Author : Jaibal Naduvath

Published on Oct 25, 2023 Updated 0 Hours ago

ये धारणा बढ़ रही है कि कनाडा दुनिया भर के अपराधियों के लिए सुरक्षित ठिकाना है. इससे न सिर्फ कनाडा की अंतर्राष्ट्रीय प्रतिष्ठा धूमिल होती है बल्कि ये वहां के सामाजिक तानेबाने के लिए भी एक ख़तरा है.

जस्टिन ट्रूडो के नेतृत्व में ‘कनाडा’ का असमंजस!

पिछले दिनों के कूटनीतिक संकट ने कनाडा के सिस्टम को लेकर सीखने वाली रोशनी डाली है. सितंबर की शुरुआत में कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने आरोप लगाया कि सिख चरमपंथी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में भारत का हाथ है. इसके कुछ दिनों के बाद कनाडा उस समय एक और संकट में घिर गया जब उसने अपनी संसद (हाउस ऑफ कॉमन्स) में वॉफेन एसएस- नाज़ी पार्टी की एक लड़ाकू शाखा- के एक पूर्व सैनिक यरोस्लैव हुंकैन का सम्मान किया. हुंकैन के सम्मान ने रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को यूक्रेन के संघर्ष को लेकर नैरेटिव की लड़ाई में एक अप्रत्याशित जीत हासिल करने में मदद की क्योंकि पुतिन ने कहा कि यूक्रेन में रूस की कार्रवाई का मक़सद उसे ‘नाज़ी मुक्त’ करना है. लंबे समय से कनाडा अपने ताकतवर दक्षिणी पड़ोसी अमेरिका की छाया में अंतर्राष्ट्रीय टकटकी से बचा हुआ है. आसान शब्दों में कहें तो इसकी वजह से कनाडा बिना किसी महत्वपूर्ण झटके के अपने अलग-थलग नज़रिए को जारी रखने में सक्षम हुआ है. एक महाशक्ति का सबसे नज़दीकी सहयोगी होना और एक स्पष्ट रूप से परिभाषित कट्टर दुश्मन रूस एवं भारत और चीन जैसे उभरते देशों की कई तरह की विकास से जुड़ी चुनौतियों में फंसे रहने की वजह से ये समीकरण काम करता रहा. लेकिन तब से अब तक दुनिया के हालात बदल गए हैं और चुनौती देने वाले देश राजनीतिक तौर पर मज़बूत एवं आर्थिक महाशक्ति के तौर पर उभर गए हैं. इस बदलाव ने ज़मीनी हालात और खेल को पूरी तरह बदल दिया है क्योंकि ये देश तेज़ी से वैश्विक मंच पर अपना हक़ जता रहे हैं. लेकिन इस बदली हुई बाहरी वास्तविकता के साथ कनाडा तालमेल नहीं बिठा पाया है. इसके बदले कनाडा ने उल्टे रास्ते की तरफ बढ़कर प्रतिक्रिया दी है, वो अतीत की नुकसानदायक चीज़ों पर ठहरा हुआ है जिसकी वजह से वो बाकी दुनिया के साथ मतभेद के रास्ते पर चला गया है. 

एक महाशक्ति का सबसे नज़दीकी सहयोगी होना और एक स्पष्ट रूप से परिभाषित कट्टर दुश्मन रूस एवं भारत और चीन जैसे उभरते देशों की कई तरह की विकास से जुड़ी चुनौतियों में फंसे रहने की वजह से ये समीकरण काम करता रहा.

