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चीन की डिजिटल रेनमिनबी का उद्देश्य डॉलर के वर्चस्व को धीरे-धीरे कम करते हुए वैश्विक मौद्रिक व्यवस्था को नए सिरे से आकार देना है.
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चीन सरकार द्वारा नियंत्रित न किए जाने वाले डिजिटल पैसे को लेकर सावधानी बरत रहा है. लेकिन अमेरिका इसमें ज्यादा छूट देता है और क्रिप्टोकरेंसी के इस्तेमाल में नए विचारों को बढ़ावा देता है. वैश्विक भू-राजनीति में जब बहुध्रुवीय व्यवस्था का संभावित प्रारूप उभरता हुआ दिखाई दे रहा है, तब अंतरराष्ट्रीय मौद्रिक व्यवस्था में भी एक परिवर्तन उभर रहा है. इस परिवर्तन के तहत अनेक सार्वभौमिक मुद्राएं वैश्विक प्रभुत्व हासिल करने की स्पर्धा में उतरती दिखाई दे रही हैं. ये सार्वभौमिक मुद्राएं अब वैश्विक पटल पर एक साथ अपना अस्तित्व बनाए रखने की प्रमुखता से कोशिश कर रही हैं.
इसी संदर्भ में पीपल्स बैंक ऑफ चाइना के गवर्नर पैन गोंगशेंग ने हाल ही में शंघाई में इंटरनेशनल ऑपरेशंस सेंटर फॉर द डिजिटल रेनमिनबी (RMB) यानी रेनमिनबी के लिए अंतरराष्ट्रीय संचालन केंद्र स्थापित करने की घोषणा की थी. यह पहल चीन की अपनी सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (CBDC) यानी केंद्रीय बैंक की डिजिटल मुद्रा का अंतरराष्ट्रीयकरण करने की रणनीतिक इच्छाशक्ति को दर्शाती है. ऐसा करने के लिए वह ट्रेड फाइनेंस यानी व्यापार वित्त में CBDC की भूमिका को विस्तारित करना चाह रहा है. US डॉलर की अस्थिरता को लेकर चिंताएं देखी जा रही हैं. इन चिंताओं को वाशिंगटन की तेजी से अप्रत्याशित या मनमानी वाली व्यापार नीति ने और भी बढ़ा दिया है. ऐसे में अब उद्यमियों में व्यापार समझौते या भुगतान का निपटान करने में विविधता लाने की कोशिश होती देखी जा रही है. यह विविधता पर्यायी मुद्राओं, जिसमें युआन का भी समावेश है, का उपयोग करके लाई जा रही है. इन सारी बातों के बावजूद US डॉलर की वर्चस्व को लेकर बनी गहरी पैंठ वैश्विक मौद्रिक पदानुक्रम में अर्थपूर्ण परिवर्तन की राह में एक सशक्त चुनौती पेश कर रही है. चीन के सेंट्रल बैंक के अधिकारियों की ओर से जारी होने वाले बयानों में वैश्विक मुद्रा के रूप में अधिक विविधता लाने का आह्वान सिलसिलेवार ढंग से आता रहता है.
डिजिटल रेनमिनबी चीन के लिए एक सर्वोच्च रणनीतिक प्राथमिकता है. वह लंबे वक़्त से इसे साकार करने यानी डिजिटल रेनमिनबी का रोलआउट करने के लिए स्थायी और विचारपूर्वक कदम उठा रहा है. पीपल्स बैंक ऑफ चाइना के डिजिटल करेंसी रिसर्च इंस्टीट्यूट के अनुसार लगभग 180 मिलियन व्यक्तिगत डिजिटल RMB वॉलेट्स (खाते) खोले जा चुके हैं. इसका मतलब है कि आठ में से एक चीनी नागरिक के पास यह वॉलेट है. PBoC अधिकारियों ने रणनीतिक निहितार्थों के संदर्भ में इस बात को स्वीकार किया है कि अंतरराष्ट्रीय मौद्रिक व्यवस्था में डॉलर के वर्चस्व को बनाए रखने या मजबूती प्रदान करने में US डॉलर-डिनॉमिनेटेड यानी अमेरिकी डॉलर नामित स्टेबलकॉइंस (स्थिर सिक्के) की अहम भूमिका है. PBoC की ओर से किए गए खुलासों में उसके CBDC पायलट, डिजिटल रेनमिनबी (e-CNY) में हो रही प्रगति का संकेत मिलता है. जून 2025 के अंत तक क्यूमिलेटिव ट्रांजैक्शन वॉल्यूम यानी संचयी लेन-देन की मात्रा RMB 7 ट्रिलियन (988 बिलियन अमेरिकी डॉलर) पहुंच गई है. ये इंस्ट्रूमेंट्स (उपकरण) न केवल डॉलर की तरलता को बढ़ावा देते हैं बल्कि ये वैश्विक भंडार में उसके स्टेटस को और भी पुख़्ता करने का ख़तरा बढ़ाते हुए विविधता लाने की कोशिशों को संभवत: धीमा यानी कमज़ोर करते हैं.
