Author : Sohini Nayak

Published on Feb 17, 2021 Updated 0 Hours ago

दुनिया के अन्य बड़े पर्यटक स्थलों की तुलना में भूटान के ज़्यादा सुरक्षित और लचीले होने की संभावना है

भूटान: महामारी के बाद आर्थिक प्रगति में कैसी होगी पर्यटन की भूमिका

कोविड-19 की महामारी के चलते हिमालय की गोद में बसे भूटान की अर्थव्यवस्था को भारी नुक़सान पहुंचा है. क्योंकि, महामारी का प्रकोप थामने के लिए उसने अपनी सीमाओं को बंद कर दिया था, जो भूटान के व्यापार और वहां आवाजाही की बुनियादी ज़रूरत है. वैसे तो भूटान ने इस महामारी के शुरुआती दौर में, वायरस का संक्रमण रोकने में काफ़ी सफलता हासिल की थी. उस समय पूरे उप-महाद्वीप में भूटान ही ऐसा देश था जहां वायरस के संक्रमण के सबसे कम मामले दर्ज किए गए थे. लेकिन, महामारी की रोकथाम में सफलता प्राप्त करने की भूटान को भारी क़ीमत चुकानी पड़ी है. वित्तीय वर्ष 2018-2019 की तुलना में भूटान की अर्थव्यवस्था 2019-2020 में 3.8 प्रतिशत सिकुड़ गई.

इस दौरान भूटान के आयात और निर्यात में पर भी बहुत दुष्प्रभाव पड़ा है. जिससे व्यापारिक गतिविधियों में काफ़ी उथल-पुथल दर्ज की गई है. भूटान के लिए ऐसे हालात अच्छे नहीं हैं, क्योंकि वो पिछले कुछ समय से ख़ुद को कम आमदनी वाले देश के दर्जे से निकालकर मध्यम दर्जे की आमदनी वाले देश में परिवर्तित करने की कोशिश कर रहा है.

लॉकडाउन के चलते भूटान में पर्यटकों की आवाजाही एकदम से बंद हो गई. दूसरे सेक्टर जो लॉकडाउन से बुरी तरह प्रभावित हुए उनका सीधा संबंध भारत के साथ व्यापारिक संबंध से था. भारत, भूटान का प्राथमिक व्यापारिक साझीदार ही नहीं, उसके उत्पादों का सबसे बड़ा निर्यात बाज़ार भी है.

जब भूटान में 11 अगस्त को पहली बार देशव्यापी लॉकडाउन लगाया गया था, तो इसका सबसे बुरा असर देश की अर्थव्यवस्था के दो प्रमुख सेक्टर पर पड़ा था. पहले का ताल्लुक़ पर्यटन उद्योग और उससे जुड़ी परिवहन सेवाओं से था. लॉकडाउन के चलते भूटान में पर्यटकों की आवाजाही एकदम से बंद हो गई. दूसरे सेक्टर जो लॉकडाउन से बुरी तरह प्रभावित हुए उनका सीधा संबंध भारत के साथ व्यापारिक संबंध से था. भारत, भूटान का प्राथमिक व्यापारिक साझीदार ही नहीं, उसके उत्पादों का सबसे बड़ा निर्यात बाज़ार भी है.

ख़ुद भारत में भी उस समय कई महीनों से लॉकडाउन लगा हुआ था. इससे आर्थिक गतिविधियां सुस्त पड़ गई थी. ऐसे में अन्य देशों में और ख़ास तौर से भारत में, भूटान के उत्पादों की मांग बहुत कम हो गई थी. इसके अलावा, लॉकडाउन के चलते भूटान को भारत से मिलने वाला वित्तीय सहयोग और मैन्यूफैक्चरिंग, ग़ैर जल विद्युत परियोजनाओं, निर्माण क्षेत्र और मज़ूदरों की आपूर्ति पर भी बहुत असर पड़ा था. इससे भूटान की आर्थिक स्थिति पर दूरगामी प्रभाव पड़ा. ऐसे हालात में भूटान की विकास दर को लेकर अनिश्चिततता का माहौल बना हुआ है. उसकी अर्थव्यवस्था की रीढ़ कहे जाने वाली पनबिजली परियोजनाओं से बिजली का उत्पादन भी काफ़ी कम हो गया है.

ऊंची क़ीमत, कम उत्पादन

जब दुनिया पर कोविड-19 की महामारी ने हमला बोला, उस वक़्त भूटान दुनिया की सबसे तेज़ी से विकसित हो रही अर्थव्यवस्थाओं में से एक था. भूटान का 6.18 प्रतिशत का वित्तीय घाटा, उसके अब तक के इतिहास में शायद सबसे अधिक था. इसकी बड़ी वजह देश की सामाजिक आर्थिक चुनौतियां और कारोबारियों को टैक्स में दी जा रही रियायतें थीं.

संयुक्त राष्ट्र के विकास कार्यक्रम (UNDP) के जून के पूर्वानुमानों के मुताबिक़, अब भूटान का वित्तीय घाटा बढ़कर 7.36 प्रतिशत तक पहुंच सकता है. इस आर्थिक स्थिति को देखते हुए, भूटान की अर्थव्यवस्था को उबारने का जो सबसे बड़ा नुस्खा सुझाया जा रहा है, वो पर्यटन उद्योग में नई जान फूंकने का है. पर्यटन से भूटान को काफ़ी आमदनी होती है. हालांकि, अभी भूटान के पर्यटन उद्योग को मंदी से उबरने में काफ़ी वक़्त लगेगा. क्योंकि, आवाजाही से जुड़ी कुछ पाबंदियां अब भी लागू हैं. माना यही जा रहा है कि जिस पर्यटन उद्योग से भूटान ने बड़ी उम्मीदें लगा रखी हैं, उस उद्योग की रफ़्तार पूरी दुनिया में ही सुस्त रहने की आशंका है.

