Author : Dharmil Doshi

Published on Jan 10, 2024 Updated 0 Hours ago

मज़बूत नियामक ढांचे और पूंजी बाज़ारों का और दोहन करने के साथ, इनवाइट्स बुनियादी ढांचा वित्तपोषण का आदर्श मार्ग बनने की अधिक से अधिक संभावना दर्शा रहे हैं. 

भारत में बुनियादी ढांचे में वित्तपोषण की कमी दूर करने के लिए इनवाइट्स का पूंजीकरण

भारत के आर्थिक विकास के लिए आने वाले दशकों में महत्वपूर्ण माने जाने वाले बुनियादी ढांचे के विकास के लिए 2030 तक अनुमानित 4.5 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर के निवेश की आवश्यकता होगी. इंफ़्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट ट्रस्ट (इनवाइट्स- InvITs) जो सड़क, राजमार्ग, बिजली संयंत्र, पाइपलाइन, गोदाम आदि जैसे बुनियादी ढांचे की संपत्तियों का प्रबंधन करते हैं और दीर्घकालिक रियायतों के माध्यम से निरंतर नक़दी प्रवाह के साथ नियमित आय प्रदान करते हैं, भारत के लिए बेहद ज़रूरी बुनियादी ढांचे के विकास के लिए विदेशी निवेश को बढ़ावा दे सकते हैं. हालांकि, भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) के 2014 के विनियमों और निवेशकों की बढ़ती रुचि के बावजूद, इनवाइट्स को लेकर भारत की प्रगति तुलनात्मक रूप से शुरुआती स्तर पर ही है. 

इनवाइट्स संयुक्त राज्य अमेरिका, सिंगापुर, ऑस्ट्रेलिया और हांगकांग जैसे कई विकसित देशों में मास्टर-बिज़नेस ट्रस्ट साधनों के समान हैं. विश्व स्तर पर इन साधनों की लगभग 400 लिस्टिंग का कुल निवेश मूल्य एक ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक है. 

इनवाइट्स का ढांचा 

इनवाइट्स संयुक्त राज्य अमेरिका, सिंगापुर, ऑस्ट्रेलिया और हांगकांग जैसे कई विकसित देशों में मास्टर-बिज़नेस ट्रस्ट साधनों के समान हैं. विश्व स्तर पर इन साधनों की लगभग 400 लिस्टिंग का कुल निवेश मूल्य एक ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक है. अमेरिका में यील्डकोस और मास्टर लिमिटेड पार्टनरशिप जैसे साधनों ने बुनियादी ढांचे की संपत्तियों में संस्थागत निवेश को सुगम बनाया है. भारत के 22 पंजीकृत इनवाइट्स को विभिन्न व्यापारिक प्लेटफॉर्मों, जैसे कि स्टॉक एक्सचेंजों पर, सूचीबद्ध किया जा सकता है. 

एक इनवाइट्स की चार प्राथमिक भूमिकाएँ होती हैं: 1) ट्रस्टी, 2) प्रायोजक, 3) निवेश प्रबंधक, और 4) परियोजना प्रबंधक. ट्रस्टी को सेबी में अनिवार्य रूप से पंजीकृत होना चाहिए और राजस्व-सृजन करने वाली बुनियादी ढांचा संपत्तियों में कम से कम 80 प्रतिशत निवेश करना चाहिए. प्रायोजक वे कॉरपोरेट या कंपनियां वाले निकाय होते हैं जिनकी कुल संपत्ति कम से कम 100 करोड़ रुपये हो और इनवाइट्स में तीन साल की लॉक-इन अवधि या जो भी समय तय किया गया हो, के साथ उनकी 15 प्रतिशत हिस्सेदारी हो. निवेश प्रबंधक परिचालन गतिविधियों की देखरेख करते हैं, जबकि परियोजना प्रबंधक आमतौर पर परियोजना के निष्पादन को संभालते हैं. 

