चाइनीज़ कम्युनिस्ट पार्टी (CCP) के 20वें राष्ट्रीय सम्मेलन के दौरान तीसरे कार्यकाल के लिए चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग की ताजपोशी की धूमधाम और उनकी ज़ीरो-कोविड रणनीति को ख़त्म करने के लिए लोगों का बढ़ता प्रदर्शन और यहां तक कि उनको सत्ता से बाहर करने की मांग पूरी तरह विरोधाभासी हैं. जिस वक़्त शी जिनपिंग ने राष्ट्रपति के पद पर अपने तीसरे कार्यकाल की शुरुआत की है, उस वक़्त उनके सामने एक बार फिर महामारी उग्र हो गई है. इसकी वजह से कई शहरों में लॉकडाउन लगाना पड़ा है. इससे लोगों में नाराज़गी है जिसके कारण पूरे देश की अलग-अलग यूनिवर्सिटी में प्रदर्शन हो रहे हैं.
देशव्यापी मूड का ग़लत आकलन
लॉकडाउन को लेकर घटती सामाजिक स्वीकार्यता के अलावा चीन की ज़ीरो-कोविड रणनीति से सीधे तौर पर जुड़े हादसों के सिलसिले ने लोगों के ग़ुस्से को और भड़का दिया है. ताज़ा मामला शिनजियांग प्रांत की राजधानी उरुमची में 24 नवंबर को हुई त्रासदी है जहां एक इमारत में लगी आग की वजह से कम-से-कम 10 लोगों की मौत हो गई. सोशल मीडिया पर इस तरह की पोस्ट डाली गई है कि लोगों के आवागमन पर रोक के लिए की गई नाकेबंदी के कारण दमकल कर्मचारियों को आग की लपटों में घिरी इमारत तक पहुंचने और बचाव का अभियान शुरू करने में दिक़्क़त आई. इस तरह उरुमची में विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए. चीन के अलग-अलग हिस्सों में जहां-जहां अपार्टमेंट के बाहर नाकेबंदी की जा रही थी, वहां-वहां सरकारी कर्मचारियों और स्थानीय निवासियों के बीच संघर्ष की ख़बरें हैं. इससे संकेत मिलता है कि कोविड से मुक़ाबला करने के लिए सख़्त पाबंदी की जो रणनीति लागू की जा रही थी, उसके ख़िलाफ़ लोगों में नाराज़गी बढ़ रही थी.
लॉकडाउन को लेकर घटती सामाजिक स्वीकार्यता के अलावा चीन की ज़ीरो-कोविड रणनीति से सीधे तौर पर जुड़े हादसों के सिलसिले ने लोगों के ग़ुस्से को और भड़का दिया है.
सितंबर में एक सड़क हादसे ने कोविड की रोकथाम के लिए लगाई गई पाबंदियों के ख़राब पहलुओं की तरफ़ लोगों का ध्यान आकर्षित किया. गुइझाऊ प्रांत की राजधानी गुइयांग में लोगों को क्वॉरंटीन सेंटर ले जा रही एक बस पलट गई. इस हादसे में लगभग 30 लोगों की मौत हो गई. चूंकि लोगों को ले जाने का काम आधी रात में किया जा रहा था तो इसके पीछे के मक़सद को लेकर अटकलें लगनी लगीं: क्या ये गुपचुप ढंग से किया जा रहा था ताकि प्रांतीय राजधानी में कोविड के मामलों को कम बताया जा सके? इससे पहले कुछ क्षेत्रों में जब हालात बिगड़ गए तो बीजिंग के नेतृत्व ने अक्सर वरिष्ठ पर्यवेक्षकों को निरीक्षण के लिए भेजा था. चूंकि ये घटना CCP के 20वें पार्टी सम्मेलन से पहले हुई थी तो ऐसे में ये सवाल उठा कि क्या प्रांत के अधिकारी