US डॉलर की अस्थिरता को लेकर चिंताएं देखी जा रही हैं. इन चिंताओं को वाशिंगटन की तेजी से अप्रत्याशित या मनमानी वाली व्यापार नीति ने और भी बढ़ा दिया है. ऐसे में अब उद्यमियों में व्यापार समझौते या भुगतान का निपटान करने में विविधता लाने की कोशिश होती देखी जा रही है.
इस ट्रेंड को प्रतिसंतुलित करने के लिए चीन के भीतर ही एक ऑफशोर रेनमिनबी डिनॉमिनेटेड (नामित) स्टेबलकॉइन को लांच करने की वकालत करने वाले प्रस्ताव उभरे हैं. इस दिशा में उठाया गया कदम युआन के अंतरराष्ट्रीयकरण को बढ़ावा देने वाली उपयुक्त व्यवस्था तैयार करने और वैश्विक व्यापार और वित्त में उसकी उपयोगिता को बेहतर बनाने का काम करेगा. इसके साथ ही US डॉलर स्टेबलकॉइंस को हासिल ढांचागत लाभ को लेकर चिंताएं बनी हुई है. यह चिंता विशेषत: US डॉलर स्टेबलकॉइंस में मौजूद गहरी तरलता की वजह से है, जो अन्य मुद्राओं में आने वाले प्रतिस्पर्धी स्टेबलकॉइंस के उभार के समक्ष चुनौती पेश करती है. अब e-CNY पायलट चीन के 17 प्रांतों में विस्तारित हो चुका है.
पीपल्स बैंक ऑफ चाइना के पूर्व गवर्नर झोऊ जिआओचुआन/शियाओचुआन इस बात पर जोर देते हैं कि इस बात का गंभीर परीक्षण किया जाना चाहिए कि क्या ‘डॉलराइजेशन’ के ग्लोबल एक्सपांशन यानी वैश्विक विस्तारीकरण, विशेषत: डिजिटल फाइनेंशियल इंस्ट्रूमेंट्स के माध्यम से, की आवश्यकता है. उन्होंने इस बात के व्यापक आर्थिक प्रभावों, विशेषत: यूनाइटेड स्टेट्स के बाहर वाले देशों के लिए, का आकलन करने पर भी बल दिया है.
हाल ही में US के वित्त मंत्री स्कॉट बेसेन्ट की टिप्पणी इस तेजी से बढ़ती प्रवृत्ति को प्रतिबिंबित करती है. उन्होंने कहा है कि एक अनुमान है कि US डॉलर समर्थित स्टेबलकॉइंस का बाज़ार 2 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक हो सकता है. इस तरह का विकास ग्लोबल फाइनेंशियल आर्किटेक्चर में डॉलर की भूमिका को और भी मजबूत कर देगा. इसके साथ ही अंतरराष्ट्रीयय वित्तीय बाज़ार में उसका वर्चस्व भी बढ़ जाएगा.
2021 में बीजिंग ने क्रिप्टोकरंसी माइनिंग पर विस्तृत पाबंदी लगा दी थी. उसी वर्ष चीनी विनियामकों ने क्रिप्टोकरंसी संबंधी सारी व्यावसायिक गतिविधियों को गैरकानूनी घोषित कर दिया था. इस तरह के कड़े कदम उठाने का कारण वित्तीय अस्थिरता संबंधी चिंताओं, कैपिटल आउटफ्लो यानी पूंजी का बाहर प्रवाह संबंधी चिंताएं थी. इसके साथ ही यह भी चिंता थी कि संभवत: क्रिप्टोकरेंसी का उपयोग काले धन को सफेद करने जैसी गैरकानूनी गतिविधियों में किया जाता है.