ढांचागत परियोजनाओं का पारंपरिक वित्तपोषण बनाम इनवाइट्स की नक़दी प्रवाह संभावनाएं 

यद्यपि  "पारंपरिक" ढांचागत वित्तपोषण चैनल मज़बूत और विविध होते हैं - जिनमें सार्वजनिक-निजी भागीदारी (पीपीपी) अनुबंधों में सरकारी वित्तपोषण शामिल होता है - इक्विटी बाज़ारों, ऋण प्रतिभूतियों और बैंकों और गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफ़सी) द्वारा दिए जाने वाले ऋण पर निर्भर रहते हैं और उनमें इनवाइट्स की अनुकूलन क्षमता का अभाव होता है. इनमें कई तरह के जोखिम भी होते हैं, जैसे परियोजना का ग़लत मूल्य निर्धारण, क्रेडिट रेटिंग के कारण खाते की प्रतिकूलता और दीर्घकालिक पूंजी-संग्रह रणनीतियों का अभाव. इसके अलावा, तरलता की कमी, सीमित प्रोत्साहन और कॉर्पोरेट ऋण बाज़ार में गहराई के कारण परियोजनाएं अक्सर ठप हो जाती है. 

दूसरी ओर, इनवाइट्स विशेष ख़रीद साधनों (एसपीवी) में दीर्घकालिक इक्विटी और ऋण निवेश विकल्प प्रदान करने के लिए तैयार किए जाते हैं. इनवाइट-वाली परियोजनाओं द्वारा उत्पन्न नक़दी को यूनिटधारकों को लाभांश, ब्याज़ और परियोजनाओं को दिए गए ऋणों के पुनर्भुगतान के माध्यम से वितरित किया जाता है. इस प्रकार, इनवाइट निवेशक दीर्घकालिक परिसंपत्ति निवेश में शामिल होते हैं जबकि दीर्घकालिक पूंजी सार को बनाए रखते हैं. यह मिश्रण निजी इक्विटी और रणनीतिक निवेशकों की अपेक्षाओं के बीच के अंतर को कम करता है. यह लंबी अवधि के निवेशकों द्वारा अधिग्रहण से पहले निजी इक्विटी और अन्य पूंजी स्रोतों से अल्पकालिक वित्तपोषण को सक्षम बनाता है, जिससे लंबी अवधि की पूंजी के साथ परिसंपत्ति विकास सुनिश्चित होता है. 

जोख़िम मूल्यांकन: निवेशकों को प्रोत्साहित करना 

इनवाइट्स के तहत परिसंपत्तियों के पास अक्सर दीर्घकालिक रियायत समझौते या अंतर्निहित समझौते होते हैं जो स्थिर, दीर्घकालिक नक़दी प्रवाह प्रदान करते हैं. यूनिटधारक बनने पर निवेशक, नई संपत्ति प्राप्त करने या उधार लेने, निवेश प्रबंधक और प्रायोजकों की नियुक्ति या उन्हें बदलने के मामलों पर मतदान कर सकते हैं और यदि कोई विवाद पैदा होता है तो बाहर निकल सकते हैं. उन्हें वार्षिक रिपोर्ट, मूल्यांकन रिपोर्ट, त्रैमासिक/अर्ध-वार्षिक वित्तीय रिपोर्ट इत्यादि जैसे सामयिक प्रकाशन प्राप्त होते हैं. ये सुविधाएं रियल एस्टेट या बुनियादी ढांचे में प्रत्यक्ष निवेश की तुलना में इनवाइट इकाइयों में निवेश को अधिक सुरक्षित बनाती हैं. 

वितरण के दृष्टिकोण से, आवर्ती आय को प्राथमिकता देने वाले निवेशक निरंतर नक़दी प्रवाह संरचना के कारण इनवाइट में निवेश कर सकते हैं. मुद्रास्फ़ीति से प्रभावित न होने वाली, अंतर्निहित परिसंपत्ति की क्रिया से निकली, यह आय मुद्रास्फ़ीति से बचाव भी करती है. 

