Author : Gurjit Singh

Published on Dec 20, 2021 Updated 0 Hours ago

चीन-आसियान संबंधों की 30वीं सालगिरह के मौक़े पर दोनों पक्षों के पारस्परिक तौर पर लाभकारी रिश्ते को दोहराया गया. ये अभी पता नहीं है कि क्या चीन परछाई वाला नाटक खेल रहा है?

चीन और आसियान: 30 साल का कामयाब सफ़र

22 नवंबर 2021 को चीन और आसियान ने अपनी संवाद साझेदारी की 30वीं वर्षगांठ मनाने के लिए एक विशेष शिखर वार्ता का आयोजन किया. इसकी अध्यक्षता संयुक्त रूप से ब्रुनेई के सुल्तान और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने की. इस शिखर वार्ता ने संबंधों को व्यापक सामरिक साझेदारी के स्तर तक बढ़ाया. ये आयोजन वर्चुअल हुआ हालांकि 30वीं सालगिरह पर 7 जून को चोंगकिंग में  विदेश मंत्रियों की बैठक आमने-सामने हुई.

शिखर वार्ता के साझा बयान में आसियान-चीन संबंधों को सबसे गतिशील और आसियान की सभी संवाद साझेदारी में पारस्परिक रूप से सबसे लाभकारी साझेदारी बताया गया.

चीन ने इस शिखर वार्ता में म्यांमार को शामिल करने की हर कोशिश की. लेकिन आख़िर में आसियान की ही चली. म्यांमार के मामले में आसियान का ये रुख़ है कि जब तक वहां का नेतृत्व अपने वादों को पूरा नहीं करता है, तब तक उसे आसियान की शिखर वार्ता से अलग ही रखा जाए. शिखर वार्ता के साझा बयान में आसियान-चीन संबंधों को सबसे गतिशील और आसियान की सभी संवाद साझेदारी में पारस्परिक रूप से सबसे लाभकारी साझेदारी बताया गया. ये संबंध 1997 के साझा बयान, 2003 में सामरिक साझेदारी पर साझा घोषणा और 2018 में अपनाए गए 2030 के लिए सामरिक साझेदारी पर दृष्टिकोण के द्वारा निर्देशित है. प्रस्तावना में क्षेत्रीय सुरक्षा संरचना में आसियान की अग्रणी भूमिका और इंडो-पैसिफिक पर आसियान के दृष्टिकोण के समावेशी सिद्धांत को मान्यता दी गई है. 31 पैराग्राफ के साझा बयान में चीन-आसियान के संपूर्ण संबंधों, राजनीतिक-सुरक्षा सहयोग, आर्थिक, और सामाजिक-सांस्कृतिक सहयोग का जिक्र है. बयान का मुख्य संदेश ये है कि आसियान की केंद्रीयता को बरकरार रखा जाए और इंडो-पैसिफिक पर आसियान के दृष्टिकोण में चिन्हित चार क्षेत्रों में सहयोग की कोशिश जारी रखी जाए.

‘बीआरआई के साथ पारस्परिक रूप से लाभकारी सहयोग’ को शामिल किया गया है. आसियान की व्यापक बहाली की रूपरेखा को चीन के समर्थन पर ज़ोर दिया गया है. इसमें रक्षा आदान-प्रदान को बढ़ाने का प्रस्ताव है. दक्षिण-पूर्व एशिया को परमाणु हथियारों से मुक्त रखने का एक विशेष पैराग्राफ शायद ऑकस की तरफ़ इशारा करता है, जिससे कि आसियान के कुछ देश सहज नहीं हैं. एक लंबे पैराग्राफ में अंतर्राष्ट्रीय् क़ानून का अनुमोदन किया गया है जिसमें यूएनसीएलओएस (संयुक्त राष्ट्र समुद्री क़ानून संधि) शामिल है. पारस्परिक विश्वास को बढ़ाने और दक्षिणी चीन सागर में शांति बरकरार रखने की पुष्टि की गई है; जहाज़ों और विमानों के आवागमन की स्वतंत्रता और किसी भी गतिविधि में ताक़त की धमकी या ताक़त के इस्तेमाल के बिना आत्म संयम इसमें लिखित है. ये दिलचस्प है क्योंकि इसमें आगे आचार संहिता पर घोषणापत्र को लागू करने की बात की गई है जो अभी भी लागू है. साथ ही पारस्परिक रूप से सहमत लेकिन अनिश्चित समय के भीतर 1982 के संयुक्त राष्ट्र समुद्री क़ानून संधि के अनुसार एक असरदार और वास्तविक आचार संहिता पर जल्द अंतिम निर्णय के बारे में सोचा गया है. विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) और क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक साझेदारी (आरसीईपी) जैसे बहुपक्षीय व्यापार प्रणाली का स्वागत किया गया है. बीआरआई के संबंध में आसियान कनेक्टिविटी पर मास्टर प्लान (एमपीएसी) 2025 को चीन का समर्थन दोहराया गया है. एशियन इंफ्रास्ट्रक्चर इनवेस्टमेंट बैंक (एआईआईबी) से समर्थन का ख़ास तौर पर जिक्र किया गया है. कोविड से जुड़ी सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रक्रियाओं एवं बहाली और सामाजिक-सांस्कृतिक और लोगों के बीच आदान-प्रदान को बढ़ावा देने में आसियान-चीन सेंटर की सकारात्मक भूमिका की प्रशंसा की गई है.