निजी डिजिटल मुद्राओं को लेकर इस तरह के प्रतिबंधात्मक रवैये के बावजूद चीनी सरकार ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजिस के विकास और एकीकरण को प्रोत्साहित करना जारी रखे हुए हैं. प्रोत्साहन के ये प्रयास सरकार-समर्थित पहलों, जिसमें आपूर्ति श्रृंखला प्रबंधन, वित्तीय ढांचा और सार्वजनिक सेवा आपूर्ति शामिल हैं, तक विस्तारित हैं. यह कोशिश डिस्ट्रिब्यूटेड लेजर टेक्नोलॉजिस यानी वितरित खाता तकनीकों के सॉवरेज (सार्वभौमिक) तथा रेग्युलेटेड (विनियमित) एप्लीकेशंस को रणनीतिक प्राथमिकता देने का संकेत है.
चीन की ओर से डिजिटल युआन को आगे बढ़ाने की कोशिशों को उसके रेनमिनबी का अंतरराष्ट्रीयकरण करने के व्यापक एजेंडा के एक रणनीतिक स्तंभ के रूप में देखा जा रहा है. ए
इसके विपरीत यूनाइटेड स्टेट्स ने डिजिटल असेट्स इकोसिस्टम यानी (डिजिटल परिसंपत्ति पारिस्थितिकी तंत्र) के साथ आधिकारिक रूप से काम करना शुरू कर दिया है. राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में एक कार्यकारी आदेश पर हस्ताक्षर करते हुए “स्ट्रैटेजिक बिटकॉइन रिजर्व एंड यूनाइटेड स्टेट्स डिजिटल असेट स्टॉकपाइल” (रणनीतिक बिटकॉइन भंडार एवं यूनाइटेड स्टेट्स डिजिटल परिसंपत्ति भंडार) का गठन किया है. इस पहल के तहत संघीय अधिकारक्षेत्र में क्रिमिनल एंड सिविल असेट्स फोरफीचर्स (आपराधिक और नागरिक परिसंपत्ति ज़ब्ती) के माध्यम से ज़ब्त की गई क्रिप्टोकरंसी को केंद्रीकृत कर उसका प्रबंधन किया जाएगा. आधिकारिक बयान के अनुसार इस रणनीति का उद्देश्य डिजिटल फाइनेंशियल डोमेन में US की स्थिति को मजबूत बनाना है. मजबूतीकरण का यह कार्य स्टेबलकॉइंस एवं क्रिप्टोकरंसी जैसे अन्य साधनों की विशेषताओं का उपयोग करते हुए ग्लोबल फाइनेंशियल सिस्टम्स में US डॉलर के एकीकरण को बढ़ावा देकर किया जाएगा. इस कदम को डॉलर पर निर्भरता को कम करने के लिए अमेरिका के भूराजनीतिक प्रतिद्वंद्वी जैसे चीन और रूस की ओर से पर्यायी मौद्रिक ढांचे को प्रोत्साहित करने की कोशिशों का मुकाबला करने के लिए किए जा रहे प्रयासों के रूप में देखा जा रहा है. राष्ट्रपति ट्रंप ने कहा है कि US डॉलर लंबी अवधि में अपनी स्थिरता को बरकरार रखेगा. उनका यह बयान आर्थिक विकास के भविष्योन्मूखी मॉडल में सरकार की ओर से डिजिटल असेट्स होल्डिंग्स को ही केंद्र में रखने की मंशा को उजागर करता है.
हांगकांग के हालिया विनियामक कदमों ने शहर की ओर से वर्चुअल असेट्स गर्वनंस दृष्टिकोण को मजबूती देने की कोशिशों की ओर इशारा करते हैं. 21 मई को लेजिस्लेटिव कौंसिल अर्थात विधान परिषद ने स्टेबलकॉइंस बिल पारित किया. ऐसा करते हुए विधान परिषद ने आधिकारिक रूप से फिएट-रेफ्रंस्ड (व्यवस्थापत्र-संदर्भित) स्टेबलकॉइन (FRS) जारी करने वालों के लिए एक लाइसेंसिंग फ्रेमवर्क स्थापित किया था. इसका काम वर्चुअल असेट्स (VA) गतिविधियों की निगरानी, वित्तीय स्थिरता को बढ़ावा देने और हांगकांग के अधिकार क्षेत्र में जवाबदेह वित्तीय नवाचार का समर्थन करना है. इसके साथ ही यह भी चर्चा है कि PBoC की ओर से हांगकांग को क्रॉस-बॉर्डर डिजिटल पेमेंट मैकेनिज्म का परीक्षण करने के लिए उपयोग किया जाएगा. इसका उद्देश्य रेनमिनबी के अंतरराष्ट्रीयकरण का समर्थन करना है.