हालांकि, इन फ़ायदों के बावजूद, इनवाइट्स जोखिम-मुक्त नहीं होते हैं. उदाहरण के लिए, प्रारंभिक सार्वजनिक पेशकश (आईपीओ) के अधिक मूल्यांकन का जोखिम और परियोजना की लंबी अवधि के कारण वास्तविक नक़दी प्रवाह के सापेक्ष परियोजना के मार्ग से भटकने की अधिक संभावना होती है. इसके अतिरिक्त, इनवाइट्स के खिलाड़ी खुदरा निवेशकों के लिए बहुत कम या कोई जगह नहीं छोड़ते हैं. शेयर बाज़ार मे भागीदारी करने वाले एक इनवाइट द्वारा प्रदान किए जाने वाले "अनुमानित" नक़दी प्रवाह मुनाफ़े का मूल्यांकन करने के लिए बिल्कुल भी तैयार नहीं होते हैं.

इनवाइट्स ने इंफ्रास्ट्रक्चर फर्मों की बैलेंस शीट को सुव्यवस्थित किया है, इक्विटी जारी की है और बैंकों से ऋण कम किया है, इसने बैंकिंग क्षेत्र के स्वास्थ्य में सुधार किया है और इन्फ़्रास्ट्रक्चर कंपनियों के लिए नई परियोजनाओं के लिए उधार लेने की संभावना तैयार की है.

इनवाइट्स ने इंफ्रास्ट्रक्चर फर्मों की बैलेंस शीट को सुव्यवस्थित किया है, इक्विटी जारी की है और बैंकों से ऋण कम किया है, इसने बैंकिंग क्षेत्र के स्वास्थ्य में सुधार किया है और इन्फ़्रास्ट्रक्चर कंपनियों के लिए नई परियोजनाओं के लिए उधार लेने की संभावना तैयार की है. हालांकि, आशाजनक रिटर्न के बावजूद, इनवाइट्स को माध्यमिक बाज़ारों में उल्लेखनीय आकर्षण हासिल नहीं हो सका है, विशेष रूप से खुदरा निवेशकों के बीच और इसकी वजह प्राथमिक रूप से जोखिम मूल्यांकन के बारे में अनिश्चितता है. पहले दो सूचीबद्ध इनवाइट्स वर्तमान में अपने निर्गम मूल्य से नीचे कारोबार कर रहे हैं. खुदरा निवेशकों को आकर्षित करने के लिए, जारीकर्ता इनवाइट पूल में अधिक संपत्तियां जोड़ रहे हैं.

जारीकर्ता की चुनौतियां

इनवाइट्स उच्च-लागत वाले ऋणों के बोझ से दबी मौजूदा परियोजनाओं के लिए डेवलपरों को इक्विटी फंडिंग सुरक्षित करने का एक लागत-प्रभावी तरीका प्रदान करते हैं, जिससे प्रतिस्पर्धी दरों पर अतिरिक्त बैंक ऋण के लिए संभावना बनती है. यह वित्तीय व्यवस्था डेवलपर्स की फंसी हुई पूंजी को मुक्त करती है जिससे अन्य परियोजनाओं में उसका पुनर्निवेश किया जा सकता है.

लेकिन लंबी अवधि का यह खेल डेवलपरों और जारीकर्ताओं दोनों के लिए चुनौतियां प्रस्तुत करता है. एक इनवाइट को अस्थिर ब्याज दर परिदृश्य में प्रतिस्पर्धी रूप से मुनाफ़ा देने की क्षमता विकसित करनी चाहिए. जारीकर्ताओं को आकर्षक परिसंपत्ति मूल्यांकन प्राप्त करने के लिए संघर्ष करना पड़ सकता है. इनवाइट्स को अन्य फंडों/साधनों जैसे वैकल्पिक निवेश फंड (एआईएफ़) से भी प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ता है, जिनके परिचालन में लचीलापन अधिक होता है और जो अधूरे बुनियादी ढांचा परिसंपत्तियों में अबाधित निवेश कर सकते हैं.