एकतरफा मिलन 

कनाडा अपनी उम्रदराज़ जनसंख्या और रिप्लेसमेंट से कम जन्म दर के लिए रामबाण की तरह  इमिग्रेशन पर बहुत ज़्यादा निर्भर है. आज के समय में कनाडा की कुल जनसंख्या में प्रवासियों (इमिग्रेंट्स) का हिस्सा करीब-करीब एक-चौथाई है. चूंकि कनाडा अभी भी हर वर्ष लाखों नए लोगों का स्वागत कर रहा है, ऐसे में वो घर, स्वास्थ्य देखभाल और रोज़गार के बारे में बढ़ती चुनौतियों का सामना कर रहा है. तालमेल के साथ जोड़ने के नज़रिए के नहीं होने की वजह से ये चुनौतियां और बढ़ जाती हैं. इसके कारण नए आने वाले लोग प्रवासी समुदायों के द्वारा पेश की जाने वाली जान-पहचान के समर्थन की प्रणाली की तरफ चले जाते हैं. इसके परिणामस्वरूप ये समुदाय तेज़ी से संकुचित विचार वाले और एक बस्ती की तरह हो गए हैं जो यहां आने वाले लोगों की समस्याओं और संघर्षों के लिए एक इको चैंबर (एक ऐसी जगह जहां अपनी ही आवाज़ सुनाई पड़ती है) की तरह काम करती है. जैसे-जैसे ये समुदाय राजनीतिक तौर पर अपनी तरफ खींचते हैं, वैसे-वैसे उनका नैरेटिव इन इको चैंबर के भीतर सुनाई देने वाली आवाज़ से बहुत ज़्यादा प्रभावित होता है. स्थानीय राजनीतिक हस्तियां अक्सर इन समुदायों को बढ़ावा देती हैं और इस तरह उनके संकुचित विचारों को और भी सुरक्षित करती हैं. धुर दक्षिणपंथियों का उदय और प्रवासी आबादी के भीतर विकृत मानसिकता वाले तत्वों के द्वारा राजनीतिक नैरेटिव पर कब्ज़ा इसी समीकरण का एक नतीजा है. ये न केवल कनाडा की राजनीति और जीवन जीने के तरीके को बहुत ज़्यादा बदल रहा है बल्कि कनाडा के वैश्विक रुख, प्राथमिकता और सामरिक प्रतिक्रिया पर भी असर डाल रहा है. अगर इसे नहीं रोका गया तो ये रास्ता घरेलू स्तर और वैश्विक मंच- दोनों जगह कनाडा के मूल स्वरूप को बदल सकता है. 

पिछले दिनों अपराध और ड्रग को लेकर एक सर्वे में भाग लेने वाले 80 प्रतिशत लोगों ने मौजूदा आपराधिक न्याय प्रणाली को अपराधियों के लिए बहुत आसान और सज़ा को बहुत ज़्यादा नरम बताया. इस विचार को कनाडा के सुप्रीम कोर्ट ने भी दोहराया जिसने कहा कि कनाडा के जज लंबे समय से सज़ा को लेकर बहुत ज़्यादा नरम रहे हैं.

