल जागरुकता अभियान चलाए जाने की आवश्यकता है.


(समीर भट्टाचार्य, ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन में एक एसोसिएट फेलो हैं, जबकि युवराज सिंह रिसर्च इंटर्न हैं).

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