बीजिंग के नेतृत्व के द्वारा कम्यूनिटी संक्रमण को लेकर तय आंतरिक लक्ष्यों को पूरा करने के लिए लोगों को रात के अंधेरे मेंबस से ले जा रहे थे? इसके अलावा लॉकडाउन के असर और लोगों को लंबे समय तक मनमाने ढंग से अलग करने से मानसिक स्वास्थ्य प्रभावित होता है. इस मामले में हाल के वर्षों में चीन का सबसे ख़राब हवाई हादसा अहमियत रखता है. मार्च में हुए हवाई हादसे, जिसमें 100 से ज़्यादा हवाई यात्रियों की मौत हो गई थी, को लेकर क्या परिस्थितियां थीं? क्या इसके पीछे राजनीतिक मक़सद था या लॉकडाउन की वजह से मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याओं के कारण पायलट ने जान-बूझकर प्लेन को क्रैश किया?ये मुमकिन हो सकता है कि इन भयंकर घटनाओं को लेकर बीजिंग के नेतृत्व ने आकलन नहीं किया होगा लेकिन हर हादसे के बाद आधिकारिक स्पष्टीकरण की कमी और उदासीनता ने शायद हालात को बिगाड़ा. इन हादसों ने धीरे-धीरे कोविड से निपटने की रणनीति के ख़िलाफ़ लोगों के असंतोष को भड़काने में एक भूमिका निभाई.
आर्थिक चिंताएं
सिर्फ़ ये हादसे ही काफ़ी नहीं थे बल्कि अर्थव्यवस्था के मोर्चे पर भी ख़राब ख़बरों की भरमार थी. CCP को शर्मिंदगी से बचाने के लिए 20वें पार्टी सम्मेलन के बाद जारी आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक़ तीसरी तिमाही में GDP 3.9 प्रतिशत रही. कुछ अनुमानों के अनुसार इस साल CCP 5.5 प्रतिशत की GDP के अपने लक्ष्य को शायद हासिल नहीं कर पाएगी. आर्थिक मोर्चे पर चीन विपरीत परिस्थितियों का सामना कर रहा है. तकनीक और पूंजी तक चीन की पहुंच को रोकने के लिए अमेरिका क़दम उठा रहा है. इन सबके बीच फॉक्सकॉन के झेंगझाऊ प्लांट में मज़दूरों का प्रदर्शन चीन की अर्थव्यवस्था के लिए एक बुरे प्रचार के रूप में सामने आया. सख़्त कोविड पाबंदियों की वजह से दुनिया की सबसे बड़ी आईफ़ोन फैक्ट्री, जहां 70 प्रतिशत आईफ़ोन का उत्पादन होता है, के कामगारों और सुरक्षा कर्मियों के बीच भिड़ंत हुई. मज़दूरों के प्रदर्शन और उसकी वजह से हैंडसेट के उत्पादन पर असर पड़ने की आशंका से एप्पल के शेयर की क़ीमत में कमी आई. इसके कारण निवेशक कंपनी पर ये दबाव डाल सकते हैं कि वो अपनी सप्लाई चेन को लेकर चीन पर ज़रूरत से ज़्य़ादा निर्भरता की समीक्षा करे. अगर एप्पल जैसी बड़ी कंपनी अपनी सप्लाई चेन में चीन पर निर्भरता की समीक्षा करने का निर्णय लेती है तो दूसरी कंपनियों से भी इस तरह की प्रतिक्रियाएं सामने आ सकती हैं.
वर्तमान परिदृश्य में शी के सामने ऐसे हालात हैं जहां एक तरफ़ कुआं हैं तो दूसरी तरफ़ खाई. शी को प्रतिक्रिया देनी होगी लेकिन कोई भी क़दम उनकी संभावनाओं पर असर डाल सकता है. किसी भी तरह की ढील देने को शी जिनपिंग की कमज़ोरी के संकेत के रूप में देखा जाएगा.