नरम आपराधिक न्याय

70 के दशक के आख़िर में आपराधिक न्याय प्रणाली में शुरू सुधार ने पुनर्वास को प्राथमिकता देने की कोशिश की. तत्कालीन प्रधानमंत्री पीयरे ट्रूडो के द्वारा शुरू सुधार के तहत आसानी से ज़मानत, सज़ा में नरमी और जल्दी परोल का सहारा लिया गया. उदाहरण के लिए, युवा आपराधिक न्याय अधिनियम के तहत कम उम्र के अपराधियों का नाम छिपाने का भरोसा दिया गया भले ही वो हत्या जैसे अपराध के दोषी क्यों न पाए गए हों. इस तरह न्यायपालिका के फैसलों के वज़न को काफी कम कर दिया गया. कनाडाई सिस्टम के भीतर आज कई अपराधी अपनी सज़ा की केवल एक-तिहाई अवधि पूरी करने के बाद पूर्ण परोल के लिए योग्य हैं. कई अपराधी तो ऐसे भी हैं जो अपनी सज़ा का केवल छठा हिस्सा काटने के बाद बिना किसी पहरे के कम समय की छुट्टी के लिए योग्य हैं. 1985 में एयर इंडिया के विमान को बम से उड़ाने के मामले में तकलीफ पहुंचाने वाली लंबी छानबीन और सार्थक अभियोजन की कमी इसकी एक मिसाल है. 9/11 से पहले दुनिया के सबसे जघन्य विमान हमले, जिसमें 329 निर्दोष लोगों की जान गई थी, में किसी को सज़ा नहीं मिली. ये मामला मारे गए लोगों के परिवारों के लिए इंसाफ का मज़ाक उड़ाने की तरह है. इस तरह का नज़रिया निश्चित रूप से सज़ा के दूसरे ज़रूरी हिस्सों, जैसे कि भविष्य में होने वाले अपराधों को रोकना, गैर-कानूनी बर्ताव की निंदा और लोगों की सुरक्षा, पर हावी हो जाता है. इस तरह ये एक दुष्चक्र की ओर ले जाता है जिससे निकलना आसान नहीं होता. विडंबना है कि इस तरह की सहनशीलता के प्रति कनाडा के भीतर बेहद कम समर्थन है. पिछले दिनों अपराध और ड्रग को लेकर एक सर्वे में भाग लेने वाले 80 प्रतिशत लोगों ने मौजूदा आपराधिक न्याय प्रणाली को अपराधियों के लिए बहुत आसान और सज़ा को बहुत ज़्यादा नरम बताया. इस विचार को कनाडा के सुप्रीम कोर्ट ने भी दोहराया जिसने कहा कि कनाडा के जज लंबे समय से सज़ा को लेकर बहुत ज़्यादा नरम रहे हैं. 

कनाडा का कमज़ोर पहलू

कनाडा लंबे समय से भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के संबंध में अपनी प्रतिबद्धता को लेकर गर्व करता रहा है. लेकिन ये तेज़ी से इसकी कमज़ोरी बनता जा रही है. कनाडा का उदारवादी दृष्टिकोण किसी मक़सद से काम करने वाले समूहों को अपनी स्वतंत्रता को गलत काम के साथ मिलाने के लिए एक मंच मुहैया करा रहा है. ये समूह स्वतंत्रता के अधिकार में जोड़-तोड़ करके अपराध को बढ़ावा दे रहा है और अधिकारों की रक्षा करने वाले पर्दे के पीछे छिप रहा है. कनाडा के क्रिमिनल कोड में नफरत विरोधी प्रावधान हैं लेकिन हैरान होने की बात नहीं है कि इन प्रावधानों के तहत केस बहुत कम चलाया जाता है. यही वो सहनशीलता है जो गुरपतवंत सिंह पन्नू जैसे बांटने वाले लोगों को नफरत फैलाने और आतंकवादी घटनाओं को अंजाम देने की धमकी को स्वीकार करती है. यही वो सहनशीलता है जिसने जिम कीग्सत्रा जैसे लोगों को खुलेआम उन बच्चों के बीच यहूदी विरोध को फैलाने की अनुमति दी जिनको उसने पढ़ाया और इस तरह हमेशा के लिए उनके दिमाग में ज़हर भर दिया. इस तरह का दुरुपयोग न सिर्फ़ कनाडा की घरेलू सद्भावना को धूमिल करता है बल्कि इसके व्यापक परिणाम भी हैं. इसमें ये जोखिम है कि कनाडा की सहनशीलता को उन गतिविधियों के लिए एक पनाहगार बना दे जो सुरक्षित दुनिया की तरफ वैश्विक कोशिशों को कमज़ोर करती हैं. कनाडा के लिए चुनौती ये सुनिश्चित करना है कि स्वतंत्रता के आदर्श ख़राब कोशिशों के लिए औज़ार न बन जाएं. 

कनाडा मौजूदा समय के सबसे विवादित लोगों में से कुछ का घर भी है. इंसानियत के ख़िलाफ़ सबसे जघन्य अपराधों में से कुछ में इनकी मिलीभगत है.

