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जैसे-जैसे जॉर्जिया यूरोपियन यूनियन (EU) का सदस्य होने के करीब बढ़ता जा रहा है, वैसे-वैसे इस दक्षिण कोकेशियान गणराज्य में हलचल बढ़ती जा रही है. 15 दिसंबर को EU ने अपनी सदस्यता के लिए जॉर्जिया के आवेदन को आगे बढ़ाते हुए उसे कैंडिडेट (उम्मीदवार) का दर्जा दे दिया. इस तरह EU ने रूस के आक्रमण की काली छाया का सामना कर रहे पूर्वी यूरोप और कोकेशियान के देशों के लिए समर्थन जताया. हालांकि, यूरोपियन यूनियन में जॉर्जिया की संभावित सदस्यता को लेकर चुनौतियां बनी हुई हैं. ये चुनौतियां न सिर्फ रूस- जिसके साथ जॉर्जिया पहले जुड़ा हुआ थाा- से हैं बल्कि जॉर्जिया के भीतर से भी हैं.
2014 में दोनों देशों के बीच वीज़ा-फ्री यात्रा समेत सीधी विमान सेवा की फिर से शुरुआत हुई. बड़े पैमाने पर द्विपक्षीय व्यापार ने रूस के साथ तनाव को कम करने में और मदद की.
यूरोप के साथ एकीकरण की मांग जॉर्जिया में नई नहीं है. अतीत के सोवियत संघ के विघटन के समय से रूस विरोधी भावना ने जॉर्जिया की राजनीति की रूप-रेखा को निर्धारित किया है. 90 के दशक के उत्तरार्ध से लेकर नई शताब्दी की शुरुआत तक नॉर्थ अटलांटिक ट्रीटी ऑर्गेनाइज़ेशन (नेटो) का तेज़ी से विस्तार हुआ और जॉर्जिया ने सक्रिय तौर पर इसकी सदस्यता की मांग की. जॉर्जिया के द्वारा लक्ष्मण रेखा पार करने की संभावना को देखते हुए कथित नरसंहार का बहाना बनाकर रूस की सेना को विवादित क्षेत्रों- दक्षिण ओसेशिया और अबकाज़िया- में भेजा गया और रूस ने दोनों क्षेत्रों में संप्रभुता के दावे का समर्थन किया. उस समय से जॉर्जिया की सत्ता में बैठे राजनेताओं ने अपने यूरोपियन एकीकरण की महत्वाकांक्षा को सावधानीपूर्वक आगे बढ़ाया है.
2014 में उन्होंने EU के साथ दोस्ती के एक समझौते पर हस्ताक्षर किए. इसके साथ-साथ जॉर्जिया की सत्ता में बैठे राजनेताओं ने रूस के साथ अपने संबंधों को फिर से मज़बूत करने पर ध्यान दिया. 2014 में दोनों देशों के बीच वीज़ा-फ्री यात्रा समेत सीधी विमान सेवा की फिर से शुरुआत हुई. बड़े पैमाने पर द्विपक्षीय व्यापार ने रूस के साथ तनाव को कम करने में और मदद की. 2022 की तुलना में 2023 में रूस से जॉर्जिया का आयात 79 प्रतिशत बढ़कर 1.8 अरब अमेरिकी डॉलर हो गया. वहीं इसी साल रूस को जॉर्जिया के निर्यात में 32 प्रतिशत का इज़ाफा हुआ. रूस के साथ संबंध सामान्य होने के बावजूद यूरोपियन यूनियन में शामिल होने की इच्छा रखने वाले लोगों की संख्या साल दर साल बढ़ती रूस विरोधी भावनाओं के अनुपात में बढ़ी. लेकिन जॉर्जिया की सत्ता में बैठे राजनेता ये सोच नहीं रखते हैं. वो यूरोपियन यूनियन में शामिल होने के साथ-साथ उत्तर अमेरिका के साथ यूरोप के सहयोग के भविष्य को लेकर बात करते हैं और नेटो की सदस्यता की इच्छा रखने के बावजूद रूस-यूक्रेन युद्ध को सही बताते हैं और इस युद्ध के लिए यूक्रेन की नेटो सदस्यता की आकांक्षा को ज़िम्मेदार ठहराते हैं. साथ ही वो बड़े पैमाने पर EU विरोधी बयानबाज़ी करते हैं और रूस के साथ रिश्ते बनाए हुए हैं. जॉर्जिया की सत्ताधारी जॉर्जियन ड्रीम पार्टी के लिए EU की तय शर्तों को स्वीकार करना और उन्हें लागू करना एक चुनौती हो सकती है क्योंकि उसके कुछ राजनीतिक हित जॉर्जिया के लोगों की यूरोपीय-अटलांटिक आकांक्षा के साथ टकराते हैं.