बीआरआई के संबंध में आसियान कनेक्टिविटी पर मास्टर प्लान (एमपीएसी) 2025 को चीन का समर्थन दोहराया गया है. एशियन इंफ्रास्ट्रक्चर इनवेस्टमेंट बैंक (एआईआईबी) से समर्थन का ख़ास तौर पर जिक्र किया गया है.

बहुपक्षवाद के लिए प्रतिबद्धता और आसियान की केंद्रीयता के समर्थन के द्वारा एक समावेशी क्षेत्रीय रूप-रेखा वास्तव में महत्वपूर्ण है. शी ने अपने भाषण में जिक्र किया कि वो इनमें से ज़्यादातर सिद्धांतों का पालन करेंगे. उन्होंने ये भी कहा कि चीन पड़ोसी देशों को धौंस नहीं दिखाएगा या आधिपत्य नही जमाएगा. वो पड़ोसी देशों के साथ शांति के साथ रहेगा. लेकिन फिलिपींस के राष्ट्रपति ने अपने जहाज़ों और समुद्री क्षेत्रों के ख़िलाफ़ अतिक्रमण की शिकायत की. फिलिपींस के राष्ट्रपति दुतेर्ते ने कहा, “ये घटनाएं हमारे बीच संबंधों के मामले में ठीक नहीं हैं.”

आसियान के 200 देश चीन के संपर्क में

आसियान-चीन संबंध के 30वें साल के दौरान चीन अपनी आर्थिक क्षमताओं का इस्तेमाल साझेदारी को बढ़ाने में कर रहा है. साथ ही ट्रांस-पैसिफिक साझेदारी के लिए व्यापक और प्रगतिशील समझौते (सीपीटीपीपी) को चुनौती भी दे रहा है जिसका गठन चीन को बाहर रखने के लिए किया गया था लेकिन इसके बदले अमेरिका ने बाहर रखने का फ़ैसला लिया. आसियान के साथ चीन अपनी वो नीति दिखा रहा है जिसके अनुसार “एशिया वो जगह है जहां चीन को निश्चित रूप से अपनी प्रतिष्ठा या “सत्ता के लिए प्रसिद्धि” को स्थापित करना है.”

पिछले 30 वर्षों में चीन-आसियान के संबंधों में वृद्धि पर ध्यान देना महत्वपूर्ण है. इस दौरान व्यापार में 80 गुना बढ़ोतरी हुई और ये 8 अरब अमेरिकी डॉलर से बढ़कर 680 अरब अमेरिकी डॉलर पर पहुंच गया. 2009 से चीन आसियान का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है. महामारी के दौरान आसियान चीन का सबसे बड़ा साझेदार बन गया. 2021 के पहले छह महीनों में आसियान और चीन के बाच व्यापार में 48 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई. 140 अरब अमेरिकी डॉलर के साथ आसियान के साथ चीन का व्यापार उसके कुल वैश्विक व्यापार का 15 प्रतिशत है. वियतनाम और इंडोनेशिया से चीन के आयात में महत्वपूर्ण बढ़ोतरी हुई जो बढ़ते क्षेत्रीय सप्लाई चेन के बारे में बताता है. इलेक्ट्रॉनिक और विशेष तौर पर इंटिग्रेटेड सर्किट ने इस बढ़ोतरी में योगदान दिया. चीन ने 2020 में 14.9 अरब अमेरिकी डॉलर के इंटिग्रेटेड सर्किट का आयात किया.

2009 से चीन आसियान का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है. महामारी के दौरान आसियान चीन का सबसे बड़ा साझेदार बन गया. 2021 के पहले छह महीनों में आसियान और चीन के बाच व्यापार में 48 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई.