असरदार मिश्रण

कनाडा का ढीला इमिग्रेशन और जस्टिस सिस्टम न सिर्फ़ कनाडा के समाज के ध्रुवीकरण के लिए ख़तरा है बल्कि इसे दुनिया भर में संघर्षों के लिए मंच भी बनाता है. ये बाहरी और देश के भीतर कानून के भगोड़ों के लिए कनाडा को एक चुंबक बनाता है. बड़े संगठित आपराधिक सिंडिकेट जैसे कि वॉल्फपैक अलायंस और हेल्स एंजल्स के साथ-साथ सैकड़ों दूसरे गैंग हर साल कनाडा में सैकड़ों हत्या के लिए ज़िम्मेदार हैं. सिर्फ 2021 में सभी हत्याओं में से लगभग एक-चौथाई गैंग से जुड़े थे. कनाडा मौजूदा समय के सबसे विवादित लोगों में से कुछ का घर भी है. इंसानियत के ख़िलाफ़ सबसे जघन्य अपराधों RUSSIA AND EURAमें से कुछ में इनकी मिलीभगत है. बांग्लादेश के संस्थापक शेख़ मुजीबुर रहमान की हत्या में दोषी नूर चौधरी बांग्लादेश के द्वारा देश में मुकदमे का सामना करने की कई वर्षों की कोशिश के बावजूद कनाडा में सुरक्षित है. सूडान की सत्ताधारी काउंसिल के प्रमुख जनरल अब्देल फतह अल-बुरहान और बागी नेता जनरल मोहम्मद हमदान दगालो के बीच घातक संघर्ष में प्रमुख शख्सियत यूसिफ इब्राहिम इस्माइल अभी भी विनिपेग से काम कर रहा है. लाइबेरिया का सेनापति बिल होरास, जो 90 के दशक में लाइबेरिया के गृह युद्ध के दौरान भयानक युद्ध अपराधों का आरोपी है, 2020 में अपनी हत्या से पहले दो दशक से ज़्यादा समय तक कनाडा में खुलकर रहा. सबूतों के बावजूद कनाडा की सरकार ने उसके ख़िलाफ़ केस नहीं चलाया. ऐसे लोगों के ख़िलाफ़ कोई कार्रवाई नहीं करना न सिर्फ़ उनकी आपराधिक गतिविधियों के पीड़ितों को निराश करता है बल्कि कनाडा के मानवता के विरुद्ध अपराध और युद्ध अपराध कानून को भी ठेंगा दिखाता है क्योंकि ये कानून  नरसंहार, मानवता के ख़िलाफ़ अपराध और युद्ध अपराध के मामलों में कनाडा के कानून का अधिकार क्षेत्र पूरी दुनिया में होने का दावा करता है. 

विवादों में घिरी विरासत

वैसे कनाडा के अपराधियों का पनाहगाह बनने को लेकर चिंताएं लंबे समय से ज़ाहिर की जा रही हैं. द्वितीय विश्व युद्ध के बाद सैकड़ों नाज़ी कनाडा में बस गए जिसकी वजह से ये चिंता होने लगी कि कनाडा युद्ध अपराधियों के लिए शरण स्थली बन रहा है. इस तरह की चिंता का नतीजा 1986 में युद्ध अपराधियों की जांच को लेकर विशाल और आंशिक तौर पर सार्वजनिक आयोग के रूप में निकला. संयोग से इस रिपोर्ट में वाफेन-एसएस गलिसिया डिवीज़न को लेकर एक अलग खंड है. इस डिवीज़न का एक सैनिक मौजूदा उग्र कूटनीतिक नाकामी के केंद्र में है. कनाडा के टोरंटो से महज़ 40 किलोमीटर दूर ओकविले में सबसे बड़े यूक्रेनी कब्रिस्तान सेंट वोलिदिमीर में अभी भी इस डिवीज़न को याद करने वाली एक कब्र मौजूद है जिससे यहूदियों, पोलैंड के लोगों और दूसरे पीड़ित समूहों की नफरत को समझा जा सकता है. लेकिन कनाडा इस धारणा को देखते हुए इसकी इजाज़त देता रहा है कि ये कुछ समुदायों के लिए स्मारक जैसा मूल्य रखता है. कुछ साल पहले जब नाज़ी विरोधी समूहों ने स्मारक में तोड़फोड़ की थी तो अजीबोगरीब ढंग से तोड़फोड़ करने वालों के ख़िलाफ़ नफरती अपराध की छानबीन शुरू कर दी गई. ये सहनशीलता कनाडा के द्वारा ‘खालिस्तानी’ चरमपंथी समूहों, जिसमें भारत के साथ अपने संबंध को संजोने और उसका जश्न मनाने वाले कनाडा के सिख समुदाय के बहुत कम लोग शामिल हैं, को जगह देने में भी दिखाई देती है. 