रूस के साथ बढ़ता मेल-जोल जॉर्जिया की EU सदस्यता के लिए एक चिंता की बात है. इसके साथ कनेक्टिविटी भी एक मुद्दा होगी क्योंकि EU के किसी सदस्य देश के साथ जॉर्जिया की सीमा नहीं लगती है और बुल्गारिया का शहर कपितन सबसे नज़दीकी EU इलाका है जो कि 1,500 किलोमीटर दूर स्थित है.
वर्तमान में जॉर्जिया EU की विदेश और सुरक्षा नीति का 43% पालन करता है. इसको बढ़ाने के उद्देश्य से EU ने जॉर्जिया की सदस्यता के लिए नौ शर्तें निर्धारित की. इन शर्तों में दुष्प्रचार और विदेशी दखल का मुकाबला करने से लेकर जॉर्जिया की विदेश नीति को EU की विदेश नीति के अनुरूप करना, जॉर्जिया के लोकतांत्रिक संस्थानों को मज़बूत करना, वेनिस कमीशन की सिफारिशों को लागू करना और जॉर्जिया की अर्थव्यवस्था के अलग-अलग क्षेत्रों को चुनिंदा कारोबारियों के “कब्ज़े से मुक्त करना” शामिल हैं.
जॉर्जिया की सत्ता पर काबिज राजनेता इन सुधारों को लागू करने में सुस्त हैं. ये स्थिति तब है जब 2022 में जॉर्जिया के 89 प्रतिशत लोग यूरोपियन यूनियन में शामिल होना चाहते थे. ये लोगों की आकांक्षाओं और सत्ता में बैठे राजनेताओं के बीच विरोधाभास को दिखाता है. वैसे EU के लिए जॉर्जिया के पास आर्थिक रूप से बहुत कुछ देने को नहीं है जबकि जॉर्जिया के शामिल होने से EU के कमज़ोर होने का ख़तरा है क्योंकि उसकी GDP EU के सबसे ग़रीब सदस्य बुल्गारिया की आधी है. हालात इस वजह से और भी ख़राब होते हैं कि जॉर्जिया EU के किसी सदस्य देश के साथ सीमा साझा नहीं करता है. एक सामान्य स्थिति में भी EU में शामिल होने की जॉर्जिया की योजना एक बेहद कठिन काम है और इस पूरी प्रक्रिया में औसतन नौ साल लग जाते हैं. जॉर्जिया के EU में शामिल होने के लिए जॉर्जियन ड्रीम पार्टी और EU की पर्यवेक्षण समितियों (ओवरसाइट कमेटी) को सुधार लाने की दिशा में तेज़ी से काम करने की आवश्यकता होगी. इन सुधारों में जॉर्जिया को रूस के असर से दूर करना शामिल है.
रूस से अलग होने में जॉर्जिया को मुश्किल होगी क्योंकि रूस का असर जॉर्जिया में लगातार बढ़ता जा रहा है. 2022 में रूस की 15,000 से ज़्यादा कंपनियां जॉर्जिया में रजिस्टर हुईं जो 2021 की तुलना में 16 गुना ज़्यादा है. आर्थिक संबंधों की बात करें तो यूक्रेन पर रूस के हमले के समय से जॉर्जिया को रूस के निर्यात में काफी तेज़ी आई है और जॉर्जिया में रूस की ऊर्जा का हिस्सा 51 प्रतिशत हो गया है. जॉर्जिया ने रूस से 482 मिलियन अमेरिकी डॉलर के पेट्रोलियम उत्पादों का आयात किया है जबकि रूस से गैस के आयात में 32 प्रतिशत और कोयला के आयात में 157 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है और इसकी कीमत 70 मिलियन अमेरिकी डॉलर हो गई है. 2021 से रूस से आने वाले लोगों की संख्या में 20 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है.