2010 से 2019 के बीच आसियान में चीन के प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) में 185 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई और ये 3.6 अरब अमेरिकी डॉलर से बढ़कर 9.1 अरब अमेरिकी डॉलर पर पहुंच गया. आसियान की एफडीआई में चीन का योगदान 5.7 प्रतिशत है. 2019 में अमेरिका, जापान और ईयू के बाद चीन आसियान में एफडीआई का चौथा सबसे बड़ा स्रोत है. महामारी से पहले एक-दूसरे के क्षेत्र में आने-जाने वाले लोगों की संख्या 6.5 करोड़ को पार कर गई. उस वक़्त चीन और आसियान के बीच हर हफ़्ते क़रीब 4,500 विमान उड़ रहे थे. आसियान के क़रीब 200 शहरों का चीन के शहरों के साथ संबंध है. 2017 को आसियान-चीन पर्यटन सहयोग वर्ष के रूप में घोषित किया गया था और 2018 को 4.0 औद्योगिक क्रांति के तहत सहयोग बढ़ाने के लिए आसियान-चीन इनोवेशन वर्ष के रूप में मान्यता दी गई थी. इसी तरह 2019 आसियान-चीन मीडिया आदान-प्रदान वर्ष और 2020 डिजिटल परिवर्तन, इंफ्रास्ट्रक्चर, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, बिग डाटा, स्मार्ट सिटी को बढ़ावा देने और कोविड-19 के प्रकोप से राहत देने में डिजिटल तकनीकों के इस्तेमाल के लिए आसियान-चीन डिजिटल आर्थिक सहयोग वर्ष घोषित किया गया.

आसियान की तरफ़ चीन की नीति को वर्तमान में महामारी के बाद की दुनिया के लिए काम करते हुए देखा जा सकता है. ‘सक्रिय सहयोग और गठबंधन निर्माण’ और ‘घेरे वाली कूटनीति’ उनकी मुख्य नीति बन गई है. विश्व निश्चित रूप से इंडो-पैसिफिक, ख़ास तौर पर आसियान पर ध्यान दे रहा है. क्वॉड शिखर वार्ता का साझा बयान इस पर स्पष्ट है. चीन एक संगठित तरीक़े से आगे है. उसने एक व्यापक चौतरफ़ा कोशिश की है.

आसियान को प्राथमिकता

चीन की विदेश नीति में आसियान एक प्राथमिकता है. इसे बनाए रखने के लिए चीन आसियान के साथ आर्थिक साझेदारी को बढ़ावा देता है. आसियान को प्राथमिकता देते समय चीन उसको प्रभावित करता है कि उनका सहयोग व्यावहारिक और परस्पर हित में है. चीन कम्युनिस्ट पार्टी की स्थापना की 100वीं वर्षगांठ का इस्तेमाल अपने बाज़ारों को खोल कर और आसियान के लिए आर्थिक प्रोत्साहन प्रदान करके एक बेहतर विकास के सांचे का निर्माण करने में नेतृत्व को बढ़ावा देने में कर रहा है. व्यापक सामरिक साझेदारी आसियान को बीआरआई, आचार संहिता और चीन के साथ उनकी 50 साझेदारियों के मज़बूत सांचे के ज़रिए आसियान को उलझा देगी. वैसे तो चीन समावेशी दृष्टिकोण की इच्छा रखता है लेकिन उसकी तमाम कोशिशें दूसरों से अलग हैं. ये आसियान पर निर्भर करता है कि वो इस क्षेत्र का भविष्य चीन को तय करने की छूट देने के बदले खुला रखे. आसियान अक्सर चीन के आधिपत्य को चुनौती देने में पीछे की तरफ़ हटता हुआ दिखाई देता है क्योंकि ऐसा करने से मौजूदा ‘स्थायित्व’ को झटका लगेगा.

आसियान के कई देशों ने अपने द्वीपीय क्षेत्र को चीन के हाथों गंवाया है और अपने समुद्र में अवैध ढंग से मछली पकड़ने का सामना किया है लेकिन इसके बावजूद वो आशावादी हैं.

साझेदारी की भावना

बड़ी चुनौतियों को साझेदारी की भावना से निपटाना, कोविड-19 की महामारी से निपटना आपदा प्रबंधन के क्षेत्र में चीन के द्वारा आसियान को प्रदान किया गया सबसे ताज़ा समर्थन है. कोविड के ख़िलाफ़ लड़ाई में चीन को एक असरदार साझेदार और विश्वसनीय दोस्त समझा जाता है. एक ऐसे क्षेत्र में जहां चीन ने कई समुद्री संसाधनों, जिनमें क्षेत्र भी शामिल है, पर कब्ज़ा किया है, वहां इस तरह का स्पष्ट विश्वास हासिल करना चीन के लिए एक फ़ायदा है. यह उनके संबंधों को तय करने के लिए एशियाई मूल्यों की अपील करता है. ये थाईलैंड और म्यांमार के विद्रोह में सहमति को स्वीकार करता है. आसियान अपनी घरेलू राजनीति में चीन के दखल नहीं देने वाले बर्ताव से ख़ुश दिखाई देता है. इसके लिए आसियान अक्सर आर्थिक दमखम और छिपे हुए कर्ज़ में बढ़ोतरी को स्वीकार करने के लिए तैयार है.