दुष्प्रचार और नियंत्रण की हदें
शी जिनपिंग ने अपने तीसरे कार्यकाल की शुरुआत माओ कीनक़ल करते हुए युवाओं को एकजुट करने के लिए राष्ट्रवाद को आगे करके की. इसकी शुरुआत सत्ता में आए नये नेताओं के साथ यानान के दौरे से हुई जो कि 30 के दशक के मध्य से लेकर 1949 तक कम्युनिस्टों का गढ़ था. शी ने होंगकी नहर का भी दौरा किया जो कि माओ के युग में कामगारों की उपलब्धियों का प्रतीक है. शी ने नौजवाओं से अनुरोध किया कि वो होंगकी नहर के निर्माण को लेकर जिस तरह का उत्साह था, उसी तरह काम करें. उनका ये आह्वान कठोर मेहनत के महत्व पर ज़ोर डालता है. इससे पहले अपने काम को लेकर पार्टी को सौंपी गई रिपोर्ट में शी जिनपिंग ने राष्ट्रीय कायाकल्प का वादा किया. इसका मतलब है चीन की महानता को फिर से बहाल करना. लेकिन उन्होंने चीन के उदय को रोकने के लिए बाहरी ताक़तों की कोशिशों को लेकर चेतावनी भी दी. मौजूदा प्रदर्शनों ने दिखाया है कि अतीत के संघर्षों का इस्तेमाल करके नौजवानों के मनोबल को सहारा देना उतना फ़ायदेमंद नहीं हो सकता है. चीन सुरक्षा बढ़ाकर प्रदर्शनों का मुक़ाबला कर रहा है. हालांकि इस दृष्टिकोण की भी एक सीमा है जो उन प्रदर्शनकारियों से पता चलता है जिन्होंने कुछ ग्रामीण बैंकों के द्वारा उनके बचत खातों का पैसा निकालने से रोकने के ख़िलाफ़ सड़कों पर प्रदर्शन शुरू कर दिया. इस तरह आज के समय में चूंकि चीन के युवाओं को अपने भविष्य का डर सता रहा है तो वो ऐसे ज़ुल्म के ख़िलाफ़ खड़े हो रहे हैं.
वर्तमान परिदृश्य में शी के सामने ऐसे हालात हैं जहां एक तरफ़ कुआं हैं तो दूसरी तरफ़ खाई. शी को प्रतिक्रिया देनी होगी लेकिन कोई भी क़दम उनकी संभावनाओं पर असर डाल सकता है. किसी भी तरह की ढील देने को शी जिनपिंग की कमज़ोरी के संकेत के रूप में देखा जाएगा और इससे प्रदर्शनकारियों के हौसले बढ़ सकते हैं लेकिन अगर उन्होंने प्रदर्शन को दबाया तो हालात और भी बिगड़ सकते हैं. इस तरह दुष्प्रचार, हिंसा और आर्थिक सफलता के तीन खंभे, जिनकी वजह से CPC सत्ता में है, डगमगा रहे हैं.
एक अभूतपूर्व जीत का उल्लास कभी-कभी लोगों को अंधा बना देता है, यहां तक कि अनुभवी नेता भी इससे बच नहीं पाते. तीसरी बार सत्ता हाथ में आने के बाद शी, जो लंबे समय से विदेश यात्राओं से बच रहे थे, एक बार फिर से दुनिया के मंच पर सामने आए हैं. कुछ समय पहले उन्होंने इंडोनेशिया में जी20 कॉन्क्लेव के बाद एशिया-प्रशांत आर्थिक सहयोग शिखर सम्मेलन के लिए थाईलैंड की यात्रा की. रोमानिया के तानाशाह निकोलाई चाचेस्कू को याद रखना उनके लिए फ़ायदेमंद होगा जिन्होंने पूरी सत्ता अपने पास रखी थी लेकिन अलग-अलग गुटों, सेना और कम्युनिस्ट पार्टी के उनके सहयोगियों ने उन्हें फिर भी सत्ता से बाहर कर दिया. शी जिनपिंग को ये ज़रूर याद रखना चाहिए कि कोई भी चीज़ हमेशा के लिए नहीं होती.
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