पर्यटन के क्षेत्र में भूटान की शोहरत ‘विशिष्ट पर्यटक स्थल’ की रही है. अब इसी सिद्धांत से भूटान की अर्थव्यवस्था को सुस्ती से उबारने की कोशिश की जा रही है और इसमें पर्यटकों की सुरक्षा और उनकी सेहत का ख़ास ख़याल रखा जा रहा है.

हालांकि, दुनिया के अन्य पर्यटक केंद्रों की तुलना में भूटान के अधिक सुरक्षित और लचीले होने की संभावना है. इसकी बड़ी वजह ये है कि भूटान अपने टूरिज़्म सेक्टर में लंबे समय से उस नीति पर चलता आया है, जिसे भूटान के राजा जिग्मे खेसर नामग्याल ने ‘कम पर्यटक, अधिक आमदनी’ का नाम दिया था. पर्यटन के क्षेत्र में भूटान की शोहरत ‘विशिष्ट पर्यटक स्थल’ की रही है. अब इसी सिद्धांत से भूटान की अर्थव्यवस्था को सुस्ती से उबारने की कोशिश की जा रही है और इसमें पर्यटकों की सुरक्षा और उनकी सेहत का ख़ास ख़याल रखा जा रहा है.

पर्यटन मंत्रालय ऐसे कई प्रचार अभियान की योजनाएं बना रहा है, जिनके ज़रिए भूटान को मौजूदा हालात में अच्छी सेहत और शांति का पर्यटन स्थल के रूप में प्रचारित किया जा सके, जहां पर ‘ख़ुशहाली एक ठिकाना है.’ नई परिस्थिति के अनुसार तैयार की जा रही इस भूमिका में भूटान अपनी प्राकृतिक सुंदरता, विशेष संस्कृति और शानदार मौसम को लोगों के सामने इस तरह पेश कर रहा है, जहां आकर वो पिछले एक साल की उठा-पटक से निजात पा सकें और सुकून के कुछ दिन गुज़ार सकें. भूटान का ज़िक्र अक्सर, ‘मेनजॉंग, द लैंड ऑफ़ मेडिसिनल हर्ब्स’ और सकल राष्ट्रीय ख़ुशहाली (GNH) वाले देश के तौर पर भी किया जाता है.

बबल टूरिज़्म

पर्यटन को रफ़्तार देने के लिए भूटान के पर्यटन मंत्रालय ने अपने ऑनलाइन पोर्टल को अपग्रेड करने का भी फ़ैसला किया है. इससे, सैलानियों को सही जानकारी देने में मदद मिलेगी. उन्हें स्वास्थ्य संबंधी सावधानियां बरतने में भी मदद की जाएगी. क्वारंटीन के नियमों और ऑनलाइन हेल्थ ऐप्लिकेशन, तुरंत नतीजे देने वाली टेस्ट किट और कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग के ऐप भी सैलानियों को उपलब्ध कराने का प्रयास कियाजा रहा है. ऐसे उपाय भी किए जा रहे हैं कि होटल मालिकों और टूर गाइड भी सैलानियों की सेहत से जुड़े मानकों से परिचित हों और उनका पालन कराएं.

भूटान और भारत के बीच ये द्विपक्षीय समझौता है, जिसके तहत सैलानियों की आवाजाही के लिए किसी क्वारंटीन की ज़रूरत नहीं है. इस व्यवस्था से दोनों ही देशों को वित्तीय रूप से फ़ायदा पहुंचेगा

पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए भूटान ने एक और बड़ा क़दम जो उठाया है, वो भारत के साथ साझेदारी में ‘बबल टूरिज़्म’ को बढ़ावा देने का है. इन्हें ‘पर्यटन गलियारा’ या ‘ग्रीन लेन’ भी कहा जा रहा है. भूटान और भारत के बीच ये द्विपक्षीय समझौता है, जिसके तहत सैलानियों की आवाजाही के लिए किसी क्वारंटीन की ज़रूरत नहीं है. इस व्यवस्था से दोनों ही देशों को वित्तीय रूप से फ़ायदा पहुंचेगा. इस तरह से पूर्वोत्तर भारत के राज्यों के लिए भी अवसरों के द्वार खुलेंगे, जिनकी सीमाएं सीधे भूटान से लगती हैं. इनमें सबसे अहम सीमाएं जयगांव और फुएंटशोलिंग की हैं.

भूटान द्वारा पर्यटन क्षेत्र में किए गए ये बदलाव निश्चित रूप से सरकार द्वारा अर्थव्यवस्था को उबारने के लिए उठाए गए हैं. ये परिवर्तन भूटान की आपातकालीन आर्थिक योजना (ECP) का हिस्सा हैं, जिनसे देश की बारहवीं पंचवर्षीय योजना (FYP) की प्राथमिकता वाली गतिविधियों का निर्धारण नए सिरे से किया गया है. इनकी मदद से भूटान की अर्थव्यवस्था को दोबारा तेज़ विकास की पटरी पर लाने की कोशिश की जा रही है. भूटान ऐसा करके, भारत के साथ अपने अच्छे संबंधों का बेहतर ढंग से लाभ उठा सकता है. उम्मीद है कि दोनों देश आपसी संबंधों के ज़रिए सबसे बेहतरीन नतीजे निकाल सकेंगे.


ये लेख मूल रूप से ओआरएफ साउथ एशिया वीकली में प्रकाशित हुआ था.

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