व्यापार और निवेश के लिए फ़ायदे

आसियान मानता है कि चीन-आसियान मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) और आने वाली क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक साझेदारी (आरसीईपी) से उसे फ़ायदा होगा. उसे भारत की तरह आशंका नहीं है. आसियान और चीन ने 2002 में आसियान-चीन मुक्त व्यापार क्षेत्र (एसीएफटीए) पर हस्ताक्षर किए. उन्होंने एसीएफटीए में सुधार किया और वैल्यू चेन के लिए संपर्क को विकसित किया जो अमेरिका और यूरोप का मुक़ाबला कर सकता है. आज आसियान के देश चीन के लिए रीजनल वैल्यू चेन (आरवीसी) से जुड़ी एफडीआई आकर्षित करते हैं, साथ ही क्वॉड के साझेदारों से भी. चीन आसियान में जिन क्षेत्रीय उत्पादन केंद्रों पर विचार कर रहा है, उनमें वैक्सीन के लिए एक साझा उत्पादन केंद्र शामिल है. आसियान में व्यापक बहाली की रूप-रेखा पर ध्यान देते हुए चीन अपने 5जी और उससे आगे के उद्देश्य को जारी रखे हुए है. चीन का इरादा अपनी डिजिटल तकनीक के लिए आसियान को मुख्य बाज़ार बनाए रखना है. क्वॉड इस मामले में चीन को चुनौती देने का इरादा रखता है लेकिन चीन उससे काफ़ी आगे हैं.

परस्पर सम्मान विकसित करना चाहिए

चीन की समझ है कि क्षेत्रीय शांति और स्थायित्व को सुरक्षित रखने की आकांक्षा साझा है. आचार संहिता पर चीन के द्वारा कई वर्षों तक कुछ न करने के बावजूद आसियान को लगता है कि हताशा जताने के बदले उम्मीद रखनी चाहिए.

ये हैरान करने वाला है. आसियान के कई देशों ने अपने द्वीपीय क्षेत्र को चीन के हाथों गंवाया है और अपने समुद्र में अवैध ढंग से मछली पकड़ने का सामना किया है लेकिन इसके बावजूद वो आशावादी हैं. आचार संहिता को लेकर बातचीत जितनी लंबी खिंचती है, आसियान उतना ज़्यादा संतुष्ट दिखाई देता है. इसकी तुलना आप भारत-चीन सीमा वार्ता से कीजिए. चीन, जो कि इंडो-पैसिफिक और क्वॉड की नीतियों का आलोचक है, इंडो-पैसिफिक पर आसियान के दृष्टिकोण को लेकर अपनी सोच में सौम्य है. आसियान की नीति स्थापित होने के बाद चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने 2019 में मीडिया से कहा कि चीन क्षेत्रीय सहयोग का हिस्सा है और ‘आसियान की मूल स्थिति का पालन कर रहा है’. चीन आचार संहिता की अपेक्षा का इस्तेमाल आसियान को शांत रखने में करना चाहता है और आसियान के दूसरे साझेदारों की ‘एकतरफ़ा कार्रवाई’ से परहेज करना चाहता है.

शिखर वार्ता एक परछाई वाले नाटक की तरह लगता है ताकि वैश्विक संतुलन में बदलाव को देखते हुए एकीकृत दृष्टिकोण को पेश किया जा सके. आसियान-चीन अंतर्विरोध इस उम्मीद में छिपा हुआ है कि आज नहीं तो कल इसका समाधान होगा. 

मूल्यांकन

शिखर वार्ता एक परछाई वाले नाटक की तरह लगता है ताकि वैश्विक संतुलन में बदलाव को देखते हुए एकीकृत दृष्टिकोण को पेश किया जा सके. आसियान-चीन अंतर्विरोध इस उम्मीद में छिपा हुआ है कि आज नहीं तो कल इसका समाधान होगा. लेकिन लंबे वक़्त के लिए आसियान के वार्ताकारों को विश्वास है कि इसने चीन-आसियान साझेदारी में विविधता के लिए एक माहौल तैयार किया है. ये और मज़बूत हो सकता है. मध्य अवधि के लिए आसियान के भीतर एक उपलब्धि की भावना है कि चीन इंडो-पैसिफिक को लेकर आसियान के दृष्टिकोण और उसके सिद्धांतों के साथ गया है. ये महत्वपूर्ण है क्योंकि चीन इंडो-पैसिफिक के संदर्भों का समर्थन करने से बचता है.

आसियान के लिए एक तात्कालिक चिंता थी कि चीन म्यांमार को लेकर उसके फ़ैसले का पालन करता है या नहीं. चीन की कोशिशों के बावजूद आसियान इस बात को लेकर संतुष्ट है कि म्यांमार की अनुपस्थिति बरकरार रही.

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