इनवाइट्स विशिष्ट उद्योगों में अलग-अलग व्यापार चक्रों और विशिष्ट विशेषताओं के साथ घुसते हैं. उदाहरण के लिए, 25 साल के जीवनकाल के साथ सुरक्षित संचारण संपत्ति सबसे सुरक्षित बुनियादी ढांचा संपत्ति के रूप में देखी जाती है. नवीकरणीय ऊर्जा संपत्ति 20-25 वर्ष की अवधि तक फैली होती है, जिसमें पवन ऊर्जा की संपत्ति में सौर ऊर्जा संपत्ति से अधिक परिवर्तनशीलता होती है. हालांकि कई 'बुनियादी ढांचा' क्षेत्रों में विदेशी निवेश 100 प्रतिशत तक पहुंच सकता है, लेकिन कुछ ख़ास उप-क्षेत्रों (जैसे टेलीकॉम टावरों) में विदेशी निवेश को निर्धारित सीमा से अधिक करने के लिए क्षेत्र-विशेष के नियामकों से पहले अनुमोदन लेने की आवश्यकता होती है.

आगे का रास्ता 

हालांकि, इनवाइट्स अभी तक खुदरा निवेशकों को उत्साहित करने में कामयाब नहीं हो पाए हैं लेकिन आईआरबी इनवाइट्स और इंडिग्रिड ट्रस्ट जैसे शुरुआती इनवाइट्स ने विदेशी संस्थाओं में काफ़ी रुचि जगाई है. 2019 में, कनाडा के ब्रुकफील्ड एसेट मैनेजमेंट के इनवाइट्स ने 1,480 किलोमीटर लंबी ईस्ट-वेस्ट गैस पाइपलाइन का अधिग्रहण किया. इसका स्वामित्व पहले रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड के पास था. अधिग्रहण में इसके मालिक और ऑपरेटर, पाइपलाइन इन्फ़्रास्ट्रक्चर लिमिटेड (पीआईएल), में 100 प्रतिशत इक्विटी हिस्सेदारी शामिल थी. 

नियामक ढांचे को निवेशकों को आकर्षित करने और पेंशन और बीमा फंड साधनों जैसे मौजूदा भारतीय दीर्घकालिक पूंजी स्रोतों का दोहन करने के लिए अनुकूल होना चाहिए. इसे परियोजनाओं या नवीकरणीय ऊर्जा में बॉंड और बाहरी वाणिज्यिक ऋण (ईसीबी) की अनुमति देकर विदेशी ऋण पूंजी जुटाने में भी सहायता करनी चाहिए. केंद्रीय बजट 2021-22 ने विदेशी पोर्टफ़ोलियो निवेशकों (एफ़पीआई) को इनवाइट्स के ऋण-वित्त (डेब्ट-फ़ाइनेंस) की अनुमति दी. वाणिज्यिक ईसीबी पर वर्तमान सीमाओं से परे दीर्घावधि विदेशी ऋण पूंजी तक ऐसी पहुंच इनवाइट्स को एक निवेशक के लिए पसंदीदा विकल्प बना सकती है. दीर्घकालिक बांड बाज़ारों को मज़बूत कर और दीर्घकालिक विदेशी ऋण पूंजी की अनुमति देने से दीर्घकालिक और अल्पकालिक पहलुओं के बीच विसंगति को कम किया जा सकता है और रिटर्न को अधिक स्थिर बनाया जा सकता है. इसके अलावा, निवेशकों को इनवाइट्स रोलओवर के दौरान किसी ख़ास क्षेत्र को मिलने वाली अनुमतियों को लेन-देन के सबसे अनुकूल ढांचे के साथ  संरेखित करना चाहिए. 

मौद्रीकरण और नक़दी प्रवाह संभावनाएं 

इनवाइट्स ने अप्रैल 2022 से अक्टूबर 2023 तक लगभग 22,675 करोड़ रुपये मूल्य का धन जुटाया है. इनवाइट्स की सफलता निवेशकों की बढ़ती संख्या और मौद्रीकरण उपकरणों को बढ़ाने पर निर्भर करती है. सरकार को मौद्रीकरण की सुविधा के लिए उपयुक्त संरचनाओं के विकास को बढ़ाना चाहिए.

