Author : Sushant Sareen

Published on May 23, 2023 Updated 0 Hours ago
आने वाले तूफ़ान के ख़ौफ़ से घबराया हुआ पाकिस्तान

ये लेख हमारी सीरीज़, पाकिस्तान: दि अनरैवेलिंग का ही एक भाग है


एक क़ौम के तौर पर मुसीबतों से घिरे पाकिस्तान के हालात बिगड़ते ही जा रहे हैं. हर दिन एक नई बुरी ख़बर ले आता है. हर रोज़ सियासी पारा चढ़ता जा रहा है. पाकिस्तान में सबसे ताक़तवर संस्था फ़ौज और पूर्व प्रधानमंत्री इमरान ख़ान के बीच टकराव बढ़ता ही जा रहा है.

  • शहबाज़ शरीफ़ की अगुवाई वाली पाकिस्तानी लोकतांत्रिक मोर्चे (PDM) की हुकूमत और आर्मी चीफ जनरल आसिम मुनीर ने ऐलान कर दिया है कि वो उन सभी लोगों को सबक़ सिखाएं, जिन्होंने 9 मई को इमरान ख़ान की गिरफ़्तारी के बाद, मुल्क भर में हिंसा, आग़ज़नी और लूटपाट मचाई थी. सेनाध्यक्ष जनरल मुनीर ने ऐलान किया है कि फ़ौजी ठिकानों पर हमला करने वाले सिविलियन का भी कोर्ट मार्शल किया जाएगा. उन पर 1952 के आर्मी एक्ट के तहत मुक़दमा चलेगा. शहबाज़ शरीफ़ सरकार ने फ़ौज के इस फ़ैसले पर सोमवार को संसद की मुहर भी लगा दी.
  • उधर, फ़ौज और ख़ास तौर से सेनाध्यक्ष जनरल आसिम मुनीर से टकराव ख़त्म करने के बजाय इमरान ख़ान और आक्रामक हो गए हैं. क़ौम के नाम अपने ख़िताब में इमरान ख़ान ने ऐलान किया कि वो अगर अकेले भी रह जाते हैं, तो भी हक़ीक़ी (वास्तविक) आज़ादी की जंग लड़ते रहेंगे. इमरान ख़ान का ये भाषण देश के मुख्यधारा के मीडिया और न्यूज़ चैनलों पर तो नहीं दिखाया गया. लेकिन, सोशल मीडिया पर इमरान की इस तक़रीर के ख़ूब चर्चे हुए. हालांकि, पिछले कुछ दिनों के हालात देखकर तो लगता है कि इमरान ख़ान वाक़ई अकेले पड़ते जा रहे हैं. उनकी पार्टी के ज़्यादातर बड़े नेता जेल में हैं. अदालतों से ज़मानत मिलने के बाद, हुकूमत उन्हें फिर से गिरफ़्तार करके जेल में डाल देती है. वहीं, तहरीक--इंसाफ़ के कई नेताओं ने फ़ौजी ठिकानों पर हमले का बहाना बनाकर पार्टी छोड़ दी है. इमरान ख़ान ने पहले 14 को अपने समर्थकों से सड़कों पर उतरने की अपील की थी. उसके बाद उन्होंने 17 मई से पूरे पाकिस्तान में विरोध प्रदर्शन और आंदोलन शुरू करने का ऐलान किया था. मगर, इमरान की अपील पर उनके मुट्ठी भर समर्थकों के सिवा कोई बाहर नहीं निकला. फ़ौज और हुकूमत की कार्रवाई के ख़ौफ़ से इमरान ख़ान के समर्थकों ने विरोध प्रदर्शनों से दूरी बनाए रखने में ही अपनी भलाई समझी
  • हालांकि, इमरान ख़ान को अदालतों का भरपूर साथ मिल रहा है. उन्हें हर मुक़दमे में ज़मानत दे दी जा रही है. फिर चाहे लाहौर हाई कोर्ट हो या इस्लामाबाद. 9 मई को गिरफ़्तारी के दो दिन बाद पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट ने भी इमरान ख़ान पर मेहरबानी दिखाते हुए उनकी गिरफ़्तारी को अवैध क़रार दिया था और इमरान को रिहा कर दिया था.
  • इमरान ख़ान पर अदालतों की इस मेहरबानी से नाराज़ शहबाज़ सरकार के गठबंधन के अलावा, मौलाना फ़ज़लुर्रहमान ने 15 मई को अपने समर्थकों के साथ पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट के बाहर धरना दिया था. मौलाना ने विरोध प्रदर्शन के लिए इस्लामाबाद के हाई सिक्योरिटी रेड ज़ोन में दाख़िल होने की हुकूमत की गुज़ारिश भी ख़ारिज कर दी थी. मौलाना फ़ज़लुर्रहमान ने अपने समर्थकों के दम पर अदालतों को ये संदेश देने की कोशिश की थी कि सड़क पर उतरकर विरोध प्रदर्शन के मामले में वो इमरान ख़ान से बिल्कुल भी कम नहीं हैं. इस धरने में शहबाज़ शरीफ़ की भतीजी मरियम नवाज़ भी शामिल हुई थी. सुप्रीम कोर्ट के सामने धरने में शामिल नेताओं ने इमरान ख़ान को रियायत देने के लिए सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट की कड़ी आलोचना की, और पाकिस्तान के चीफ जस्टिस उमर अता बंदियाल का इस्तीफ़ा भी मांग लिया था. पाकिस्तान के चीफ़ जस्टिस उमर अता बंदियाल पर इल्ज़ाम है कि वो अपनी बेटी और सास के प्रेशर में क़ानून और रवायतों को ताक पर रखकर इमरान ख़ान को रियायतें दे रहे हैं.
  • मौलाना और मरियम नवाज़ के इस धरने का असर भी सुप्रीम कोर्ट पर दिखा है. 15 मई को जब चीफ़ जस्टिस बंदियाल की बेंच, शहबाज़ सरकार के ख़िलाफ़ अदालत की अवमानना की सुनवाई करने बैठी, तो उसने नरम रुख़ अपनाया और मामले की सुनवाई टाल दी. असल में पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट ने 14 मई तक पंजाब सूबे में चुनाव कराने का आदेश दिया था. शहबाज़ हुकूमत और पाकिस्तान के चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट का ये आदेश मानने से इनकार कर दिया था. जिसके बाद, इमरान ख़ान के वकीलों ने सुप्रीम कोर्ट से उनके ख़िलाफ़ अदालत की अवमानना करने की गुहार लगाई थी. लेकिन, सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई टालते हुए सरकार और विपक्षी दलों से आपस में बातचीत करके देश में अमन क़ायम करने का सुझाव दिया. हालांकि, जिस तरह इस्लामाबाद और लाहौर हाई कोर्ट इमरान ख़ान और उनकी पार्टी के दूसरे नेताओं पर मेहरबानी कर रहे हैं, उससे ऐसा लग रहा है कि पाकिस्तान की अदालतें हालात को संभालने के बजाय हुकूमत और इमरान ख़ान के बीच टकराव को हवा दे रही हैं.

ज़ाहिर है, पाकिस्तान में एक तरफ़ इमरान ख़ान और अदालतें हैं, तो दूसरी तरफ़ हुकूमत और फ़ौज है. पाकिस्तान के जानकारों का कहना है कि इमरान ख़ान ने फ़ौज और ख़ास तौर से जनरल आसिम मुनीर से खुली दुश्मनी करके अपने लिए बहुत बड़ी मुसीबत मोल ले ली है. इससे बचकर निकल पाना उनके लिए मुश्किल है.

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