रूस के साथ बढ़ता मेल-जोल जॉर्जिया की EU सदस्यता के लिए एक चिंता की बात है. इसके साथ कनेक्टिविटी भी एक मुद्दा होगी क्योंकि EU के किसी सदस्य देश के साथ जॉर्जिया की सीमा नहीं लगती है और बुल्गारिया का शहर कपितन सबसे नज़दीकी EU इलाका है जो कि 1,500 किलोमीटर दूर स्थित है. इस दूरी और बुल्गारिया से 50 प्रतिशत कम GDP पर विचार करते हुए आर्थिक रूप से जॉर्जिया के पास EU के सामने पेश करने के लिए बहुत कुछ नहीं है. यूक्रेन में युद्ध ने EU-रूस के रिश्ते को और ख़राब किया है और रूस के साथ जॉर्जिया का व्यापार एवं जॉर्जिया में धीरे-धीरे बढ़ रहा रूस का प्रभाव EU के लिए समस्या होगी.
EU का विस्तार न सिर्फ़ मल्टी-स्पीड यूरोप- यानी ऐसा EU जहां उसके अलग-अलग देश अपनी राजनीतिक स्थिति के आधार पर विभिन्न स्तरों और गति से एकीकृत होते हैं - की नींव रखेगा बल्कि रूस को और हमलों के लिए भड़का भी सकता है.
रूस के अलावा जॉर्जिया में चीन का धीरे-धीरे बढ़ रहा असर भी परेशानी की वजह बनेगा. चीन की बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव के लिए जॉर्जिया एक अहम केंद्र है. अनाकिला डीप सी पोर्ट, मिडिल कॉरिडोर, बाकू-तिबलिसी-कार्स रेलवे जैसे परियोजनाओं और दोनों देशों के बीच हस्ताक्षर किए गए मुक्त व्यापार समझौते ने सहयोग को तेज़ किया है. मेल-जोल का ये स्तर EU के लिए चिंता का विषय हो सकता है क्योंकि EU और उसके कई सदस्य देश चीन के साथ अपने संबंधों को नया रूप देने की प्रक्रिया में जुटे है.
EU के सवाल पर जॉर्जिया के राजनेता बंटे हुए हैं. जॉर्जिया के पूर्व प्रधानमंत्री और जॉर्जियन ड्रीम पार्टी के संस्थापक बिदज़िना इवानिशविली एक बहुत बड़े कारोबारी हैं जिन्होंने रूस के पूर्व राष्ट्रपति बोरिस येल्तसिन के सत्ता में रहने के दौरान भारी मात्रा में धन इकट्ठा किया और जॉर्जिया को पश्चिमी देशों की राह से अलग किया. दूसरी तरफ EU के समर्थक राष्ट्रपति सलोम ज़ूराबिचविली को ड्रीम पार्टी का बिना शर्त समर्थन हासिल नहीं है और जब उन्होंने जॉर्जिया की EU सदस्यता को लेकर यूरोप के अलग-अलग देशों का दौरा किया तो उनके ख़िलाफ़ महाभियोग प्रस्ताव का ख़तरा पैदा हो गया. महाभियोग के लिए देश की संवैधानिक अदालत के ख़िलाफ़ काम करने को आधार बनाया गया.
जॉर्जिया के सामने EU की सदस्यता की अपनी कोशिश को रूस के दुस्साहस के ख़तरे के साथ संतुलित करने की चुनौती है. इसकी वजह से जॉर्जिया अपने उत्तरी क्षेत्रों में रूस की संभावित प्रतिक्रिया को टालने के लिए सतर्क रवैया अपना रहा है.
EU का विस्तार न सिर्फ़ मल्टी-स्पीड यूरोप- यानी ऐसा EU जहां उसके अलग-अलग देश अपनी राजनीतिक स्थिति के आधार पर विभिन्न स्तरों और गति से एकीकृत होते हैं - की नींव रखेगा बल्कि रूस को और हमलों के लिए भड़का भी सकता है. यही वजह है कि जॉर्जिया की सत्ता में बैठे राजनेता सावधानी से EU में शामिल होने के सवाल से निपट रहे हैं. जैसे-जैसे जॉर्जिया सुस्त रफ्तार से EU की तरफ बढ़ रहा है, वैसे-वैसे जॉर्जियन ड्रीम पार्टी इस साल अक्टूबर में होने वाले चुनाव में जीत को लेकर आश्वस्त हो रही है. जहां तक बात EU में जॉर्जिया के लंबे समय के भविष्य की है तो इसका जवाब समय ही देगा.
राजोली सिद्धार्थ जयप्रकाश ऑब्ज़र्वर रिसर्च फाउंडेशन के स्ट्रैटजिक स्टडीज़ प्रोग्राम में रिसर्च इंटर्न हैं.
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Rajoli Siddharth Jayaprakash is a Junior Fellow with the ORF Strategic Studies programme, focusing on Russia’s foreign policy and economy, and India-Russia relations. Siddharth is a ...
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