आशाजनक लगने के बावजूद, इनवाइट्स बुनियादी ढांचा वित्तपोषण का एकमात्र समाधान नहीं हैं, बल्कि विभिन्न निवेशकों की ज़रूरतों को पूरा करने वाला एक अनुकूलनीय उपकरण हैं.

राष्ट्रीय मौद्रीकरण योजना, जो वित्त वर्ष 2022 से वित्त वर्ष 2025 तक केंद्र सरकार की 6 ट्रिलियन रुपये की मुख्य संपत्तियों का मौद्रीकरण करने की आकांक्षा रखती है, को देखते हुए इनवाइट्स रफ़्तार हासिल कर रहे हैं. उदाहरण के लिए, पावर ग्रिड ने ट्रांस्मिशन परिसंपत्तियों से जुड़ी एक प्रारंभिक सार्वजनिक पेशकश (आईपीओ) की शुरुआत की, उसके बाद भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) ने एक छोटे परिसंपत्ति पूल के साथ एक इनवाइट को प्रायोजित किया. पारदर्शी मूल्य हासिल करने में इन पहलों की सफलता ने निवेश के और दौरों को प्रेरित किया है; हालांकि, पूर्वानुमानित नक़दी प्रवाह मुनाफ़ा (ऋण के समान) और संभावित विकास-संबंधी प्रोत्साहन (इक्विटी के समान) के बारे में जागरूकता पूंजी को इस हाइब्रिड मॉडल की दिशा में बढ़ा सकती है. 

बुनियादी ढांचा क्षेत्र में भारतमाला और सागरमाला जैसी बुनियादी ढांचा योजनाओं की सफलता सरकार के पीपीपी से पीएफ़आई (निजी रूप से वित्त पोषित बुनियादी ढांचा) परियोजनाओं की ओर स्थानांतरण पर निर्भर करती है. ये योजनाएं इनवाइट्स से लाभ उठा सकती हैं, जो प्रत्यक्ष वित्तीय बोझ को निजी भागीदारों तक पहुंचाते हैं, जिससे बैंक अपने मुख्य कार्य- वाणिज्यिक ऋण देने- में लगे रह सकते हैं. इसके अलावा बंधनमुक्त करना पूंजी बाज़ार को बुनियादी ढांचे में निवेश करने के लिए प्रोत्साहित करेगा. 

विकास को आगे बढ़ाने के साथ ही, इनवाइट्स निवेशकों को उच्च प्रतिफल के साथ बुनियादी ढांचा परियोजनाओं तक पहुंच प्रदान करते हैं. हालांकि, विकास प्रक्षेप-पथ की पड़ताल करना जटिल हो सकता है. 2024 के बजट से पहले, निवेशक बॉंड बाज़ार को गहरा करने के उपायों की आशा करते हैं, जिससे दीर्घकालिक ऋण के लिए विकल्पों को व्यापक बनाया जा सके. प्राथमिक निवेशक घरेलू और अंतरराष्ट्रीय पेंशन फंड और बीमा कंपनियां जैसे दीर्घकालिक संस्थाएं बनी रहेंगी.

मज़बूत नियामक ढांचे और पूंजी बाज़ारों का और दोहन करने के साथ, इनवाइट्स बुनियादी ढांचा वित्तपोषण का आदर्श मार्ग बनने की अधिक से अधिक संभावना दर्शा रहे हैं. आशाजनक लगने के बावजूद, इनवाइट्स बुनियादी ढांचा वित्तपोषण का एकमात्र समाधान नहीं हैं, बल्कि विभिन्न निवेशकों की ज़रूरतों को पूरा करने वाला एक अनुकूलनीय उपकरण हैं.


(धर्मिल दोषी ऑब्ज़र्वर रिसर्च फ़ाउंडेशन में एक रिसर्च असिस्टेंट हैं.) 

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