कनाडा की नरम इमिग्रेशन और आपराधिक न्याय की नीतियों ने ऐसे परिदृश्य का रास्ता बना दिया है जहां अपराध, चरमपंथ और अंतर्राष्ट्रीय विवाद एक दूसरे से मिलते हैं. कनाडा को तुरंत अपने नज़रिए पर फिर से विचार करने की ज़रूरत है जो अपराध को रोकने, लोगों की सुरक्षा और न्याय करने पर हावी है.

नाज़ुक मोड़ पर कनाडा 

कनाडा अपने इतिहास के एक अनिश्चित मोड़ पर है क्योंकि वो अपने ऐतिहासिक आदर्शों और बदली हुई दुनिया की वास्तविकताओं के बीच संतुलन बैठाने की कोशिश कर रहा है. कनाडा की नरम इमिग्रेशन और आपराधिक न्याय की नीतियों ने ऐसे परिदृश्य का रास्ता बना दिया है जहां अपराध, चरमपंथ और अंतर्राष्ट्रीय विवाद एक दूसरे से मिलते हैं. कनाडा को तुरंत अपने नज़रिए पर फिर से विचार करने की ज़रूरत है जो अपराध को रोकने, लोगों की सुरक्षा और न्याय करने पर हावी है. ये न सिर्फ़ कनाडा के लिए बल्कि दुनिया भर में इस नीति से प्रभावित लाखों लोगों के लिए भी ज़रूरी है. लेकिन बार-बार जगाने के बावजूद एक-के-बाद-एक प्रशासन ने बिना किसी कारण के आंख मूंदने का विकल्प चुना है, साथ ही नैतिकता की गलत सोच और सबसे ख़तरनाक तरह की वोट बैंक की राजनीति को बढ़ावा दिया है. ये एक चेतावनी है जिसे कनाडा अब नज़रअंदाज़ नहीं कर सकता है. दुनिया भर के अपराधियों के लिए सुरक्षित ठिकाना और उनके अपराधों को बढ़ावा देने वाले केंद्र के रूप में कनाडा की धारणा न सिर्फ़ इसकी अंतर्राष्ट्रीय प्रतिष्ठा को धूमिल करती है बल्कि कनाडा के सामाजिक ताने-बाने के लिए भी एक सीधा ख़तरा है. एक समय कनाडा की जिस सहनशीलता की तारीफ की जाती थी, उसकी परीक्षा कनाडा की नीतियां ले रही हैं और कनाडा की आंतरिक चुनौतियां इसकी पहचान के साथ लड़ते देश के बारे में बताती हैं. कनाडा का भविष्य उसके बदलने की इच्छा पर निर्भर है और शायद इससे भी महत्वपूर्ण ये कि पिछले कुछ दशक नहीं तो पिछले कुछ हफ्तों में उसके अनुभवों से सीखने पर है. 


जयबल नदुवथ ऑब्ज़र्वर रिसर्च फाउंडेशन में वाइस प्रेसिडेंट और सीनियर फेलो हैं.

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