रेनमिनबी के अंतरराष्ट्रीय उपयोग को सुगम बनाने, विशेषत: विदेशी संस्थानों में, वाली नीतियों को चीन लगातार आगे बढ़ा रहा है. यह बात दीर्घावधि में US डॉलर की स्थिरता को लेकर चल रही वैश्विक चिंताओं के बीच बेहद अहम हो जाती है. यह प्रयास निवेश उत्पादों से आगे बढ़कर एक ऑफशोर अर्थात विदेशों में एक विस्तृत ढांचा, जैसे युआन-क्लीयरिंग बैंक्स और क्रॉस-बॉर्डर इंटरबैंक पेमेंट सिस्टम (CIPS), स्थापित करने तक विस्तारित है. CIPS जैसी व्यवस्था स्थापित करने का उद्देश्य यह है कि यह आगे चलकर SWIFT का पर्याय बन जाएगी और CIPS का उपयोग करके रेनमिनबी नामित लेन-देन को सुगम बनाया जा सकेगा.
एक और प्रवृत्ति उभर रही है, जिसमें चीनी वित्तीय संस्थान अब ज़्यादातर US डॉलर की बजाय युआन में क्रेडिट अर्थात कर्ज़ दे रहे है. यह परिवर्तन युआन-डिनॉमिनेटेड यानी युआन-नामित कर्ज़ वितरण की वजह से होने वाले सापेक्ष लागत लाभ की वजह से हो रहा है. यह परिवर्तन बीजिंग की ओर से डॉलर-बेस्ड फाइनेंसिंग स्ट्रक्चर पर निर्भरता कम करने की कोशिशों को भी प्रतिबिंबित करता है.
यह परिवर्तन व्यापक एशिया में क्षेत्रीय स्तर पर हो रहे रिकैलिब्रेशन से मेल खाता है जहां US डॉलर से दूर जाने की कोशिश हो रही है. यह बदलाव अनेक कारणों से हो रहा है. इन कारणों में बढ़ रहे भूराजनीतिक तनाव, उभरता मौद्रिक नीति परिदृश्य और अस्थिरता से निपटने के लिए करेंसी हेजिंग इंस्ट्रूमेंट्स पर बढ़ रही निर्भरता का समावेश है. ट्रंप के तहत नीति को लेकर बढ़ती अनिश्चितता से डॉलर के इर्द-गिर्द भी अनिश्चितता बढ़ी है. ऐसे में पूंजी कापुन: आवंटन बढ़ा है और करंसी के रूप में डॉलर को लेकर निवेशकों का भरोसा कम हुआ है.
इसी संदर्भ में चीन की ओर से डिजिटल युआन को आगे बढ़ाने की कोशिशों को उसके रेनमिनबी का अंतरराष्ट्रीयकरण करने के व्यापक एजेंडा के एक रणनीतिक स्तंभ के रूप में देखा जा रहा है. एक ओर तो चीनी सरकार ने तमाम व्यावसायिक गतिविधियों से संबंधित क्रिप्टोकरंसिस् को लेकर अपना प्रतिबंधात्मक रुख़ बरकरार रखा है, लेकिन दूसरी ओर हांगकांग में हाल में ही उठाए गए विनियामक कदमों को इनसे दूर जाने की कोशिशों के रूप में देखा जा रहा है. हांगकांग में फिएट-रेफ्रंस्ड स्टेबलकॉइंस के दुनिया के पहले लाइसेंसिंग फ्रेमवर्क को पेश किए जाने से अब यह संभावना बढ़ गई है कि हांगकांग डिजिटल फाइनेंशियल इनोवेशन के संभावित रेग्युलेटरी सैंडबॉक्स के रूप में देखा जाएगा. इस फ्रेमवर्क की वजह से बीजिंग को उभरते डिजिटल पेमेंट इंस्ट्रूमेंट मैकेनिज्म को अपरोक्ष रूप से आजमाने का अवसर उपलब्ध होगा. ऐसा करते हुए वह वैश्विक स्तर पर रेनमिनबी की साख को बढ़ाने में इन मैकेनिज्म की संभावित क्षमता का आकलन भी कर सकेगा. यह सारा काम करते हुए वह अपनी घरेलू वित्तीय व्यवस्था पर कड़ी निगरानी भी रख पाएगा. चीन की ‘डी-डॉलराइजेशन’ कोशिशों और US के साथ उसके खींचते व्यापार तनावों ने इन डिजिटल करंसी पहलों के पीछे मौजूद भूराजनीतिक और मौद्रिक प्रेरणाओं को और अधिक स्पष्टता के साथ उजागर करती है.
सौरादीप बाग, ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन में एसोसिएट फैलो हैं.
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Sauradeep is an Associate Fellow at the Centre for Security, Strategy, and Technology at the Observer Research Foundation. His experience spans the startup ecosystem, impact ...
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